essay on pollution and its effects in hindi

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Pollution (प्रदूषण)

प्रदूषण पर निबंध – इस लेख में प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के स्रोत, प्रदूषण के परिणाम, प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे में जानेंगे | जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व मिलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में प्रदूषण पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में प्रदूषण  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

  • प्रदूषण पर 10 लाइन
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
  • Also See: World Environment Day Slogans, Quotes, and Sayings

प्रदूषण पर 10 लाइन 10 lines on Pollution in Hindi

  • वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हर किसी के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।
  • प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। 
  • प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण लगातार वनों की कटाई और बढ़ती हुई जनसंख्या है। 
  • वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं।
  • इन प्रदूषणों के कारण ही जलीय जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं और लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है।
  • इन प्रदूषणों से नदी-झील, सागर-महासागर, पर्वत भी प्रभावित हो रहे हैं।
  • बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण प्रदूषण भी है।
  • प्रदूषण की समस्या केवल एक देश का नही है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।
  • भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • भारत में हर साल 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 

Short Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

प्रदूषण पर निबंध/अनुच्छेद – प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है, एक प्रकार का हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी, धूल-मिट्टी आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंचाता है। आज, इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

प्रदूषण आज के समय में एक बहुत ही गंभीर समस्या है और इससे हर किसी का जीवन प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण बढ़ने का प्राथमिक कारण निरंतर वनों की कटाई और बढ़ती जनसंख्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, इसके मुख्य प्रकार है। वायु, जल, भूमि में प्रदूषण हानिकारक तत्वों के मिलने से फैलता है और जबकि ध्वनि प्रदूषण, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर के ध्वनि से उत्पन्न होता है। इन प्रदूषणों के बढ़ने से लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है, और बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी मर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने बेहतर भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

प्रदूषण एक हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी और धूल जैसे कई विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण को धीरे-धीरे खराब और नुकसान पहुंचा रहा है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों की जान खतरे में है। इसी कारण बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। ये प्रदूषण तब होता है जब प्रकृति के विभिन्न भागों में असंतुलन होता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण इसके विभिन्न प्रकार हैं। वाहनों और कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस वायु प्रदूषण का कारण बन रही है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों को श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं। जल प्रदूषण कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले कचरे को सीधे नदियों में छोड़े जाने के कारण होता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग से होता है। रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्या का कारण बन रही हैं। आज प्रदूषण को रोकने और स्वस्थ वातावरण प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की बहुत आवश्यकता है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह समस्या  सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। जिसकी चपेट में धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है। इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिख रहा है। प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति में संतुलन न होना, जीवन के लिए सभी जरूरी चीजों का दूषित हो जाना। जैसे- शुद्ध हवा न मिलना, शुद्ध जल न मिलना, शुद्ध भोजन व वातावरण न मिलना। प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण । इनमें से वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों, उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्रोतों से निकलने वाले हानिकारक धुएं से इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां होती हैं। जल प्रदूषण तब होता है जब कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले हानिकारक कचरे सीधे तौर पर नदियों, झीलों और महासागरों के पानी में बहा दिया जाता है और यह प्रदूषण जलीय जीवों को काफी नुकसान पहुंचाता है और मनुष्यों को स्वच्छ पानी तक पहुंच से वंचित कर देता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक पदार्थों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है, जिससे खेती की गई फसलें प्रदूषित हो जाती हैं। नतीजतन, इन दूषित फसलों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। ध्वनि प्रदूषण भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि से होती  है जो की सुनने की समस्या और कभी कभी बहरेपन का कारण बनती हैं। इन प्रदूषण के लिए मनुष्य जिम्मेदार है क्योंकि मनुष्य अपने लाभ के लिए दिन रात प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। इसलिए मनुष्य को ही प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में किसी भी पदार्थ की असंतुलित मात्रा में उपस्थिति से है। यह वैज्ञानिक प्रगति का एक नकारात्मक परिणाम है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार बन रही है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण– ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओज़ोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। अत्यधिक वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं। प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुआं वायु को प्रदूषित कर रहा है और शहरों और महानगरों से निकलने वाला कचरा साफ पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कारखाने गंदा पानी नदियों में छोड़ रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।  यातायात के आधुनिक साधन जहां एक तरफ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँच रहा है। भूमि प्रदूषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। यह प्रदूषण सभी प्राणियों के लिए हानिकारक है, यह हवा, पानी और धूल जैसे विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों और पौधों को नुकसान पहुँचाता है। आज इसी प्रदूषण के कारण सभी प्राणियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए। इसके लिए वनों की कटाई को रोकना और जल स्रोतों के प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है। यदि मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर ले तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि नहीं, तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।

Long Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण  पर निबंध (1500 शब्दों में)

  pollution essay in hindi – प्रदूषण पर निबंध.

In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution

Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

Here are some Important Points for प्रदूषण पर निबंध i.e is covered in this Article

  • Essay on Pollution in Hindi
  • प्रस्तावना (Preface)
  • प्रदूषण का अर्थ (What is Pollution (Meaning))
  • प्रदूषण के कारण (Reason for Pollution)
  • प्रदूषण के स्त्रोत (Sources of Pollution)
  • प्रदूषण के परिणाम (Consequences of Pollution)
  • प्रदूषण को रोकने के उपाय (Steps to Reduce Pollution)
  • उप-संहार / सारांश

प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र  एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप  प्रदूषण न केवल मानव जाति  बल्कि  समस्त  प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति  जानता भी है और समझता भी है |
  • लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक  रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा  में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों  ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
  • इस  प्रदूषण की सीमा केवल  धरती  ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |

Top प्रस्तावना – Preface

  • यदि जल दूषित है तो जल प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
  • वायु प्रदूषित है तो सांस  लेना ही दुर्भर हो जायेगा भाव कि जीवन ही खतरे में है | शुद्ध वायु प्राणो के लिए , श्वास प्रक्रिया  के लिए बहुत ही आवश्यक है।

इसी तरह मिट्टी हमारी मूल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति  के लिए जरूरी है | खाने – पीने के लिए अनाज , शुद्ध हवाओं के लिए पेड़ पौधे  भी हमें इसी से मिलते हैं|  इसके बगैर हम प्राणी जगत और मानव जाती के विकास के बारे में सोच भी नहीं सकते | और यदि वातावरण में शोर अधिक मात्रा में है तो यह ध्वनि प्रदूषण है जो कि  मानसिक असंतुलन का कारण बनता है  |

