भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भारत समेत अन्य विकासशील देश में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है।
भ्रष्टाचार पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Bhrashtachar par Nibandh
“भ्रष्टाचार” एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज को गंभीर रूप में प्रभावित कर रही है। यह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे देश की स्थायित्व और विकास को खतरे में डाल रही है। भ्रष्टाचार का मतलब है नीतियों और नियमों का अनुचित पालन, धन का अनुचित इस्तेमाल और अधिकारों के दुरुपयोग।
भ्रष्टाचार हमारे समाज की एक बड़ी बीमारी की तरह है। यह न केवल धन की बर्बादी करता है, बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक संरक्षण भी प्रभावित होता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। हमें अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और दुसरों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में सहायता करनी चाहिए।
छोटे उम्र में ही हमें इस बुराई के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए। हमें सच्चाई और ईमानदारी के माध्यम से अपने काम करने चाहिए। इससे हम अपने समाज को एक सच्चे और ईमानदार दिशा में ले जा सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना हमारी जिम्मेदारी है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और समाज को एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
भ्रष्टाचार पर निबंध (300 शब्द) – Essay on Corruption in Hindi
अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।
भ्रष्टाचार क्या है ?
भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।
भ्रष्टाचार के कारण
- देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
- व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
- आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
- मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।
भ्रष्टाचार देश में लगा वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।
निबंध 2 (400 शब्द) – भ्रष्टाचार के प्रकार, परिणाम व उपाय
अपना कार्य ईमानदारी से न करना भ्रष्टाचार है अतः ऐसा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है। समाज में आये दिन इसके विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में यह कहना मुझे अनुचित नहीं लगता, वही व्यक्ति भ्रष्ट नहीं हैं जिन्हें भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिला।
भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार
- रिश्वत की लेन-देन – सरकारी काम करने के लिए कार्यालय में चपरासी (प्यून) से लेकर उच्च अधिकारी तक आपसे पैसे लेते हैं। इस काम के लिए उन्हें सरकार से वेतन प्राप्त होता है वह वहां हमारी मदद के लिए हैं। इसके साथ ही देश के नागरिक भी अपना काम जल्दी कराने के लिए उन्हे पैसे देते हैं अतः यह भ्रष्टाचार है।
- चुनाव में धांधली – देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरेआम लोगों को पैसे, ज़मीन, अनेक उपहार तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। यह चुनावी धान्धली असल में भ्रष्टाचार है।
- भाई-भतीजावाद – अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। वह अपने किसी प्रिय जन को उस पद का कार्यभार दे देते हैं जिसके वह लायक नहीं हैं। ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उससे छिन जाता है।
- नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने हेतु प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है। पर कुछ व्यक्ति सरकार को अपने आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
- शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी – शिक्षा तथा खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग मेधावी व योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते बल्कि जो उन्हें घूस दे, उन्हें दे देते हैं।
इसी प्रकार समाज के अन्य छोटे से बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है। जैसे राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक फीस आदि। यहां तक की भाषा में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। अजय नावरिया के शब्दों में “मुंशी प्रेमचंद्र की एक प्रसिद्ध कहानी सतगति में लेखक द्वारा कहानी के एक पात्र को दुखी चमार कहा गया है, यह आपत्तिजनक शब्द के साथ भाषा के भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है। वहीं दूसरे पात्र को पंडित जी नाम से संबोधित किया जाता है। कहानी के पहले पात्र को “दुखी दलित” भी कहा जा सकता था।“
भ्रष्टाचार के परिणाम
समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।
भ्रष्टाचार के उपाय
- भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून – हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
- कानून की प्रक्रिया में समय का सदुपयोग – कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
- लोकपाल कानून की आवश्यकता – लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।
हर प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत अधिक क्षति पहुंचती है। हम सभी को समाज का ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह प्रण लेना चाहिए, न भ्रष्टाचार करें, न करनें दें।
भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay on Corruption in Hindi) (500 – 600 शब्द)
