Hindi stories class 9 नैतिक शिक्षा की कहानियां कक्षा नौवीं

In this post you will get to read short Hindi stories for class 9 students with moral values.

उद्देश्य – कहानी संकलन का एक मात्र उद्देश्य यही है कि वर्तमान समाज में गिरते नैतिक शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाया जाए। संचार की क्रांति से समाजिक वातावरण में विकृतियां आ गयी है। बालकों में नैतिक विकास समाज , सेवा की भावना को जागृत किये बिना समाज का उत्थान नहीं हो सकता।

माता – पिता के अशिक्षित होने के कारण बालक का नैतिक विकास उतना नहीं हो पाता जितना होना चाहिए। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर कहानी का संकलन तैयार कर रहे हैं आशा करते है यह संकलन समाज का हित साधेगा।

Table of Contents

1. कार्य के प्रति लगन ( Hindi stories for class 9 )

महाराष्ट्र के गांव में आकाशवाणी होती है आगामी कुछ महीनों में बरसात नहीं होगी। गांव के किसान परेशान हो गए सभी लोग खेती-बाड़ी छोड़कर शहर की ओर रोजगार की तलाश में पलायन कर गए।

कुछ ही समय में पूरा गांव खाली होने लगा।

रामदास खेत में हल चलाने लगता है। सारे गांव के लोग हंसते हैं। रामदास को पागल मुर्ख और अनेक शब्दों से उसका उपहास , मजाक बनाते हैं। एक वृद्ध व्यक्ति ने रामदास से पूछा भविष्यवाणी हुई है बारह महीने तक बरसात नहीं होगी तो तुम हल क्यों चला रहे हो ?

हल चलाने से क्या फायदा ? 

जब पानी ही नहीं मिलेगा तो फसल कैसे उपजेगा। प्रश्न के उत्तर में रामदास ने बड़े ही शांत स्वभाव से जवाब दिया , कि मैं इसलिए हल चला रहा हूं कहीं बारह महीने में मैं !

खेती करना ना भूल जाऊं।

यह जवाब सुनकर वृद्ध व्यक्ति वहां से चला गया। रामदास खेत में मेहनत करने में व्यस्त हो गया। रामदास की बात बादलों ने सुनी और कुछ देर बाद काली घटा घिर कर आई और बरसात शुरू हो गई।

सभी लोगों को आश्चर्य हुआ की भविष्यवाणी हुई थी बारह महीने बरसात नहीं होगी।

फिर यह अचानक बरसात कैसे ?

किसी ने बादल को रोककर पूछा भविष्यवाणी हुई थी के बारह महीने बरसात नहीं होगी फिर यह बरसात कैसे ? इस पर बादल ने जवाब दिया कि मैं रामदास के शब्दों से प्रभावित हो गया और मुझे ऐसा लगा कि रामदास अपने कार्य को नहीं छोड़ रहा है वह बारह महीने का इंतजार इसलिए नहीं कर रहा है , कहीं वह खेती करना ना भूल जाए।

इसलिए मैं भी बरस रहा हूं कहीं बारह महीने में मैं बरसना ना भूल जाऊं।

नैतिक शिक्षा

  • कार्य के प्रति लगन हो तो सभी कार्य पुरे होते हे।
  • भगवान भी उसीके साथ है जो अपने कार्य को पूरी निष्ठा से करे।
  • आकस्मिक बरसात रामदास की निष्ठा का फल था।

Moral of this short Hindi story for class 9 in English

  • We should always have the fullest devotion to our work.
  • One day your destiny will bring you success.
  • Nature will help you too if you are courageous enough to fight with problems.
  • God only those people who are willing to help themselves.
  • Never try to run away from problems.

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2. धैर्य की आवश्यकता ( Best Hindi story for class 9 with moral values)

वर्तमान समय में लोगों में धैर्य की कमी होती जा रही है , जिसके कारण उनका काम और मेहनत से अर्जित पूंजी आदि का निरंतर ह्रास होता जा रहा है।

एक समय की बात है जंगल में एक सियार भूख से परेशान घूम रहा था।

एक वृक्ष के नीचे पहुंचा ही था कि उसे मीठे – मीठे पके हुए फल की खुशबू आने लगी। सियार ने भूख को खत्म करने का उपाय सोचा। अनेकों प्रयत्न करके भी उस फल को तोड़ने का प्रयत्न करता रहा किंतु उसके सारे प्रयास विफल रहे।

सियार ने योजना बनाई और सभी सियार को बुलाकर लाया।

बस क्या था देखते ही देखते सियार का पूरा झुंड पेड़ के नीचे उपस्थित हो गया। सभी सियारों ने अपनी – अपनी बुद्धि का प्रयोग किया किसी ने उछलकर उस फल तक पहुंचने की कोशिश की , किसी ने पेड़ पर चढ़ने का प्रयत्न किया। ऐसे – ऐसे करके सभी सियार अपनी बुद्धि लगाकर थक चुके थे। तभी पीछे बैठे वृद्ध सियार ने एक युक्ति सुझाया। वह युक्ति इस प्रकार थी , जो सबसे बलिष्ठ , बलशाली सियार हो वह नीचे खड़ा हो जाए और उसके ऊपर उससे कमजोर और उसके ऊपर उससे कमजोर।

इस प्रकार खड़े होकर हम सब उस फल तक पहुंच सकते हैं।

वृद्ध सियार का यह सुझाव सभी को पसंद आया , बस क्या था इस योजना को कार्यान्वित किया गया।

योजना के अनुसार एक बलवान सियार नीचे पृष्ठभूमि पर खड़ा हो गया।

उसके ऊपर दूसरा सियार , उसके ऊपर तीसरा , सियार ऐसे करते-करते लगभग आठ – दस सियार खड़े हो गए।

किंतु इस क्रम में समय अधिक लग रहा था।

सबसे नीचे खड़ा सियार मन ही मन शंका करने लगा कि मैं , कहीं नीचे खड़ा सबका बजन उठा रहा हूं और जो सबसे ऊपर सियार हे वह कहीं फल ना खा जाए। इस शंका में पड़े – पड़े वह कुछ समय बाद सिर घुमा कर ऊपर देखना चाहता है कि , आखिर हो क्या रहा है , इसके कारण उस सियार का संतुलन बिगड़ जाता है , और सभी एक दूसरे पर गिर पड़ते हैं।

सभी सियार को चोट आती है।

किसी सियार का पूछ मुड़ गया , किसी के पैर में चोट आई , किसी के मुंह पर चोट आई , किसी के पसलियां टूट गई , किसी की हड्डियां मुड़ गई , अनेकों प्रकार के चोटों का सामना सभी सियारों ने किया।

Hindi stories for class 9

नैतिक शिक्षा –

  • धैर्य व शांत मन के अभाव में हमारा कार्य बनते – बनते अथवा सफल होते – होते रह जाता है।
  • इसलिए आवश्यकता है कि अपने कार्य को धैर्यपूर्वक करना चाहिए।
  • कार्य की सफलता तक संयम बनाए रखना चाहिए।

Moral of this hindi story for class 9 – 

  • We should always have patience and relax mind while doing something.
  • This is what leads us to success.
  • These are some Hindi stories class 9 which will give students values,

3. बुद्धिमान बकरी ( Hindi stories for class 9 with naitik shiksha )

एक घने वन में करीना नामक एक वृद्ध बुद्धिमान बकरी रहा करती थी।

वह अपने जीवन के अंतिम क्षणों को बहुत कष्ट से व्यतीत कर पा रही थी। बकरी इतनी वृद्ध थी कि आसपास के हरे-भरे घास को भी खा पाने में असमर्थ थी।

अपने जीवन से परेशान वह इधर-उधर भटक रही थी , तभी उसको अचानक एक रास्ते पर मयंक नामक शेर ( जंगल का राजा ) के पदचिन्ह नजर आए। अब करीना ( बुद्धिमान बकरी ) ने सोचा क्यों ना महाराज के चरणों में पड़ी रहूं और भूले भटके यदि शेर महाराज आ जाएं तो उन्हीं से गुजारिश करूंगी कि मुझे वह खा जाए !

कम से कम महाराज के तो कुछ काम आ जाऊंगा ।

वह शेर के पदचिन्ह पर बैठ गई। कुछ देर में शुभम नामक एक चीता आया वह बड़ा ही खूंखार और मोटा तगड़ा था।

भयंकर आवाज में गरजकर बोला ए करीना ( बुद्धिमान बकरी ) !

तू यहां क्यों बैठी है ?

तुझे डर नहीं लगता मुझसे ?

करीना ने बड़े निर्भीक भाव से बोला ! देखते नहीं यह मयंक महाराज का पदचिन्ह है , उन्होंने ही बिठाकर यहां रखा है , और कहा है जब तक मैं वापस ना लौट आऊं तब तक तुम यहीं बैठे रहना। जंगल का कोई भी जानवर कुछ बोले तो यह पदचिन्ह उसे दिखा देना।

यह महाराज का पदचिन्ह है।

अब चीता वहां से दबे पांव नौ दो ग्यारह हो जाता है।

बुद्धिमान बकरी वहीं बैठी रहती है , काफी समय गुजर जाने के बाद घूमता – फिरता एक सियार भोजन की तलाश में वहां आ जाता है , ललचाई हुई दृष्टियों से उस बकरी की ओर देखता है और आक्रमण करने से पहले वह उससे पूछता है कि तुम यहां क्यों बैठी हो ?

तुम्हें डर नहीं लगता ?

फिर उसने ( बुद्धिमान बकरी ) निर्भीक आवाज में वही जवाब दिया जो चीते ( शुभम चीता ) को दिया था।

अब सियार सिंह महाराज का नाम सुनते ही रफूचक्कर हो गया।

जंगल के अनेक प्रकार के हिंसक जानवर आए और बकरी से वार्तालाप करके अंतर्ध्यान हो गए।

बड़े सौभाग्य की बात यह होती है कि शेर (सिंह महाराज) उसी रास्ते वापस आता है और बकरी को गरजकर पूछता है कि , बकरी तो यहां क्यों बैठी हुई है ?

बकरी ने बड़े ही शालीनता से सहज भाव से महाराज को प्रणाम किया और कहा !

महाराज मैं अभी तक तो आपके ही आश्रय में बैठी हुई थी। मेरे वृद्धावस्था के कारण घूमना – फिरना भोजन आदि जीवन में अनेकों परेशानियां हो गई है।

मैं इस जीवन से मुक्ति पाना चाहती हूं।

आप मुझे मार कर खा जाइए या फिर आप मेरे प्राणों की रक्षा करें।

मैं अभी तक आपके नाम से अपने प्राणों की रक्षा करती रही। इस चिन्ह को आपका प्रतीक बनाकर यहां बैठी थी और अपने प्राणों की रक्षा कर रही थी।

बलवान व्यक्ति सदा दयालु प्रवृत्ति का होता है शेर को दया आई।

जंगल में तुरंत एक सभा का आयोजन किया गया ,

उसमें सभी जीव – जंतु , जानवर , विभिन्न प्रजातियों के सभी वहां सम्मिलित हुए।

महाराज का आदेश हुआ के जो हिस्ट- पुष्ट , बलवान और लंबे – चौड़े जितने भी हाथी हैं।

वह निश्चित कर ले एक – एक दिन और इस बकरी को अपनी पीठ पर बिठाकर पूरे जंगल में घूम आएंगे और जहां भी कोमल – कोमल पत्ते हरे – हरे नजर आएं इस बकरी को जो पत्ता खाने का मन करे उस वृक्ष के नीचे खड़े हो जाए।

यह बकरी उस पत्ते को खा लेगी।

पत्ते तक यदि पहुंच ना बने तो डाली झुकाकर अथवा इसके सहूलियत अनुसार भोजन की व्यवस्था कर दी जाए।

अब महाराज का आदेश कौन न माने ?

इस प्रकार बकरी के भोजन का प्रबंध हो गया अब कुछ ही महीने हुए के बकरी हृष्ट – पुष्ट और नवयुवती के समान हो गई। कहां प्रौढ़ावस्था और कहा यह युवावस्था कुल मिलाकर बकरी का भाग्य बदल गया। वह जीवन के कुछ कठिनाई भरे क्षणों में परेशान हो गई थी , किंतु उसके विवेक बुद्धि ने उसका जीवन बदल दिया।

वह अब आनंदमय जीवन को जीने लगी।

  • व्यक्ति के पास स्वच्छ मन और निष्ठा व चातुर्य बुद्धि हो तो जीवन में असफल कार्य को भी सफल कर सकता है।
  • इसलिए कठिन समय में परेशान होने की जगह बुद्धि का प्रयोग कर उस कठिनाई को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए ।

Moral of this short hindi story for class 9 – 

  • If you have calm and relax mind then you can achieve anything in this world.
  • You have to first think before you make any decision.
  • Don’t panic in a problematic situation.
  • Try to deal with any problem with a relaxed mind.
  • Use your brain wisely before taking any decision.

4. सुषमा की बुद्धि

सुषमा तीसरी कक्षा में पढ़ती है। वह पढ़ – लिख कर सेना में भर्ती होना चाहती है। भारत की सेना उसे सबसे ज्यादा अच्छी लगती है।  सुषमा ने भारत की सेना को तब देखा था , जब उसके गांव में भयंकर बाढ़ आई थी।

भारत की सेना ने सभी गांव वालों को सुरक्षित निकाल लिया था। तब से वह भारत की सेना के बारे में कहानियां सुनती और उस सेना में शामिल होना चाहती।

विद्यालय से  सुषमा की कक्षा को शैक्षणिक भ्रमण के लिए निशांत बाग ले जाया गया। निशांत बाग मुगल काल का प्रमुख बाग़ है , जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।

शाम हो चली थी सभी बच्चे खेलने में लगे थे।

सुषमा भी उन बच्चों के साथ खेल रही थी। तभी अचानक उनकी गेंद पास के तालाब में चली गई। समीर गेंद को लेने गया , किंतु हाथ गेंद तक नहीं पहुंच रहा था। उसने पास रखी हुई लकड़ी से गेंद को अपनी ओर खींचना चाहा किंतु वह गेंद और दूर हो गई।

वह काफी देर प्रयास करता रहा ,

अचानक उसका पैर फिसल गया और वह तालाब में गिर गया।

पानी किनारे पर भी गहरा था। वह डूब रहा था तभी  सुषमा दौड़ती हुई आई उसने अपनी चुन्नी का एक सिरा समीर की ओर फेंका।

समीर उस चुन्नी को पकड़ लेता है और  सुषमा उसे खींचकर ऊपर ले आती है।

सुषमा की सूझबूझ से आज समीर की जान बच गई थी।

ऐसा इसलिए भी संभव हो सका क्योंकि  सुषमा भारतीय सेना के वीरता को जानती थी और भारतीय सैनिक कभी हार नहीं मानते थे।

इसलिए  सुषमा ने भी हार नहीं मानी और तुरंत कार्यवाही की और समीर की जान बचा ली।

  • कठिन समय में घबराना नहीं चाहिए धैर्यपूर्वक उसका सामना करना चाहिए।
  • सुषमा अगर घबरा जाती तो शायद समीर को नहीं बचा पाती।
  • बच्चों को वीरता की कहानी अवश्य सुनानी चाहिए , यह उनके बुद्धि विवेक के लिए भी अच्छा होता है।

नीचे दी गई पंचतंत्र की कहानियां भी अवश्य पढ़ें अगर आपको नैतिक शिक्षा वाली कहानियां पढ़ने का शौक है तो। यह सभी कहानियां आपको बहुत पसंद आएंगी। नैतिक शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन में भी कोई कमी हमारे लेखकों ने नहीं छोड़ी है इसलिए आपको एक बार यह सभी कहानियां पढ़नी चाहिए।

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यह सभी कहानियां कक्षा 9वी के बच्चों के अनुसार लिखे गए हैं और आशा है कि आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा. अन्य नैतिक शिक्षा वाली कहानियां भी हमारी वेबसाइट पर पहले से ही लिखी है जिन्हें आप जाकर पढ़ सकते हैं ऊपर दिए गए लिंक के माध्यम से.

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25 thoughts on “Hindi stories class 9 नैतिक शिक्षा की कहानियां कक्षा नौवीं”

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सभी कहानियां बहुत अच्छे तरीके से लिखी गई हैं परंतु कई जगह मुझे गलतियां दिखाई दी है जिसे हम नजरअंदाज कर सकते हैं. परंतु फिर भी मैं चाहूंगा कि आप अपने लेख को एक बार जरुर पढ़े और जहां जरूरत हो वहां सुधार जरूर करें

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दा इंडियन वायर

20 नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ

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By विकास सिंह

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नैतिक शिक्षा का छात्रों के जीवन में बहुत अहम महत्व है। इस लेख में बच्चों और बड़ों के लिए 20 नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ है, जिससे आपको बहुत कुछ सिखने को मिलेगा।

1. ख़ुशी के पीछे मत भागो, अपने जीवन का आनंद लो:

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गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक था। पूरा गाँव उससे थक गया था; वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा बुरे मूड में रहता था।

वह जितना अधिक समय तक जीवित रहता था, वह उतना ही अधिक पित्त बनता जा रहा था और उतने ही जहरीले उसके शब्द थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था। यह भी अस्वाभाविक था और उसके बगल में खुश होना अपमानजनक था।

उन्होंने दूसरों में नाखुशी की भावना पैदा की। लेकिन एक दिन, जब वह अस्सी साल का हो गया, तो एक अविश्वसनीय बात हुई। तुरंत हर कोई अफवाह सुनने लगा:

“एक बूढ़ा आदमी आज खुश है, वह किसी भी चीज के बारे में शिकायत नहीं करता है, मुस्कुराता है, और यहां तक ​​कि उसका चेहरा भी ताजा हो जाता है।”

पूरा गाँव इकट्ठा हो गया। बूढ़े आदमी से पूछा गया:

ग्रामीण: आपको क्या हुआ?

“कुछ खास नहीं। अस्सी साल मैं खुशी का पीछा कर रहा था, और यह बेकार था। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने का फैसला किया और बस जीवन का आनंद लिया। इसलिए मैं अब खुश हूं।

शिक्षा:

  ख़ुशी के पीछे मत भागो, अपने जीवन का आनंद लो।

2. एक बुद्धिमान व्यक्ति:

wise man

लोग हर बार उसी समस्याओं के बारे में शिकायत करने, बुद्धिमान व्यक्ति के पास आ रहे हैं। एक दिन उसने उन्हें एक चुटकुला सुनाया और सभी लोग हंसी में झूम उठे।

कुछ मिनटों के बाद, उन्होंने उन्हें वही चुटकुला सुनाया और उनमें से कुछ ही मुस्कुराए।

जब उसने तीसरी बार वही चुटकुला सुनाया तो कोई भी नहीं हंसा।

बुद्धिमान व्यक्ति मुस्कुराया और बोला:

“आप एक ही मजाक में बार-बार हँस नहीं सकते। तो आप हमेशा एक ही समस्या के बारे में क्यों रो रहे हैं? ”

चिंता करने से आपकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, यह सिर्फ आपका समय और ऊर्जा बर्बाद करेगा।

3. मूर्ख गधा:

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एक नमक बेचने वाला हर दिन अपने गधे पर नमक की थैली को बाजार तक ले जाता था।

रास्ते में उन्हें एक नाला पार करना था। एक दिन गधा अचानक धारा में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। नमक पानी में घुल गया और इसलिए बैग ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया। गधा खुश था।

फिर गधे ने हर दिन एक ही चाल चलना शुरू कर दिया। नमक बेचने वाले को चाल समझ में आई और उसने उसे सबक सिखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर एक कपास की थैली लाद दी।

फिर से इसने एक ही चाल खेली कि यह उम्मीद है कि कपास की थैली अब भी हल्की हो जाएगी।

लेकिन भीगे हुए कपास को लेकर चलना भारी पड़ गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। इसने एक सबक सीखा। उस दिन के बाद यह चाल नहीं चली, और उसका मालिक भी अब खुश था।

किस्मत हमेशा साथ नहीं देती।

4. एक सच्चा दोस्त:

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एक कहानी बताती है कि दो दोस्त रेगिस्तान से गुजर रहे थे। यात्रा के कुछ समय के दौरान उनके बीच एक बहस हुई, और एक दोस्त ने दूसरे को चेहरे पर थप्पड़ मारा।

जिसे थप्पड़ मारा गया, उसे चोट लगी, लेकिन बिना कुछ कहे, उसने रेत में लिखा;

“आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा।”

वे तब तक टहलते रहे जब तक उन्हें एक नखलिस्तान नहीं मिला, जहां उन्होंने स्नान करने का फैसला किया। जिसको थप्पड़ मारा गया था, वह घोड़ी में फंस गया और डूबने लगा, लेकिन दोस्त ने उसे बचा लिया। डूबने से बचने के बाद उस दोस्त ने एक पत्थर पर लिखा ;

“आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।”

जिस दोस्त ने थप्पड़ मारा और अपने सबसे अच्छे दोस्त को बचाया, उसने उससे पूछा;

“मैंने आपको चोट पहुंचाने के बाद, आपने रेत में लिखा और अब, आप एक पत्थर पर लिखते हैं, क्यों?”

दूसरे मित्र ने उत्तर दिया;

“जब कोई हमें ठेस पहुँचाता है तो हमें इसे रेत में लिख देना चाहिए जहाँ क्षमा की हवाएँ इसे मिटा सकती हैं। लेकिन, जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करता है, तो हमें उसे पत्थर में उकेरना चाहिए, जहां कोई हवा उसे मिटा नहीं सकती। ”

अपने जीवन में फ़ालतू चीज़ों को महत्व न दें केवल अच्छी चीज़ों को महत्त्व देना सीखें।

5. जिम्मेदारी लेना सीखें:

एक रात चार कॉलेज के छात्र देर रात को पार्टी कर रहे थे और अगले दिन के लिए निर्धारित टेस्ट के लिए अध्ययन नहीं कर रहे थे। सुबह उन्होंने एक योजना के बारे में सोचा।

उन्होंने खुद को तेल और गंदगी से गंदा कर दिया।

फिर वे डीन के पास गए और कहा कि वे कल रात एक शादी में गए थे और रास्ते में उनकी कार का टायर फट गया और उन्हें कार को पीछे की तरफ धकेलना पड़ा। इसलिए वे परीक्षण लेने के लिए किसी भी हालत में नहीं थे।

डीन ने एक मिनट के लिए सोचा और कहा कि वे 3 दिनों के बाद फिर से परीक्षण कर सकते हैं। उन्होंने उसे धन्यवाद दिया और कहा कि वे उस समय तक तैयार हो जाएंगे।

तीसरे दिन, वे डीन के सामने उपस्थित हुए। डीन ने कहा कि चूंकि यह एक विशेष स्थिति परीक्षण था, इसलिए इन चारों को परीक्षण के लिए अलग-अलग कक्षाओं में बैठने की आवश्यकता थी। वे सभी सहमत थे क्योंकि उन्होंने पिछले 3 दिनों में अच्छी तैयारी की थी।

टेस्ट में कुल 100 अंकों के साथ केवल 2 प्रश्न शामिल थे:

1) आपका नाम? __________ (1 अंक)

2) कौन सा टायर पंक्चर हुआ था? __________ (99 अंक)

विकल्प – (ए) आगे का बायाँ (b)आगे का दायाँ (c) पीछे का बायाँ (d) पीछे का दायाँ

कहानी का नैतिक: 

जिम्मेदारी लें या आप अपना सबक सीखेंगे।

6. हाथ में एक पक्षी झाड़ियो में दो के बराबर है:

यह एक अविश्वसनीय रूप से गर्म दिन था, और एक शेर बहुत भूख महसूस कर रहा था।

वह अपनी मांद से बाहर आया और इधर-उधर खोजा। वह केवल एक छोटे खरगोश को प्राप्त कर सका। उसने कुछ हिचकिचाहट के साथ उसे पकड़ लिया । “यह मेरा पेट नहीं भरेगा” शेर ने सोचा।

चूंकि शेर हर को मारने वाला था, एक हिरण उस रास्ते से भागा। शेर लालची हो गया। उसने सोचा;

“इस छोटे हरे खाने के बजाय, मुझे बड़े हिरण को खाना चाहिए।”

उसने खरगोश को जाने दिया और हिरण के पीछे चला गया। लेकिन हिरण जंगल में गायब हो गया था। शेर अब खरगोश को भी खोके खेद महसूस कर रहा था।

हाथ में एक पक्षी झाड़ी में दो लायक है।

7. दो दोस्त और एक भालू:

two Friends & The Bear

विजय और राजू दोस्त थे। एक छुट्टी पर वे प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हुए एक जंगल में चले गए। अचानक उन्होंने देखा कि एक भालू उनके पास आ रहा है। वे भयभीत हो गए।

राजू, जो पेड़ों पर चढ़ने के बारे में सब जानता था, एक पेड़ पर चढ़ गया और तेज़ी से ऊपर चढ़ गया। उसने विजय के बारे में नहीं सोचा। विजय को पता नहीं था कि पेड़ पर कैसे चढ़ना है।

विजय ने एक पल के लिए सोचा। उसने सुना है कि जानवर शवों को पसंद नहीं करते हैं, इसलिए वह जमीन पर गिर गया और उसने दम तोड़ दिया। भालू ने उसे सूँघ लिया और सोचा कि वह मर गया है। तो, यह अपने रास्ते पर चला गया।

राजू ने विजय से पूछा;

“भालू ने आपके कानों में क्या देखा?”