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प्रदूषण का अर्थ – Meaning of Pollution

भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो असंतुलित होते है | और यह असंतुलन ही प्रदूषण है | इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं | इसके अतिरिक्त जो कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का कारण है| अतः  हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

प्रदूषण के कारण  – Reason For Pollution

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण के स्त्रोत – Sources of Pollution

प्रदूषण के स्त्रोतों को  निम्न  श्रेणियों  में बाँटा जा सकता है  : 1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा  हुआ  पानी,कूलरो  मे पड|  पानी , पौधो मे जम|  पानी 2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ 3. प्लास्टिक 4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि। 5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश । 6.  गंदा पानी 7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी। 8. ध्वनि। 9. ऊष्मा। 10. जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम – Consequences of Pollution

  • आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | और इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है |
  •  अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि  मच्छर, मख्खियाँ  इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती |
  • पीने   का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |

प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent pollution

दैनिक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके  इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं। 1.बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है। 2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए | 3.पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है। 5.कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें । 6. अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं। 7.कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह   प्रदूषण का एक कारण है। डिजिटल प्रयोग  अच्छा विकल्प  है। 8. पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें। 9.प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें । 10.घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए। 11.खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके । 12. हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके  । 13. यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  | 14.हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहार

उप-संहार / सारांश – Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा | न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी | प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा | जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे | जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे | विकास का  केवल  एक रास्ता शहर नही  गाँव  की  जीवन  शैली पर चलो प्रकृति से दूर नही , विपरीत नही बल्कि  इसके साथ्  हो  चलो जीवन आसान नही श्रमिक  और कृषक से हो चलो श्रमिक  और कृषक से हो चलो शुद्धता  जो चाहिये तो जीवन शैली बदल चलो ,प्र्दूषन को दूर कर प्रकृति से दूर नही, पास हो चलो, पास हो चलो |

प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इन सवालों के जवाब आपको प्रदूषण पर अपने निबंध में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु प्रदान करेंगे।

प्रदूषण वास्तव में क्या है? पर्यावरण में मौजूद संदूषण या रसायन, या पर्यावरण में उनका परिचय, जिसे प्रदूषण कहा जाता है। इन प्रदूषकों या पदार्थों की उपस्थिति या परिचय जीवित प्राणियों और प्राकृतिक दुनिया के लिए हानिकारक या असुविधाजनक हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न रूप क्या हैं? प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ।

प्रदूषित वायु में योगदान करने वाले कारक क्या हैं? वायु प्रदूषण कई अलग-अलग कारकों का परिणाम है, जिसमें ऑटोमोबाइल और औद्योगिक गतिविधियों से उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन का जलना और जंगलों का विनाश शामिल है।

प्रदूषित जल के कुछ परिणाम क्या हैं? पानी का प्रदूषण जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है, जो तब पारिस्थितिक तंत्र को परेशान कर सकता है, और जो पानी वे पीते हैं उसे दूषित करके लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकते हैं।

मृदा संदूषण वास्तव में क्या है? मिट्टी में जहरीले यौगिकों की उपस्थिति, जो पौधों, जानवरों और अंततः इन संसाधनों पर निर्भर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकती है, को मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

“ध्वनि प्रदूषण” से वास्तव में क्या अभिप्राय है? ध्वनि जो अत्यधिक, अवांछित, या परेशान करने वाली है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्यजीवों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।

औद्योगीकरण किन विशिष्ट तरीकों से प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है? वायु, जल और भूमि में हानिकारक रसायनों और अपशिष्ट उत्पादों का निर्वहन सबसे आम तरीकों में से एक है जिससे औद्योगीकरण प्रदूषण का कारण बनता है। “प्रकाश प्रदूषण” का वास्तव में क्या अर्थ है? “प्रकाश प्रदूषण” शब्द कृत्रिम प्रकाश की अधिकता या इसके गलत दिशा को संदर्भित करता है, दोनों के मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्य जीवन और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

प्रदूषण कम करने के समग्र लक्ष्य में व्यक्ति कैसे योगदान दे सकते हैं? कचरे में कमी , ऊर्जा का संरक्षण , सार्वजनिक परिवहन या हाइब्रिड वाहन का उपयोग, और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के सभी तरीके हैं जिनमें व्यक्ति प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण को रोकने और साफ करने में सरकार की क्या भूमिका है? प्रदूषण के स्तर को कम करने और प्रदूषण को रोकने के लक्ष्यों के साथ सरकार द्वारा कानूनों और विनियमों की स्थापना और पालन, प्रदूषण नियंत्रण के दो सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

essay on pollution and its effects in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध

इस लेख / निबंध में आप प्रदूषण की समस्या और प्रदूषण को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है।प्रदूषण आज दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए है हमे मिलकर इसका सामना करना होगा। Here we providing Essay on Pollution in Hindi- you will get know-What is Pollution, type of pollution,  Causes of pollution &  Measures to Prevent Pollution, Pollution Essay in Hindi for class 5,6,7,8,9,10,11,12

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध ( पोल्लुशन पर एस्से )

प्रदूषण पर निबंध in 100 words

प्रदुषण आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है और इसका उत्पन्न मनुष्य की गतिविधियों से हुआ है। उसने अपनी प्रगति के लिए कारखानों वाहनों का निर्माण किया जिससे निकलने वाला धुआँ वातावरण को प्रदुषित करता है। प्रदुषण के कारण स्वास्थय पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें बढ़ते हुए प्रदुषण को रोकने की आवश्यक्ता है जिसके लिए हमें ज्यादा सो ज्यादा पेडय लगाने चाहिए और पर्यावरण को दुषित करने वाली चीजें जैसे पॉलीथीन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। वातावरण को प्रदुषण मुक्त बनाना हमारा कर्तव्य है।

Pollution Essay in Hindi ( 150 words )

पर्यावरण- प्रदूषण का अर्थ है- वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है वाय-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है-बढ़ती जनसंख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ वायुमंडल में साँस लेना दूबर हो जाता है। जल-प्रदषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही है।परिणामस्वरूप हमें प्रदूषित फसले मिलती है और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपूओं, फैक्टरियों रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ रही हैं। प्रदषण से मुक्ति के उपाय हैं आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को काम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनपान करना। घातक बीमारियां पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना अदि। आज यह समस्या विश्व भर में व्याप्त है। इसलिए विश्व-समुदाय को मिलकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे।