भ्रष्टाचार एक ऐसा अभिशाप है जो हमारे समाज को भीतर से खोखला कर रहा है। यह केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं बल्कि समाज के नैतिक ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न करता है। आज भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में अपनी जड़ें फैला चुका है, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवा हो, व्यापार हो या सरकारी कार्यालय। भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव सबसे अधिक गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ता है, जो अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।
भ्रष्टाचार के प्रकार
- आर्थिक भ्रष्टाचार: इसमें रिश्वत, घोटाला, कर चोरी, आदि शामिल हैं। यह सीधे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
- राजनीतिक भ्रष्टाचार: इसमें चुनाव में धोखाधड़ी, घूसखोरी, सत्ता का दुरुपयोग आदि शामिल है।
- प्रशासनिक भ्रष्टाचार: इसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध लाभ कमाना है।
- सामाजिक भ्रष्टाचार: इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों में फैली असमानता और अन्याय शामिल है।
भ्रष्टाचार के मुख्य कारण लोगों में नैतिक मूल्यों की कमी, कानूनी व्यवस्था का कमजोर होना, कानून का सही ढंग से पालन न होना, सजा का डर न होना, शिक्षा और जागरूकता की कमी, आर्थिक असमानता, गरीबी और बेरोजगारी इत्यादि लोगों को भ्रष्टाचार की ओर धकेलती है।
भ्रष्टाचार के प्रभाव
- आर्थिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण देश की आर्थिक प्रगति रुक जाती है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में भ्रष्टाचार के कारण हर साल लगभग 20% GDP का नुकसान होता है।
- सामाजिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण समाज में असमानता बढ़ती है और गरीब और गरीब हो जाते हैं।
- राजनीतिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण जनता का विश्वास सरकार और न्यायपालिका से उठ जाता है।
- मानवाधिकारों का हनन: भ्रष्टाचार के कारण लोग अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं, जिससे मानवाधिकारों का हनन होता है।
2024 में भारत में हुए भ्रष्टाचार के उदाहरण
- चुनावी बांड विवाद: राजनीतिक दलों को फंडिंग करने में चुनावी बांड के उपयोग को लेकर एक बड़ा विवाद हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ कंपनियों ने इन बांडों का उपयोग करके राजनीतिक दलों को पर्याप्त योगदान दिया है, जिससे पोलिटिकल फाइनेंसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं।
- नकली दवाइयों का रैकेट: दिल्ली में नकली कैंसर और मधुमेह की दवाइयों के वितरण से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। जिसमें गिरफ्तार हुए चार व्यक्तियों में से एक सीरियाई नागरिक भी शामिल था, जो तुर्की और मिस्र से भारत में नकली दवाइयों की आपूर्ति करते थे।
- महाराष्ट्र के आरोप: महाराष्ट्र राज्य में पुनर्विकास परियोजनाओं से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इन आरोपों में गांधी और शिवाजी जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को अनुचित तरीके से हटाना और फिर से स्थापित करना शामिल है, जो कथित तौर पर इन पुनर्विकास प्रयासों का हिस्सा हैं।
भ्रष्टाचार से निपटने के उपाय
- भ्रष्टाचार रोकने के लिए कठोर और प्रभावी कानूनों की आवश्यकता है।
- लोगों में शिक्षा और जागरूकता फैलाकर भ्रष्टाचार के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाना चाहिए।
- सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाना चाहिए।
- नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर बच्चों में सही और गलत का भेद सिखाया जाना चाहिए।
- जनता को जागरूक और संगठित करके उन्हें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय करना चाहिए।
भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जो हमारे समाज और देश के विकास में बाधा डाल रही है। इससे निपटने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा। केवल सरकार या कानून के बल पर इस समस्या का समाधान संभव नहीं है, बल्कि हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा और ईमानदारी का दामन थामना होगा। यदि हम सभी मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन खड़ा करें, तो निश्चित ही हम इस अभिशाप से मुक्त हो सकते हैं और एक समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं।
FAQs: Frequently Asked Questions on Corruption (भ्रष्टाचार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर- सोमालिया (2024 के सर्वे के अनुसार)
उत्तर- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार भारत भ्रष्टाचार के मामले में 93 वें स्थान पर है।
उत्तर- राजस्थान
उत्तर- केरल
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भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) - 100, 200, 500 शब्दों में
एक बुरे आचरण आचरण से भ्रष्टाचार की शुरूआत होती है जो कि व्यक्ति को निरन्तर इस ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। भ्रष्टाचार से आशय अनैतिक, अनुचित या भ्रष्ट आचरण से है। नीति-नियम विरुद्ध कार्य-व्यवहार करना भ्रष्टाचार (corruption) कहलाता है। अनैतिक रूप से कमाया हुआ धन, शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक शोषण, ये सभी भ्रष्टाचार को प्रदर्शित करते हैं। हमारे देश भारत में पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों को देखें तो कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार हमारे देश की लाइलाज समस्या हो गई है।
भ्रष्टाचार पर निबंध 100 शब्दों में (100 Words Essay On Corruption in Hindi)
भ्रष्टाचार पर निबंध 200-300 शब्दों में (200-300 words essay on corruption in hindi), भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्दों में (500 words essay on corruption in india in hindi), भ्रष्टाचार की समस्या का समाधान.