विजय ने जवाब दिया, “भालू ने मुझे तुम जैसे दोस्तों से दूर रहने के लिए कहा …” और अपने रास्ते पर चला गया।

मित्र वही जो मुसीबत में काम आये।

8. जीवन की कठिन परिस्थितियाँ:

एक बार एक बेटी ने अपने पिता से शिकायत की कि उसका जीवन दयनीय था और उसे नहीं पता की उसे आगे क्या करना है।

उसका पिता, एक पेशेवर रसोइया, उसे रसोई घर में ले आया। उसने पानी से तीन घड़े भरे और प्रत्येक को एक उच्च आग पर रखा।

एक बार जब तीन बर्तन उबलने लगे, तो उसने एक बर्तन में आलू रखे, दूसरे बर्तन में अंडे और तीसरे बर्तन में ग्राउंड कॉफी बीन्स। उन्होंने तब उन्हें बैठने और उबालने दिया, बिना उनकी बेटी को एक शब्द भी कहे।

बेटी, विलाप और बेसब्री से इंतजार कर रही थी, सोच रही थी कि वह क्या कर रहा है। बीस मिनट के बाद वह बर्नर बंद कर दिया।

उसने आलू को बर्तन से बाहर निकाला और एक कटोरे में रखा। उन्होंने अंडों को बाहर निकाला और उन्हें एक कटोरे में रखा। फिर उसने कॉफी को बाहर निकाला और एक कप में रखा।

उसकी ओर मुड़कर उसने पूछा। “बेटी, तुम क्या देखती हो?”

“आलू, अंडे और कॉफी,” उसने झट से जवाब दिया।

“नज़दीक से देखो” उसने कहा, “और आलू को छू लो।” उसने कहा और ध्यान दिया कि वे नरम थे।

फिर उसने उसे एक अंडा लेने और उसे तोड़ने के लिए कहा। खोल को खींचने के बाद, उसने कठोर उबले अंडे को देखा।

अंत में, उसने उसे कॉफ़ी पीने के लिए कहा। इसकी समृद्ध सुगंध उसके चेहरे पर मुस्कान ले आई।

“पिता, इसका क्या मतलब है?” उसने पूछा।

फिर उन्होंने समझाया कि आलू, अंडे और कॉफी बीन्स ने एक ही विपरीतता का सामना किया है-उबलते पानी। हालांकि, प्रत्येक ने अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की। आलू मजबूत, कठोर और अविश्वसनीय था, लेकिन उबलते पानी में, यह नरम और कमजोर हो गया।

अंडा नाजुक था, पतली बाहरी खोल के साथ अपने तरल इंटीरियर की रक्षा जब तक यह उबलते पानी में नहीं डाला गया था। फिर अंडे के अंदर का हिस्सा सख्त हो गया।

हालांकि, ग्राउंड कॉफी बीन्स अद्वितीय थे। उबलते पानी के संपर्क में आने के बाद, उन्होंने पानी को बदल दिया और कुछ नया बनाया।

“आप कौन से हैं?” उन्होंने अपनी बेटी से पूछा।

“जब प्रतिकूलता आपके दरवाजे पर दस्तक देती है, तो आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं? क्या आप एक आलू, एक अंडा या एक कॉफी बीन हैं? ”

जीवन में, चीजें हमारे आस-पास होती हैं, चीजें हमारे साथ होती हैं, लेकिन केवल एक चीज जो वास्तव में मायने रखती है वह यह है कि आप इस पर प्रतिक्रिया कैसे करते हैं और आप इससे क्या बनाते हैं। जीवन सभी झुकावों को अपनाने, अपनाने और उन सभी संघर्षों को परिवर्तित करने के बारे में है जो हम कुछ सकारात्मक अनुभव करते हैं।

9. अंगूर खट्टे हैं:

grapes are sour

एक दोपहर एक लोमड़ी जंगल से गुजर रही थी और एक उदात्त शाखा के ऊपर से अंगूरों का एक गुच्छा देखा।

“इससे अवश्य मेरी भूख मिट जायेगी,” उसने सोचा।

कुछ कदम पीछे हटने पर लोमड़ी उछल पड़ी और बस लटकते अंगूरों को पाने से चूक गई। फिर से लोमड़ी कुछ कदम पीछे हटी और एक बार फिर एक कूद मारी लेकिन इस बार भी वह अंगूरों तक नहीं पहुचं पायी।

अंत में, हार मानते हुए, लोमड़ी ने अपनी नाक घुमाई और कहा, “वे वैसे भी खट्टे हैं,” और आगे बढ़ गयी।

आप जो नहीं पा सकते उसकी बुराई ही करते हैं।

10. जरुरतमंदों की मदद करो:

एक गुलाम, अपने मालिक द्वारा प्रताड़ित, जंगल में भाग जाता है। वहाँ वह अपने पंजे में कांटे की वजह से दर्द में एक शेर के सामने आता है। दास बहादुरी से आगे बढ़ता है और धीरे से कांटा निकालता है। उसे बिना चोट पहुंचाए शेर चला जाता है।

कुछ दिनों बाद, दास का मालिक जंगल में शिकार करने आता है और कई जानवरों को पकड़ता है और उस शेर को पकड़ लेता है। दास को स्वामी के आदमियों द्वारा देखा जाता है जो उसे पकड़कर क्रूर स्वामी के पास ले जाते हैं।

गुरु ने दास को शेर के पिंजरे में फेंकने के लिए कहा। पिंजरे में गुलाम अपनी मौत का इंतजार कर रहा है जब उसे पता चलता है कि यह वही शेर है जिसकी उसने मदद की थी। दास शेरऔर सभी जानवरों को पिंजरे से मुक्त कर देता है।

कर भला तो हो भला

11. सोने का अंडा:

golden egg

एक बार, एक किसान के पास एक हंस था जो हर दिन एक सोने का अंडा देता था। अंडे ने किसान और उसकी पत्नी को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया। किसान और उसकी पत्नी लंबे समय से खुश थे। लेकिन एक दिन, किसान को एक विचार आया और उसने सोचा, “मुझे एक दिन में सिर्फ एक अंडा क्यों लेना चाहिए? मैं उन सभी को एक साथ क्यों नहीं ले सकता और बहुत पैसा कमा सकता हूं? ”

मूर्ख किसान की पत्नी भी सहमत हो गई और उसने अंडों के लिए हंस का पेट काटने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने पक्षी को मार डाला और हंस और पेट को खोला, कुछ भी नहीं बल्कि मास और खून ही मिल पाया। किसान, अपनी मूर्खतापूर्ण गलती को महसूस करते हुए, खोए हुए संसाधन पर रोने लगा!

हर कार्य को करने से पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए।

12. एक कंजूस व्यक्ति:

एक बूढ़ा कंजूस एक घर में रहता था। उसके पास एक बगीचा भी था। कंजूस ने अपने सोने के सिक्कों को बगीचे में कुछ पत्थरों के नीचे एक गड्ढे में छिपा रखा था । हर दिन, बिस्तर पर जाने से पहले, कंजूस पत्थर के पास जाता, जहां उसने सोने को छिपाया और सिक्कों की गिनती करता था। उन्होंने हर दिन इस दिनचर्या को जारी रखा, लेकिन एक बार भी उन्होंने अपने द्वारा बचाए गए सोने को खर्च नहीं किया।

एक दिन, एक चोर जो पुराने कंजूस की दिनचर्या जानता था, बूढ़े व्यक्ति के अपने घर में वापस जाने का इंतजार करता था। अंधेरा होने के बाद, चोर छिपने की जगह पर गया और सोना ले गया। अगले दिन, कंजूस ने पाया कि उसका खजाना गायब था और जोर से रोने लगा।

उसके पड़ोसी ने कंजूस के रोने की आवाज सुनी और उससे पूछताछ की कि क्या हुआ। क्या हुआ यह जानने पर, पड़ोसी ने पूछा, “आपने घर के अंदर पैसे क्यों नहीं रखे?  आपको कुछ खरीदना होता तो आप इसे आसानी से उपयोग कर सकते थे।”

“खरीदें?”, कंजूस ने कहा। “मैंने कभी कुछ खरीदने के लिए सोने का इस्तेमाल नहीं किया। मैं इसे खर्च करने वाला नहीं था। ”

यह सुनकर, पड़ोसी ने एक पत्थर को गड्ढे में फेंक दिया और कहा, “अगर ऐसा है तो पत्थर को बचाओ। यह उतना ही बेकार है जितना सोना आप खो चुके हैं ”।

कंजूस मत बनो

13. चार गाय और एक शेर:

four cow and lion

एक घास के पास एक जंगल में चार गाय रहती थीं। वे अच्छे दोस्त थे और सब कुछ एक साथ करते थे। वे एक साथ चरते थे और एक साथ रहते थे, जिसके कारण कोई भी बाघ या शेर उन्हें भोजन के लिए मारने में सक्षम नहीं थे।

लेकिन एक दिन, चारों ने लड़ाई की और प्रत्येक गाय एक अलग दिशा में चरने चली गई। शेर ने यह देखा और फैसला किया कि यह गायों को मारने का सही मौका था। वे झाड़ियों में छिप गए और गायों को आश्चर्यचकित कर दिया और उन सभी को मार डाला, एक-एक करके।

एकता में बल है।

14. कछुआ और चिड़िया:

tortoise and bird story in hindi

एक कछुआ एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था, जिस पर एक चिड़िया ने अपना घोंसला बनाया था। कछुआ पक्षी से मजाक में बोला, “तुम्हारे पास एक जर्जर घर है! यह टूटी हुई टहनियों से बना है, इसमें कोई छत नहीं है, और कच्चा दिखता है। इससे भी बुरी बात यह है कि आपको इसे स्वयं बनाना था। मुझे लगता है कि मेरा घर, जो मेरा खोल है, आपके दयनीय घोंसले से बहुत बेहतर है ”।

“हाँ, यह टूटी हुई छड़ियों से बना है, जर्जर दिखता है और प्रकृति के तत्वों के लिए खुला है। यह कच्चा है, लेकिन मैंने इसे बनाया है, और मुझे यह पसंद है।

“मुझे लगता है कि यह किसी भी अन्य घोंसले की तरह है, लेकिन मेरी तुलना में बेहतर नहीं है”, कछुआ ने कहा। “तुम्हें मेरे खोल से ईर्ष्या होनी चाहिए, हालांकि।”

“इसके विपरीत”, पक्षी ने जवाब दिया। “मेरे घर में मेरे परिवार और दोस्तों के लिए जगह है; आपका खोल आपके अलावा किसी को समायोजित नहीं कर सकता। शायद आपके पास एक बेहतर घर हो। लेकिन मेरे पास एक बेहतर घर है ”, पक्षी ने खुशी से कहा।

खाली महल से एक भरी खोपड़ी बेहतर है।

15. ऊँट और उसका बच्चा:

एक दिन, एक ऊंट और उसका बच्चा बातें कर रहे थे। बच्चे ने पूछा, “माँ, हमारे पास कूबड़ क्यों हैं?” माँ ने उत्तर दिया, “हमारे कूबड़ पानी के भंडारण के लिए हैं ताकि हम रेगिस्तान में जीवित रह सकें”।

“ओह”, बच्चे ने कहा, “और हमारे पास गोल पैर क्यों हैं माता?” “क्योंकि वे हमें रेगिस्तान में आराम से चलने में मदद करने के लिए हैं। ये पैर हमें रेत में घूमने में मदद करते हैं। ”

“ठीक है। लेकिन हमारी पलकें इतनी लंबी क्यों हैं? ”“ हमारी आँखों को रेगिस्तान की धूल और रेत से बचाने के लिए। वे आँखों के लिए सुरक्षा कवच हैं ”, माँ ऊंट ने कहा।

बच्चे ने कुछ देर सोचा और कहा, “तो हमारे पास रेगिस्तान की यात्रा के लिए पानी जमा करने के लिए कूबड़ हैं, जब हम रेगिस्तानी रेत में चलते हैं, तो हमें आराम से रखने के लिए गोल पैर, और एक रेगिस्तान तूफान के दौरान रेत और धूल से बचाने के लिए लंबी पलकें । फिर हम चिड़ियाघर में क्या कर रहे हैं? ”

मां के पास कोई जवाब नहीं था।

अगर आप सही जगह पर नहीं हैं, तो आपकी ताकत, कौशल और ज्ञान बेकार हैं।

16. किसान और कुआं:

अपने खेत के लिए पानी के स्रोत की तलाश कर रहे एक किसान ने अपने पड़ोसी से एक कुआँ खरीदा। पड़ोसी, हालांकि चालाक था, और किसान को कुएं से पानी लेने से मना कर दिया। यह पूछने पर कि, उन्होंने जवाब दिया, “मैंने तुम्हारे लिए कुआँ बेचा, पानी नहीं” और चला गया। व्याकुल किसान को पता नहीं था कि क्या करना है। इसलिए वह बीरबल, एक चतुर व्यक्ति और सम्राट अकबर के नौ दरबारियों में से एक के पास एक समाधान के लिए गया।

सम्राट ने किसान और उसके पड़ोसी को बुलाया और पूछा कि आदमी किसान को कुएं से पानी क्यों नहीं लेने दे रहा है। चालाक आदमी ने फिर से वही बात कही, “मैंने पानी नहीं, बल्कि कुआँ बेचा। इसलिए वह मेरा पानी नहीं ले सकता।

इस पर, बीरबल ने जवाब दिया, “वह सब मुझे ठीक लगता है। लेकिन अगर आपने पानी बेचा है और पानी आपका है, तो आपके पास अपने कुएं में पानी रखने का कोई व्यवसाय नहीं है। पानी निकालें या तुरंत सभी का उपयोग करें। अगर पानी कुएँ के मालिक का नहीं होगा ”।

यह महसूस करते हुए कि उसे बरगलाया गया है और उसने अपना सबक सिखाया है, आदमी ने माफी मांगी और चला गया।

धोखे से आपको कुछ नहीं मिलेगा। यदि आप धोखा देते हैं, तो आप इसके लिए जल्द ही भुगतान करेंगे।

17. एक सच्चा दोस्त जरूरत के समय मदद करता है:

भगवान कृष्ण और सुदामा बचपन के दोस्त थे। जबकि कृष्ण संपन्न और समृद्ध हुए, सुदामा ने ऐसा नहीं किया। वह एक गरीब ब्राह्मण व्यक्ति के जीवन का नेतृत्व करते हैं, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहते हैं। अधिकांश दिनों में, बच्चों को खाने के लिए पर्याप्त नहीं मिलता है जो सुदामा को भिक्षा के रूप में मिलता है। एक दिन, उसकी पत्नी ने सुझाव दिया कि वह जाकर अपने दोस्त कृष्ण से मदद मांगे।

सुदामा एहसान लेने के लिए अनिच्छुक थे, लेकिन वह यह भी नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे पीड़ित हों। इसलिए उसकी पत्नी ने कुछ चावल के स्नैक्स बनाने के लिए पड़ोसियों से चावल उधार लिए, जो कृष्ण को पसंद थे, और सुदामा को अपने दोस्त के पास ले जाने के लिए दिया। सुदामा ने इसे लिया और द्वारका के लिए प्रस्थान किया। वह सोने पर चकित था जो शहर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया था। वह राजमहल के दरवाजों तक पहुँच गया और पहरेदारों द्वारा बाधित किया गया, जिसने उसकी फटी हुई धोती और खराब उपस्थिति का न्याय किया।

सुदामा ने पहरेदारों से अनुरोध किया कि वे कम से कम कृष्ण को सूचित करें कि उनके मित्र सुदामा उनसे मिलने आए हैं। गार्ड, हालांकि अनिच्छुक, जाता है और प्रभु को सूचित करता है। यह सुनकर कि सुदामा यहाँ थे, कृष्ण जो कुछ भी कर रहे थे उसे करना बंद कर देते हैं और अपने बचपन के दोस्त से मिलने के लिए नंगे पैर दौड़ते हैं।

कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर उनका स्वागत किया और उनके साथ अत्यंत प्रेम और सम्मान का व्यवहार किया। सुदामा, कृष्ण के लिए मिले गरीब आदमी के चावल के नाश्ते से शर्मिंदा हैं, इसे छिपाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सर्वज्ञ कृष्ण सुदामा से उनका वरदान मांगते हैं और अपने पसंदीदा चावल स्नैक्स खाते हैं जो उनके दोस्त उनके लिए लाते हैं।

कृष्ण और उसका दोस्त हंसते हुए और अपने बचपन के बारे में बात करने में समय बिताते हैं लेकिन सुदामा, अपने मित्र द्वारा दिखाए गए दया और करुणा से अभिभूत होकर कृष्ण से मदद नहीं मांग पा रहे हैं। जब वह घर लौटता है, तो सुदामा को पता चलता है कि उसकी झोपड़ी को एक विशाल हवेली से बदल दिया गया है और उसकी पत्नी और बच्चों को अच्छे कपड़े पहनाए गए हैं।

सुदामा ने महसूस किया कि कृष्ण जैसे सच्चे दोस्त के लिए वह कितने भाग्यशाली थे। उन्होंने यह भी नहीं पूछा, लेकिन कृष्ण जानते थे कि सुदामा क्या चाहते हैं और उन्होंने उसे दिया।

जो दोस्त कठिनाई में साथ देता है वही सच्चा दोस्त होता है।

18. हाथी और उसके दोस्त:

एक अकेला हाथी दोस्तों की तलाश में जंगल भटक गया। वह एक बंदर के सामने गया और पूछा, “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे, बंदर?” “आप बहुत बड़े हैं और तुम पेड़ों पर झूल नहीं सकते जैसा कि मैं करता हूं। तो मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हो सकता ”, बंदर ने कहा।

हाथी फिर एक खरगोश के पास गया और उससे पूछा कि क्या वह उसका दोस्त बन सकता है। “आप मेरी बूर के अंदर फिट होने के लिए बहुत बड़े हैं। तुम मेरे मित्र नहीं हो सकते”, खरगोश ने उत्तर दिया।

फिर हाथी एक मेंढक से मिला और पूछा कि क्या वह उसका दोस्त हो सकता है। मेंढक ने कहा “तुम बहुत बड़े और भारी हो। तुम मेरी तरह नहीं कूद सकते। मुझे खेद है, लेकिन आप मेरे दोस्त नहीं हो सकते ”।

हाथी ने एक लोमड़ी से पूछा, और उसे वही जवाब मिला, कि वह बहुत बड़ा है। अगले दिन, जंगल के सभी जानवर डर से भाग रहे थे। हाथी ने एक भालू को रोका और पूछा कि क्या हो रहा है और बताया गया कि एक बाघ सभी जानवरों पर हमला कर रहा है।

हाथी अन्य कमजोर जानवरों को बचाना चाहता था और बाघ के पास गया और कहा “कृपया सर, मेरे दोस्तों को अकेला छोड़ दें। उन्हें मत खाओ ”। बाघ ने उसकी बात नहीं सुनी और हाथी से अपने खुद के व्यवसाय के लिए कहा। समस्या को हल करने का कोई अन्य तरीका न देखकर, हाथी ने बाघ को लात मार दी और वह मर गया।

वह फिर दूसरों के पास गया और उन्हें बताया कि क्या हुआ। हाथी ने अपनी जान कैसे बचाई, यह सुनने पर, जानवरों ने एक साथ सहमति व्यक्त की, “आप हमारे दोस्त होने के लिए सही आकर के हैं”।

मुसीबत में सहायता करने वाला सच्चा दोस्त होता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Vikas Singh

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दीपावली से सीख.

घीरे-धीरे अंधेरा घिर आया। मुहल्ले के सारे मकान बिजली के बल्बों, रग-बिरंगी, झालरों और मोमबत्तियों की झिलमिलाती रोशनी से जगमगा उठे। जिधर भी देखो हर तरफ बस रोशनी ही रोशनी नजर आ रही थी, और रह-रह कर तड़-तड, धड़-धड़ की आवाजें गूंज रही थीं। मुहल्ले के सारे बच्चे अपनी-अपनी छत्तों पर, लॉन में, घर के बाहर सड़कों पर और गलियों में उछल-कूद कर रहे थे, ऊधम मचा रहे थे, और पटाखे, चकरी तथा फुलझड़ियां छुड़ा रहे थे।

उनके माता-पिता भी कुछ देर के लिए बच्चे बन गए थे और इस हो-हल्ला में खुलकर उनका साथ दे रहे थे। लेकिन रमेश माथुर का घर सन्नाटे में डूबा हुआ था। वहां न तो बच्चों का हो-हल्ला था न ही बम-पटाखों का शोर, माथुर साहब और उनकी पत्नी अपने लॉन में बेचैनी से चहल कदमी कर रहे थे। उन दोनों की परेशान निगाहें गेट की तरफ लगी हुई थीं। बल्कि श्रीमती माथुर तो दो-तीन बार गेट से बाहर निकल कर सड़क तक देख आयीं लेकिन उनके बच्चों मनोज और रजना का कहीं दूर-दूर तक पता नहीं था।

लगभग एक घंटा पहले माथुर साहब के दोनों बच्चे मनोज और रंजना उनसे पैसे ले कर अपनी पसन्द के बम-पटाखे, राकेट, फूलझड़ी आदि खरीदने के लिए चौराहे की दूकान तक गए थे। उन दोनो को अधिक से अधिक आधा घंटा में लौट आना चाहिए था लेकिन धीरे-धीरे एक घंटा बीत गया और वे नहीं लौटे। जैसे-जैसे देर हो रही थी माथुर साहब और उनकी पत्नी की चिन्ता बढ़ती जा रही थी। पन्द्रह-बीस मिनट तब और प्रतीक्षा करने के बाद उन्होंने घर में ताला बन्द किया और मनोज व रंजना को ढूंढने के लिए चौराहे की तरफ चल दिए।

चौराहे पर हर तरफ सड़कों की पटरियों पर तरह-तरह की आतिशबाजी से भरी दर्जनों दुकानें सजी थीं जिन पर औरत, मर्द और बच्चों की भारी भीड़ जमा थी, परेशान मिस्टर माथुर और उनकी पत्नी ने एक-एक कर के सारी दुकानें देख डाली, चारों तरफ भीड़ में खोज डाला लेकिन मनोज और रंजना कहीं भी नहीं दिखे । माथुर साहब ने सभी दूकानदारों और वहां उपस्थित लोगों से अपने बच्चों की हुलिया बता कर बहुत पूछ-ताछ की, लेकिन उन दोनों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी।

हर तरफ से निराश होने के बाद माथुर साहब और उनकी पत्नी भागे-भागे थाने पर पहुचे सयोग से पुलिस इन्सपेक्टर शुक्ला थाने पर मौजूद थे। माथुर साहब ने इन्सपेक्टर शुक्ला को सारी बात बताई, इन्सपेक्टर शुक्ला ने बहुत तत्परता दिखायी उन्होने झटपट रिपोर्ट लिखी फिर अपने साथ दो सिपाहियो को लेकर माथुर साहब के साथ मनोज और रजना की खोज में निकल पडे। इन्सपेक्टर शुक्ला ने चौराहे पर अपनी जीप खड़ी की और पूछताछ करने लग।

गाड़ी पर की पुनरुताछ के बाद एक रिक्सेवाले ने बताया कि लगभग डेढ़ घटा पहले उसने एक लड़का और एक लड़की को अस्पताल पहुंचाया है। उनके साथ एक बीमार बुढ़िया भी थी जो जोर-जोर से हांफ रही थी। लड़की की उम्र लगभग ग्यारह-बारह साल की थी, जो लाल बंदीवाली फ्राक पहने थी तथा लड़के की उम्र लगभग सात-आठ साल की थी। वह भूरे रंग का हाफ पैन्ट तथा नीला-सफदे धारी वाला शर्ट पहने था।

“हा…हां… वे ही मेरे बच्चे हैं…।” श्रीमती माथुर बीच में ही बोल पड़ी।

“लेकिन उनके साथ वह बीमार बुढ़िया कौन हो सकती है…।” माथुर साहब बोले।

“यहां बात करने से बेहतर होगा कि हम लोग सीधे अस्पताल ही चलें…।” | इन्सपेक्टर शुक्ला ने कहा। ___”हां इन्सपेक्टर साहब…जल्दी चलिए…।” श्रीमती माथुर बोली और फौरन जीप में बैठ कर सभी लोग अस्पताल चल पड़े।