Pradushan essay in Hindi ( 200 words )

प्रदुषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिससे हमारा समस्त वातावरण दुषित होता जा रहा है और इसका नकारात्मक प्रभाव सभी जैविक और अजैविक चीजों पर पड़ता है। पृथ्वी में भौतिक और रसायनिक तत्वों में बदलाव होने के कारण प्रदुष होता है यानि कि किसी भी चीज का दुषित होना प्रदुषण कहलाता है। प्रदुषण चार प्रकार होता है जैसे वायु प्रदुषण, दल प्रदुषण, भूमि प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण। इसके कारण जलवायु में भी परिवर्तन होता है बहुत सी बिमारियाँ भी फैलती हैं। मनुष्य के क्रिया कलापों के कारण ही वातावरण में प्रदुषण की मात्रा बढ़ी है। पेड़ काटने, खुले में कचरा फेंकने, पॉलीथिन आदि के प्रयोग से प्रदुषण में वृद्धि हुई है।

प्रदुषण के कारण लोगौं का जीवन दुष्वार होता जा रहा है और हमें इस बढ़ते प्रदुषण को रोकने की आवश्यकता है अन्यथा एक दिन वनस्पति और मनुष्य का जीवन खतरे में आ जाऐगा। हमें पेड़ो को काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और पर्यायवरण के लिए हीनिकारक वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रदुषण को रोकने का उपाय हम सबको मिलकर करना होगा और वातावरण को सुरक्षित रखना होगा। प्रदुषण से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बताना चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए।

Essay on Pollution in Hindi ( 800 words )

भूमिका – मानव ने जब प्रकृति माता की गोद में आँखें खोलीं तो उसने अपने चारों ओर उज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान पाया। वन प्रदेशों की मनोहर हरियाली में उसने जीवन के मधुरतम सपने देखे। उसका पेड़-पौधों से, फल, फूलों से, चहकते पक्षियों से, प्रभात और संध्याबेला से नित्य का संबंध था। प्रकृति के आंगन में खेलते हुए उसने पाया पुष्ट , निरोग शरीर और उत्साह-उल्हास से लबालब तनावहींन मानस। किन्तु धीरे-धीरे उसके मन में प्रकृति पर शासन करने की लालसा जागी। उसने प्रकृति को माँ के स्थान से हटाकर दासी के स्थान पर धकेलना चाहा। इसको नाम दिया गया ‘वैज्ञानिक-प्रगति।” आज वैज्ञानिक युग में मानव जीवन के सामने अनेक समस्याएं है। विज्ञानं ने जहा एक और सुख सुविद्याएँ उत्पन करके मानव जीवन को सुखी बनाया, वहां मनुष्य के जीवन में अनेक दुखो को भी जनम दिया है। अंत: विज्ञानं अगर वरदान है तो अभिशाप भी है। आज प्रदूषण विज्ञानं का प्रमुख अभिशाप है जिसे संसार के अधिकतर लोगो को भोगना पड़ रहा है। प्रदूषण की यह समस्या सारे संसार में फैल चुकी है।

प्रदूषण के प्रकार ( Types of pollution )

आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण के मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं –

1. जल प्रदूषण ( Water Pollution ) – जल मानव-जीव के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परंपरागत स्रोत हैं- कुएँ तालाब, नदी तथा वर्षा का जल । प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जल स्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अकथनीय है। गंगा यमुना, गोमती सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी है।

2. वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) -वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वादु निरंतर शरीर में जाती है। आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा खंड प्रलय मचाते रहते हैं।

3. खाद्य प्रदूषण ( Food pollution ) -प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशुपक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

4. ध्वनि प्रदूषण ( Noise pollution ) -आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा है। कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्यक्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति की किरपा के फलसरूप आज मनुष्य कर्कश, असहनीय और श्रवणशक्ति को क्षींण करने वाली ध्वनियों के समुद्र में रहने को मजबूर है। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर आदि सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

प्रदूषण बढ़ने के कारण ( Causes of pollution )

-प्राय: हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्ध के लिये हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति  तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। चर्म उद्योग, कागज़ उद्योग, छपाई उदयोग, वस्तर उदयोग और नाना प्रकार के रासायनिक उद्योगों का कचरा और प्रदूषित जल लाखों लीटर की मात्रा में रोज़ नदियों में बहाया जाता है या जमीन में समाया जा रहा है। गंगा जल जोकि वर्षों तक शुद्ध और अविकृत रहने के लिए प्रसिद्ध था, वह भी हमारे पापों से मलीन हो गया है।

वाहनों का विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में गरल घोल रही हैं। प्रगति और समृद्ध के नाम पर जहरीला व्यापार दिन दुगुना बढ़ता जा रहा है। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक, वैज्ञानिक और जीवन स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछुंदर जैसी हो रही है।

प्रदूषण रोकने के उपाय ( Measures to Prevent Pollution )

– प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। इसका पूर्ण रूप से उन्मूलन न भी हो सके तो इसे हानिरहित सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये कुछ कठोर, अप्रिय और असुविधाजनक उपाय भी अपनाने पड़ेंगे।

प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिये। उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिये।

ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति भी तभी मिलेगी जब कि वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग रोका जाए। हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बने और वायु मार्ग भी बस्तियों के ठीक ऊपर से न गुजरें। रेडियो, टेप तथा लाउडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए।

उपसंहार- प्रदूषण की समस्या मनुष्य का अदृश्य शत्रु है। धीरे धीरे यह मानव-जीवन को निगलने के लिये बढ़ी आ रही है। यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिये तरस जायेगा। प्रशासन और जनता दोनों प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है। गंगा सफ़ाई अभियान प्रशासन का ऐसा ही प्रयास था, किंतु ये आयोजन सिर्फ एक प्रशासकीय फैशन या तमाशा बन कर नहीं रह जाएं। एक स्वच्छ और स्वास्थ्यकर विश्व में रहना है तो प्रदूषण से लड़ना ही होगा।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में: प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, नियंत्रण के उपाय

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: (essay on environmental pollution in hindi), पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते है (what is environmental pollution).