सामाजिक और आर्थिक असमानताएं भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती हैं, क्योंकि धन और शक्ति वाले व्यक्ति अपने प्रभाव का उपयोग सुविधाओं, सेवाओं को नियम विरुद्ध जल्द प्राप्त करने तथा बिना किसी कारण के भ्रष्ट आचरण में संलग्न होने के लिए कर सकते हैं।
‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ द्वारा जारी ‘भ्रष्टाचार बोध सूचकांक’ 2023 (CPI) की मानें तो पिछले एक दशक में अधिकांश देशों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की स्थिति या तो काफी हद तक स्थिर या खराब रही है। भारत ने भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023 में 40 अंक प्राप्त किए। भ्रष्टाचार सत्ता या बड़े प्रशासनिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा किया गया अशिष्ट और असंवैधानिक व्यवहार है। इसकी शुरुआत किसी निजी लाभ के लिए सार्वजनिक पद का उपयोग करने की प्रवृत्ति से होती है। भारत जैसे देश में पिछले कुछ समय से आ रही खबरी को देखें तो कह सकते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भ्रष्टाचार कई लोगों के लिए आदत बन गया है। यह इतनी गहराई तक व्याप्त है कि भ्रष्टाचार को अब एक सामाजिक मानदंड माना जाता है। इसलिए भ्रष्टाचार का तात्पर्य नैतिकता की विफलता से है।
हमारे देश भारत के विकास यात्रा की राह में भ्रष्टाचार एक बड़ा अवरोध है। भ्रष्टाचार से मुक्ति के दावों के बीच देश में कोई न कोई ऐसी घटना घटित हो जाती है जिससे सीधे यह प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाना किसी के वश में नहीं है। भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) केंद्रित इस पेज पर लिखे लेख की मदद से छात्र-छात्राओं को से भ्रष्टाचार पर निबंध (bhrashtachar per nibandh) और भाषण के लिए उपयोगी जानकारी मिलेगी।
भ्रष्टाचार गरीबों और कमजोर लोगों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। बेईमानी या धोखाधड़ी वाला व्यवहार भ्रष्टाचार के रूप में सामने आता है। भ्रष्टाचार के कई रूप हैं, जिनमें रिश्वतखोरी, गबन, भाई-भतीजावाद, सत्ता का दुरुपयोग और धोखाधड़ी शामिल है। वर्तमान में लोकसभा चुनावों के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड, चंदा दो धंधा लो जैसे शब्द राजनैतिक नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के तौर पर जनता के बीच काफी चर्चा में रहे, जो भ्रष्टाचार को ही रेखांकित कर हैं। आम जनता भी जब अपेक्षित तौर-तरीके से काम न करे तो वह भी भ्रष्टाचार की ही श्रेणी में आएगा। यहां भारत में भ्रष्टाचार (corruption essay in hindi) पर कुछ निबंध सैंपल दिए गए हैं।
भ्रष्टाचार एक आम समस्या है जो हमारे देश में दशकों से बीमारी की तरह जड़ जमा चुकी है। यह समाज के सभी स्तरों को प्रभावित करता है, सबसे गरीब से लेकर सबसे अमीर तक। पहले जानें- भ्रष्टाचार क्या है? भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में भी देर नहीं करता है। देश में प्राकृतिक संसाधन, मानव बल के साथ भौतिक संसाधन होने के बाद भी देश के विकास में भ्रष्टाचार दीमक की तरह लग गया है। यह न सिर्फ देश को गरीब और लाचार बनाता जा रहा है, बल्कि कई नए तरह के संकट जैसे समाज में वैमन्य, असंवेदनशीलता और असहयोग की भावना भी सामने ला रहा है। रिश्वत की लेन-देन, गबन, घोटाला, चुनाव में धांधली, भाई-भतीजावाद, नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी, घूसखोरी, राशन में मिलावट आदि भ्रष्टाचार के सामान्य उदाहरण हैं।
भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप अयोग्य और अपात्र को लाभ पहुंचता है। इससे सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास की हानि होती है, कानून का शासन कमजोर होता है और आर्थिक विकास में बाधा आती है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के विभिन्न प्रयासों के बावजूद, यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के लिए निरंतर सतर्कता और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