अस्पताल पहुंच कर सभी ने देखा कि जनरल वार्ड के एक बेड पर गन्दी और फटी साड़ी में लिपटी एक बुढ़िया लेटी कराह रही थी, और उसके सिरहाने स्टूल पर बैठी रंजना उसका सर दबा रही थी। इससे पहले कि माथुर साहब या उनकी |पत्नी कुछ पूछते रंजना खुद ही बोल पड़ी, “पापा ! जब मैं और मनोज पटाखे खरीदने के लिए घर से निकले तो चौराहे की तरफ मेन रोड़ से न आ कर जल्दबाजी में पिछवाड़े बाली गली से आए।

जब हम लोग रास्ते में पड़नेवाली झोपड़ियों के पास से गुजर रहे थे तो हमें एक झोपड़ी के अन्दर से कराहने की आवाज सुनाई पड़ी। हम दोनों एक गए और एक दसर से झोपड़ी के अन्दर झाँकने लगे। हमने देखा कि यह बुढ़िया माई जमीन पर पड़ी कराह रही थी और दर्द के मारे छटपटा रही थी। झोपड़ी के अन्दर और कोई भी नहीं था। हम दोनो डरते-डरते झोपड़ी के अन्दर गए और इससे बातचीत की इसने बताया कि इसका बेटा रिक्सा चलाता है।

 वह रिक्सा लेकर कहीं गया था। इसकी वह भी किसी के बेटा रिक्सा चलाता है। वह रिक्सा लेकर कहीं गया था। इसकी बहू भी किसी के घर चौका-बरतन करने गई थी। यह अकेली पड़ी छटपटा रही थी और इसका शरीर तेज बुखार से तप रहा था। हमने सोचा पता नहीं इसके बेटे-बहू कितनी देर में लौटें। तब तक कहीं इसकी हालत और ज़्यादा न बिगड़ जाए। 

इसलिए इसको रिक्से मे लादकर हम अस्पताल ले आए और डाक्टर साहब को दिखा कर यहां भर्ती करा दिया। आप ने हमें पटाखे खरीदने के लिए जो रुपए दिए थे वह | हमारे पास थे ही। उन्हीं पैसों में से हमने रिक्से का किराया दिया है और बाकी पैसे लेकर मनोज इसके लिए दवाईयां लाने गया है…।” रंजना ने अपनी बात | खतम की ही थी कि तभी दवाईयां लिए मनोज भी आ गया।

 माथुर साहब उनकी पत्नी, सहित दरोगा, सिपाही आदि सभी लोग आश्चर्य से । रंजना की बातें सुनते रहे। “शावास ! तुम दोनों ने बहुत अच्छा काम किया है बेटे… चलो अब हम तुम्हारे | लिए ढेर सारे पटाखे और फुलझड़ियां खरीदेंगे…।

माथुर साहब ने कहा।  “नहीं पापा… अब हम पटाखे नहीं खरीदेंगे. मैंने और दीदी ने यह तय किया है कि हर वर्ष दीपावली पर हम जिन रुपयों के पटाखे फुलझड़ी छुड़ा कर धुये मे उडा देते हैं अब हर साल उन रुपयों से किसी गरीब की सहायता किया करेंगे. पैसे  कम पड़ जाने के कारण में इस बूढ़ी दादी की एक दवाई नहीं ला पाया हू 

पापा! आप उसे मंगवा दीजिए प्लीज…” मनोज ने कहा। शाबास बेटे ! अगर हमारे देश के सभी बच्चे तुम्हारी ही तरह समझदार हो। जायें तो फिर क्या कहने… हर साल दीपावली पर जो लाखों रुपए धुंआं और बारूद के रूप में उड़ा दिए जाते हैं उन रुपयों से सैकड़ों गरीबों की किस्मत बदल सकती है ।” इन्सपेक्टर शुक्ला ने मनोज की पीठ थपथपाते हुए कहा और उसे गोद मे उठा लिया।

शिक्षा (Moral of the story)

त्योहारों के आने पर गरीबों की मदद करें।

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एक चूहे ने तपस्या करके शंकर से वरदान मांगा कि हे प्रभो । मुझे रात-दिन बिल्ली का भय रहता है । मैं सुख से नीद नहीं ले सकता। न सुख से खाना ही खा सकता हूं। अतः आप मुझे बिल्ली बना दीजिए । शंकर ने वैसा ही किया। बिल्ली बन जाने के बाद अब उसे कुत्ते का भय सताने लगा। इसी दुविधा को लेकर वह शंकर के पास गया और बोला-मैं तो कुत्ते के भय से आक्रान्त हूं।

हृदय हरदम कांपता रहता है कि कही कुत्ता निगल न जाये। अतः कृपा करके आप मुझे चीता बना दीजिए । शंकरजी उस पर सन्तुष्ट थे। अतः उसकी बात कैसे टाल सकते थे ! वह चीता बन गया । अब भी वह अभय कहाँ था। हर समय उसे अरण्य के स्वामी सिंह का भय कुरेदने लगा। मन में अशान्ति का स्रोत बहने लगा। दौड़ा-दौड़ा फिर शंकर की छत्रछाया में पहुंचा और हाथ जोड़कर बोला-देव ! क्या करूं, मन मे स्वस्थता नही है, शान्ति नहीं है।

कहीं सिंह  आकर मुझे कुचल न दे। क्योंकि वह मेरे से बलिष्ठ है। शंकर ने उसे चीते से सिंह और सिंह से आखिर मनुष्य बना दिया।शंकर ने उससे एक दिन पूछा-क्यों ? अब तो कोई डर नहीं सता रहा है? सर्वश्रेष्ठ योनि में पहुंच गया। उसने कहा-देव ! मैंने तो सोचा था कि मनुष्य होने के बाद कोई समस्या रहेगी ही नहीं। किसी का भय सतायेगा ही नही । किन्तु यह बात नहीं है। अब भी मेरे मन में समाधि नहीं है।

हरदम मैं चिंतित रहता हूं। मौत का रमाज भी सता रहा है। मनुष्य होने पर भी मेरी समस्या सुलझ नहीं पायी है। मैं चाहता हूं कि मुझे फिर चूहा बना दिया जाये। शंकर ने बर दिया और चूहा अपने मूल रूप में आ गया। 

मृत्यु-विजेता ही अभय बनता है । अभय बने बिना जीवन में सुख शान्ति का संचार नहीं हो सकता।

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सबसे खराब क्या

 एक दुःखी व्यक्ति इधर-उधर भटकता हुआ एक संन्यासी के पास आ पहुंचा । हाथ  जोड़कर बोला-‘महात्माजी ! मैं संसार से ऊब गया। संसार मुझे गरल की भांति कटु लगता है। मुझे निकालिये। संसार-समुद्र से पार लगाइये।’ महात्माजी बोले-‘मुसाफिर !’ सबसे पहले यह निगाह करके आओ कि दुनिया में सबसे खराब चीज क्या है ?

 उसके पश्चात् मैं तुझे संन्यास दूंगा।’ वह मुसाफिर खराब चीज की खोज में चल पड़ा । खोज करते-करते वह थक गया। आखिर वह फिरताफिरता अशुचि-गृह में पहुंचा। उसे घृणा की दृष्टि से देखने लगा । नाक पर कपड़ा लगाया, सोचा- सबसे खराब चीज यही है।

गंदगी बोली-‘अरे भैया ! तू मुझसे घृणा क्यो कर रहा है, क्यों नाक पर कपड़ा डालकर मुंह बिगाड़ रहा है ? इसमें मेरा दोष तनिक भी नहीं है। यह सब दोष है मानव के शरीर का  मुझे खराब करने वाला मनुष्य ही तो है। मनुष्य के योग से ही मेरा तिरस्कार व अपमान हो रहा है।’ मुसाफिर चोंका । आश्चर्य का ठिकाना न रहा और वह दौड़ा-दौड़ा महात्मा जी के पास पहुंचा ।

विनय के कोमल शब्दों में बोला ‘गुरुदेव ! प्रश्न के समाधान हेतु बहुत घूमा । आखिर उत्तर लेकर आया हूं। छान-बीन करने पर यही तत्त्व मिला-‘सबसे खराब मनुष्य का शरीर।’ उत्तर सुनकर महात्माजी बहुत खुश हुए और आशीर्वाद देते हुए बोले-‘मुसाफिर ! तू ठीक समझा। मुझे सही ज्ञान मिला। अब मुझे संन्यास देने में तनिक भी हिचकिचाहट नहीं है।’ उसे संन्यास दे दिया गया।

मनुष्य को जब यह ज्ञान हो जाये कि सबसे खराब मेरा शरीर है, तब वह इस शरीर (चमड़ी) से कभी भी मोहित नहीं होगा। न ही रूप में पागल बनेगा, वास्तव में यह सच्चा ज्ञान ही आत्म-विकास का प्रशस्त सोपान है।

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चन्दन और कीचड़ 

एक दिन चंदन और कीचड़ का मिलन हो गया। दोनों अपनी-अपनी प्रशंसा के पुल बांधने लगे। चंदन बोला-‘भाई कर्दम ! मेरी बराबरी तू नहीं कर सकता । मेरी शीतलता से सारा संसार परिचित है। मेरे में इतनी बड़ी शक्ति है कि भयंकर दाह ज्वर की पीड़ा को भी मैं शांत कर सकता हूं। आग में झुलसते हुए मानव के लिए मैं त्राण हूं। रक्षक हूं। मेरे संसेवन से मानव का मानस शीतलता से भर जाता है । मैं बड़ा मूल्यवान् हूं। हर एक व्यक्ति मुझे नहीं खरीद सकता । मेरी मोहकता की महक हर व्यक्ति को आकर्षित करने में सफल हो रही है।’

कीचड़ ने रोष भरी भाषा में कहा-‘वन ! तू आत्म-प्रशंसा करने में बड़ा दक्ष है । केवल अपनी गुण-गाथा गा-गाकर मन-ही-मन फूल रहा है। मेरे में जो वैशिष्ट्य है वह तेरे में नहीं है, मैं सदा मुसकराता रहता हूं।’ ऐसे आपस में बात तन गयी। कोई भी झुकने को तैयार नहीं है। आखिर दोनों ने सोचा-ऐसे परस्पर झगड़े से समाधान नहीं मिलेगा। किसी निर्णायक के सामने बहस करना उचित रहेगा। वहां अवश्य ही सही समाधान मिलेगा। आखिर दोनों की सलाह से मेंढक को ही निर्णायक के रूप में स्थापित किया गया।

मेंडक ने दोनों पक्ष की बातें सुनीं। गहराई से सोचकर अपना निर्णय सुनाते हुए कहा-‘चंदन ! तुम चाहे कितनी ही आत्म-श्लाघा करो, किंतु कीचड़ की बराबरी नहीं कर सकते । संसार में सबसे शीतल तत्त्व कीचड़ है।’ आखिर मेंढक से अन्य निर्णय की आशा भी क्या की जा सकती थी? रात-दिन कीचड़ में ही आनन्द अनुभूति करने वाला मेंढक बेचारा चंदन के मूल्य का क्या अकन कर सकता है ? कदापि नहीं।

गोबर का कीरा गोबर में ही खुश रहता है। जो व्यक्ति जिसके गुणों से अपरिचित होता है वह उसकी प्रशंसा कभी भी नहीं कर सकता। वह उसे घृणा की दृष्टि से निहारता है। अतः हर एक के गुणों की जानकारी रखना प्रत्येक का कर्तव्य होता है।

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बादशाह ने बीरबल से पूछा-‘ये साहुकार लोग क्या खाते हैं? कितने हष्ट-पुष्ट रहते हैं।’ बीरबल बोला-‘जहांपनाह ! ये लोग जो खाते हैं, वह आप नहीं खा सकते।’ बादशाह- बीरबल ! बताओ तो सही क्या खाते हैं ?’ बीरबल-अवसर आने पर बताऊंगा।’ एक दिन बादशाह और बीरबल हाथी के होदे पर शहर में ब्रमणार्थ निकल पड़े। बाजार में पहुंचे। इधर सेठ की दुकान पर भीखमंगों की जमात मांगने के लिए आई। एक आने की याचना की। सेठ बोला-‘एक पैसा दूंगा।’ याचकों ने कहा- ‘एक आना लिये बिना नहीं जायेंगे।’ सेठ ने मन ही मन सोचा, बादशाह की सवारी आ रही है। ये मगजपच्ची कर रहे हैं। यह लो एक आना।

याचक-‘अब हम नहीं लेंगे एक आना । दो आना लेकर जायेंगे।’ बीरबल ने बादशाह को सेठ की दुकान का संकेत किया। कुछ ही समय के पश्चात् सेठ दो आना देने लगा।  याचक-‘आपने हमारा अमूल्य समय कितना नष्ट कर दिया। अब हम दो आना नहीं,चार आना लेंगे। सेठ ने देखा बादशाह बहुत निकट आ गये हैं। ये पागल बेवकूफ दुकान से हट नहीं रहे हैं। इसी खींचातानी व उधेड़बुन में सेठ खिन्न हो गया। कैसे इनसे छुटकारा मिलेगा। अखिर मांगते-मांगते वे एक रुपया तक पहुंच गये।

सेठ बड़ा क्षुब्ध हुआ। विवशता से उनको एक रुपया देना पड़ा। मांगने वाले एक रुपया लेकर रवाना होते-होते सेठ के बदन पर थप्पड़ मारकर भाग गये। सेठ की पगड़ी नीचे गिर पड़ी । बादशाह बिलकुल नजदीक पहुंच गये। सेठ सट अपनी पगड़ी बांधकर दुकान पर बैठ गया । आकृति पर तनिक भी विषाद की रेखा नहीं। वही मुस्कराहट, वही उल्लास की लहर मानो कुछ अघटित घटना घटी ही नहीं। बीरबल सब निहार ही रहा था।

बादशाह की सवारी आगे बढ़ रही थी। बीरबल बड़ी विनम्रता से बोला’गरीब निवाण! देखा आपने अनूठा तांडव। मांगने वाले रुपया भी ले गये और सेठ के थप्पड़ भी जमा गये। सेठजी का इतना अपमान होते हुए भी उन्होंने गुस्सा नहीं किया। कितनी खामोशी रखी। दुकान पर ज्यों के त्यों रोब से प्रफुल्लितमना बैठे हैं। इस प्रकार ये साहूकार लोग गम खाते हैं।

उसी का फलित है कि ये लोग शारीरिक दृष्टि से पुष्ट बताये-मोटे रहते हैं। क्या ऐसा गम आप रख सकते है। बादशाह बोला-बीरबल ! ऐसा गम मैं नहीं रख सकता । तनिक अपमान पर भी मुझे क्रोध आ जाता है। इसी कारण दुबला-पतला रहता हूं।

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जो व्यक्ति गम खाते हैं। खामोशी रखते हैं, वह मानव हर क्षेत्र में सफल होता है। उसकी सर्वत्र पुजा होती है, प्रतिष्ठा बढ़ती है।

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कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ज्यादा से ज्यादा सीखने समझने और जानने को उत्सुक रहते हैं। जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें बस अपने काम से ही काम रहता है। उसी के बारे में सोचने, समझने और करने के सिवाय उन्हें और कुछ सूझता नहीं। उन दिनों मैं भी इन्हीं लोगों में से था। पक्का घुनी और तुनकमिजाजी।

उन दिनों मैं गांव में रहता था। पांचवीं कक्षा का छात्र था। आयु तेरह या चौदह के करीब थी । पहले तो पढ़ने लिखने में मन ही नहीं लगता था । मगर जब नाम कटा, मार पड़ी तो पक्का पढ़ाकू बन गया। पढ़ने में खूब मन रमता। किताबो से चिपका रहता। और हां, शाम को थोड़ी देर के लिए अपना प्रिय खेल कबड्डी खेलने लिकल जाता; और खेल अच्छे नहीं होते हों, ऐसी बात नहीं, लेकिन मुझे तो बस कबड्डी प्रिय लगती थी। पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है इससे । यही सोच कर कबड्डी खेलता था।

पढ़ाई और कबड्डी। बस यही मेरे काम थे। इनके अलावा और कोई बात मेरे दिमाग में भूलकर भी नहीं आती थी। ऐसी बात नहीं कि और कोई काम थे ही नहीं। थे, मगर जब मेरो रुचि ही नहीं तो क्या हो सकता था ?

मैं किसी नए काम को सीखने को उत्सुक ही नहीं रहता था। दादा जी की दुकान थी लेकिन मुझे ठीक ठाक तोलना या दादा जी की तरह जिल्दी से रुपये-पैसे गिन लेना, छटांक-पाव का दाम जोड़ लेना नहीं आता था। मैं सीखता, कोशिश करता तभी तो आता।

होने को तो गाय भी घर में थी लेकिन दूध दुहने के नाम पर मुझे पसीना आने लगता था। एक बार चुपके से दुहने की कोशिश भी की थी मगर उसने वो लात मारी थी कि मैंने फिर हाथ ही जोड़ लिए। हालत बिगड़ गई थी मेरी। वह तो मौके पर दादी जी आ गई थीं नहीं तो मैं यह बात छिपा ही ले जाता।

मेरे गाँव के पूरब में एक किलोमीटर दूर एक नदी थी। इतवार के दिन मुझे भी नदी में नहाने जाना था। ऐसा करके मैं कोई रिवाज पूरा नहीं करता था। बस, दादा, बापू, चाचा और बड़े भइया के साथ जाता था। वे लोग तो रोज ही टहलते-टहलते नदी तक जाकर वहां से नहाकर ही लौटते थे। मुझे स्कूल जाना पड़ता था इसलिए कुएं से नहाकर चला जाता था। | मैं साचता था कि कितना अच्छा हो कि कभी इतवार ही नहीं आए या फिर कभी स्कूल में छुट्टी हो ही नहीं। क्योंकि सच बताऊँ मुझे नदी में नहाने से डर लगता था। मगर जबरदस्ती ले जाया जाता था। फिर भी मैं किनारे ही पर नहाता था। दादा बापू, चाचा और भइया तो तैरते हुए काफी गहरे में चले जाते थे। खूब डुबकियां मारते थे। वे तैर भी लेते थे। ऐसा मेरे चचेरे भाई और गांव के लडके भी कर लेते थे। बस मैं ही था जो एकदम डपारशंख था।

मैं तैरने की सोचता तो लगता कि डूबा और मरा। डुबकी लगाने पर भी ऐसा ही लगता था। इसलिए मैंने बस किनारे खड़े होकर हाथ से पानी छप्प-छप्प कर अपने ऊपर फेंकने या फिर साथ में लाए हुए लोटे से नहा लेने की जुगत बना रखी थी।

मेरी यह जुगत सभी के लिए हंसी और ठहाकों का विषय थी। लेकिन फिलहाल मैं कर भी क्या सकता था ? बाहर भी हंसी घर में भी हंसी, सच पूछो तो जान आफत में थी फंसी।

इन दिनों जंगल से गाय भैंस चराकर लौटते हुए चरवाहों के हाथों में टेसू के फूलों को देखकर मेरा मन बल्लियों उछल रहा था। आम के पेड़ों पर आ रहे बीर, फूल रही सरसों. पक रही गेंहूँ की बालियों और कोयलिया की कुहू कुहू ने मन में उमगों का सागर सा उड़ेल रखा था। “फागुन है। जल्दी ही होली के बाद इम्तहान हो जाएंगे। फिर बोल दी जाएगी लम्बी छुट्टी। मैं तो छक्कन काका की बगिया में पड़ा पड़ा खरटि भरा कदंगा। वहीं | पढाई भी होगी और फिर शाम को…। शाम को हुआ करेगी धमाकेदार कबड्डी….. ।

मैं बड़े उत्साह से आज यह सब मां से कह रहा था कि बीच में बड़े भझ्या बोल |पडे,“और सुबह रोज ही नदी पर नहाने चला करोगे। यह भी तो कहो……” | बड़े भइया की बात सुनकर मुझ पर जैसे सांप लोट गया। “देखो.. मां “”

तुनकते हुए मैं चुपचाप मुंह औंधा कर खाट पर पड गया। मैंने सोचा–बड़े भइया कहते तो ठीक ही हैं। छुट्टियों में तो रोज ही जाना | पडेगा नदी पर। रात भर मैं यह सोचकर परेशान होता रहा। “बापू, मैं इस बार की छुट्टियां मामा के घर बिताऊंमा । देखो, ना मत | कहना।” सुबह आँख खुलते ही मैंने अपने मन की बात कह दी। | मेरे शहर में रहते हैं। सब कुछ अनोखा है वहाँ। शाम को तिमंजिले पर खडे होकर चारों ओर देखो तो जगमगाहट भरा शहर परीलोक सा लगता है और रात ग्यारह-बारह बजे देखो तो जलते बल्बों से लगता है जैसे आसमान धरती पर उतर आया हो। मैं यह सारी बातें सोचकर कहुत खुश हो रहा था।

छुट्टियों में बापू कुझे मामा के घर छोड़ आया मगर दिन मस्ती में नहीं बीत रहे थे। वहां कोई कष्ट मिलता हो, ऐसी बात भी नहीं। वह तो मेरा ही डरपोक स्वभाव उन सबके लिए हसी का विषय बन जाता मै मन ही मन चढता और तुनकता सोचता, क्या मै हमेशा ऐसा ही बना रहूँगा।

“कल रविवार है। तुम्हारे भइया नदी पर जायेंगे। तुम भी साथ चले जाना।”

मेरी हालत खराब। बहानेबाजी काम न आई। मामा-मामी फिर बोले, “चले जाना, वंहा तुम्हें अच्छा लगेगा।”

मुझे गुस्सा सा आ रहा था। यह भइया भी अजीब है। एम. ए. है। अच्छी नौकरी पर हैं। अच्छा घर है। फिर भी नदी पर जाते हैं।” लेकिन अगले दिन मुझे खुद पर हंसी आयी। जानेंगे तो आपको भी आएगी। भझ्या नदी पर नहीं नदीपुर जा रहे थे। वह एक कस्बा था। तीन ओर नदी होने के कारण उसे नदीपुर कहा जाने लगा था।

मेरी जान में जान आई। भझ्या के पास मोपेड थी। उन्होंने स्टार्ट की। मैं पीछे बैठ गया। भइया मोपेड चला लेते हैं। उन्हें डर नहीं लगता। मैं तो साइकिल भी नहीं चला पाता। डर जो लगता है। एक बार चलाने की कोशिश भी की थी तो गिर पड़ा था। साथी खूब हंसे थे। तभी से दुबारा मैंने कोशिश ही नहीं की थी।

मोपेड तेज भाग रही थी। मैंने पिछला हिस्सा कसकर पकड़ लिया था। मुझे कहना ही पड़ा “भइया, धीरे चलाइए।”

भइया कोई उत्तर देते कि एक जोर की चीख सुनाई दी-“बचाओ….।” ।

भइया ने तेज ब्रेक के साथ मोपेड रोक दी। मोपेड पुल पर थी। मैंने देखा कोई डूब रहा था। भइया ने एक झटके में मोपेड खड़ी की। मैं तो बस उनका चेहरा ताक रहा था। वे पुल से ही कूद गये।

मेरा मुंह खुला सा रह गया। दिल की धड़कनें तेज हो गईं। भइया ने तैरते हुए जल्दी से उसे पकड़ कर पीठ पर लादा और किनारे आ गए। उसे पेट के बल लिटा कर पेट का पानी निकाला। कछ ही देर में उसे होश आ गया। मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। भइया की जगह कहीं मैं होता तो… ? बस, आखे फाडे उसे डूबता देखता रहता। इसके सिवाय मैं कर भी क्या सकता था।”

जितना ज्यादा ज्ञान हो, हुनर हो। जितने तौर तरीके अपने पास हों, उतना ही अच्छा है। वक्त पर सब काम आते हैं।

मेरे मन का डर अब न जाने कहां गायब हो गया था। मैं सीखंगा, करूंगा। वह सब करूंगा जिसकी सुविधाएं मुझे हैं। मन ही मन मैने यह संकल्प कर लिया।

छुट्टियां बीतीं। एक नए जोश के साथ मैं गांव आ गया।

बल से बड़ी बुद्धि

एक गुफा में एक बड़ा ताकतवर शेर रहता था। वह प्रतिदिन जंगल के अनेक जानवरों को मार डालता था। उस वन के सारे जानवर उसके डर से काँपते रहते थे। एक बार जानवरों ने सभा की। उन्होंने निश्चय किया कि शेर के पास जाकर उससे निवेदन किया जाए। जानवरों के कुछ चुने हुए प्रतिनिधि शेर के पास गए। जानवरों ने उसे प्रणाम किया।

फिर एक प्रतिनिधि ने हाथ जोड़कर निवेदन किया, ‘आप इस जंगल के राजा है। आप अपने भोजन के लिए प्रतिदिन अनेक जानवरों को मार देते हैं, जबकि आपका पेट एक जानवर से ही भर जाता है।’

शेर ने गरजकर पूछा-‘तो मैं क्या कर सकता हूँ?’