प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषक पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है - 'हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना', जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ कुछ वरदान मिले है, वहीं कुछ अभिशाप भी मिले हैं। 'प्रदूषण' एक ऐसा अभिशाप हैं, जो विज्ञान की गर्भ से जन्मा हैं और आज जिसे सहने के लिए विश्व की अधिकांश जनता मजबूर हैं। पर्यावरण प्रदूषण में मानव की विकास प्रक्रिया तथा आधुनिकता का महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ तक मानव की वे सामान्य गतिविधियाँ भी प्रदूषण कहलाती हैं, जिनसे नकारात्मक फल मिलते हैं। उदाहरण के लिए उद्योग द्वारा उत्पादित नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषक हैं। हालाँकि उसके तत्व प्रदूषक नहीं हैं। यह सूर्य की रोशनी की ऊर्जा है, जो कि उसे धुएँ और कोहरे के मिश्रण में बदल देती है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार:

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution)
  • भूमि प्रदूषण (Land Pollution)
  • प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

1. जल प्रदूषण किसे कहते है? (What is Water Pollution in Hindi)

जल प्रदूषण: जल में किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति, जो जल के स्वाभाविक गुणों को इस प्रकार परिवर्तित कर दे कि जल स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो जाए या उसकी उपयोगिता कम हो जाए जल प्रदूषण कहलाता है। अन्य शब्दों में ऐसे जल को नुकसानदेह तथा लोक स्वास्थ्य को या लोक सुरक्षा को या घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषीय या अन्य वैद्यपूर्ण उपयोग को या पशु या पौधों के स्वास्थ्य तथा जीव-जन्तु को या जलीय जीवन को क्षतिग्रस्त करें, जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण के कारण: (Causes of Water Pollution in Hindi)

जल प्रदूषण के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैः

  • मानव मल का नदियों, नहरों आदि में विसर्जन।
  • सफाई तथा सीवर का उचित प्रबंध्न न होना।
  • विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपने कचरे तथा गंदे पानी का नदियों, नहरों में विसर्जन।
  • कृषि कार्यों में उपयोग होने वाले जहरीले रसायनों तथा खादों का पानी में घुलना।
  • नदियों में कूड़े-कचरे, मानव-शवों और पारम्परिक प्रथाओं का पालन करते हुए उपयोग में आने वाले प्रत्येक घरेलू सामग्री का समीप के जल स्रोत में विसर्जन।

जल प्रदूषण के प्रभाव: (Impacts of Water Pollution)

जल प्रदूषण के निम्नलिखित प्रभाव हैः

  • इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।
  • इससे विभिन्न जीव तथा वानस्पतिक प्रजातियों को नुकसान पहुँचता है।
  • इससे पीने के पानी की कमी बढ़ती है, क्योंकि नदियों, नहरों यहाँ तक कि जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Water Pollution)

जल प्रदूषण पर निम्नलिखित उपायों से नियंत्रण किया जा सकता है-

  • वाहित मल को नदियों में छोड़ने के पूर्व कृत्रिम तालाबों में रासायनिक विधि द्वारा उपचारित करना चाहिए।
  • अपमार्जनों का कम-से-कम उपयोग होना चाहिए। केवल साबुन का उपयोग ठीक होता है।
  • कारखानों से निकले हुए अपशिष्ट पदार्थों को नदी, झील एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।
  • घरेलू अपमार्जकों को आबादी वाले भागों से दूर जलाशयों मे डालना चाहिए।
  • जिन तालाबों का जल पीने का काम आता है, उसमें कपड़े, जानवर आदि नहीं धोने चाहिए।
  • नगरों व कस्बों के सीवेज में मल-मूत्र, कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ तथा जीवाणु होते हैं। इसे आबादी से दूर खुले स्थान में सीवेज को निकाला जा सकता है या फिर इसे सेप्टिक टैंक, ऑक्सीकरण ताल तथा फिल्टर बैड आदि काम में लाए जा सकते हैं।
  • बिजली या ताप गृहों से निकले हुए पानी को स्प्रे पाण्ड या अन्य स्थानों से ठंडा करके पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

2. वायु प्रदूषण किसे कहते है? (What is Air Pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण: वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण है जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक 78 प्रतिशत होती है, जबकि 21 प्रतिशत ऑक्सीजन तथा 0.03 प्रतिशत कार्बन डाइ ऑक्साइड पाया जाता है तथा शेष 0.97 प्रतिशत में हाइड्रोजन, हीलियम, आर्गन, निऑन, क्रिप्टन, जेनान, ओज़ोन तथा जल वाष्प होती है। वायु में विभिन्न गैसों की उपरोक्त मात्रा उसे संतुलित बनाए रखती है। इसमें जरा-सा भी अन्तर आने पर वह असंतुलित हो जाती है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है। श्वसन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। जब कभी वायु में कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की वृद्धि हो जाती है, तो ऐसी वायु को प्रदूषित वायु तथा इस प्रकार के प्रदूषण को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण: (Causes of Air Pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण के कुछ सामान्य कारण हैं:

  • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुँआ तथा रसायन।
  • आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण।
  • जंगलों में पेड़ पौधें के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धूआँ।

वायु प्रदूषण का प्रभाव: (Impacts of Air Pollution)

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण तथा हमारे ऊपर अनेक प्रभाव डालता है। उनमें से कुछ निम्नलिखित है :

  • हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पंक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, श्रवण शक्ति का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे समय के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी चरमसीमा पर यह घातक भी हो सकती है।
  • वायु प्रदूषण से सर्दियों में कोहरा छाया रहता है, जिसका कारण धूएँ तथा मिट्टी के कणों का कोहरे में मिला होना है। इससे प्राकृतिक दृश्यता में कमी आती है तथा आँखों में जलन होती है और साँस लेने में कठिनाई होती है।
  • ओजोन परत, हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक सुरक्षात्मक गैस की परत है। जो हमें सूर्य से आनेवाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। वायु प्रदूषण के कारण जीन अपरिवर्तन, अनुवाशंकीय तथा त्वचा कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं।
  • वायु प्रदुषण के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, क्योंकि सूर्य से आने वाली गर्मी के कारण पर्यावरण में कार्बन डाइ आक्साइड, मीथेन तथा नाइट्रस आक्साइड का प्रभाव कम नहीं होता है, जो कि हानिकारक हैं।
  • वायु प्रदूषण से अम्लीय वर्षा के खतरे बढ़े हैं, क्योंकि बारिश के पानी में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड आदि जैसी जहरीली गैसों के घुलने की संभावना बढ़ी है। इससे फसलों, पेड़ों, भवनों तथा ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुँच सकता है।