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भ्रष्टाचार एक व्यापक समस्या है जो कई दशकों से चिंता का विषय बनी हुई है। यह एक ऐसा ख़तरा है जो समाज के सभी स्तरों, सबसे ग़रीबों से लेकर सबसे अमीर लोगों तक को परेशान करता है। लालच और असंतुष्टि, देश का लचीला कानून भी भ्रष्टाचार की वजह है। भारत में भ्रष्टाचार विभिन्न रूपों में होता है, जैसे रिश्वतखोरी, गबन, भाई-भतीजावाद और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग। भारत में भ्रष्टाचार का मूल कारण पारदर्शिता, जवाबदेही की कमी और कमजोर कानूनी प्रणाली है। भारत देश में वैसे तो बहुत भ्रष्टाचार हुए हैं हर रोज कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में आम जनता का इनसे सामना होता रहता है।
वर्ष 1985 में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सूखा प्रभावित ओडिशा के कालाहांडी क्षेत्र के दौरे में कहा था कि देश में बहुत भ्रष्टाचार है, सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले 1 रुपये में से 15 पैसे ही जनता तक पहुंच पाते हैं। भारत में भ्रष्टाचार की समस्या पर तत्कालीन प्रधानमंत्री के इस कथन से समस्या की गंभीरता का पता चलता है।
आजादी के बाद सबसे पहले जीप खरीदी घोटाला (1948) देश में सामने आया था। आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। इस घोटाले में ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद हो गया और वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई।
बोफोर्स घोटाला- 1987 में एक स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। इसमें आरोप लगा की भारतीय 155 मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब 64 करोड़ रुपये का घपला किया।
1996 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशुपालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए 950 करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।
परिणाम : भारत में भ्रष्टाचार का देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप संसाधनों का गलत आवंटन, खराब प्रशासन और लोगों को आवश्यक सेवाओं की कमी आती है। भ्रष्टाचार ने लोकतंत्र और कानून के शासन को भी कमजोर कर दिया है, राजनीतिक दल और नेता, सत्ता और नियंत्रण बनाए रखने के साधन के रूप में भ्रष्टाचार का उपयोग कर रहे हैं।
उपाय : भारत सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की स्थापना करना, कानून और नियम बनाना, सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना। हालाँकि, भारत में भ्रष्टाचार एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है, जिससे निपटने के लिए निरंतर प्रयासों और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
भ्रष्टाचार में भाग लेने से इनकार करने, भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने और अपने नेताओं से जवाबदेही की मांग करके भ्रष्टाचार से लड़ने में नागरिक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष समाज के निर्माण के लिए सरकार और नागरिकों सहित सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
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भारत में भ्रष्टाचार दशकों से एक बड़ी समस्या रही है, जिसने समाज के सबसे गरीब से लेकर सबसे अमीर तक सभी स्तरों को प्रभावित किया है। भारत में भ्रष्टाचार कई रूपों में होता है, जैसे रिश्वतखोरी, गबन, भाई-भतीजावाद और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग। यह देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करता है, कानून के शासन को कमजोर करता है और सामाजिक और आर्थिक विकास पर गंभीर परिणाम डालता है। व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से भ्रष्टाचार के मौके का फायदा उठा सकता है।