सभी जानवरों में निवेदन किया, ‘महाराज, आप भोजन के लिए कष्ट न करें। आपके भोजन के लिए हम स्वयं हर दिन एक जानवर को आपकी सेवा में भेज दिया करेंगे। आपका भोजन हरदिन समय पर आपकी सेवा से पहुँच जाया करेगा।’

शेर ने कुछ देर सोचा और कहा-‘यदि तुम लोग ऐसा ही चाहते हो तो ठीक है। किंतु ध्यान रखना कि इस नियम में किसी प्रकार की ढील नहीं आनी चाहिए।’

इसके बाद हर दिन एक पशु शेर की सेवा में भेज दिया जाता। एक दिन शेर के पास जाने की बारी एक खरगोश की आ गई। खरगोश बुद्धिमान था।

उसने मन-ही मन सोचा- ‘अब जीवन तो शेष है नहीं। फिर मैं शेर को खुश करने का उपाय क्यों करूँ? ऐसा सोचकर वह एक कुएँ पर आराम करने लगा। इसी कारण शेर के पास पहुँचने में उसे बहुत देर हो गई।’

खरगोश जब शेर के पास पहुँचा तो वह भूख के कारण परेशान था। खरगोश को देखते ही शेर जोर से गरजा और कहा, ‘एक तो तू इतना छोटा-सा खरगोश है और फिर इतनी देर से आया है। बता, तुझे इतनी देर कैसे हुई?’

खरगोश बनावटी डर से काँपते हुए बोला- ‘महाराज, मेरा कोई दोष नहीं है। हम दो खरगोश आपकी सेवा के लिए आए थे। किंतु रास्ते में एक शेर ने हमें रोक लिया। उसने मुझे पकड़ लिया।’

मैंने उससे कहा- ‘यदि तुमने मुझे मार दिया तो हमारे राजा तुम पर नाराज होंगे और तुम्हारे प्राण ले लेंगे।’ उसने पूछा-‘कौन है तुम्हारा राजा?’ इस पर मैंने आपका नाम बता दिया।

यह सुनकर वह शेर क्रोध से भर गया। वह बोला, ‘तुम झूठ बोलते हो।’ इस पर खरगोश ने कहा, ‘नहीं, मैं सच कहता हूँ तुम मेरे साथी को बंधक रख लो। मैं अपने राजा को तुम्हारे पास लेकर आता हूँ।’ खरगोश की बात सुनकर दुर्दीत शेर का क्रोध बढ़ गया। उसने गरजकर कहा, ‘चलो, मुझे दिखाओ कि वह दुष्ट कहाँ रहता है?’

खरगोश शेर को लेकर एक कुँए के पास पहुँचा। खरगोश ने चारों ओर देखा और कहा, महाराज, ऐसा लगता है कि आपको देखकर वह शेर अपने किले में घुस गया।’

शेर ने पूछा, ‘कहां है उसका किला?’ खरगोश ने कुएँ को दिखाकर कहा, ‘महाराज, यह है उस शेर का किला।’

खरगोश स्वयं कुएँ की मुँडेर पर खड़ा हो गया। शेर भी मुँडेर पर चढ़ गया। दोनों की परछाई कुएँ के पानी में दिखाई देने लगी। खरगोश ने शेर से कहा, ‘महाराज, देखिए। वह रहा मेरा साथी खरगोश। उसके पास आपका शत्रु खड़ा है।’

शेर ने दोनों को देखा। उसने भीषण गर्जन किया। उसकी गूंज कुएँ से बाहर आई। बस, फिर क्या था! देखते ही देखते शेर ने अपने शत्रु को पकड़ने के लिए कुएँ में छलाँग लगा दी और वहीं डूबकर मर गया।

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100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में

  • by Rohit Soni
  • Hindi Story
  • 22 min read

Short Moral Stories in Hindi , मोटिवेशन, नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में पढ़े। यहाँ पर कई सारी Short Story in Hindi में दी गई हैं। जिसे पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ हमें अच्छी बातें भी सीखने को मिलती है।

Hindi short stories with moral for Kids 2023: को पढ़ने से बच्चों का दिमाग बढ़ता है। और भविष्य में उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। जब भी कोई बच्चा कहानी पढ़ता या सुनता है तो उस कहानी से वह कई सारी अच्छी जानकारी को जान पाता है। चूकिं कहानी एक बार पढ़ने या सुनने मात्र से बहुत दिनो तक याद रहती है। इसलिए बच्चों को कहानी के माध्यम से पढ़ाना बहुत सरल हो जाता है।

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लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

एल्डोरा नामक जंगल में एक लालची शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह जंगल में शिकार खोजने निकल पड़ा। कुछ दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखाई दिया। तो उसने सोचा कि उसे बहुत तेज भूख लगी है और यह खरगोश तो काफी छोटा है। इससे भूख नहीं मिटेगी। इसलिए उसे छोड़कर आगे निकल गया।

कुछ दूर और आगे जाने पर उसे एक हिरण का बच्चा मिला। जिसे देखकर शेर को फिर वही ख्याल आया की इससे तो उसकी भूख नहीं मिटेगी। इसलिए वह हिरण के बच्चे को छोड़कर, बड़े शिकार की तलाश में आगे निकल गया। चलते-चलते काफी देर हो गई और फिर अब की बार उसे एक बकरी मिली जो कि बड़ी थी लेकिन शरीर से कमजोर थी।

इसलिए शेर न सोचा की इसे भी खाने में कोई खास मजा नहीं आएगा। अतः उसको भी छोड़कर अगले शिकार की तलाश में निकल जाता है।

और इसी तरह करते-करते शाम हो जाती है। और लालची शेर एक अपने लालच के कारण कोई भी शिकार नहीं कर पाता है। इसलिए वह खाली हाथ ही अपने गुफा में वापस लौट आता है। और वह लालच करने की वजह से उस दिन भूखे पेट ही सो जाता है।

Moral of the Story

लालच के कारण ही शेर को भूखे पेट ही सोना पड़ा था। नहीं तो उसे कई शिकार मिले थे। अंतः इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें लालच नहीं करना चाहिए।

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लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

एक समय की बात है वैकुंठ नामक एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। रोजाना वह जंगल में जाता था लकड़ी काटता और शहर में बेचता। जो कुछ पैसे मिलते उससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। इस तरह से उसका जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था।

एक दिन की बात है, वह लकड़हारा हर दिन की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। और वह नदी के किनारे एक पेड़ पर ऊपर चढ़कर लकड़ी काटने लगा। लेकिन लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट कर नदी में गिर गई। वह तुरंत ही नीचे उतरा और नदी से अपनी कुल्हाड़ी निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत तेज था।

थक हार कर वह वही पर बैठ कर रोने लगा। क्योंकि उसके पास नई कुल्हाड़ी लेने के लिए एक भी पैसे नहीं थे।

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लकड़हारे को रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हुए और बोले बेटा क्या हुआ तुम ऐसे उदास क्यों हो। तो लकड़हारे ने सारी बात नदी के देवता को बताई। तो नदी के देवता बोले चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाता हूँ। और नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी।

लकड़हारे ने सुनहरी कुल्हाड़ी को देखते ही बोला की यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह तो किसी धनवान व्यक्ति की कुल्हाड़ी इसे मैं नहीं ले सकता। यह सुनकर नदी के देवता पुनः नदी में डुबकी लगाई और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी। इस कुल्हाड़ी को देखकर फिर से लकड़हारा बोला प्रभु मैं एक गरीब लकड़हारा हूँ। मेरी तो लोहे की कुल्हाड़ी थी। यह भी किसी अमीर व्यक्ति कुल्हाड़ी है।

एक बार फिर से नदी के देवता पानी में डुबकी लगाई और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी असली कुल्हाड़ी। लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी देख कर काफी खुश हो गया। और बोला प्रभु यही है मेरी कुल्हाड़ी। लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी को भी नदी के देवता ने उस ईमानदार लकड़हारे को उपहार में दे दिया। इस तरह से उसकी ईमानदारी के कारण उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी मिल गई।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है। कहानी में लकड़हारे को उसकी ईमानदारी की वजह से उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी प्राप्त हो गई। इसलिए हमें भी ईमानदार व्यक्ति बनना चाहिए।

दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

एक बार दो मेंढक दोस्त सैर पर जा रहे थे। दोनों आपस में बाते करते हुए काफी दूर निकल जाते हैं। रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा था जिसमें जाकर दोनों मेंढक गिर जाते हैं। चूंकि उस गड्ढे के बारे में एक कहानी फैली हुई की जो भी कोई इस गड्ढे में गिर जाता है तो जिंदा नहीं बचता है। तो इस पर एक मेढक बोला कि यह बहुत बड़ा गड्ढा है इसमें जो भी गिरता है वह जिंदा वापस नहीं निकल पाता है। इसलिए अब हम दोनों का अंत निश्चित है। यह बोल कर वह वही आराम से लेट गया और मरने का इंतजार करने लगा।

लेकिन दूसरा मेढक उसकी बात को ना मानते हुए वहाँ से निकलने के लिए कोशिश करने लगा। काफी देर कोशिश करने के बाद वह उस गड्ढे से बाहर निकलने में सफल हो जाता है। और अपने घर चला जाता है। लेकिन उस मेढक की वही पर मृत्यु हो गई। जिसने कोशिश किए बिना पहले ही हार मान ली थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर हमें आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। और पहले से ही हार मानने के बजाय हमें अंत तक कोशिश करना चाहिए। क्योंकि कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती है।

नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories

नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories

एक जंगल में हाथी, शेर, बाघ, चीता और अन्य सभी जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक सियार भी रहता था। वह जंगल पर और सभी जानवरों पर राज करना चाहता था। लेकिन वह बड़े जानवरों से टक्कर नहीं ले सकता था। वह रोजाना प्लान बनाता था और असफल हो जाता था।

एक दिन वह जंगल से निकल कर शहर की ओर चला गया। जैसे ही वह शहर में पहुँचा तो उसके पीछे शहरी कुत्ते पीछे पड़ गए। वह भागते-भागते एक धोबी के घर में घुस गया। धोबी ने कपड़े पर नीला रंग चढ़ाने के लिए टंकी में नीला रंग घोल रखा था। तो उसी बड़े से टंकी में सियार कूद गया और छुप गया। रात भर उसी में छिपा रहा और जब सारे कुत्ते वहाँ से चले गए तो वह चुपके से निकल वापस जंगल आ गया।

सियार को बहुत तेज से प्यास लगी थी तो वह पानी पीने के लिए एक झील में गया। जैसे ही पानी पीने के झुका तो वह डर गया क्योंकि उसका पूरा शरीर नीला हो गया था। कुछ देर सोचने के बाद याद आया कि वह नीले पानी के टंकी में घुसा था जिसके कारण से उसके शरीर Color नीला पड़ गया है।

अब उसे एक तरकीब सूझी और वह जल्दी से जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा कर के एक ऊंचे से पत्थर पर बैठ गया। और सबसे बोला की मैं परमात्मा का दूत हूँ उन्होंने हमें आप सबकी रक्षा करने के लिए यहाँ भेजा। इसलिए सभी मेरी बात ध्यान से सुनो। आज से मैं इस जंगल का राजा हूँ और सभी मेरी बाते मानेंगे और मेरा आदर करेंगे। और जो कोई मेरी बात नहीं मानेगा उसे परमात्मा दण्ड देंगे। इसलिए अब हमारे लिए खाने पीने और ऐसों आराम की व्यवस्था की जाए।

इसकी बात सुनकर सभी डर गए। क्योंकि आज तक किसी ने भी नीले रंग का कोई जानवर नहीं देखा था। इसलिए सभी उसे परमात्मा का दूत मान लेते हैं। यहाँ तक की जंगल के राजा शेर भी उस सियार को अपना राजा मान लेता है। और उसकी हर बात को मानने लगे। उसके लिए खाने पीने की सारी व्यवस्थाएं की जाती है। और इस प्रकार से वह सियार जंगल में शान से ऐस की जिंदगी जीने लगा।

कुछ समय बाद बारिश का मौसम शुरु हो जाता है। और जोर से बारिश होने की बजह से नीले सियार का नीला रंग धुल जाता है। जिससे वह अपने असली रूप में आ जाता है। और सियार की असलियत जानकर शेर ने तुरंत ही उस पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ और छल ज्यादा देर तक नहीं चलता है। भले ही थोड़े समय तक खुशियां मिल जाए लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ ही जाती है। और उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है। इस सियार की तरह।

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

गर्मी के मौसम में एक कौआ को बहुत तेज की प्यास लगी। लेकिन दूर-दूर तक कहीं भी पानी नहीं दिखा। तो वह उड़ते-उड़ते एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर एक घर के आंगन में एक बड़ा सा घड़ा रखा हुआ था। और वहाँ पर कोई भी आदमी नहीं था। कौआ घड़े के पास गया। उस घड़े में थोड़ा सा पानी था लेकिन वहाँ तक उसकी चोंच ही नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ काफी प्रयास किया लेकिन वह पानी तक नहीं पहुंच पाया। लेकिन उसने हार नहीं मानी।

कौआ चालाक था उसने एक उपाय सोचा वह आस-पास के कंकड़ पत्थर को अपनी चोंच में पकड़ कर लाता और उस मटके में डाल देता। पुनः जाता और फिर से अपनी चोंच में कंकड़-पत्थर भरकर लाता घड़े में डाल देता और ऐसा करते-करते वह घड़ा कंकड़-पत्थर से भर गया और पानी ऊपर आ गया। इस तरह से कौआ पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें हार नहीं मानना चाहिए बल्कि कई तरह से प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता अवश्य मिलती है।

लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

एक गांव में धनपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह खाने के तेल का व्यापार करता था। वह शहर से तेल लाता और पूरे गांव में ले जाकर बेच देता। और कुछ महीनों में ही उसका व्यापार काफी बढ़िया चलने लगा। जिससे उसका मुनाफा भी बढ़ गया। एक दिन उसके मन में लालच जाग गया उसने सोचा की अब तो लोग उससे आसानी से तेल ले लेते हैं। क्यों ना उन लोगों से अधिक मुनाफा कमाया जाए। और इस चक्कर में उसने तेल में मिलावट करना शुरु कर दिया।

अब वह शहर से तेल लाता और उसमें मिलावट करता और पूरे गांव में बेच देता। कुछ दिन तक सब ठीक चल रहा था लेकिन कुछ दिनों बाद गांव के लोग बीमार होने लगें। और देखते ही देखते सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया कि आपके खाने पीने में मिलावट की गई है। जिसकी वजह से आप सभी बीमार हुए हैं।

गांव बालो ने बताया की धनपाल नाम के एक व्यापारी से तेल लेते थे। जिसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद वही कुछ मिलावट कर रहा है। सभी गांव बाले इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच नही करना चाहिए। लालच बुरी बला है इसका परिणाम अंतिम में बुरा ही होता है। और हमें इसकी सजा जरूर मिलती है।

मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi

मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi

पालमपुर नाम के एक गाँव में एक बूढ़ा व्यापारी रहता था। वह नमक का व्यापार करता था। उसका शरीर कमजोर था इसलिए वह अपने साथ एक गधा लेकर जाता था। और उसके ऊपर नमक की बोरियां लादकर दूसरे गांव में व्यापार करने जाता था। दोनों गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। नदी पर कोई पुल नहीं थी उसमें उतरकर पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय व्यापारी का गधा नदी में लड़खड़ा कर गिर गया। और नमक की बोरियां पानी में भीग गई। व्यापारी ने उसे उठाया और आगे चल दिया।

क्योंकि सभी बोरियां पानी में भीग चुकी थी तो धीरे-धीरे कुछ नमक घुल कर बह गया। और इस वजह से बोरियां हल्की हो गई थी। इससे गधे को हल्का महसूस होने लगा। अगले दिन फिर से व्यापारी ने गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर व्यापार करने चल दिया। रास्ते में वही नदी पड़ी, गधे को पिछली बात याद आई उसने सोचा, पानी में बैठने से उसके बोरियों का वजन कम हो जाता है। तो वह पानी में जाते ही फिर से बैठ गया। और फिर से बोरियों का वजन कम हो गया। अब यही प्रक्रिया वह गधा रोज दोहराने लगा जिससे व्यापारी परेशान हो गया।

और पास में रह रहे एक सज्जन व्यक्ति को सारा हाल बताया। उस आदमी ने व्यापारी को एक तरकीब बताई। कहा की एक दिन उस गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाद कर ले जाओ। जैसे ही गधा पानी में बैठेगा रुई में पानी भर जाएगा, जिससे उसका वजन बढ़ जाएगा। और गधा फिर कभी नहीं बैठेगा। व्यापारी ने ऐसा ही किया।

अगले दिन व्यापारी गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाकर चल देता है। जैसे ही वह गधा नदी में बैठता है उसकी सारी रुई से भरी बोरियों में पानी भर गया। अब उन बोरियों का वजन कई गुना अधिक बढ़ गया, जिस कारण से अब वह गधा ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। और इसके बाद वह गधा कभी भी उस नदी में नहीं बैठा था।

इस कहानी का नैतिक यही है कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता की कोई कुंजी नहीं है। सार्टकट बहुत समय तक नहीं चलता है।

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

एक गाँव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से  अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता था। एक दिन उसके आँगन में सुनहरी मुर्गी कहीं से उड़ती हुई आई और बैठ गई। वह मुर्गी को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खाने के लिए थोड़ा सा दाना डाल दिया। वह मुर्गी अब उसी के घर में रहने लगी।

अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था जिसे देख कर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। और उसने ऐसा ही किया परन्तु, उस मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।

इस कहानी का मोरल यह है की हमें लालच नहीं करना चाहिए। अत्यधिक लालच हमसे गलत काम करवाती है और इससे हमारा ही नुकसान होता है। आपने देखा कि कैसे इस Story में लालच करने से वह आदमी सोने का अंडा देने वाली सुनहरी मुर्गी अपने ही हाथों से मार दिया। और उसे कुछ भी नहीं मिला।

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में लड़का रहता था। वह गाँव के पास ही जंगल में भेड़ चराने जाता था। रोज सुबह अपनी भेड़ो के लेकर जंगल पर चला जाता और शाम होते ही घर वापस आ जाता। इसी प्रकार से वह रोज करता, लेकिन वह बैठे-बैठे भेड़ों को रोज चरता हुआ देख कर ऊब चुका था। एक दिन जब वह भेड़ों को चरता देख रहा था तो उसे कुछ ज्यादा ही बोरियत महसूस होने लगी। वह अपना मनोरंजन करने के लिए वह नई-नई तरकीब सोचने लगा। इतने में उसे एक तरकीब सूझ गई।

वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”

उसकी यह बाते सुन कर गाँव वाले लाठी-डंडे लेकर मदद के लिए उसकी और दौड़ते हुए पहुंच गए। परन्तु गांव बालो ने देखा की वहाँ पर कोई भी भेड़िया नहीं है और वह लड़का पेट पकड़ कर जोर-जोर से हंस रहा है। ह, ह, ह, मैं तो मजाक कर रहा था। आप लोग कैसे दौड़ते हुए आएं है। गाँव बाले गुस्से से लाल-पीला हो गए और बोले हम लोग अपना काम छोड़कर तुमको बचाने आए हैं। और तुम मजाक कर रहे हो। गाँव ने कहाँ की अब ऐसा मत करना और वहाँ से चले गए।

एक दिन फिर से चरवाहा लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”

उसकी बात सुन कर फिर गाँव बाले जंगल पहुँच गए लेकिन उन्होंने देखा की फिर लड़का जोर-जोर से हँसे जा रहा है। इस पर गाँव बाले उसे खूब खरी-खोटी सुनाया और कहाँ की तुम झूठ बोलकर हम गाँव बालो को परेशान करते हो अब हम दुबारा तुम्हें बचाने नहीं आएंगे। और सब वहाँ से लौट आए।

अगले दिन जब लकड़हारा जंगल में अपनी भेड़ो के लेकर चराने गया तो वहां पर सचमुच का भेड़िया आ गया। वह डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बचाओ-बचाओ सचमुच का भेड़िया आया, कोई बचाओ भेड़िया आया। गाँव बालों ने उसकी आवाज सुनी और कहा की इसका तो रोज का ही काम है मजाक करना। और किसी ने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया।

जब शाम हो गई और वह चरवाहा लड़का घर नहीं आया तो गाँव बाले जंगल की तरफ उसे खोजने गए। उन्होंने देखा की वह लड़का एक पेड़ पर बैठ कर रो रहा है। उसको किसी तरह से नीचे उतारकर सब ने पूछा क्या हुआ तो लड़के ने सारी बात बताई। कहा की यहाँ सचमुच का भेड़िया आया था उसने एक-एक करके हमारी सभी भेड़ो को खा गया।

इस पर गाँव के एक बूढ़े आदमी ने कहाँ की देखो बेटा तुम्हारी झूठ बोलने आदत की वजह से तुम पर कोई भरोसा नहीं किया। इसलिए आज तुम्हारे साथ ऐसा हुआ। लड़के को अपनी गलती का एहसास हो गया और कहाँ की अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मलती है कि झूठे व्यक्ति की बात पर कोई भी भरोसा नहीं करता है चाहे फिर वह सच ही क्यों ना बोल रहा हो। इसलिए हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। आपने देखा कि किस तरह से भेड़ चराने वाला चरवाहा के झूठ बोलने की वजह से उसकी सारी भेड़ का शिकार हो गया।

शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi

शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में कई सारे छोटे बड़े जानवर रहा करते थे। और उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। जो रोजाना कई जानवरों को मारकर खा जाता था। इसलिए सभी अन्य जानवर उस शेर से बहुत परेशान थे और हमेशा डरते रहते की कभी उनकी मौत हो सकती है। एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर एक सभा आयोजित किया और शेर के साथ यह प्रस्ताव रखा की उनमें से हर दिन एक जानवर उसके भोजन के लिए स्वयं आ जाएगा। इससे हम सब निश्चिंत होकर रहेंगे। और आपको भी शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

यह प्रस्ताव शेर को पसंद आया और कहाँ ठीक है। परन्तु एक दिन भी खाली नहीं जाना चाहिए। समय पर भोजन के लिए एक जानवर को भेजना होगा।

सभी अपनी बारी आने पर शेर के सामने चले जाते। एक दिन खरगोश की बारी थी। वह शेर के पास जाने लगा, और जाते सोचने लगा की मरना तो है ही क्यों आराम से चरते खाते चलूं। कुछ दूर आगे जाते-जाते उसे कुआं दिखी तो वह कुआं के पास गया और कुएं के अंदर झांक कर देखना लगा। तब उसे कुएं में उसकी परछाई दिखाई दी जिसे देखकर उसे एक बढ़िया तरकीब सूजी। और वह मजे से शेर के पास जाने लगा।

जब तक खरगोश शेर के पास पहुँचा तो बहुत देर हो चुकी थी। इसलिए शेर भूख के मारे क्रोधित था और छोटे से खरगोश को देखकर उसका क्रोध और भी बढ़ गया। उसने कहा की मेरे लिए इतना छोटा जानवर भेजा है इससे मेरी क्या भूख मिटेगी। लगता है कि अब सभी जानवर को मेरा डर समाप्त हो गया है। परन्तु पहले तुम यह बताओ की तुमने यहाँ आने में इतनी देरी क्यों हुई।

तो खरगोश ने बताया कि मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा। मैंने बताया की मैं अपने शेर राजा के लिए भोजन के लिए जा रहा हूँ मुझे जाने दो। तब उसने कहा की मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता मैं तुम्हें यहाँ से नहीं जाने दूंगा। तब मैं किसी तरह से वहाँ से भाग कर आपके पास आया हूँ।

इतना सुनते ही शेर बोला क्या मेरे इलाके में दूसरा शेर कौन है जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है। क्या तुम मुझे उसके पास ले जा सकते हो। खरगोश बोला जी महाराज मैं ले जा सकता हूँ। और खरगोश ने शेर को उसी कुंआ के पास ले गया। और बोला महाराज इसी कुंआ में वह शेर रहता है। शेर ने तुरंत देखा तो उसे कुंए में उसकी ही परछाई दिखी जिसे वह सचमुच का शेर समझ लिया। और जोर से दहाड़ लगाता है, तो कुंए से उसकी आवाज टकराकर वापस आई तो उसे लगा की वह भी दहाड़ रहा है।

फिर क्या शेर गुस्से और तेज दहाड़ते हुए कुएं में छलांग लगा दी। और कुंए में डूब कर मर गया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट गया और सारी कथा सुनाई। अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई की प्रशंसा की और सब आराम से रहने लगे।

हमें मुसीबत के समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। और खरगोश की तरह ही अपने आप को बचाने की कोशिश करना चाहिए। आपने देखा की किस तरह से चतुर खरगोश ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि अपने साथियों की भी शेर से जान बचा ली। दोस्तों धैर्य और सूझ-बूझ से हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते है।

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क्या आपने यह कहानी पढ़ी: चालाक बंदर और मगरमच्छ

FAQ For Short Story

Q: short story क्यों पढ़ना चाहिए.