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Air Pollution)

वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं-

  • जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
  • लोगो को वायु प्रदूषण से होने वाले नुक्सान और रोगों के बारे में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।
  • धुम्रपान पर नियंत्रण लगा देना चाहिए।
  • कारखानों के चिमनियों की ऊंचाई अधिक रखना चाहिए।
  • कारखानों के चिमनियों में फिल्टरों का उपयोग करना चाहिए।
  • मोटरकारों और स्वचालित वाहनों को ट्यूनिंग करवाना चाहिए ताकि अधजला धुआं बाहर नहीं निकल सकें।
  • अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • उद्योगों की स्थापना शहरों एवं गांवों से दूर करनी चाहिए।
  • अधिक धुआं देने वाले स्वचालितों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
  • सरकार द्वारा प्रतिबंधात्मक कानून बनाकर उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

3. ध्वनि प्रदूषण किसे कहते है? (What is Sound Pollution in Hindi)

ध्वनि प्रदूषण: जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है तो वह कानों को अप्रिय लगने लगती है। इस अवांछनीय अथवा उच्च तीव्रता वाली ध्वनि को शोर कहते हैं। शोर से मनुष्यों में अशान्ति तथा बेचैनी उत्पन्न होती है। साथ ही साथ कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वस्तुतः शोर वह अवांक्षनीय ध्वनि है जो मनुष्य को अप्रिय लगे तथा उसमें बेचैनी तथा उद्विग्नता पैदा करती हो। पृथक-पृथक व्यक्तियों में उद्विग्नता पैदा करने वाली ध्वनि की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। वायुमंडल में अवांछनीय ध्वनि की मौजूदगी को ही 'ध्वनि प्रदूषण' कहा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण (Causes of Sound Pollution in Hindi): रेल इंजन, हवाई जहाज, जनरेटर, टेलीफोन, टेलीविजन, वाहन, लाउडस्पीकर आदि आधुनिक मशीनें।

ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव (Impacts of Sound Pollution in Hindi): लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से श्रवण शक्ति का कमजोर होना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, उच्चरक्तचाप अथवा स्नायविक, मनोवैज्ञानिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं। लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से स्वाभाविक परेशानियाँ बढ़ जाती है।

ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Sound Pollution)

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं-

  • लोगों मे ध्वनि प्रदूषण से होने वाले रोगों के बारे में उन्हें जागरूक करना चाहिए।
  • कम शोर करने वाले मशीनों-उपकरणों का निर्माण एवं उपयोग किए जाने पर बल देना चाहिए।
  • अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले मशीनों को ध्वनिरोधी कमरों में लगाना चाहिए तथा कर्मचारियों को ध्वनि अवशोषक तत्वों एवं कर्ण बंदकों का उपयोग करना चाहिए।
  • उद्योगों एवं कारखानों को शहरों या आबादी से दूर स्थापित करना चाहिए।
  • वाहनों में लगे हार्नों को तेज बजाने से रोका जाना चाहिए।
  • शहरों, औद्योगिक इकाइयों एवं सड़कों के किनारे वृक्षारोपण करना चाहिए। ये पौधे भी ध्वनि शोषक का कार्य करके ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं।
  • मशीनों का रख-रखाव सही ढंग से करना चाहिए।

4. भूमि प्रदूषण किसे कहते है? (What is Land Pollution in Hindi)

भूमि प्रदूषण: भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में कोई ऐसा अवांछनीय परिवर्तन जिसका प्रभाव मानव तथा अन्य जीवों पर पड़े या जिससे भूमि की गुणवत्त तथा उपयोगित नष्ट हो, 'भूमि प्रदूषण' कहलाता है। इसके अन्तर्गत घरों के कूड़ा-करकट के अन्तर्गत झाड़न-बुहारन से निकली धूल, रद्दी, काँच की शीशीयाँ, पालीथीन की थैलियाँ, प्लास्टिक के डिब्बे, अधजली लकड़ी, चूल्हे की राख, बुझे हुए, अंगारे आदि शामिल हैं।

भूमि प्रदूषण के कारण:(Causes of Land Pollution in Hindi)

भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:-

  • कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग।
  • औद्योगिक इकाईयों, खानों तथा खादानों द्वारा निकले ठोस कचरे का विसर्जन।
  • भवनों, सड़कों आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन।
  • कागज तथा चीनी मिलों से निकलने वाले पदार्थों का निपटान, जो मिट्टी द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते।
  • प्लास्टिक की थैलियों का अधिक उपयोग, जो जमीन में दबकर नहीं गलती।
  • घरों, होटलों और औद्योगिक इकाईयों द्वारा निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों का निपटान, जिसमें प्लास्टिक, कपड़े, लकड़ी, धातु, काँच, सेरामिक, सीमेंट आदि सम्मिलित हैं।

भूमि प्रदूषण के प्रभाव: (Impact of Land Pollution in Hindi)

भूमि प्रदूषण के निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव हैः

  • कृषि योग्य भूमि की कमी।
  • भोज्य पदार्थों के स्रोतों को दूषित करने के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक।
  • भूस्खलन से होने वाली हानियाँ।
  • जल तथा वायु प्रदूषण में वृद्धि।

भूमि प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Soil Pollution)

मृदा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:-

  • मृत प्राणियों, घर के कूड़ा-करकट, गोबर आदि को दूर गड्ढे में डालकर ढक देना चाहिए।
  • हमें खेतों में शौच नहीं करनी चाहिए बल्कि घर के अन्दर ही शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • मकान व भवन को सड़क से कुछ दूरी पर बनाना चाहिए।
  • मृदा अपरदन को रोकने के लिए आस-पास घास एवं छोटे-छोटे पौधे लगाना चाहिए।
  • घरों में साग-सब्जी को उपयोग करने के पहले धो लेना चाहिए।
  • गांवों में गोबर गैस संयंत्र अर्थात् गोबर द्वारा गैस बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे ईंधन के लिए गैस भी मिलेगी तथा गोबर खाद।
  • ठोस पदार्थ अर्थात् टिन, तांबा, लोहा, कांच आदि को मृदा में नहीं दबाना चाहिए।

5. सामाजिक प्रदूषण किसे कहते है? (What is Social Pollution in Hindi)