भ्रष्टाचार पर निबंध - भ्रष्टाचार के कारण
पारदर्शिता का अभाव : सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता के अभाव से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। जब सरकारी कामकाज में कोई पारदर्शिता नहीं होती है, तो अधिकारियों के लिए पहचान या सजा के डर के बिना भ्रष्ट आचरण में शामिल होना आसान होता है।
कमजोर कानूनी व्यवस्था : भारत में कमजोर कानूनी व्यवस्था भी भ्रष्टाचार में महत्वपूर्ण योगदान देती है। भ्रष्ट अधिकारी न्याय से बच जाते हैं और कठोर दंड की व्यवस्था न होने से भी भ्रष्ट मानसिकता बढ़ती है।
राजनीतिक प्रभाव : राजनीतिक प्रभाव भारत में भ्रष्टाचार का एक और महत्वपूर्ण कारण है। राजनेता अपनी शक्ति और प्रभाव का उपयोग अक्सर सार्वजनिक हित की कीमत पर स्वयं और अपने सहयोगियों को लाभ पहुंचाने के लिए करते हैं।
गरीबी और आर्थिक अवसरों की कमी : गरीबी और आर्थिक अवसरों की कमी एक ऐसा वातावरण बनाती है, जहाँ भ्रष्टाचार पनपता है। सत्ता में बैठे लोग अक्सर भ्रष्ट आचरण में शामिल होने के लिए कमज़ोर लोगों का शोषण करते हैं।
नौकरशाही/लालफीताशाही: लंबी और जटिल नौकरशाही प्रक्रियाएँ तथा अत्यधिक नियम व्यक्तियों एवं व्यवसायों को प्रक्रियाओं में तेज़ी लाने या बाधाओं को दूर करने के लिये भ्रष्ट आचरण में शामिल होने हेतु प्रेरित कर सकते हैं।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी : विभिन्न भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के बावजूद, भ्रष्टाचार से निपटने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। कानूनों और विनियमों को लागू करने की इच्छाशक्ति की कमी के कारण भ्रष्टाचार अक्सर अनियंत्रित हो जाता है।
कम वेतन और प्रोत्साहन: सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों, विशेषकर निचले स्तर के पदों पर बैठे लोगों का कम वेतन उन्हें रिश्वतखोरी और भ्रष्ट आचरण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है, क्योंकि वे भ्रष्टाचार को अपनी आय के पूरक के साधन के रूप में देखते हैं। भारत का जटिल आर्थिक वातावरण, जिसमें विभिन्न लाइसेंस, परमिट और अनुमोदन शामिल हैं, भ्रष्टाचार के अवसर पैदा कर सकते हैं। व्यवसाय इस माहौल से निपटने के लिये रिश्वतखोरी का सहारा ले सकते हैं।
भारत में भ्रष्टाचार के मूल कारणों की चर्चा के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें संरचनात्मक सुधार, संस्थानों को मजबूत करना और भ्रष्टाचार के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव शामिल है। अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष समाज के निर्माण के लिए सरकार, नागरिक समाज और नागरिकों सहित सभी हितधारकों के ठोस प्रयास की आवश्यकता है।
भारत में भ्रष्टाचार को कम करना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसके लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यहां कुछ कदम दिए गए हैं जो भारत में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए उठाए जा सकते हैं।
संस्थाओं को मजबूत करना : न्यायपालिका, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भ्रष्टाचार विरोधी निकायों जैसी संस्थाओं को मजबूत करने से भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिल सकती है। इन संस्थानों को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण और स्वायत्तता प्रदान की जानी चाहिए।
सरकारी कामकाज में पारदर्शिता : सरकारी कामकाज में अधिक पारदर्शिता से भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिल सकती है। सरकारी अनुबंधों, बजट और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के सार्वजनिक प्रकटीकरण जैसे उपाय भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