Ans: हमें सार्ट और नैतिक कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि इससे हमें कम समय में अच्छी बाते सीखने को मिलती हैं, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती है। और हमें आगे बढ़ने में सहायता करती हैं।

Q: कहानियाँ महत्वपूर्ण क्यों होती है?

Ans: कहानियाँ महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इससे हमें नई-नई उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारियां सीखने को मिलती है।

Q: कहानी सुनाने वाले की विशेषता क्या होनी चाहिए?

Ans: कहानी सुनाना भी एक कला है। कहानी सुनाने के ढंग से कोई कहानी में जान आ जाती है। और कहानी सुनने वाले श्रोता को दिमाग में छप जाती है। यदि कहानी सुनाने वाले को कहानी ठीक से याद नहीं है तो वह अच्छी से अच्छी कहानी को भी चौपट कर सकता है। याद कर लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है और कहानी कहने वाला विश्वास के साथ कहानी सुनाता है।

Q: कहानी की भाषा कैसी होनी चाहिए?

Ans: कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए।

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Honesty is the Best Policy in Hindi | ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है.

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

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Best Hindi Stories for Kids - बच्चो के लिए सर्वश्रेष्ट हिंदी कहानियां 

बच्चों की परवरिश में हिंदी कहानियां एक अहम भूमिका निभाती हैं। माता-पिता के लिए बच्चों को सुंदर और प्रेरणादायक हिंदी कहानियां सुनाना एक बेहतरीन अनुभव हो सकता है। हिंदी की कहानियां (stories for kids in hindi) बच्चों की कल्पना शक्ति को बढ़ाती हैं और उन्हें जीवन के मूल्यों से रू-ब-रू कराती हैं। चाहे पंचतंत्र की रोचक कहानियां हों या जंगली जानवरों पर छोटी मजेदार कहानियां, बच्चों को हिंदी में लिखी गई कहानियां (kids story in hindi) बेहद पसंद आती हैं। इन कहानियों के माध्यम से माता-पिता अपने बच्चों को समाज के मूल्यों और जीवन के नैतिक पाठों के बारे में प्रेरणादायक ढंग से शिक्षा दे सकते हैं।

कहानियाँ बच्चों की दुनिया का एक अभिन्न अंग हैं। माता-पिता या दादा-दादी द्वारा सुनाई जाने वाली हिंदी कहानियाँ बच्चों की कल्पना शक्ति को बढ़ाती हैं और उनके संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। हिंदी कहानियों में लोक कथाएं, पंचतंत्र की कहानियां, पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियां (Animal Stories in Hindi), नैतिकता पर आधारित कहानियां (Moral Stories in hindi) और कल्पनाप्रधान कहानियां (Bedtime Stories for kids  in hindi) शामिल होती हैं। ये सभी कहानियां बच्चों को बेहद पसंद आती हैं। कहानियाँ सुनने से बच्चों का शब्द भंडार बढ़ता है। ये उन्हें हिंदी भाषा (Hindi Language) के बेहतर ज्ञान के साथ-साथ पठन और लेखन कौशल का विकास करने में मदद करती हैं। इसके अलावा कहानियों के माध्यम से बच्चों को समाज और संस्कृति से जुड़े मूल्यों (Moral Values) के बारे में भी जानकारी मिलती है। ये कहानियां बच्चों का मनोरंजन करते हुए उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक (moral stories for kids in hindi) सिखाती हैं।

Top Moral Stories for Kids in Hindi

  • ईमानदारी का फल
  • सच्चा दोस्त
  • बुद्धिमान खरगोश

Short Stories for Kids in Hindi

  • चतुर चिड़िया

Panchatantra Stories in Hindi

  • शेर और चूहा

कछुआ और खरगोश

Hindi animal stories for kids.

  • बंदर और मगरमच्छ

बुद्धिमान बकरी

Adventure stories in hindi for children, जंगल का रहस्य, खजाने की खोज, bedtime stories for kids in hindi, चाँद की दोस्ती, राजकुमारी की नींद, ईमानदारी का फल (moral stories for kids in hindi).

एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक गरीब लड़का रहता था। उसके पिता एक किसान थे और माँ घरेलू महिला। रामू अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था। उसके माता-पिता ने उसे हमेशा अच्छाई और सच्चाई का पाठ पढ़ाया था। एक दिन, रामू स्कूल से घर लौट रहा था, तभी उसे रास्ते में एक बटुआ पड़ा हुआ मिला। उसने बटुए को उठाया और देखा कि उसमें काफी सारे पैसे थे। रामू ने सोचा, "यह पैसे तो किसी के बहुत काम आ सकते हैं। मुझे इसे उसके मालिक तक पहुँचाना चाहिए।" उसने बटुए में रखे पते को देखा और उस दिशा में चल पड़ा। वह पता गाँव के एक धनी व्यापारी का था। रामू ने उनके घर जाकर दरवाजा खटखटाया। व्यापारी ने दरवाजा खोला और रामू को देखकर आश्चर्यचकित हुआ। रामू ने विनम्रता से बटुआ उन्हें वापस कर दिया। व्यापारी ने बटुआ खोलकर देखा और पाया कि सभी पैसे सुरक्षित थे। वह रामू की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुए। व्यापारी ने रामू से पूछा, "तुम्हें पता था कि इस बटुए में इतने सारे पैसे हैं, फिर भी तुमने इसे वापस कर दिया। तुमने ऐसा क्यों किया?" रामू ने जवाब दिया, "सर, मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया है कि ईमानदारी सबसे बड़ी दौलत है। यह पैसा मेरा नहीं है, इसलिए मैं इसे आप तक वापस लाया।" व्यापारी रामू की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और उसे इनाम के रूप में कुछ पैसे दिए। उन्होंने रामू के माता-पिता से भी मुलाकात की और उनकी परवरिश की प्रशंसा की। रामू ने उन पैसों से अपनी पढ़ाई पूरी की और बड़ा होकर एक सफल व्यक्ति बना। उसने समाज में ईमानदारी और अच्छाई का महत्व समझाया और सभी को प्रेरित किया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि ईमानदारी हमेशा फल देती है और अच्छाई का मार्ग हमेशा सफलता की ओर ले जाता है। रामू की कहानी आज भी गाँव में एक मिसाल के रूप में सुनाई जाती है।

सच्चा दोस्त (Short moral stories for kids in hindi)

एक घने जंगल में एक हिरण और खरगोश बहुत अच्छे दोस्त थे। हिरण का नाम था चंचल और खरगोश का नाम था बुद्धू। चंचल अपनी तेज़ी और सुंदरता के लिए जाना जाता था, जबकि बुद्धू अपनी चतुराई के लिए। वे दोनों रोज़ जंगल में खेलते और एक-दूसरे का साथ बहुत एन्जॉय करते। एक दिन, जब वे खेल रहे थे, एक शिकारी ने चंचल को देखा और उसे पकड़ने की सोची। शिकारी ने चुपके से चंचल के पास जाल बिछाया और उसे पकड़ लिया। चंचल जाल में फंस गया और बहुत डर गया। उसने बुद्धू को मदद के लिए पुकारा। बुद्धू ने देखा कि चंचल मुसीबत में है और उसने तुरंत एक योजना बनाई। वह शिकारी के पास गया और उसे दूसरी दिशा में भटकाने लगा। बुद्धू ने शिकारी को दूर एक और हिरण के होने का झूठा विश्वास दिलाया। शिकारी बुद्धू के झांसे में आ गया और उस दिशा में चला गया। इस बीच, बुद्धू ने चंचल को जाल से मुक्त कर दिया। जब शिकारी वापस आया, तो उसने देखा कि चंचल जाल से गायब था। वह बहुत गुस्से में था, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया। उधर, चंचल और बुद्धू जंगल की गहराई में भाग गए और सुरक्षित थे। इस घटना के बाद, चंचल और बुद्धू की दोस्ती और भी मजबूत हो गई। चंचल ने बुद्धू की चतुराई और साहस की बहुत प्रशंसा की। बुद्धू ने चंचल से कहा, "दोस्ती में सबसे बड़ी बात एक-दूसरे की मदद करना है, और मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।" इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत के समय में आपका साथ नहीं छोड़ता और हमेशा आपकी मदद के लिए तैयार रहता है। चंचल और बुद्धू की कहानी आज भी जंगल में सच्ची दोस्ती की मिसाल के रूप में सुनाई जाती है।

बुद्धिमान खरगोश (Moral story in hindi for kids)

एक घने जंगल में अनेक जानवर रहते थे। इस जंगल का राजा एक बहुत बड़ा और ताकतवर शेर था, जिसका नाम था सिंहासन। सिंहासन अपनी ताकत के घमंड में अक्सर अन्य जानवरों को परेशान करता और उन्हें डराता था। जंगल के सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। इसी जंगल में एक छोटा खरगोश भी रहता था, जिसका नाम चतुर था। चतुर अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता था। एक दिन, जब सिंहासन ने फिर से जानवरों को परेशान किया, तो चतुर ने तय किया कि वह इस समस्या का हल निकालेगा। चतुर ने जंगल के सभी जानवरों को एकत्रित किया और उनसे कहा, "हमें अपने जंगल को शेर के आतंक से मुक्त कराना होगा। मेरे पास एक योजना है।" सभी जानवर चतुर की बात सुनकर उत्सुक हो गए। चतुर ने बताया, "मैं शेर को एक ऐसी जगह ले जाऊंगा, जहाँ उसे अपनी ही परछाई से लड़ना पड़ेगा।" उसने जंगल के बीचों-बीच एक गहरे कुएँ की ओर इशारा किया। उसने योजना के अनुसार सभी जानवरों को अपनी-अपनी जगह पर तैनात कर दिया। अगले दिन, चतुर शेर के पास गया और उससे बोला, "महाराज, जंगल के दूसरी तरफ एक और शेर आया है, जो आपसे भी ज्यादा ताकतवर है।" सिंहासन यह सुनकर गुस्से में भर गया और चतुर के साथ उस शेर से मिलने चल पड़ा। चतुर उसे उस कुएँ के पास ले गया और बोला, "देखिए, वह रहा दूसरा शेर।" सिंहासन ने कुएँ में झांका और अपनी ही परछाई को देखकर गुस्से में उस पर झपटा। इससे पहले कि वह समझ पाता, वह कुएँ में गिर गया। जंगल के सभी जानवर चतुर की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करने लगे। उस दिन के बाद से, जंगल में फिर से शांति और सुख-शांति का वातावरण हो गया। चतुर ने सभी को यह सिखाया कि बुद्धिमत्ता और सूझ-बूझ से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।

चतुर चिड़िया (Story for kids in hindi)

एक घने जंगल में एक चिड़िया रहती थी, जिसका नाम चंचल था। चंचल अपनी चतुराई और सुंदर गाने के लिए जानी जाती थी। उसने अपना घोंसला एक ऊँचे पेड़ पर बनाया था, जहाँ उसके कुछ अंडे भी थे। वह अपने अंडों को बहुत प्यार करती थी और उनकी रक्षा करती थी। एक दिन, एक शिकारी जंगल में आया। उसने चंचल के घोंसले को देखा और उसके अंडों को चुराने का फैसला किया। जब चंचल खाने की तलाश में गई, तब शिकारी ने घोंसले तक पहुँचने की कोशिश की। लेकिन चंचल बहुत चतुर थी। उसने शिकारी को देख लिया और तुरंत एक योजना बनाई। वह जल्दी से वापस आई और शिकारी को देखकर जोर से चिल्लाने लगी। उसकी आवाज सुनकर जंगल के अन्य पक्षी और जानवर वहाँ इकट्ठा हो गए। शिकारी जब तक अंडे तक पहुँच पाता, तब तक जंगल के अन्य जानवर वहाँ आ गए और शिकारी को घेर लिया। शिकारी डर के मारे भाग गया और चंचल के अंडे सुरक्षित रहे। इस घटना से चंचल ने सभी को यह सिखाया कि चतुराई और साहस से किसी भी मुसीबत का सामना किया जा सकता है। उसकी बुद्धिमत्ता और साहस की कहानी जंगल में आज भी प्रसिद्ध है।

आलसी गधा (Moral story in hindi)

एक गाँव में एक किसान था, जिसके पास एक गधा था। गधे का नाम था आलसी। आलसी अपने नाम के अनुरूप ही बहुत आलसी था। वह हमेशा काम से बचने की कोशिश करता और दिन भर सुस्ताता रहता। किसान आलसी को खेतों में काम करने के लिए ले जाता, लेकिन आलसी हमेशा काम से जी चुराता। एक दिन किसान ने आलसी को बहुत सारा सामान लादकर बाजार ले जाने के लिए कहा। आलसी ने सोचा कि अगर वह गिर पड़ेगा, तो किसान उसे काम से छुट्टी दे देगा। जैसे ही वे बाजार के रास्ते में थे, आलसी जानबूझकर गिर पड़ा और सारा सामान बिखर गया। किसान बहुत परेशान हुआ और उसे सामान फिर से लादना पड़ा। इस बार किसान ने आलसी पर और भी ज्यादा सामान लाद दिया। आलसी को तब एहसास हुआ कि उसकी आलस्य की वजह से उसका काम और भी बढ़ गया है। उसने समझा कि काम से बचने की कोशिश में उसे और अधिक परिश्रम करना पड़ा। उस दिन के बाद, आलसी ने कभी भी काम से जी नहीं चुराया और हमेशा मेहनत से अपना काम किया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि आलस्य करने से काम कभी कम नहीं होता, बल्कि बढ़ जाता है। मेहनत और परिश्रम से ही सफलता मिलती है। आलसी गधे की कहानी आज भी गाँव में लोगों को मेहनत करने की प्रेरणा देती है। 

शेर और चूहा (Panchtantra kids story in Hindi)

एक जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था, जिसका नाम गर्जन था। गर्जन अपनी ताकत और गर्जना के लिए प्रसिद्ध था। एक दिन, गर्जन एक पेड़ के नीचे गहरी नींद में सो रहा था। उसी समय, एक छोटा चूहा, जिसका नाम मिट्ठू था, वहाँ से गुजर रहा था। मिट्ठू ने शेर को नहीं देखा और अनजाने में उसके ऊपर चढ़ गया। शेर की नींद टूट गई और वह गुस्से में चूहे पर चिल्लाया। मिट्ठू डर के मारे काँपने लगा और शेर से माफी मांगने लगा। उसने कहा, "महाराज, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैंने आपको परेशान करने का इरादा नहीं किया था।" शेर ने चूहे पर दया की और उसे जाने दिया। कुछ समय बाद, जंगल में शिकारियों ने शेर को पकड़ लिया और उसे जाल में फंसा दिया। शेर ने जोर-जोर से गर्जना शुरू कर दी, लेकिन वह जाल से बाहर नहीं निकल पा रहा था। उसी समय, मिट्ठू वहाँ से गुजर रहा था और उसने शेर को मुसीबत में देखा। मिट्ठू ने तुरंत अपने दाँतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में, शेर जाल से मुक्त हो गया। शेर ने मिट्ठू का धन्यवाद किया और कहा, "तुमने मेरी जान बचाई, मिट्ठू। आज मुझे समझ में आया कि छोटा होने का मतलब कमजोर होना नहीं होता।" इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर प्राणी का अपना महत्व होता है, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो। शेर और चूहे की कहानी आज भी जंगल में दोस्ती और सहयोग की मिसाल के रूप में सुनाई जाती है।

एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश का नाम था तेजू और कछुआ का नाम था धीरू। तेजू अपनी तेज़ी के लिए जाना जाता था और वह अक्सर धीरू की धीमी गति का मजाक उड़ाता था। एक दिन, तेजू ने धीरू को दौड़ की चुनौती दी। धीरू ने चुनौती स्वीकार कर ली और जंगल के सभी जानवर इस दौड़ को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। दौड़ शुरू हुई और तेजू तेजी से आगे बढ़ने लगा, जबकि धीरू अपनी धीमी गति से चलता रहा। तेजू ने देखा कि वह धीरू से काफी आगे निकल गया है और सोचा कि वह आसानी से जीत जाएगा। इसलिए उसने सोचा कि थोड़ी देर के लिए आराम कर लेना चाहिए। तेजू एक पेड़ के नीचे सो गया और धीरू धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। जब तेजू की नींद खुली, तो उसने देखा कि धीरू फिनिश लाइन के पास पहुँच चुका है। तेजू ने तेजी से दौड़ना शुरू किया, लेकिन तब तक धीरू ने दौड़ जीत ली थी। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि 'धीरे और स्थिर रहने वाला हमेशा रेस जीतता है।' तेजू ने अपनी गलती से सीखा और धीरू की स्थिरता और धैर्य की प्रशंसा की। कछुआ और खरगोश की यह कहानी आज भी धैर्य और लगन की महत्वपूर्ण सीख देती है।

बंदर और मगरमच्छ (Short stories for kids in Hindi)

एक नदी के किनारे एक बड़ा और घना पेड़ था, जिस पर एक बंदर रहता था। उसका नाम था चंचल। चंचल उस पेड़ पर खुशी-खुशी अपना जीवन बिताता था, जहाँ उसे ताजे फल खाने को मिलते थे। एक दिन, नदी में रहने वाला एक मगरमच्छ, जिसका नाम गोपाल था, उस पेड़ के पास आया। चंचल ने गोपाल को देखा और उसे कुछ फल फेंककर दिए। गोपाल को वे फल बहुत पसंद आए, और इस तरह उन दोनों की दोस्ती हो गई। रोज़ गोपाल उस पेड़ के पास आता, और चंचल उसे फल खिलाता। एक दिन, गोपाल की पत्नी ने उससे कहा कि वह चंचल को उनके घर भोजन पर बुलाए। उसकी असली योजना चंचल का दिल खाने की थी, क्योंकि उसने सुना था कि जो बंदर फल खाता है, उसका दिल बहुत स्वादिष्ट होता है। गोपाल ने अनिच्छा से चंचल को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। चंचल ने जब सुना कि उसे नदी पार करनी होगी, तो उसे संदेह हुआ। वह बुद्धिमान था और उसने योजना बनाई। वह गोपाल की पीठ पर बैठ गया और नदी पार करने लगे। बीच रास्ते में, गोपाल ने अपनी पत्नी की योजना चंचल को बता दी। चंचल ने तुरंत कहा, "अरे! मेरा दिल तो मैं पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ। चलो वापस चलते हैं, मैं अपना दिल लेकर आता हूँ।" गोपाल ने वापस जाकर चंचल को पेड़ पर छोड़ दिया। चंचल पेड़ पर चढ़ गया और वापस नहीं आया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुद्धिमत्ता और सूझ-बूझ से किसी भी मुसीबत से बचा जा सकता है। चंचल ने अपनी चतुराई से खुद को बचाया और गोपाल को भी एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया।

एक गाँव में एक बुद्धिमान बकरी रहती थी, जिसका नाम था गौरी। गौरी अपने तेज दिमाग और समझदारी के लिए जानी जाती थी। वह अक्सर गाँव के बच्चों के साथ खेलती और उन्हें अपनी बुद्धिमत्ता से प्रभावित करती। एक दिन, एक भूखा भेड़िया गाँव के पास आया। उसने गौरी को देखा और उसे खाने की सोची। भेड़िया गौरी के पास पहुँचा और उसे खाने के लिए दौड़ा। लेकिन गौरी बहुत चतुर थी। गौरी ने तुरंत एक योजना बनाई। उसने भेड़िये से कहा, "मैं जानती हूँ कि तुम मुझे खाना चाहते हो, लेकिन मैंने सुना है कि जंगल के दूसरी तरफ बहुत सारे बकरियाँ हैं। अगर तुम मुझे छोड़ दो, तो मैं तुम्हें वहाँ तक ले चलूँगी।" भेड़िया गौरी की बातों में आ गया और उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। गौरी ने भेड़िये को जंगल के एक गहरे कुएँ के पास ले जाया। वहाँ पहुँचकर, गौरी ने कहा, "देखो, वहाँ पर बहुत सारी बकरियाँ हैं।" भेड़िया ने जब कुएँ में झांका, तो उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने सोचा कि वह बकरियाँ हैं और कुएँ में कूद पड़ा। इस तरह, गौरी ने अपनी बुद्धिमत्ता से न केवल खुद को बचाया, बल्कि गाँव की अन्य बकरियों को भी भेड़िये से बचा लिया। गाँव वाले गौरी की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करने लगे, और गौरी गाँव में एक नायक के रूप में जानी जाने लगी।

एक छोटे से गाँव में चार दोस्त रहते थे - अर्जुन, मीरा, विवेक, और सोनिया। उन्हें रोमांचक और रहस्यमयी जगहों की खोज करना बहुत पसंद था। उनके गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वहाँ कुछ रहस्यमयी चीजें छिपी हुई हैं। एक दिन, उन्होंने उस जंगल का रहस्य जानने का निर्णय लिया। वे चारों सुबह-सुबह अपने रोमांचक सफर के लिए निकल पड़े। उन्होंने अपने साथ खाने-पीने की चीजें, एक नक्शा, और कुछ जरूरी सामान लिया। जंगल में प्रवेश करते ही उन्हें विचित्र पक्षियों की आवाजें और अनोखे पेड़-पौधे दिखाई दिए। वे जंगल में गहराई तक गए और वहाँ उन्हें एक पुराना मंदिर मिला। मंदिर के आसपास कुछ प्राचीन मूर्तियाँ और खंडहर थे। उन्होंने मंदिर के अंदर जाने का फैसला किया। मंदिर के अंदर उन्हें एक पुरानी गुफा का रास्ता मिला। गुफा के अंदर उन्हें कई प्राचीन चित्र और लिपियाँ मिलीं। वहाँ एक बड़ी सी पेटी भी थी, जिसमें पुराने सिक्के और गहने थे। उन्होंने उस पेटी को खोला और पाया कि वह खजाने से भरी हुई थी। उन्होंने उस खजाने की खोज की और उसे गाँव वालों के साथ बाँटने का निर्णय लिया। उनकी इस खोज ने उन्हें गाँव में हीरो बना दिया। उन्होंने जंगल के रहस्य को सुलझाया और साथ ही गाँव के लोगों की मदद भी की। इस अद्भुत रोमांचक सफर ने उन्हें जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए।

एक छोटे से शहर में रहने वाले पाँच बच्चे - रोहन, सिमरन, अनुज, निधि, और आयुष - ने एक दिन एक पुरानी किताब में छिपे खजाने के नक्शे के बारे में सुना। उन्होंने उस खजाने को ढूँढने का निश्चय किया। वे सभी अपने रोमांचक खोज के लिए निकल पड़े। उन्होंने अपने साथ खाने-पीने की चीजें, एक कम्पास, और नक्शा लिया। नक्शे के अनुसार, उन्हें एक पुराने किले के खंडहरों तक जाना था। उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की और जंगलों, पहाड़ों, और नदियों को पार किया। उनकी यात्रा में कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार, वे उस पुराने किले के खंडहरों तक पहुँचे। किले के खंडहरों में उन्हें कई पुरानी मूर्तियाँ और गुप्त दरवाजे मिले। उन्होंने नक्शे के अनुसार एक गुप्त कमरे का पता लगाया, जहाँ खजाना छिपा हुआ था। उन्होंने उस कमरे को खोला और पाया कि वहाँ सोने-चाँदी के सिक्के, गहने, और कीमती पत्थर भरे हुए थे। बच्चों ने उस खजाने को अपने शहर वापस लाया और उसे शहर के म्यूजियम में रखवाया। उनकी इस खोज ने उन्हें शहर में हीरो बना दिया। उन्होंने न केवल एक खोया हुआ खजाना ढूँढा, बल्कि अपने साहस और दोस्ती की मिसाल भी पेश की।

एक सुंदर गाँव में एक छोटी सी लड़की रहती थी, जिसका नाम था अनन्या। अनन्या को रात के समय आसमान में चमकते चाँद को देखना बहुत पसंद था। वह हर रात अपनी खिड़की से चाँद को निहारती और उससे बातें करती। उसके लिए चाँद उसका दोस्त था। एक रात, जब अनन्या अपनी खिड़की से चाँद को देख रही थी, तो उसे लगा कि चाँद उससे मुस्कुरा रहा है। उसने चाँद से कहा, "काश, तुम मेरे पास आ सकते और हम साथ खेल सकते।" उस रात, अनन्या को एक सपना आया कि चाँद उसके पास आया और उसे एक जादुई दुनिया में ले गया। उस जादुई दुनिया में, चाँद ने अनन्या को तारों की नदी, बादलों के पहाड़ और रंग-बिरंगे आकाशीय फूल दिखाए। वहाँ उन्होंने तारों के साथ खेला, बादलों पर उछल-कूद की और चाँदनी से भरे झील में तैरे। अनन्या ने वहाँ अपने जीवन के सबसे खूबसूरत पल बिताए। जब सुबह हुई, अनन्या ने पाया कि वह अपने बिस्तर पर है और सब कुछ एक सपना था। लेकिन उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी। उसे एहसास हुआ कि चाँद के साथ उसकी दोस्ती सिर्फ एक कल्पना नहीं थी, बल्कि एक खूबसूरत अनुभव था। उस दिन के बाद, जब भी अनन्या चाँद को देखती, वह मुस्कुरा देती। उसे पता था कि चाँद हमेशा उसका दोस्त रहेगा, चाहे वह जादुई दुनिया में हो या अपने खिड़की के पास। अनन्या और चाँद की दोस्ती ने उसे सिखाया कि कल्पना की दुनिया में भी खूबसूरत रिश्ते और यादें बन सकती हैं।

एक दूर देश में, एक सुंदर राजकुमारी रहती थी, जिसका नाम था अवन्तिका। अवन्तिका बहुत ही दयालु और सुंदर थी। उसकी एक खासियत थी - जब भी वह सोती, उसे सपनों की एक अद्भुत दुनिया में ले जाया जाता। उसके सपने इतने विविध और जीवंत होते कि वह हर सुबह एक नई कहानी के साथ जागती। एक रात, जब अवन्तिका सोई, तो उसे एक जादुई सपना आया। उस सपने में, वह एक रहस्यमयी वन में थी, जहाँ पेड़ों पर रत्न लगे होते थे और नदियाँ सोने की चमक लिए होती थीं। वहाँ उसे एक बुद्धिमान बूढ़ा जादूगर मिला, जिसने उसे एक खोये हुए राज्य की कहानी सुनाई। जादूगर ने बताया कि उस राज्य को बचाने के लिए एक विशेष मणि की जरूरत है, जो एक खतरनाक ड्रैगन के पास है। अवन्तिका ने उस राज्य की मदद करने का फैसला किया। उसने जादूगर के साथ मिलकर उस ड्रैगन का सामना किया। उन्होंने ड्रैगन के गुफा में प्रवेश किया और वहाँ उन्हें वह मणि मिली। ड्रैगन ने उन्हें देख लिया और उन पर हमला कर दिया। लेकिन अवन्तिका ने अपनी बुद्धिमत्ता और साहस से ड्रैगन को पराजित किया और मणि को सुरक्षित निकाल लिया। जब वह मणि उस खोये हुए राज्य में लौटाई गई, तो वहाँ फिर से खुशियाँ और समृद्धि आ गई। अवन्तिका को उस राज्य की रानी के रूप में सम्मानित किया गया। जब अवन्तिका सुबह उठी, तो उसे एहसास हुआ कि यह सब एक सपना था। लेकिन उस सपने ने उसे यह सिखाया कि साहस और बुद्धिमत्ता से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है। अवन्तिका ने उस सपने को अपने दिल में संजो लिया और हमेशा उससे प्रेरणा लेती रही।

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A Door Into Hindi

A Door Into Hindi

How to begin, take the plunge, स्वागत welcome.