सामाजिक प्रदूषण जनसँख्या वृद्धि के साथ ही साथ शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक मूल्यों का ह्रास होना आदि शामिल है। सामाजिक प्रदूषण का उद्भव भौतिक एवं सामाजिक कारणों से होता है। अत: आवश्यकता इस बात की है कि सरकार के साथ स्वयं नागरिकों को जागरूक होने कि जरुरत है जिससे इस सामाजिक प्रदूषण से बचा जा सके

सामाजिक प्रदूषण के कारण: (Causes of Social Pollution in Hindi)

सामाजिक प्रदूषण को निम्न उपभागों में विभाजित किया जा सकता है:-

  • जनसंख्या विस्फोट( जनसंख्या का बढ़ना)।
  • सामाजिक प्रदूषण (जैसे सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ापन, अपराध, झगड़ा फसाद, चोरी, डकैती आदि)।
  • सांस्कृतिक प्रदूषण।
  • आर्थिक प्रदूषण (जैसे ग़रीबी)।

6. प्रकाश प्रदूषण किसे कहते है? (What is Light Pollution in Hindi)

प्रकाश प्रदूषण, जिसे फोटोपोल्यूशन या चमकदार प्रदूषण के रूप में भी जाना जाता है, यह अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश के कारण होता है। प्रकाश का प्रदूषण हमारे घरों में दरवाजों और खिड़कियों के जरिये बाहर सड़कों पर लगे हुए बिजली के खम्भों और लैम्पों से भी घुस आता है। जो मौजूदा जिन्दगी में अनिवार्य और जरूरी चीज बन जाता है। इस तरह का प्रदूषण पर्यावरण में प्रकाश की वजह से लगातार बढ़ रहा है। इसको रोकने या कम करने का तरीका यही है कि बिजली या रोशनी का उपयोग जरूरत पड़ने पर ही किया जाये। प्रकाश का प्रदूषण तीन तरह से फैलता है:-

  • 1. आसमान की चमक-दमक लालिमा से।
  • 2. घरों के अन्दर और बाहर से आने वाला प्रकाश। चौंधिया देने वाला तेज प्रकाश।
  • 3. लगातार निकलने वाली आसमान की चमक-दमक या लालिमा।

7. रेडियोधर्मी प्रदूषण किसे कहते है? (What is Radioactive Pollution in Hindi)

ऐसे विशेष गुण वाले तत्व जिन्हें आइसोटोप कहते हैं और रेडियोधर्मिता विकसित करते हैं, जिससे मानव जीव-जंतु, वनस्पतियों एवं अन्य पर्यावरणीय घटकों के हानि होने की संभावना रहती है, को नाभिकीय प्रदूषण या ‘रेडियोधर्मी प्रदूषण’ कहते हैं। परमाणु उर्जा उत्पादन और परमाणु हथियारों के अनुसंधान, निर्माण और तैनाती के दौरान उत्पन्न होता है।

  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत: आंतरिक किरणें, पर्यावरण (जल, वायु एवं शैल) तथा जीव-जंतु (आंतरिक)।
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण के मानव निर्मित स्रोत: रेडियो डायग्नोसिस एवं रेडियोथेरेपिक उपकरण, नाभिकीय परीक्षण तथा नाभिकीय अपशिष्ट।

रेडियोधर्मी प्रदूषण रोकने के उपाय: (Measures to prevent Radioactive Pollution)

रेडियोधर्मी प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:-

  • परमाणु ऊर्जा उत्पादक यंत्रों की सुरक्षा करनी चाहिए।
  • परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
  • गाय के गोबर से दीवारों पर पुताई करनी चाहिए।
  • गाय के दूध के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण से बचा जा सकता है।
  • सरकारी संगठनों एवं गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से जनजागरण करना चाहिए।
  • वृक्षारोपण करके रेडियोधर्मिता के प्रभाव से बचा जा सकता है।
  • रेडियोधर्मी पदार्थों का रिसाव सीमा में हो तथा वातावरण में विकिरण की मात्रा कम करनी चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य: (Important Facts About Environmental Pollution)

  • वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड का होना भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है, यदि वह धरती के पर्यावरण में अनुचित अन्तर पैदा करता है।
  • 'ग्रीन हाउस' प्रभाव पैदा करने वाली गैसों में वृद्धि के कारण भू-मण्डल का तापमान निरन्तर बढ़ रहा है, जिससे हिमखण्डों के पिघलने की दर में वृद्धि होगी तथा समुद्री जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती क्षेत्र, जलमग्न हो जायेंगे। हालाँकि इन शोधों को पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका स्वीकार नहीं कर रहा है।
  • प्रदूषण के मायने अलग-अलग सन्दर्भों से निर्धारित होते हैं। परम्परागत रूप से प्रदूषण में वायु, जल, रेडियोधर्मिता आदि आते हैं। यदि इनका वैश्विक स्तर पर विश्लेषण किया जाये तो इसमें ध्वनि, प्रकाश आदि के प्रदूषण भी सम्मिलित हो जाते हैं।
  • गम्भीर प्रदूषण उत्पन्न करने वाले मुख्य स्रोत हैं- रासायनिक उद्योग, तेल रिफायनरीज़, आणविक अपशिष्ट स्थल, कूड़ा घर, प्लास्टिक उद्योग, कार उद्योग, पशुगृह, दाहगृह आदि।
  • आणविक संस्थान, तेल टैंक, दुर्घटना होने पर बहुत गम्भीर प्रदूषण पैदा करते हैं।
  • कुछ प्रमुख प्रदूषक क्लोरीनेटेड, हाइड्रोकार्बन्स, भारी तत्व लैड, कैडमियम, क्रोमियम, जिंक, आर्सेनिक, बैनजीन आदि भी प्रमुख प्रदूषक तत्व हैं।
  • प्राकृतिक आपदाओं के पश्चात भी प्रदूषण उत्पन्न हो जाता है। बड़े-बड़े समुद्री तूफानों के पश्चात जब लहरें वापिस लौटती हैं तो कचरे, कूड़े, टूटी नाव-कारें, समुद्र तट सहित तेल कारखानों के अपशिष्ट म्यूनिसपैल्टी का कचरा आदि बहाकर ले जाती हैं। समुद्र में आने वाली 'सुनामी' के पश्चात किये गये अध्ययन से पता चलता है कि तटवर्ती मछलियों में भारी तत्वों का प्रतिशत बहुत बढ़ गया था।
  • प्रदूषक विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। जैसे कैंसर, इलर्जी, अस्थमा, प्रतिरोधक बीमारियाँ आदि। जहाँ तक कि कुछ बीमारियों को उन्हें पैदा करने वाले प्रदूषक का ही नाम दे दिया गया है, जैसे- मरकरी यौगिक से उत्पन्न बीमारी को 'मिनामटा' कहा जाता है।

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

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पर्यावरण प्रदूषण प्रश्नोत्तर (FAQs):

किस ईंधन के कारण पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण होता है?