शिकायत निवारण तंत्र : नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना और फीडबैक के लिए चैनल बनाना एक और तरीका है जो भ्रष्टाचार के उन्मूलन में मदद कर सकता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देकर, व्हिसलब्लोअर संरक्षण कानून बनाकर और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करके किया जा सकता है।
कानून का पालन : भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कानूनों और विनियमों का कड़ाई से कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। इसके लिए भ्रष्ट अधिकारियों पर मुकदमा चलाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है कि उन्हें उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देना : नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देना सुनिश्चित करके भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिल सकती है कि सरकार के सभी स्तरों पर नेताओं का चयन उनकी ईमानदारी और नैतिक व्यवहार के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर किया जाता है।
प्रौद्योगिकी का उपयोग : प्रौद्योगिकी के उपयोग से भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, ई-गवर्नेंस सिस्टम, शिकायत दर्ज करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल और डिजिटल भुगतान सिस्टम भ्रष्टाचार के अवसरों को कम कर सकते हैं। भ्रष्टाचार को रोकने का एक बेहतरीन तरीका कार्यस्थलों पर कैमरे लगाना हो सकता है। पकड़े जाने के डर से कई लोग भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचते हैं।
जागरूकता : भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जनता को शिक्षित करना और नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देना भ्रष्टाचार को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह जागरूकता अभियानों, स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा और सार्वजनिक सेवा घोषणाओं के माध्यम से किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार कितने प्रकार के हैं?
भ्रष्टाचार कई प्रकार के हैं। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा राजनैतिक, पुलिस, न्यायिक, शिक्षा प्रणाली सहित अन्य कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार देखने को मिलता है।
भारत में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है?
भारत भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2019 में 41 अंको के साथ 80वें स्थान पर है। इस सूचकांक में न्यूजीलैंड और डेनमार्क शीर्ष स्थान पर है। जबकि सोमालिया सबसे अंतिम स्थान पर है।
सरल शब्दों में भ्रष्टाचार क्या है?
भ्रष्टाचार लोगों के आचरण में मौलिक तत्वों तथा नैतिकता का समाप्त हो जाना है। यदि लोगों में मौलिक तत्व, संवेदनशीलता तथा अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा होगी, तो भ्रष्टाचार जैसी समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
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भ्रष्टाचार: समस्या एवं समाधान पर निबंध
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भ्रष्टाचार: समस्या एवं समाधान पर निबंध | Essay on Corruption : Problems and Solutions in Hindi!
भ्रष्टाचार का शब्दिक अर्थ है – ‘बिगड़ा हुआ आचरण’ अर्थात् वह आचरण या कृत्य जो अनैतिक तथा अनुचित है । आज देश में भ्रष्टाचार की जड़ें अत्यधिक गहरी होती जा रही हैं । यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह समूचे तंत्र को अव्यवस्थित कर सकता है ।
भ्रष्टाचार के कई कारण हैं । सबसे प्रमुख कारण है मनुष्य में असंतोष की प्रवृत्ति । मनुष्य अपने वर्तमान से संतुष्ट नहीं हो पाता है । वह सदैव अधिक पाने की लालसा रखता है । बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो अपनी इच्छाओं और क्षमताओं में संतुलन रख पाते हैं । ये लोग अपनी इच्छाओं व आकांक्षाओं की पूर्ति न होने पर भी संतुलन नहीं खोते हैं ।