A Door Into Hindi is an interactive, multimedia elementary Hindi learning website. We invite you to explore the site and try out the various lessons and learning resources. If you are ready, go to the next tab: “How To Begin.”

About the Project

This Door site is available to anyone in the world at no charge. Whether you are an independent learner or enrolled in a formal Hindi language course, you will find many resources here to enhance your language learning. A Door Into Hindi is designed as a stand-alone, comprehensive language course, but it also complements other Hindi-learning textbooks and curricula.

The site consists of 24 multimedia lessons designed to provide the equivalent of two full semesters of university-level language instruction. By working your way through the materials presented here, you will learn basic spoken and written Hindi.

Each lesson is an integrated module that includes short films, grammar notes, glossaries, cultural notes, “video-professors,” interactive activities, and other learning resources. The lesson movies were filmed in India, Pakistan, and the United States using native speakers and students. Every fourth lesson (i.e. Lessons 4, 8, 12, 16, 20, and 24) is a review lessons which does not include new grammar topics but rather supplementary glossaries and activities. Upgrades to the site are currently in progress, and additional learning resources and exercises are being added periodically.

Because Hindi and Urdu are essentially the same language in their colloquial spoken forms, we have created a parallel Urdu learning site called “Darvazah.” In both sites, we have deliberately combined traditional Hindi and Urdu contexts, much as they overlap in India and Pakistan. Although some words may appear odd when used in the “wrong” context (e.g. “Namaste” in Pakistan), we believe that an attempt to segregate Hindi and Urdu would be misleading and counter to the lived linguistic experience of people in South Asia.

Whether you are a student or teacher of Hindi, your input is welcome in the form of suggestions, questions, or comments. We envision this project as collaborative and adaptive, so if you would like to share your own Hindi teaching materials, we would be happy to add links to this site. Please send your communications to us at the email addresses below.

Course Designer

Dr. Afroz Taj Associate Professor, South Asian Studies Department of Asian and Middle Eastern Studies University of North Carolina at Chapel Hill [email protected]

Project Manager

Dr. John Caldwell Teaching Associate Professor, Hindi-Urdu Department of Asian and Middle Eastern Studies University of North Carolina at Chapel Hill [email protected]

Throughout this project, we have had much help, input, and encouragement from our official collaborators Rupert Snell, Phil Lutgendorf, Herman Van Olphen, Susham Bedi, and Frances Pritchett, as well as many other colleagues around the world. The project was initiated by funding from the International Research and Studies Program of the US Department of Education and supplemented by the North Carolina Center for South Asia Studies. Subsequent technical support has been provided by the Office of Information Technology at North Carolina State University and the Office of Arts and Sciences Information Services (OASIS) at the University of North Carolina at Chapel Hill. It would be impossible to list all of the people who have contributed to “A Door Into Hindi” and “Darvazah” but a partial list is included below. We would especially like to thank the many students who have worked as web designers, media editors, and guinea pigs, as well as the many volunteers in India and Pakistan whose talents are featured in the Lesson films. We send a special word of thanks to Arfaeen Iqbal and Marriala Consultants in Pakistan.

Collaborating Institutions

  • The University of North Carolina South Asia Section in the Department of Asian and Middle Eastern Studies
  • North Carolina State University Hindi-Urdu Program in the Department of Foreign Languages and Literatures
  • The Carolina Asia Center
  • The North Carolina Center for South Asia Studies
  • The Triangle South Asia Consortium

We would like to thank the following individuals and institutions for their suggestions, advice, input, guidance, hard work, and/or moral support throughout this project: Tej Bhatia, Frances Pritchett, Daisy Rockwell, Rupert Snell, Shamsur Rahman Farooqi, Sean Pue, Arfaeen Iqbal, Abdul Hameed, Khawar, Grace Clark, Rita Akhtar, and the USEFP staff, Stephen Poulos and the South Asia Language Resource Center, Nilakshi Phukan, Claire Lampe, Chandra Mohan, Sandeep Hattangady, Qaiser Abbas, Amy Wilson, Samuel Eisen, Edward McDermott, Christine Corey, Gang Yue, Ruth Gross, Jan Bardsley, Lori Harris, Linda Zhang, Amanda Tueting, Paula Cherry, Missy Seaton, Tony Burgin, Tony Stewart, Hal Levin, Pamela Lothspeich, Shaheen Parveen, Matt Osment, Lars Sahl, Melissa Stewart, Tim Hensley, and the Center for Language Engineering (Pakistan).

Every student has a different learning strategy. If you have never studied a foreign language before, you will have to discover what learning strategy works best for you.

“A Door Into Hindi” contains twenty-four lesson units as well as a Hindi alphabet (Devanagari) learning module. Most Lesson units are integrated modules that consist of:

  • A Lesson Movie with subtitles
  • A transcript of the Lesson film dialogue
  • A Lesson glossary
  • A set of Lesson grammar topics
  • Culture Notes
  • Interactive language-learning activities

Every fourth lesson (i.e. Lessons 4, 8, 12, 16, 20, and 24) is a review lesson that does not include new grammar information but rather supplementary glossaries and activities.

Lesson Media

Each Lesson contains links to media resources mounted on YouTube. You will need a reliable broadband internet connection in order to access the media. The Lesson movies include optional subtitles in Hindi and Urdu. You may use the tools provided by YouTube to pause, rewind, and slow down the films. Each Lesson unit also contains a transcript of the film dialogue with links to the Glossaries, Grammar units, and Culture Notes.

The Lesson Activities active the expressions and vocabulary words contained in the lesson. These may be attempted orally or in writing. Some activities are designed for use with conversation partners or small groups. We encourage you to undertake the written activities by hand rather than trying to learn how to type in Hindi.

The Hindi Writing System

While it is possible to learn Hindi without learning the Hindi writing system (Devanagari), this site assumes that you will learn how to read and write in tandem with learning how to speak and understand. We have created a simple Alphabet Module to guide you through the writing system. You should try to write the Lesson 1 written homework assignments in the Hindi script. In Lessons 1, 2, and 3, each glossary word is linked to an animated spelling movie. Click on the word to see and hear how the word is spelled. By Lesson 3 you should be comfortable reading and writing in Hindi.

Learning a new alphabet requires using visual memory for shapes, which is another skill that many of do not use regularly. We highly recommend that you make flash cards for yourself: each card should have one Hindi letter or vowel matra on one side, and on the other side, something that will help you remember the sound of the letter. Beware of online flashcard apps that generate the “sound” of the letters: most of these are not correct.

The Hindi Devanagari fonts used in this website are Unicode based, which means that they should display correctly in all platform and browser environments. Most devices should be able to display the Hindi alphabet without any special apps or settings. Please see the table below to check whether the operating system and browser combination on your computer is displaying the Hindi font properly. The word in the left column [text in Unicode font] should match the word in the right column [image].

The words in this column should look like the words in this column
नमस्ते
क्या
फ़िल्म
बहिन
रु रू

Many students prefer to begin by watching the Lesson 1 movie. We have intentionally not provided English translation in subtitles. You can use the YouTube “Playback Speed” feature to slow down the dialogue, and you may wish to turn on the Hindi subtitles to see what you are hearing. After watching the Lesson Movie, you may refer to the Movie Script, the Glossary, the Cultural Notes, and the Grammar section before watching the movie again. After you feel that you understand most of what is going on in the Movie, you may begin trying the activities. If this approach works well for you, you should use it for each new lesson. It is also possible to approach the modules in a different order, depending on your learning style.

Learning a new language requires using aural memory, a skill which many of have not used since we learned our first language. Try to memorize words and phrases by sound, before writing them down. You can hear the words in the Lesson Glossaries by click on the Ear Icon next to each word. Once you have the words and dialogue “in your ear” you should then look at the Alphabet Module. Go back and forth between the Lessons and the Alphabet Module so that each reinforces the other.

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  • Hindi Grammar /

Hindi Holiday Homework For Class 5 – पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए हिंदी हॉलिडे होमवर्क आडियाज 

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  • Updated on  
  • जून 7, 2024

Hindi Holiday Homework For Class 5

Hindi Holiday Homework For Class 5: विद्यालय की ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ बच्चो के लिए मौज-मस्ती और आराम का समय होता है। लेकिन ये समय अपने आपको एक्टिव रखने और नई चीजें को सीखने का भी होता है। इसीलिए आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से पाँचवीं कक्षा के छात्रों के लिए हिंदी हॉलिडे होमवर्क आडियाज (Hindi Holiday Homework For Class 5) लेकर आए हैं, जो छात्रों के लिए ज्ञानवर्द्धक और मनोरंजक होगा। यह सभी बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए गर्मियों की पढ़ाई को मज़ेदार बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। 

This Blog Includes:

अपठित गद्ययांश .

एक दिन लोनपो गार ने अपने बेटे को सौ भेड़ें देते हुए कहा, “तुम इन्हें लेकर शहर जाओ। मगर इन्हें मारना या बेचना नहीं। इन्हें वापस लाना सौ जौ के बोरों के साथ। वरना मैं तुम्हें घर में नहीं घुसने दूँगा।” इसके बाद उन्होंने बेटे को शहर की तरफ रवाना किया।

लोनपो गार का बेटा शहर पहुँच गया। मगर इतने बोरे जौ खरीदने के लिए उसके पास रुपए ही कहाँ थे? वह इस समस्या पर सोचने-विचारने के लिए सड़क किनारे बैठ गया। मगर कोई हल उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था। वह बहुत दुखी था। तभी एक लड़की उसके सामने आ खड़ी हुई। “क्या बात है तुम इतने दुखी क्यों हो?” लोनपो गार के बेटे ने अपना हाल कह सुनाया। “इसमें इतना दुखी होने की कोई बात नहीं। मैं इसका हल निकाल देती हूँ।” इतना कहकर लड़की ने भेड़ो के बाल उतारे और उसे बाज़ार में बेच दिया। जो रूपये मिले उनसे जौ के सौ बोरे खरीदकर उसे घर वापस भेज दिया। 

लोनपो गार के बेटे को लगा कि उसके पिता बहुत खुश होंगे। भगर उसकी आपबीती पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। वे उठकर कमरे से बाहर चले गए। दूसरे दिन उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कहा, “पिछली बार भेड़ों के बाल उतारकर बेचना मुझे जरा भी पसंद नहीं आया। अब तुम दोबारा उन्हीं भेड़ों को लेकर जाओ। उनके साथ जौ के सौ बोरे लेकर ही लौटना।”

एक बार फिर निराश लोनपो गार का बेटा शहर में उसी जगह जा बैठा। न जाने क्यों उसे यकीन था कि वह लड़की उसकी मदद के लिए ज़रूर आएगी। और हुआ भी कुछ ऐसा ही, वह लड़की आई। उससे उसने अपनी मुश्किल कह सुनाई, “अब तो बिना जौ के सौ बोरों के मेरे पिता मुझे घर में नहीं घुसने देंगे।” लड़की सोचकर बोली, “एक तरीका है।” उसने भेड़ों के सींग काट लिए। उन्हें बेचकर जो रुपए मिले उनसे सौ बोरे जौ खरीदे। बोरे लोनपो गार के बेटे को सौंपकर लड़की ने उसे घर भेज दिया। भेड़ें और जौ के बोरे पिता के हवाले करते हुए लोनपो गार का बेटा खुश था।

स्त्रोत –  यह गद्ययांश ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (NCERT) की ऑफिशियल वेबसाइट से पाँचवीं कक्षा की किताब ‘रिमझिम’ के अध्याय 1 ( राख की रस्सी ) से लिया गया है। 

ऊपर लिखे हुए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) – लोनपो गार ने अपने बेटे को शहर क्यों भेजा था? (ख) – लोनपो गार का बेटा शहर जाते हुए क्यों चिंतित था? (ग) – लड़की ने लोनपो गार के बेटे की कैसे सहायता की? (घ) – इस गद्ययांश पर अपने विचार लिखिए। 

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यहाँ पाँचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए हिंदी हॉलिडे होमवर्क आडियाज (Hindi Holiday Homework For Class 5) के बारे में बताया गया है-

  • आपको कौन सा त्योहार बहुत अच्छा लगता है और क्यों? इस दिन आपकी दिनचर्या क्या रहती है? 100 शब्दों में अपना उत्तर दीजिए?

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नीचे दिए पांच शब्दों पर एक वाक्य लिखिए-

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  • अपने दोस्त को अपनी नई यात्रा के बारे में बताते हुए एक पत्र लिखिए?

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निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर चार्ट बनाइए- 

  • पसंदीदा खेल

ऐसे ही हिंदी हॉलिडे होमवर्क आडियाज (Hindi Holiday Homework For Class 5) के बारे में जानने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 2 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।

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Best Birds Stories in Hindi | पक्षियों की कहानियां

17 Best Birds Stories in Hindi 2022 | पक्षियों की कहानियां

इस लेख में हमारे पास 17 Best Birds stories in hindi का समग्र है, यह पक्षियों की कहानियां  हमने आपके लिए विशेष रूप से चुना है। यहां हर कहानियाँ से आपको कुछ ना कुछ सीखने को मिलेगी। जो इस दुनिया को समझने में आपकी मदद करेगी। हर बच्चा Stories of birds in Hindi  पढ़ना और सुनना पसंद करते हैं।

इनमें से कुछ पक्षियों की कहानी  बहुत छोटी और बुनियादी है। इसलिए पढ़ते समय आपकी ध्यान इन Stories में बनी रहेगी। यहाँ कुछ Stories on birds in Hindi  बहुत ही रोचक और शिक्षावर्धक है। जिन्हें पढ़कर आपको अनंत भी आएगा और शिक्षा भी मिलेगी, इन शिक्षा को प्रयोग करके आप जीवन में सफलता पा सकते हो।

17 Best Birds Stories in Hindi 2022 | पक्षियों की कहानी

Table of Contents

1. पक्षियों का राजा – Birds stories in Hindi

पक्षियों का राजा – Birds stories in Hindi

एक बार जंगल में सभी पक्षी इकट्ठा हुए। और फैसला किया, कि उन पक्षियों के बीच एक राजा होना चाहिए। लेकिन पक्षियों का राजा कौन बनेगा? तब मैना को एक विचार आया।

उसने सुझाव दिया, “हम सभी पक्षियों के बीच एक प्रतियोगिता रखें। और जो सबसे ऊंची उड़ान भरता है, उसे सभी पक्षियों के राजा माना जाएगा।”

सभी पक्षियों को यह विचार पसंद आया। पक्षियों ने इसके लिए सहमति बनाई। एक ईगल जो वहां मौजूद था। अपने बड़े शरीर के बारे में दावा करना शुरू कर दिया और कहा,

“मैं सभी पक्षियों में सबसे ज्यादा मजबूत हूं। और आप सभी जानते हैं, कि केवल मैं ही हूं जो उच्चतम उड़ान भर सकता है। तो फिर प्रतियोगिता क्यों? मुझे अब राजा क्यों नहीं माना जाए।”

“लेकिन संभावना है कि आप शायद जीत नहीं सकते।” थोड़ी आवाज की। ईगल चारों ओर मुड़कर देखा कि यह किसने कहा। वह आश्चर्य था क्योंकि एक छोटा गौरैया यह कहा था।

मजाकिया स्वर में ईगल ने कहा, “अरे मुझे कौन हारा रहे हैं, आप?” गौरैया ने कुछ नहीं कहा, बाद में सभी पक्षी प्रतियोगिता के लिए तैयार हो गया।

जैसे ही एक उल्लू ने संकेत दिया, सभी पक्षी हवा में उड़ने लगे। लेकिन वे बहुत अधिक और लंबे समय तक नहीं उड़ सके। एक एक करके सभी पक्षी प्रतियोगिता से बाहर हो गए।

केवल ईगल ऊंचाई में उड़ रहा था, हमेशा की तरह। फिर ईगल ने नीचे देखा कि सभी पक्षियों ने हार मान ली है। उन्होंने कहा, “मैं तो पहले ही कहा था, केवल मैं ही हूं जो सबसे ऊंची उड़ान भर सकता है।

अब आप सभी सहमत हैं कि मैं पक्षियों का राजा हूं।” ईगल को पता नहीं था, कि नन्हा गौरैया उनकी पंखों के नीचे उड़ रहा है। जिस क्षण उसने रुका, नन्हा गौरैया बाहर निकल गया।

वह ईगल के सिर के ठीक ऊपर उड़ गया। और चिल्लाया, “नहीं नहीं मिस्टर ईगल भाई, मैं सभी पक्षियों का राजा हूं। देखो मैं तुमसे ज्यादा ऊंचाई पर हूं।”

सभी पक्षी गौरैया से सहमत थे। किसी भी मामले में गर्वित ईगल को प्रतियोगिता में हड़ता हुआ देखकर सभी खुश थे। फिर सभी पक्षियों ने ईगल को अपना राजा चुना।

नैतिक शिक्षा :  अगर कुछ कार्य आपकी क्षमता से अधिक मजबूत है। तो इसका मतलब यह नहीं है, आपको कोशिश करने से पहले छोड़ देना चाहिए। इसके बजाय आपको सोच समझकर कोशिश करनी चाहिए।

2. लोमड़ी और सारस – Stories of birds in Hindi

लोमड़ी और सारस – Stories of birds in Hindi

एक बार जंगल में एक लोमड़ी और एक सरस पड़ोसी जैसा रहता था। दोनों बहुत ही अच्छा दोस्त था। लेकिन लोमड़ी बहुत चालाक थी, वह दूसरों के साथ चालाकी करता था।

एक बार लोमड़ी की जन्मदिन पर लोमड़ी उसकी सभी दोस्तों को आमंत्रण किया। सारस को भी आमंत्रण किया। लोमड़ी ने अपने जन्मदिन पर सारस के साथ चालाकी करने का सोचा।

शाम होते ही सारस लोमड़ी के जन्मदिन पार्टी मैं उसके घर गया। सारस आते ही लोमड़ी उसका शुक्रिया अदा किया और दोनों खाना खाने के लिए टेबल पर गया।

लोमड़ी ने सारस के साथ चालाकी करने के लिए चिकन सूप बनाया था। सूप एक प्लेट में डालकर सारस को पीने के लिए दिया, और एक प्लेट अपने लिए रखा।

लेकिन सूप प्लेट में होने के कारण सारस उसे पी नहीं पाया। सारस सूप पीने के लिए बहुत कोशिश किया। लेकिन उसकी हॉट लंबी होने के कारण नहीं पी पाया।

लोमड़ी ने सूप आराम से पिया उसने चिकन सूप का आनंद लिया। और सारस दुखी होकर घर लौट गया। लेकिन सारस लोमड़ी की चालाकी समझ गई थी।

कुछ दिन जाने के बाद सारस की जन्मदिन आया। उसने लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए उसे आमंत्रण करने गया उसके घर पर। लोमड़ी सरस को देखकर मन मन सोचा।

“यह सारस कितना बेवकूफ है। मैं उसे इतना बेवकूफ बनाया, फिर भी आया मुझे आमंत्रण करने।” फिर लोमड़ी ने सारस की जन्मदिन पार्टी में गया उसके घर पर। सारस लोमड़ी को देख कर कहा,

“तुम आ गए हो दोस्त, मेरा भाई आज बहुत ही अच्छा चिकन सूप बनाया है। चलो हम दोनों जाकर सूप पीते हैं।” इस बार सारस लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए चिकन सूप ग्लास में दिया।

लोमड़ी की मुंह ग्लास के अंदर जा नहीं पाया। लेकिन सारस उसकी होठों को सूप में डूबा कर आराम से पिया। लोमड़ी ने बहुत कोशिश करने की बावजूद उसने सूप पी नहीं पाया।

उसने सोचा यह सारस तो मुझसे भी ज्यादा चालाक है। लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ। लोमड़ी ने सारस से माफी मांगा, फिर दोनों अच्छा दोस्त बनकर खुशी से रहने लगा।

नैतिक शिक्षा :  सबके साथ ऐसा उपयोग करो, जैसा उपयोग तुम्हें मिलना चाहिए।

3. प्यासा कौआ – पक्षियों की कहानियां

प्यासा कौआ – पक्षियों की कहानियां

एक बार, एक जंगल में एक कौआ रहता था। तब गर्मी का मौसम चल रहा था। एक दिन, कौआ को बहुत ज्यादा प्यास लगा था। वह पानी की तलाश में यहां वहां भागता रहा, लेकिन उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।

लेकिन कौआ हिम्मत नहीं हारी। वह जंगल के ऊपर से जा रहा था पानी की तलाश में। जाते जाते उसने एक मटकी दिखा, जो एक पेड़ के नीचे पड़ा था।

वह उड़कर मटकी के ऊपर बैठा और झांक कर देखा की बहुत ही कम पानी था, मटकी में। पानी इतना नीचे था कि उसके लिए अपनी चोंच की मदद से पीना संभव नहीं था।

कौआ निराश हो गई लेकिन वह हार नहीं मानी। क्योंकि, कौआ बहुत ज्यादा प्यासा था। उसने मटकी नहीं छोड़ी, फिर उसकी नजर अचानक कुछ कंकड़ के ढेर पर पड़ी जो पेट के नीचे पड़ी थी।

उसके दिमाग में एक अद्भुत विचार आया। कि कंकड़ को मटकी में गिराकर पानी के स्तर को ऊंचा किया जा सकता है। फिर उसने मटकी में एक एक करके कंकड़ डालना शुरू किया।

और अंत में पानी का स्तर कंकड़ डालने के कारण ऊंचा हो गया। फिर कौआ अपनी चोंच की मदद से कुछ ज्यादा ही पानी पिया और खुश होकर वहां से उड़ गया।