हाइड्रोजन ईंधन न्यूनतम पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है। जब हाइड्रोजन जलती है तो वह जलवाष्प बन जाती है।

किसके द्वारा जल के प्रदूषण को साफ करने में बायो-फिल्टर के रूप में ’पाइला ग्लोबोसा’ प्रयुक्त किया जाता है?

कैडमियम द्वारा जल प्रदूषण को साफ करने के लिए पेला ग्लोबोसा का उपयोग जैव-फिल्टर के रूप में किया जाता है।

अम्लीय वर्षा किसके द्वारा वायु प्रदूषण के कारण होती है?

अम्लीय वर्षा नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड द्वारा पर्यावरण के प्रदूषण के कारण होती है। यह मुख्य रूप से कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधन के औद्योगिक जलने के कारण होता है, जिनके अपशिष्ट गैसों में सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड होते हैं जो वायुमंडलीय पानी के साथ मिलकर एसिड बनाते हैं।

मानव में गुर्दे का रोग किसके प्रदूषण से होता है?

कैडमियम युक्त धूल के फेफड़ों तक पहुंचने से लीवर व गुर्दो पर घातक प्रभाव पड़ सकता है और न केवल वे डैमेज हो सकते हैं बल्कि कैंसर भी हो जाता है। - हड्डियों तक पहुंचने पर वे कमजोर हो सकती हैं। जोड़ों में दर्द और यहां तक फ्रैक्चर हो सकता है। - गुर्दो के ऊपर कैडमियम का प्रभाव परमानेंट होता है।

स्थिर वैद्युत अवक्षेपित्र (इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर) का प्रयोग किसके प्रदूषण के नियंत्रण के लिए किया जाता है?

स्थिर वैद्युत अवक्षेपित (इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर) का प्रयोग तापीय प्रदूषण के नियंत्रण के लिए किया जाता है।

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

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प्रदूषण और इसके प्रभाव पर निबंध

essay on pollution and its effects in hindi

By विकास सिंह

Essay on Pollution and its Effects in hindi

प्रदूषण पर्यावरण में विषाक्त पदार्थों का अस्तित्व है जो पर्यावरण में प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। यह गर्मी, प्रकाश या शोर का रूप ले सकता है। यह स्वाभाविक रूप से हो सकता है या मानव गतिविधियों के कारण हो सकता है।

औद्योगिक क्रांति पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारण है। प्रदूषण, कोयला और लकड़ी जलाने, कृषि, खनन और युद्ध जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषक प्रदूषण में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं।

प्रदुषण और इसके प्रभाव पर निबंध, Essay on Pollution and its Effects in hindi (200 शब्द)

पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रदूषण के प्रभाव:, प्रदुषण और इसके प्रभाव पर निबंध, 300 शब्द:, प्रस्तावना:, प्रदूषण के प्रभाव:, निष्कर्ष:.

प्रदूषण का जानवरों, पौधों, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र और मानव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह एक वैश्विक मुद्दा है और लोग अब इस समस्या को रोकने की आवश्यकता के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं। हमारे पर्यावरण और जीवन पर इसके दुष्प्रभावों को रोकने के लिए प्रदूषण को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।

प्रदुषण और इसके प्रभाव पर निबंध, Essay on Pollution and its Effects in hindi (400 शब्द)

प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति है जो सभी जीवित चीजों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। प्रदूषण के घटक या तो स्वाभाविक रूप से होने वाले घटक या विदेशी पदार्थ हो सकते हैं। प्रदूषण के प्रमुख रूपों में शामिल हैं; वायु प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण , जल प्रदूषण , प्लास्टिक प्रदूषण , मिट्टी प्रदूषण , थर्मल प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण पर प्रदूषण का प्रभाव:

पर्यावरण में सभी जीवित और निर्जीव घटक शामिल हैं। पौधे, जानवर और अन्य जीवित प्राणी पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं लेकिन पर्यावरण में वायु, जल और भूमि भी शामिल हैं। वातावरण में प्रदूषण इसे नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। नीचे दिए गए पर्यावरण पर प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव हैं:

वायु प्रदूषण: प्रदूषण उस वायु को प्रदूषित करता है जिसे हम सांस लेते हैं। यह जीवित जीवों जैसे कि जानवरों, पौधों और अन्य जीवित जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है जो हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह हमारे प्राकृतिक वातावरण को भी नुकसान पहुँचाता है और हवा की गुणवत्ता को ख़राब करता है। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से हो सकते हैं या मानव निर्मित हो सकते हैं।

महासागर अम्लीकरण: कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से समुद्र के अम्लीकरण का कारण बनता है। यह महासागरों में घुलने वाले वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि से पृथ्वी महासागरों के पीएच में कमी है।

ग्लोबल वार्मिंग: पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग की ओर जाता है जो पारिस्थितिकी तंत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।

मृदा संदूषण: मिट्टी की गुणवत्ता ख़राब हो सकती है और यह पौधों के लिए बांझ और अनुपयुक्त हो सकती है। यह प्राकृतिक भोजन चक्र में जीवों को भी प्रभावित करता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड एसिड वर्षा का कारण बन सकते हैं जो मिट्टी के पीएच मान को कम करते हैं और पौधों, जलीय जानवरों और बुनियादी ढांचे पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं।

जैव विविधता में कमी: आक्रामक प्रजातियां देशी प्रजातियों को पार कर सकती हैं और जैव विविधता में कमी कर सकती हैं।

पौधे: स्मॉग और धुंध प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को करने के लिए पौधों द्वारा प्राप्त सूर्य के प्रकाश की मात्रा को कम कर सकते हैं।

पानी: पानी के चैनलों का प्रदूषण ऑक्सीजन के स्तर और प्रजातियों की विविधता को कम कर सकता है।