परंतु बहुत से लोग अपनी आकांक्षाओं और अपने वर्तमान में सामजस्य स्थापित नहीं कर पाते हैं । उनकी लोलुपता इतनी तीव्र हो उठती है कि वे अनैतिकता के रास्ते पर चलकर भी इच्छा पूर्ति में संकोच नहीं करते हैं । अंतत: इससे भ्रष्टाचार उत्पन्न होता है । मनुष्य की यह लोलुपता आर्थिक अथवा सामाजिक किसी भी स्तर की हो सकती है ।
कुछ लोगों में सम्मान अथवा पद की आकांक्षा होती है तो कुछ में धन की लोलुपता । इस प्रकार असंतोष और लोलुपता के कारण ही वे न्याय-अन्याय में अंतर नहीं कर पाते हैं तथा भ्रष्टाचार की ओर उत्सुख हो जाते हैं । भाषावाद, क्षेत्रीयता, सांप्रदायिकता, जातीयता आदि भी भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करते हैं ।
भ्रष्टाचार के अनेक रूप हैं । चोरबाजारी, रिश्वतखोरी, दलबदल, जोर-जबरदस्ती आदि भ्रष्टाचार के ही रूप हैं । भ्रष्टाचार वर्तमान में एक नासूर बनकर समाज को खोखला करता जा रहा है । धर्म का नाम लेकर लोग अधर्म को बढ़ावा दे रहे हैं । हर ओर कुरसी के लिए लोग प्रयासरत हैं । आज दोषी व अपराधी धन के प्रभाव में स्वच्छंद होकर घूम रहे हैं । धन-बल का प्रदर्शन, लूट-पाट, तस्करी आदि आम बात हो गई है ।
भ्रष्टाचार का हमारे समाज और राष्ट्र में व्यापक रूप से असर हो रहा है । संपूर्ण व्यवस्था में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई । परिणामत: समाज में भय, आक्रोश व चिंता का वातावरण बन रहा है । राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक व प्रशासनिक आदि सभी क्षेत्र इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं ।
यह हमारी व्यवस्था में इस प्रकार समाहित हो चुका है कि आज इसे दूर करना प्रत्येक राष्ट्र के लिए लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है । आजकल तो सेना में भी भ्रष्टाचार फैल रहा है जिसके कारण देश की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लग गया है ।
भ्रष्टाचार किसी व्यक्ति विशेष या समाज की नहीं अपितु संपूर्ण राष्ट्र की समस्या है । इसका निदान केवल प्रशासनिक स्तर पर हो सके ऐसा संभव नहीं है । इसका समूल विनाश सभी के सामूहिक प्रयास के द्वारा ही संभव है । इसके लिए केंद्रीय स्तर पर राजनीतिक इच्छा-शक्ति का प्रदर्शन भी नितांत आवश्यक है ।
प्रशासनिक स्तर पर यह आवश्यक है कि भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही हो । इसके लिए आवश्यक है कि प्रशासन कठोर, चुस्त तथा निष्पक्ष हो । हमारी व्यवस्था इतनी सुदृढ़ हो कि अपराधियों को उनके किए की सजा मिल सके भले ही वह किसी पद पर आसीन हो ।
सामाजिक स्तर पर यह आवश्यक है कि हम ऐसे तत्वों को बढ़ावा न दें जो भ्रष्टाज्जार को बढ़ावा देते हैं या उसमें लिप्त हैं । यह आवश्यक है कि उन्हें हम मुख्य धारा से अलग कर दें जब तक कि वे नीति के मार्ग पर नहीं चलने लगें ।
व्यक्तिगत स्तर पर यह आवश्यक है कि हम यह समझें कि समाज से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का उत्तरदायित्व हम पर ही है । तब निस्संदेह हम भविष्य में भ्रष्टाचार रहित समाज की कल्पना कर सकते हैं । भ्रष्टाचार के पूर्णतया उन्मूलन से पूर्व हमें इस पर विचार करना होगा कि वे क्या कारण हैं जिसके फलस्वरूप समाज के धनाढ़य एवं सुशिक्षित उच्चपदासीन व्यक्ति अधिक संख्या में भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ।
क्यों एक प्रशासनिक अधिकारी जबकि उसे पर्याप्त वेतन एवं सुविधाएँ उपलब्ध हैं, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में औरों से कम नहीं है । जाहिर है, कहीं न कहीं हमारी शिक्षा-प्रणाली खामियों से परिपूर्ण है तथा सामाजिक नैतिकता का दिनों-दिन ह्रास हो रहा है ।
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