नैतिक शिक्षा  : मुश्किल समय में मेहनत और समझदारी से काम लेना चाहिए।

4. सबसे खुश पक्षी – Stories on birds in Hindi

सबसे खुश पक्षी - Stories on birds in Hindi

एक बार, एक कौआ जंगल में रहता था। वह अपने काला रंग से बहुत परेशान था, वह बिल्कुल संतुष्ट नहीं था। एक दिन, उसने एक हंस को देखा।

उसने सोचा, “यह हंस इतना सफेद है, और मैं इतना काला हूं। यह हंस तो दुनिया का सबसे सुखी पक्षी होना चाहिए।” उन्होंने हंस से अपने विचार व्यक्त किए।

हंस ने उत्तर दिया, “मैं एक तोता को देखने से पहले सबसे खुश पक्षी था। जो दो रंग का था। मुझे लगता है कि तोता सृष्टि का सबसे खुश पक्षी है।

कौआ फिर तोते के पास पहुंचा। फिर उन्होंने तोते से अपने विचार व्यक्त किए। तोते ने समझाया, “जब तक मैं मोर नहीं देखा था,

तब तक मैं बहुत खुशहाल जीवन जी रहा था। क्योंकि मेरे पास केवल दो रंग है, और मोर के कई रंग है।” फिर कौआ चिड़ियाघर में एक मोर के पास गया।

और उसने देखा कि, मोर को देखने के लिए सैकड़ों लोग आए थे। लोगों के जाने के बाद, कौआ मोर के पास गया। और कहां, “आप बहुत सुंदर है,

हर दिन हजारों लोग आपको देखने आते हैं। और जब लोग मुझे देखते हैं, तो बे तुरंत मुझसे दूर हो जाते हैं। मुझे लगता है, कि आप दुनिया का सबसे खुश पक्षी है।”

मोर ने जवाब दिया, “मैं हमेशा सोचता था, मैं दुनिया का सबसे सुंदर और खुश पक्षी हूं। लेकिन मेरी सुंदरता के कारण, मैं इस चिड़ियाघर में फंस गया हूं।

इसीलिए मुझे लगता है कि कौआ एकमात्र ऐसा पक्षी है। जिसे पिंजरे में ही नहीं रखा जाता है। पिछले कुछ दिनों से मैं सोच रहा था। कि अगर मैं एक कौआ होता, तो मैं खुशी से जहां मर्जी वहां घूम सकता था।”

नैतिक शिक्षा :  हम हमेशा अपने गुणों को कम आंकते हैं, और दूसरों को महत्व देते हैं।

5. किसान और सारस – Story on birds in Hindi

किसान और सारस - Story on birds in Hindi

एक बार, एक किसान को पता चला कि सारस उसके नया बोए गए मकई को नष्ट कर रहे थे। एक शाम, किसान ने हानिकारक पक्षियों को पकड़ने के लिए,

खेतों में जाल लगाया। जब वह अगली सुबह खेतों की जांच करने गए। तो उन्हें कुछ सारस पक्षी मिला, जो जाल में फंस गए थे।

किसान को देख कर उनमें से एक सारस रोने लगा। “मुझे छोड़ दो, क्योंकि मैंने तुम्हारा कोई भी मकाई नहीं खाया है। ना ही मैंने तुम्हें कोई नुकसान नुकसान पहुंचाया है।

मैं एक गरीब निर्दोष सारस हूं। जैसा कि आप देख सकते हैं, एक बहुत ही संदिग्ध पक्षी। मैं अपने माता-पिता का बहुत सम्मान करता हूं।”

लेकिन, किसान ने सारस को छोटा कर दिया। उसने कहा, “यह सब सही हो सकता है, मैं कहता हूं। क्योंकि मैंने तुम्हें उन पक्षियों के साथ पकड़ा है।

जो मेरी फसलों को नष्ट कर रहे थे। और उन पक्षियों के साथ तुम्हें भी नुकसान उठाना पड़ेगा, जिन पक्षियों के साथ तुम आए थे।

नैतिक शिक्षा :  लोगों को इस बात से आंका जाता है, कि उन्होंने संगठन में क्या रखा है।

अन्य पढ़ें :  Animal Stories in Hindi  

6. एक समझदार उल्लू – पक्षियों की कहानी

एक समझदार उल्लू - पक्षियों की कहानी

एक बार की बात है, एक बड़ा पेड़ में एक उल्लू रहता। वह रोज अपने आसपास घटने वाली घटनाओं को पेड़ पे बैठकर देखता था।

कॉल उन्होंने एक लड़के को देखा जो एक बूढ़े आदमी का help कर रहा था। और आज उसने देखा एक लड़की को जो कि अपनी मां से चिल्लाते हुए बात कर रही थी। उल्लू बिल्कुल चुप रहता था।

और बहुत कुछ पेड़ पे बैठकर देखता था। जैसे जैसे दिन बिताते गया उल्लू कम बोलते गया लेकिन अधिक सुना। बूढ़े उल्लू ने लोगों को बातें करते और कहानी सुनाते हुए सुना।

उल्लू सुना एक लड़की ने बोला एक हाथी एक बाड़ पर कूद गया। वह फिर सुना एक युवा लड़के ने कहा वह कभी भी गलती नहीं किए।

बूढ़े उल्लू अभी तक पेड़ में बैठकर लोगों के बीच घटती हुई घटनाओं को देखता और सुनता रहा। कुछ लोग ऐसे थे जो बेहतर हो गया और कुछ लोग ऐसे थे जो खराब हो गया।

लेकिन बूढ़ा उल्लू रोज पेड़ मैं बैठकर,चुप रहकर और भी समझदार बनते जा रहा था।

नैतिक शिक्षा :  कम बात करें और अधिक सुने, यह हमें बुद्धिमान बना देगा।

7. माँ, बत्तख – birds stories in hindi

माँ, बत्तख – birds stories in hindi

एक दिन, एक मां बत्तख और उसकी छोटी छोटी बत्तियाँ झील पर जा रही थी। बत्तखें अपनी मां के साथ रास्ते से चलते हुए बहुत खुश थे।

अचानक मां ने देखा कि, एक लोमड़ी दूर से बच्चों को देख रहा है। वह भयभीत थी और चिल्ला रही थी। “बच्चे जल्दी जेल में जाओ, एक लोमड़ी आ रहा है।”

बत्तखें झील की और भागी। मां ने सोचा कि अभी क्या करना है? फिर वह एक पंख को जमीन पर घसीटते हुए, आगे पीछे चलने लगी।

जब लोमड़ी ने उसे देखा, तो वह बहुत खुश हो गई। उन्होंने सोचा, “ऐसा लगता है कि वह आहत है, और उड़ नहीं सकते हैं।

मैं आसानी से उसे पकड़ सकता हूं, और खा सकता हूं।” फिर लोमड़ी उसकी ओर भागा। माँ, बत्तख भाग गई और लोमड़ी को झील की ओर ले गई।

लोमड़ी ने उसका पीछा किया। मां ने सोचा, अब वह अपनी बत्तख को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। माँ बत्तख ने अपनी बच्चों की और देखा।

और देखा कि, वह झील पर पहुंच गए हैं। वह निश्चिंत थी, इसलिए वह रुक गई और एक गहरी सांस ली। लोमड़ी ने सोचा कि वह थक गई है।

और वह करीब आ गई, लेकिन मां ने जल्दी से अपनी पंख फैलाए और हवा में उड़ गई। वह झील के बीच में उतरा और उसकी बत्तखें के उसकी पास तैर गई।

लोमड़ी ने मां को और उसकी बत्तखें को देख रहा था। लोमड़ी उन तक नहीं पहुंच सका, क्योंकि वह झील के बीच में थे।

8. लोमड़ी और कौआ – bird stories in hindi

लोमड़ी और कौआ - bird stories in hindi

एक बार की बात है, जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वह दो दिन से भूखा था, उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला। लोमड़ी भोजन की तलाश में जंगल से जा रहा था।

फिर उसने देखा एक कौआ एक पेड़ की शाखा पर बैठा है, उसकी मुंह में एक रोटी का एक टुकड़ा था। रोटी का टुकड़ा देखकर लोमड़ी की मुंह में पानी आ गया।

और उसने वह रोटी कौआ की मुंह से छीन ना चाहा। फिर लोमड़ी एक जोजोना की बारे में सोच कर पेड़ के पास गई और कौआ की आवाज की बहुत तारीफ की।

फिर लोमड़ी कौआ से एक गीत गाने की प्रार्थना की। कौआ अपनी झूठी तारीफ सुनकर इतना तल्लीन हो गया कि वह भूल ही गया उसकी मुंह में एक रोटी का टुकड़ा है।

कौआ गर्व महसूस करने लगा। से ही कौआ ने गीत गाने के लिए अपना मुंह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया।

लोमड़ी जल्दी से रोटी का टुकड़ा लिया और वहां से भाग गया। थोड़ी दूर जाकर लोमड़ी खुशी से अपना भोजन किया। और कौआ दुखी होकर वहां रोने लगा।

नैतिक शिक्षा :  कभी भी अगर कोई तुम्हारी जरूरत से ज्यादा तारीफ करेगा तो उनकी बातों पर भरोसा करने से पहले एक बार जरूर सोचना।

9. किसान और चिड़िया – पक्षियों की शिक्षाप्रद कहानियाँ

किसान और चिड़िया – पक्षियों की शिक्षाप्रद कहानियाँ

कुछ समय पहले की बात है, एक बहुत मेहनती किसान था। कड़ी धूप में उसने खेतों में काम किया और परिणाम स्वरूप बहुत अच्छी फसल हुई। फसल को देखकर किसान बहुत खुश थे।

क्योंकि, फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच खेतों में एक चिड़िया घर बना लिया था, उनके बच्चे अभी बहुत छोटे थे। एक दिन, किसान अपने बेटे के साथ खेत पर आया।

और कहां, “बेटा ऐसा करो, कि अपने सभी रिश्तेदारों को आमंत्रण करो। ताकि अगले शनिवार आकर फसल काटने में हमारी मदद करें।” यह सुनकर, चिड़िया के बच्चे बहुत घबरा गया।

और अपनी मां से कहने लगे, “अब हमारा क्या होगा? अभी तो हम पूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं।” मां चिड़िया ने कहा, “तुम सब चिंता मत करो। जो दूसरे के सहारे चलता है, उसकी कोई मदद नहीं करता।”

अगले शनिवार, जब बाप बेटे खेत पर पहुंचे। तो वहां कोई भी रिश्तेदार नहीं था। दोनों को बहुत निराशा हुई। फिर पिता ने बेटे से, सभी रिश्तेदारों को फिर से आमंत्रण करने के लिए कहा।

इस बार भी चिड़िया ने, अपने बच्चों के साथ बिना डर कर वहां खेतों में रहा। अगले हफ्ते जब दोनों बाप बेटे खेत पर पहुंचे। तो देखा कोई भी रिश्तेदार सहायता करने नहीं आया था।

तो किसान ने बेटे से कहा, “जो इंसान दूसरों का सहारा लेकर जीना चाहते हैं, उसका यही हाल होता है। उसे हमेशा निराशा ही मिलता है, अब चलो घर जाते हैं।

कल सुबह, हम फसल कटने का सामान लेकर आएंगे। और इस फसल को हम दोनों मिलकर काटेंगे।” चिड़िया ने जब यह सुना, तो उसने अपने बच्चों से कहने लगी।

“चलो, अब जाने का समय आ गया है। जब इंसान, खुद का काम खुद करने की प्रतिज्ञा कर लेता है। तो फिर उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है।

और ना उसे कोई रोक सकता है।” इससे पहले कि बाप बेटे फसल काटने आए। चिड़िया, अपने बच्चों को लेकर एक सुरक्षित स्थान पर चले गए। फिर बाप बेटे दोनों मिलकर खुशी से फसल काटी।

10. एकता में बल – Pakshiyon ki kahani

एकता में बल – Pakshiyon ki kahani

एक समय की बात है, कबूतरों का एक दल आसमान में भोजन की तलाश में उड़ता हुआ जा रहा था। बहुत समय उड़ने के बाद, एक युवा कबूतर को नीचे हरियाली नजर आई।

युवा कबूतर ने बाकी सभी कबूतरों को कहा, “सुनो भाइयों, नीचे एक खेत में बहुत सारा दाना बिखरा पड़ा है। हम सब का पेट भर जाएगा। चलो हम सभी एक एक दाना चुनकर खाते हैं।”

सभी कबूतर नीचे उतरा और दाना चुनने लगा। वास्तव में वह दाना, पक्षियों को पकड़ने के लिए फैलाया गया था। और ऊपर पेड़ पर जाल लगाया गया था।

जैसे ही कबूतर का दल दाना चलने लगा, जाल उन पर आ गिरा। सारे कबूतर फस गए। फिर उनमें से एक कबूतर रोने लगा। “हम सब मर जाएंगे।” सभी कबूतर, हिम्मत हार बैठे थे।

पर युवा कबूतर सोच में डूबा था। उसने कहा, “जाल मजबूत ठीक है। अगर हम सभी एक साथ मिलकर उड़ने की कोशिश करें। तो हम जाल को साथ में लेकर आसानी से उड़ सकते हैं।”

सबने ऐसा ही किया। जाल साथ में लेकर सभी कबूतर एक साथ उड़ने लगा। तभी, जाल बिछाने वाला किसान कि नजर में आया। वह हाथ में डंडा लेकर कबूतरों को मारने के लिए दौड़ा।

सारे कबूतर एक साथ जोर लगाकर उड़े, तो पूरा जाल हवा मे ऊपर उठा। सारे कबूतर जाल को लेकर उड़ने लगे। कबूतरों को जाल के साथ उड़ते देखकर किसान अवाक रह गया।

युवा कबूतर जानता था, कि अधिक देर तक कबूतर दल के लिए जाल को साथ में लेकर उड़ना संभव नहीं होगा। पर युवा कबूतर के पास इसका उपाय था।

पास की पहाड़ी पर, उसका एक चूहा दोस्त रहता था। युवा ने, कबूतरों को पहाड़ी की ओर उड़ने का आदेश दिया। पहाड़ी पर पहुंचते ही, युवा कबूतर ने दोस्त चूहे को आवाज दी।

फिर, चूहा बिल में से बाहर आया। युवा कबूतर ने चूहे को सारी घटना बताई और जाल कटकर उन्हें आजाद करने के लिए कहा।

कुछ ही देर में चूहे ने वह जाल काट दिया और सभी कबूतरों को मुक्त किया। युवा कबूतर ने, अपना दोस्त चूहे को धन्यवाद दिया। फिर सभी कबूतर आकाश में आजादी की उड़ान भरने लगा।

अन्य पढ़ें : जानवरों की कहानियाँ 

11. चींटी और कबूतर – Hindi Birds stories

चींटी और कबूतर - Hindi Birds stories

एक समय की बात है, गर्मी का मौसम चल रहा था। जंगल में एक चींटी को बहुत ज्यादा प्यास लगी थी। चींटी ने, पानी ढूंढते हुए एक नदी के पास पहुंचा नदी में पानी देखकर चींटी बहुत खुश हुआ।

वह पानी पीने के लिए एक छोटी चट्टान पर चढ गया। लेकिन, चींटी वहां से फिसल कर पानी में गिर गया। वह धीरे धीरे पानी में डूबने लगा.

उसी नदी के पास पेड़ में एक कबूतर बैठा था। कबूतर पेड़ मैं से चींटी को पानी में डूबते हुए देखा, वह जल्दी से एक पत्ता नदी में फेंक दिया। चींटी थोड़ा ताकत लगा कर उस पत्ते पर चरके अपना जान बचा लिया।

चींटी ने, कबूतर से अपना जान बचाने के लिए शुक्रिया अदा किया। फिर, वह दोनों अच्छे दोस्त बनकर जंगल में एक साथ खुशी से रहने लगा।

एक दिन, एक शिकारी शिकार करने के लिए जंगल में आया था। उसने देखा एक खूबसूरत कबूतर पेड़ मैं बैठा है। वह कबूतर को अपना शिकार बनाने के लिए सोचा।

फिर, शिकारी अपना बंदूक निकाल कर कबूतर को निशाना किया। कबूतर को शिकारी के बारे में कुछ पता नहीं था वह आराम से पेड़ में बैठा था। लेकिन, चींटी ने शिकारी को देख लिया था।

चींटी ने कबूतर की जान बचाने के लिए शिकारी के पास गया। और उसकी पैरों में जोर से काटा। शिकारी दर्द में चिल्लाया तब उसकी बंदूक हाथ में से गिर गया।

शिकारी की चीख सुनकर कबूतर घबरा गया। वह महसूस किया उसके साथ क्या होने वाला था। फिर, कबूतर वहां से उड़कर पेड़ की उचाही पर चला गया।

12. चींटी और टिड्डा – birds stories with moral

चींटी और टिड्डा - birds stories with moral

एक बार की बात है, गर्मी का मौसम चल रहा था। एक जंगल में दो दोस्त रहता था, एक चींटी और एक टिड्डा। टिड्डा को सारा दिन आराम करना और गिटार बजाना पसंद थी।

सर्दी का मौसम आने वाला है। चींटी सारा दिन बहुत मेहनत करके खाना और पत्ते इकट्ठे कर रही थी। क्योंकि, सर्दियों में बहुत ठंड होने की कारण खाना ढूंढना मुश्किल है।

लेकिन, टिड्डा कोई मेहनत नहीं करती थी। वह सारा दिन अपना गिटार बजाकर गाना गाती थी। चींटी ने, थोड़ा थोड़ा करके खाना इकट्ठा कर रही थी सर्दियों के मौसम के लिए।

फिर धीरे धीरे गर्मी का मौसम चला गया और सर्दी का मौसम आया। सर्दियों में सभी पेड़ पर बर्फ की चादर चढ गई थी। बहुत ज्यादा ठंड होने की कारण चींटी अपने घर से बाहर नहीं निकलती थी।

वह घर में बहुत सारा खाना इकट्ठा कर रखी थी। लेकिन, टिड्डा की हालत बहुत खराब हो गई थी। उसे कुछ दिन से खाना नहीं मिली थी। वह ठंड में काटते हुए अपने दोस्त चींटी के घर गया और चींटी से थोड़ा खाना मंगा.

चींटी ने कहा “मैं सारा दिन गर्मी में काम किया। ताकि सर्दी के टाइम हम भूखा ना मारे। मैं तुमको बोला था थोड़ा खाना इकट्ठा कर लो सर्दी का मौसम आने वाला है, तुमने मेरी बात नहीं सुनी।”

“हां चींटी भाई मैं पूरा गर्मी में गिटार बजाता था और सोया रहता था।” चींटी ने कहा “जब तुम पूरे गर्मी में गिटार बजाया तो अब सर्दी में भी गिटार बजाओ। तुम्हें मैं खाना नहीं दे सकती।”

चींटी ने बहुत सारा खाना इकट्ठा कर रखी थी। उसे बिना किसी चिंता की इस सर्दी में भी पर्याप्त खाना मिलती थी और भूखा टिड्डा ने खाना इकट्ठा नहीं की थी। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ इस सर्दी में उसे भूखा रहना पड़ा।

13. चूहा और मेंढक – पक्षियों की कहानियां

चूहा और मेंढक - पक्षियों की कहानियां

एक बार की बात है, एक चूहा और एक मेंढक दोनों अच्छे दोस्त थे। मेंढक एक तालाब में रहता था और चूहा उसी तालाब के पास एक पेड़ की नीचे बेल में रहता था।

मेंढक चूहा दोस्त से मिलने के लिए रोज चूहे की बिल में जाता था। लेकिन, चूहा कभी भी मेंढक की घर नहीं आती थी। क्योंकि, चूहा को पानी से बहुत डर लगता था। चूहा कभी भी मंदक की घर नहीं आए।

एक दिन मेंढक ने सोचा, आज कैसे भी चूहा को मेरी घर ले आऊंगी। यह सोचकर मेंढक चूहे की बिल में जाकर चूहे को कहा अपना घर आने के लिए। लेकिन, चूहा ने मना कर दिया।

मेंढक को बहुत गुस्सा आया। वह एक रस्सी को लेकर चूहे की पैरों में बंधी और एक अपना पैरों में बांध के चूहे को घसीटते हुए अपना घर तालाब में लेकर आए।

चूहा रस्सी को काटने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन वह नाकामयाब रही। मेंढक, चूहे को लेकर पानी में डुबकी लगाई चूहा पानी में डूब के मरने वाली थी।

उसी समय एक बाज खाने की खोज में तालाब के ऊपर से जा रही थी। जाते वक्त उसने चूहे को देखा। बाज चूहे को पकड़ कर एक पेड़ में लेकर आया, लेकिन उसी रस्सी में मेंढक भी बंधी थी।

मेंढक ने रस्सी काटने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वह भी चूहे की तरह नाकामयाब रहा। बाज ने दोनों को एक साथ देख कर बहुत खुश हुआ। फिर दोनों को अपना भजन बनाया।

14. तितली और कोकून – B ird moral stories in Hindi

तितली और कोकून - Bird moral stories in Hindi

एक बार, एक आदमी को तितली का एक कोकून मिला। वह वहां बैठ गया और कई घंटों तक कोकून को देखता रहा। क्योंकि, वह उस छोटी सी छेद के माध्यम से,

अपने शरीर को, कोकून से बाहर निकालने के लिए संघर्ष कर रहा था। फिर ऐसा दिखाई दिया, जैसे की तितली थक गया था। और यह कोकून से बाहर नहीं निकल सकता था।

तब उस आदमी ने, तितली की मदद करने की फैसला किया। इसलिए, उसने एक कैंची ली और कोकून के बाकी हिस्सों को काट दिया था। तितली तब आसानी से बाहर बाहर आ गई।

लेकिन, इसका शरीर सूजा हुआ था और इसके पंख बहुत छोटे छोटे थे। वह आदमी तितली को देखता रहा। क्योंकि, वह उम्मीद करता था,

कि किसी भी समय, पंख का विस्तार होगा और शरीर को फैलाने में सक्षम हो जाएगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। वास्तव में, तितली अपना सारा जीवन एक सूजे हुए शरीर और टूटे पंखों के साथ बिताया।

यह तितली कभी उड़ान भरने में सक्षम नहीं था। आदमी को दयालुता और जल्दबाजी में समझ में नहीं आया, कि इस तितली को कोकून से बाहर निकलने के लिए संघर्ष की जरूरत थी।

तितली के शरीर से, उसके पंखों को दबाने का प्रकृति का तरीका था। ताकि, वह तैयार रहें उड़ान भरने के लिए। और कोकून से आजादी पाने के लिए।

15. एक कृतघ्न बाघ – Pakshiyon ki kahani

एक कृतघ्न बाघ - Pakshiyon ki kahani

एक बार, एक जंगल में एक बाघ रहता था। एक दिन वह किसी जानवर का शिकार करके खा रहा था। एक हड्डी उसके दांतों में फस गया।

हड्डी दातों में फंसने के कारण बाघ कुछ भी खाने का समर्थन नहीं रहा। उसकी दातों में और गले में बहुत तेज दर्द महसूस हो रहा था। वह दर्द में पूरा दिन रोता रहा।

जंगल की सभी जानवर उससे डरते थे। किसी ने भी उसके पास जाने का हिम्मत नहीं की। एक बहादुर सरस रोते हुए बाघ को देखा उसे बाघ पर दया आई।

सरस उसके पास गया और पूछा, “आपके साथ क्या गलत हो गया दोस्त?” “एक हड्डी मेरी दांतों में फस गई है,” बाघ ने कहा। सरस ने कहा, “यदि आप आज्ञा दे तो मैं इसे आपकी दांतो से बाहर निकल सकता हूं।”

बाघ ने कहा, “यदि तुम ऐसा करते हो तो मैं तुम्हारा आभारी रहूंगा।” सरस ने कहा, “मुझसे वादा करो के तुम मुझे नहीं खाओगे।” बाघ सरस से वादा किया हड्डी निकालने के बाद वह उसे नहीं खाएगा।

सरस बहुत दयालु था परंतु चतुर भी था। जैसे ही वह अपनी मुंह खोला सरस एक छोटा स्टिक उसके मुंह में रख दी। फिर उसने हड्डी को बाहर खींच लिया अपने लंबी चोच की मदद से.

हड्डी निकाल देने से बाघ की मुंह में दर्द बिल्कुल चला गया था। भूखा बाघ अब सरस को पकड़कर खाना चाहता था। लेकिन, उसके मुंह में स्टिक होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाया।

सरस दूर उड़ गया यह कहते हुए तुम एक कृतघ्न बाघ हो। मैं तुम्हारा मदद किया और तुम मुझे ही खाना चाहते हो।

16. सोने का अंडा Stories of birds in Hindi

सोने का अंडा Stories of birds in Hindi

एक बार की बात है, गांव में एक किसान रहता था, वह बहुत ही गरीब था, उसकी आय बहुत कम थी उन्होंने बहुत कठिनाई से दिन गुजरता था।

एक दिन उसे एक मुर्गी मिली, किसान उसे मारकर खाना चाहता था लेकिन जब वह मुर्गी को मारने के लिए गया तो मुर्गी ने कहा, तुम मुझे मत मारो मैं तुम्हें रोज सोने का अंडा दूंगी।

फिर मुर्गी हर दिन एक सुनहरा अंडा दिया, किसान हर दिन अंडा बाजार में बेचा, जल्द ही वह एक अमीर आदमी बन गए। गांव में सभी लोग उनका सम्मान करने लगी,

किसान बहुत लालची हो गया, उसने सोचा कि मुर्गी के अंदर जरूर सुनहरे अंडे का भंडार होना चाहिए। उसे सारा अंडा एक दिन में चाहिए था, वह बहुत अमीर बनना चाहता था।

फिर उसने चाकु लिया और मुर्गी का पेट काट दिया, उसे एक भी अंडा नहीं मिला। उसने केवल सोने का अंडे ही नहीं बल्कि मुर्गी भी खो दिए। फिर वह अमीर से धीरे-धीरे पहले जैसा गरीब बन गए।

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Hindi short stories with moral, very short stories for kids.

तो दोस्तों हम आशा करते हैं, कि आपको 17 Best Birds Stories in Hindi पढ़कर जरूर अच्छी लगी होगी और कृपया करके इन पक्षियों की कहानियाँ को आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें।

ताकि हर कोई इन मजेदार शिक्षावर्धक कहानियों को पढ़ सके। हमारे आज के विषय Stories on birds in Hindi  तो पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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Summer Vacation Homework-गर्मी की छुट्टियों का गृहकार्य summer vacation holiday homework in hindi कक्षा 1-12 के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश गृहकार्य summer vacation homework in hindi एक सुखद गर्मियों के अवकाश के दौरान बच्चों और उनके माता-पिता को सुझाव देने के लिए हमारे पास हिंदी में हॉलिडे होमवर्क हैं। Up boardके नवीनतम पाठ्यक्रम 2023-24 के आधार पर पीडीएफ प्रारूप में अपना होमवर्क प्राप्त करें। हमारे चर्चा मंच से मदद लें यदि आपके पास गणित या विज्ञान से संबंधित कोई समस्या हो।

गर्मी की छुट्टियों का गृहकार्य summer vacation holiday homework in hindi कक्षा 5 के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश गृहकार्य summer vacation homework in hindi

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अवकाश गृहकार्य (Holiday home work ) – ( 2023-24)

कक्षा के. जी. (Class K.G.) 

नोट-  गृहकार्य three in one copy में अलग से करे। हिन्दी –  अ से अः तक व क से ज्ञ तक लिखना । सुलेख साधना में पेज न0 1 से 20 तक पूर्ण करना । ENGLISH  – write A TO Z capital and a to z small Alphabets  in copy ,complete writing book page no- 1 to 20 . MATHS-  write counting 1 to 200 two times and learn. Write back counting 50 to 1 two times, complete the book from page no- 5 to 40. सदाचार – प्रातः स्मरण ,गायत्री मंत्र, हिन्दी व संस्कृत वन्दना याद करना। गीत/कहानी-  किलकारी पुस्तक से पेज न0 4 और 9 की कविताएं याद करना , पेज न0 17 की कहानी याद करना ।                       project work 1. make a chart of 1 to 20 number name using match sticks. 2. गीत कहानी की पुस्तक में से किसी भी एक कविता का चार्ट बनाएं English or हिन्दी।

कक्षा नर्सरी (Class Nursary) 

नोट-  गृहकार्य three in one copy में अलग से करे। हिन्दी-  सुलेख साधना पुस्तक में पेज न0 13 से 24 तक पूर्ण करना। Maths –  complete the work book page number 2 to 41. English –  complete the English writing book page no- 3 to 25 . गीत कहानी-  किलकारी पुस्तक से कोई दो हिन्दी व अंग्रेजी की कविता याद करना और एक कहानी याद करना। सदाचार –  वन्दना की पुस्तक से (हमारी प्रार्थना, गायत्री मंत्र,भोजन मंत्र) याद करना।                            project work English –  make a flash cards of A to Z. Maths –     make a number chart with picture  1 to 10 . हिन्दी –  अ से अः तक वर्णो के कट-आउट बोर्ड बनाना। Drawing-  make a any one object with waste material 1. Penstand 2. Wall hanging कोई एक पौधा गमला सहित लेकर आना।

कक्षा 1 (Class 1)

Note –  All the work must be done in 3 in 1 notebook. Revise and read all copy works. Use A3 sheet for pasting work. Do all work neat and clear and with the help of your parents. सदाचार-  प्रातः स्मरण के श्लोकों को याद करे। हिन्दी – एक पेज सुलेख सप्ताह में 4 दिन लिखे। पाठ्य-पुस्तक पढने का अभ्यास करें। सुलेख साधना पूर्ण करें। English –  Make a chart paper (A3) size of anyone poem from  English textbook. Do one page handwriting thrice a week. (3 in 1)  .  Read text book for improving reading skill. Fill English writing book. EVS-  Paste picture and write name in (A3) sheet (5 each) Domestic animals, wild animals, pet animals. Maths  – Make a chart of tables (on A3 sheet)  R.no. 1 to 9  – table of 3 .  R.no. 10 to 18  – table of 4.  R.no. 19 to 25  – table of 5.  R.no. 26 to 31  – table of 6 . R.no. 32 to 40  – table of 10. Write back counting 100 to 1. Computer-  make a chart of ‘ parts of computer’. Art-  make a chart on ‘Save Tree’. गीत  -कहानी (हिन्दी )लोभी कुत्ता, मेरा शरीर बडा महान, याद करे। (english)  Gandhi ji and his monkeys hush-A Bye- Baby ( learn it )  Story  – बाजार की सैर, शिष्टाचार की बातों को पढे।

कक्षा 2 (Class 2) 

Note  – गृहकार्य एक अलग (Three in one ) कॉपी में करें। हिन्दी  – 5 पेज सुलेख। विभिन्न जानवरों तथा पक्षियों के चित्र चार्ट पर चिपकाकर उनकी ध्वनियां लिखो। संस्कृत-  पशु व पक्षियों के दस- दस चित्र एक चार्ट पर चिपकाकर उनके नाम संस्कृत में लिखना। पांच- पांच फलों, सब्जियों, वाहनों व फलों व फूलों के नाम लिखना व याद करना। सदाचार-  राष्ट्रीय ध्वज का सुंदर एंव आकर्षक चित्र बनाइये। वन्दना की पुस्तक याद कीजिये। चार्ट पेपर की सहायता से यातायात के साधनो के नियम अथवा दिशा- ज्ञान का सुन्दर एवं आकर्षक चित्र बनाइये। सामाजिक अध्ययन –  रावण के गुणों एवं अवगुणों की तालिका बनाइयें। जब किसी नगर या गांव में आग लग जाती है तो उससे क्या- क्या हानिया होती है। चार्ट पर ‘भारत देश‘ का सुंदर मानचित्र बनाइये। English –  paste picture of 10 actions on a chart. Read chapter 1,2,3 and find 20 difficult words and learn their meanings. Write four words for each alphabet (for ex- A for apple,ant,aunt,able) write 5 page writing. Maths –  write the numbers name from 1- 100. Write the roman number from 1-50 . prepare an abacus by waste materials. EVS-  collect the pictures of animals you have seen in your neighbourhood and paste them in chart. Plant an tulsi in a pot in house and take care of it. Make a chart of food grains also paste some seeds of each. Computer –  learn lesson – 1 and read lesson -2 and 3

कक्षा 3 (Class – third )

Note  – गृहकार्य एक अलग (Three in one ) कॉपी में करें। English –   Read and learn lesson 1,2,3. Write 10 page of writing in holiday’s homework notebook. Make a chart on poem- lord Ganesh or The little plant or the lion and the mouse. Science  – paste 5 different types of leaves and flowers in your holiday homework copy. Maths-   learn table 2 to 20 and write also. Learn and write 1 to 100 counting spelling and revise chapter 1 and 2. Computer-   make a model of Abacus. Drawing –  make a beautiful things from waste materials. सदाचार-  पुस्तक के पेज न0 52 से मांसाहारी व शाकाहारी पशुओं के नाम लिख कर चार्ट में चित्र बनाएं। हिन्दी-  अ से अः तक मात्राओं के पन्द्रह शब्द कॉपी पर लिखना व याद करना, हिन्दी व्याकरण पाठ 1 से 4 तक पढना, सुलेख पुस्तिका में पांच पेज सुलेख करना। संस्कृत-  गृह उपयोगी कोई 10 वस्तुओं के नाम संस्कृत में लिखकर चित्र बनाना। 1 से 20 तक संस्कृत में गिनती लिखना व याद करना। सामाजिक अध्ययन –  पुस्तक पठ्न, कॉपी में कराया गया समस्त कार्य याद करो। चार्ट बनाए (एक विषय पर ) हमारे प्रतीक, महाभारत पुस्तक, गौतम बुद्ध, समा्रट अशोक, महावीर।

कक्षा 4 (Class 4)

Note – All the work must be done in 3 in 1 notebook. Revise and read all copy works. Use A3 sheet for pasting work. Do all work neat and clean and with the help of your parents. English –  learn ten words from each alphabet and write them with their meaning in a note-book . Learn at least 35 verbs and their forms. Make a chart on any one topic – The God poem( 1-10). The Rainbow poem ( 10 -20). The Sun poem (20-30 ) My Teacher poem (30 to last). Maths-  learn number name from 500 to 1000. learn tables 2 to 30. Do four questions of add and four questions of subtraction daily in holiday home work copy. Make a chart of following topic according to your roll no- 1 to 25 Types of Angles. 26 to 50 Shapes. Science  – 5 types leaves, seeds,  flowers paste in scrap book.  Make a working model from any topic related to science. Make a list of harmful things for our environment in holiday home work copy. Learn all the class work. Computer –  make a chart of any two computer  devices and give them 3D shapes.  Drawing  – Make any object from waste materials. सामाजिक अध्ययन-  गौरव भारत व उत्तर- प्रदेश के पहले दो- दो पाठों को अच्छे से पढे व याद करें। किसी एक विषय पर चार्ट बनायें। महावीर स्वामी व उनके 5 उपदेश (1-10), गौतम बुद्व (11- 20), हमारे राष्ट्रीय प्रतीक (21-30), उत्तर-प्रदेश का मानचित्र बनाकर विभिन्न प्रदेशों व पडोसी देशों को दर्शाते हुए रंग भरे। हिन्दी  – भाषा, व्याकरण, लिपि ,स्वर, व्यंजन, संज्ञा, सर्वनाम , क्रिया, विशेषण की परिभाषाएं याद करना। (सुलेख पुस्तिका) मे 10 पेज सुलेख लिखना, संयुक्त व्यंजनों के पांच- पांच शब्द लिखना । सदाचार –  कोई दो शिक्षाप्रद कहानी सुन्दर लेख मे लिखकर लाना। चार्ट पर कोई पांच महापुरूषों के चित्र बनाकर या चिपकाकर उनके विषय में पांच- पांंच वाक्य लिखना। प्रदेश व उनकी राजधानी लिखना व याद करना । अच्छे बालकों के कोई दस गुण लिखकर लाना । संस्कृत  – ंपाठ 1 से 3 तक अभ्यास कार्य, प्रश्नोत्तर याद करना, अभ्यास में दिये गये शब्दों द्वारा वाक्य रचना करना , पांच फलों सब्जियों , फूलों के नाम लिखना , शब्द रूप देव, पुष्प,बालिका, याद करना, धातु रूप, पठ्, गम् याद करना, पुस्तक पठन का अभ्यास करना ।

कक्षा 5 (Class 5)

All the work must be done in 3 in 1 notebook. Revise and read all copy works. Use A3 sheet for pasting work. Do all work neat and clear and with the help of your parents. English –  write and learn ten words from each alphabet in a copy. Learn at least 50 verbs and their forms. Make chart on any one topic- parts of speech (R.N0 1 -10). Little things poem (R. no 11-20). Work and play (R.No. 20-30). Who seen the wind (R. No. 30- last). Maths-  Learn tables 2 to 30. Do 5-5 questions of multiple and divide daily in holiday home work copy. Make a chart of following topic according to your roll no- (R.NO. 1to 25 fraction). (R.NO. 26 to 50 Roman number). Science  – Any working model related to science topic or make a project file  of cleanlines 10 types of flowers, seeds and  of leaves paste in scrap book. Learn all class work. Computer  – make a model of monitor help of cardboard/ Learning , reading chapter 1 to 3 . हिन्दी-  भाषा, लिपि, वर्ण , स्वर व्यंजन की परिभाषा याद करके लिखे, संयुक्ताक्षरो (क्ष, त्र,ज्ञ,श्र) से पांच- पांच शब्द बनाओं ग्रीष्म ऋतु में घूमने गये यात्रा का वर्णन, सुलेख पुस्तिका के 10 पेज भरना। संस्कृत-  शब्द रूप तत (वह) पुल्लिंग स्त्रीलिंग एवं नपुसकलिंग बालक, देव फल एवं नदी याद करना धातु रूप् गम् , पठ, कृ,नी, हस याद करना एवं कॉपी मे पांच फूलों, फलो, के नाम लिखना एवं कॉपी में करवाया गया समस्त कार्य याद करना। सामाजिक-  गौरवशाली भारत व भारत भूमि के पढाये गये पाठो को समझे व याद करें। महाद्वीप, महासागर व पडोसी देशो के नाम याद करें। ग्लोब का माडॅल (1-10) किसी एक विषय पर चार्ट समाज सुधारक (11- 20) विभिन्न क्रान्तिकारी का चार्ट (21 – 30), विभिन्न साहित्यकारो का चार्ट (31 से 40)। कला-  पेपर किंटंग द्वारा वॉडर तैयार करें। सदाचार –  पाठ 1 से 4 तक का सभी कार्य याद करें। औषिधीय पौधें या स्वदेशी वस्तुओं का चार्ट बनाये। नीति के दोहे , अमृतवाणी , सुभाषित याद करें। सूर्य नमस्कार का प्रतिदिन अभ्यास करे।

ग्रीष्मकालीन अवकाश हेतु मज़ेदार गतिविधियां

ग्रीष्मकालीन अवकाश प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के लिए अपनी पढ़ाई से छुट्टी लेने और मज़ेदार, शैक्षिक गतिविधियों में संलग्न होने और उन्हें नए कौशल विकसित करने में मदद करने का एक शानदार समय है। प्राथमिक विद्यालय के छात्र अपनी गर्मी की छुट्टियों की छुट्टियों का उपयोग कैसे कर सकते हैं, इस पर कुछ विचार यहां दिए गए हैं:

बाहर समय बिताएं: गर्मी का मौसम बेहतरीन आउटडोर का आनंद लेने का सही समय है। छात्रों को तैराकी, लंबी पैदल यात्रा, खेल खेलने या यहां तक कि बागवानी जैसी शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें।

समर कैंप में भाग लें: समर कैंप छात्रों को कला और शिल्प से लेकर खेल और संगीत तक कई तरह की गतिविधियों में शामिल होने का मौका देते हैं। कई स्थानीय सामुदायिक केंद्र, स्कूल और संगठन ग्रीष्मकालीन शिविरों की पेशकश करते हैं जो प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के हितों को पूरा करते हैं।

आनंद के लिए पढ़ें: आनंद के लिए पढ़ना छात्रों के पढ़ने के कौशल में सुधार करने, उनकी शब्दावली का विस्तार करने और उनकी कल्पना को प्रज्वलित करने का एक शानदार तरीका है। छात्रों को उन पुस्तकों का चयन करने के लिए प्रोत्साहित करें जिनमें उनकी रुचि हो और प्रत्येक दिन पढ़ने के लिए अलग से समय निर्धारित करें।

रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहें: छात्रों को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें जैसे ड्राइंग, पेंटिंग, कहानी या कविता लिखना, शिल्प बनाना, या यहां तक कि अपने स्वयं के वीडियो या लघु फिल्म बनाना।

परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं: गर्मी की छुट्टियां छात्रों के लिए परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ने का एक बेहतरीन समय है। एक साथ मज़ेदार सैर या गतिविधियों की योजना बनाएं, जैसे किसी संग्रहालय या मनोरंजन पार्क में जाना, पिकनिक मनाना या समुद्र तट पर जाना।

कुछ नया सीखें गर्मी की छुट्टियां छात्रों के लिए कुछ नया सीखने का एक सही समय है। उन्हें खाना पकाने, फोटोग्राफी, या एक नई भाषा सीखने जैसे नए शौक या कौशल को आजमाने के लिए प्रोत्साहित करें।

याद रखें, गर्मी की छुट्टी छात्रों के आराम करने, आराम करने और रिचार्ज करने का समय है। उन्हें ऐसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें जो मज़ेदार, आकर्षक हों और उन्हें सीखने और बढ़ने में मदद करें।

मतदाता दिवस

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Overcrowding and a lack of exits blamed in deadly stampede at Indian festival

A woman at the scene of the deadly stampede in Uttar Pradesh, India.

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Severe overcrowding and a lack of exits contributed to a stampede that killed at least 121 people at a religious festival in northern India as the faithful surged toward the preacher and chaos ensued among the quarter of a million attendees, authorities said Wednesday.

As police searched for the organizers of the event, an attorney for the preacher said he would cooperate with authorities. More than two dozen injured people were still being treated.

Deadly stampedes are relatively common at Indian religious festivals, where large crowds gather in small areas with poor infrastructure and few safety measures.

The event had been permitted to accommodate only 80,000 people. It’s not clear how many made it inside the giant tent set up in a muddy field in a village in the Hathras district in Uttar Pradesh state.

It was not clear what sparked the stampede. The state’s chief minister, Yogi Adityanath, told reporters that a crowd rushed toward the preacher to touch him as he was descending from the stage, and security volunteers struggled to intervene.

Relatives mourn next to the bodies of their relatives outside the Sikandrarao hospital in Hathras district about 350 kilometers (217 miles) southwest of Lucknow, India, Tuesday, July 2, 2024. A stampede among thousands of people at a religious gathering in northern India killed at least 60 and left scores injured, officials said Tuesday, adding that many women and children were among the dead and the toll could rise. (AP Photo)

World & Nation

Stampede at religious event in India kills more than 100, mostly women and children

At least 116 people — mostly women and children — died, said Prashant Kumar, the director-general of police in northern India’s state of Uttar Pradesh, where the stampede occurred.

July 2, 2024

An initial report from police suggested that thousands of people then thronged the exits and many slipped and fell on the muddy ground, causing them to be crushed. Most of the dead were women.

The chaos appeared to continue outside the tent when people ran toward the preacher, a Hindu guru known locally as Bhole Baba, as he left in a vehicle. His security personnel pushed the crowd back, causing more people to fall, according to officials.

Authorities were investigating and searching for the organizers, whose whereabouts were not known. Police registered a case of culpable homicide against two organizers, but excluded the preacher. Culpable homicide carries a maximum punishment of life imprisonment. Adityanath said he ordered an inquiry by a retired judge into the deaths.

A.P. Singh, an attorney representing the preacher, blamed some “antisocial elements” for disrupting the peace and creating chaos, the Press Trust of India news agency reported.

Muslim pilgrims use umbrellas to shield themselves from the sun as they arrive to cast stones at pillars in the symbolic stoning of the devil, the last rite of the annual hajj, in Mina, near the holy city of Mecca, Saudi Arabia, Tuesday, June 18, 2024. Muslim pilgrims were wrapping up the Hajj pilgrimage in the deadly summer heat on Tuesday with the third day of the symbolic stoning of the devil, and the farewell circling around Kaaba in Mecca's Grand Mosque. (AP Photo/Rafiq Maqbool)

Hundreds died during Hajj pilgrimage in Saudi Arabia amid intense heat, officials say

Saudi Arabia has not commented on the death toll, but one list circulating online suggested at least 550 people died during the five-day Hajj.

June 19, 2024

“The preacher is ready to cooperate with state authorities and the police,” PTI quoted Singh as saying in an interview.

Binod Sokhna, who lost his mother, daughter and wife in the melee, wept as he walked out of a morgue on Wednesday.

“My son called me and said, ‘Papa, Mother is no more. Come here immediately.’ My wife is no more,” he said.

The preacher’s Sri Jagat Guru Baba organization had spent more than two weeks preparing for the event. Followers from across the state — India’s most populous with over 200 million people — traveled to the village, with rows of parked vehicles stretching nearly 2 miles.

A girl covers her head with a repurposed engine oil container to shield herself from the sun as she walks to collect water from a leaking municipal pipe on a hot summer day on the outskirts of Jammu, India, Friday, May 31, 2024. Officials say a scorching heat wave has killed at least 14 people, including 10 election officials, in eastern India with temperatures soaring up to 49.9 degrees Celsius (122 degrees Fahrenheit) in parts of India this week. (AP Photo/Channi Anand)

Scorching heat wave kills 14 in India ahead of a final round of election voting Saturday

Temperatures hit 122 degrees and at least 14 people, including 10 election officials, are dead as heat wave scorches India on eve of final vote.

May 31, 2024

State official Ashish Kumar said there were insufficient exits in the tent. Experts said the event violated safety norms. “The function was held in a makeshift tent without ensuring multiple exit routes,” said Sanjay Srivastava, a disaster management expert.

Sonu Kumar, one of many residents who helped move dead bodies after the stampede, recalled hearing “heart-wrenching” screams. He criticized the preacher: “He sat in his car and left. And his devotees here fell one upon another.”

In 2013, pilgrims visiting a temple for a popular Hindu festival in central Madhya Pradesh state trampled one another amid fears that a bridge would collapse. At least 115 were crushed to death or died in the river.

In 2011, more than 100 people died in a crush at a religious festival in the southern state of Kerala.

Banerjee and Singh write for the Associated Press. Banerjee reported from Lucknow, India. AP writer Krutika Pathi in New Delhi contributed to this report

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Deadly stampede in India blamed for at least 100 deaths, local official says

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NEW DELHI - At least 87 people were feared dead in a stampede at a Hindu religious gathering in India's northern state of Uttar Pradesh on Tuesday, broadcaster NDTV reported.

A local official told India Today the death toll exceeded 100.

The stampede happened in a village in Hathras district, about 125 miles southeast of the national capital New Delhi, where authorities said a large crowd had gathered on an area of open ground in response to a call from a local religious leader.

District police spokesperson Manish Chikara put the death toll at about 60 people, but said that figure may rise.

Videos on social media showed bodies piled up on the ground outside a local hospital. Reuters could not immediately verify the images.

"The incident happened due to overcrowding at the time when people were trying to leave the venue," Hathras district administrator Ashish Kumar told reporters.

An unidentified witness told broadcaster India Today that there was a narrow exit at the venue: "As we tried to exit towards a field, suddenly a commotion started, and we didn't know what to do."

Uttar Pradesh is India's most populous state with more than 200 million people. Its Chief Minister Yogi Adityanath ordered an investigation.

"Instructions have been given to the concerned officials to conduct relief and rescue operations on war footing and to provide proper treatment to the injured," he posted on X.

(Reporting by Saurabh Sharma, Sudipto Ganguly, Shivam Patel; Editing by YP Rajesh and Sharon Singleton)

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Indian Sci-Fi Epic ‘Kalki 2898 AD’ Bows in Third Place Worldwide as ‘Inside Out 2,’ ‘A Quiet Place: Day One’ Lead International Box Office

By Naman Ramachandran

Naman Ramachandran

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Kalki 2898 AD

Indian sci-fi epic “ Kalki 2898 AD ” made a third place debut at the worldwide box office in a weekend led by “ Inside Out 2 ” and “A Quiet Place: Day One.”

Disney’s “Inside Out 2” collected $165 million worldwide, including $57.4 million in North America, in its third weekend of release and now has crossed a $1 billion gross, according to numbers from Comscore. Paramount’s “A Quiet Place: Day One” debuted with $98.5 million, including $53 million in North America, releasing across 60 territories.

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While the stars are A-listers immensely popular with Indian audiences, “Kalki 2898 AD” had to contend with another opiate of the masses – cricket. June 27 was the semi-final of the Men’s T20 World Cup, where India defeated England, and Saturday, June 29 was the final, where India beat South Africa. “Kalki 2898 AD” managed to overcome these challenges and was the highest grossing film in India.

In the U.K., the four-day total for “Kalki 2898 AD” was £888,603 ($1.1 million).

Sony’s “Bad Boys: Ride or Die” enjoyed a worldwide weekend of $23.4 million in fourth position internationally, and now has a total of $332 million after four weekends on release, according to the Comscore data. Rounding off the worldwide top five was “Despicable Me 4” with $13.8 million internationally for a total of $25.3 million.

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