जैविक आवर्धन: यह विषाक्त पदार्थों की एकाग्रता में वृद्धि है जो ट्रोपिक स्तरों से गुजर सकता है। यह खाद्य वेब में विषाक्त पदार्थों के निर्माण को संदर्भित करता है। शिकारी खाद्य श्रृंखला में शिकार की तुलना में अधिक विषाक्त पदार्थों को जमा करते हैं।

इस प्रकार, पर्यावरण में प्रदूषण दूषित होता है और वायु जल और भूमि की गुणवत्ता को कम करता है। मनुष्य, जानवर, पौधे और अन्य जीवित जीव पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो प्रदूषण के कारण प्रभावित होते हैं। प्रदूषण एक वैश्विक मुद्दा है और इस पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है। पर्यावरण में प्रदूषण को रोकने के लिए विभिन्न उपायों की आवश्यकता है।

500 शब्द:

प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति है जो प्रतिकूल प्रभाव का कारण बनते हैं। यह ऊष्मा, प्रकाश या शोर जैसी ऊर्जा का रूप ले सकता है। प्रदूषण के मुख्य रूपों में ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मिट्टी का प्रदूषण, रेडियोधर्मी संदूषण, जल प्रदूषण और थर्मल प्रदूषण शामिल हैं।

प्रत्येक जीवित प्रजाति इस ग्रह पर प्राकृतिक संसाधनों को साझा करती है। वातावरण में जो कुछ भी होता है, वह सभी जीवित प्रजातियों और समग्र रूप से ग्रह को प्रभावित करता है। प्रदूषण का मानव जीवन पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मानव जीवन पर प्रदूषण के प्रभाव:

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन पृथ्वी के तापमान में वृद्धि का कारण बनता है जो मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वायुमंडल में प्रदूषण पैदा करने के लिए मनुष्य ही मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जबकि मानव गतिविधियाँ वायुमंडल में प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं, वायुमंडल में प्रदूषण का उन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। आइए हम नीचे मानव जीवन पर प्रदूषण के प्रभावों पर एक नजर डालते हैं:

हवा की खराब गुणवत्ता मानव सहित कई जीवों को मार सकती है। प्रदूषण से गले में सूजन, अस्थमा, भीड़, हृदय संबंधी रोग और श्वसन संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली, प्रजनन प्रणाली और मनुष्यों की अंत: स्रावी प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की चपेट में बूढ़े लोग ज्यादा आते हैं। फेफड़े और हृदय विकार वाले लोग आगे जोखिम में हैं।

हवा में जहरीले रसायन पानी और पौधों के संसाधनों में बस जाते हैं और जहर फूड वेब तक पहुंच जाता है। दूषित पानी पीने से मनुष्यों में कई बीमारियां और पाचन समस्याएं हो सकती हैं। प्रदूषित पानी पीने से टाइफाइड और अमीबासिस जैसी बीमारियां होती हैं।

विकासशील देशों में होने वाली मौतों के लिए पीने के पानी का प्रदूषण प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। अनुमान है कि लगभग 14,000 मौतें प्रति दिन जल प्रदूषण के कारण होती हैं। जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है जो मनुष्यों के भोजन के प्रमुख स्रोतों में से एक है।

हवा में रासायनिक और रेडियोधर्मी पदार्थ कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों का कारण बन सकते हैं और जन्म दोष भी पैदा कर सकते हैं। मृदा प्रदूषण, वनों की कटाई और अनुचित अपशिष्ट निपटान संयंत्र और पशु जीवन को खतरे में डालते हैं। रसायनों द्वारा दूषित मिट्टी फसलों और अन्य पौधों के जीवन के लिए बांझ और अनुपयुक्त हो जाती है।

यह भोजन के उत्पादन में बाधा उत्पन्न करता है और कुपोषण का कारण बन सकता है। विषाक्त मिट्टी दूषित भोजन का उत्पादन कर सकती है और इसका सेवन करने वाले के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। शोर प्रदूषण मनुष्यों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

यह मनुष्यों की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों जैसे नींद, अध्ययन, ध्यान आदि में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। ध्वनि प्रदूषण के अत्यधिक संपर्क से सुनने की समस्या, स्थायी सुनवाई हानि, उच्च रक्तचाप, तनाव, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी प्रभाव हो सकते हैं। बच्चों और बूढ़ों को ऐसी समस्याओं का खतरा अधिक होता है। यह बच्चों के सीखने, एकाग्रता और व्यवहार में हस्तक्षेप भी कर सकता है।

हम उस पारिस्थितिकी तंत्र में रहते हैं जहां सब कुछ परस्पर जुड़ा हुआ है। हमने दशकों से पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रदूषित किया है और अब इसके नतीजों का सामना कर रहे हैं। हम अब प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हरे और स्वच्छ वातावरण के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है।

प्रदुषण और इसके प्रभाव पर निबंध, Essay on Pollution and its Effects in hindi (600 शब्द)

प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषक पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करने वाले प्राकृतिक वातावरण को प्रतिकूल रूप से दूषित करते हैं। हमारे जीवन में शहरीकरण और विकास के साथ प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दे रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानव, पशु और हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण, मनुष्य के साथ-साथ पशु भी प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं। यहां प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों पर एक नजर है:

मानव जीवन पर प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियां, दिल का दौरा, अस्थमा और फेफड़ों की जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। यह मौजूदा बीमारियों को भी खराब कर सकता है। स्मॉग फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और गले और आंखों में जलन पैदा कर सकता है। जो लोग पहले से ही अस्थमा से पीड़ित हैं उन्हें अस्थमा का दौरा पड़ने का खतरा है।

हवा में मौजूद डाइअॉॉक्सिन यकृत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, और मनुष्यों में तंत्रिका, प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी तंत्र और प्रजनन कार्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ट्रैफिक और जंगल की आग से जहरीले घटक जैसे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन या पीएएच भारी मात्रा में फेफड़े और आंखों में जलन, लीवर की समस्या और कैंसर का कारण बन सकते हैं।

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से गर्म तापमान बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन से कई मुद्दों जैसे अत्यधिक मौसम, गर्मी से होने वाली मौतें, समुद्र का बढ़ता स्तर, एसिड बारिश और बढ़ती बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है। शोर प्रदूषण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण के संपर्क में तनाव, उच्च रक्तचाप, नींद की गड़बड़ी, रक्तचाप में वृद्धि, सुनने-हानि और अन्य प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।

जानवरों के जीवन पर प्रदूषण के प्रभाव

प्रदूषण से जानवरों के आवास और कुछ घटनाओं में मृत्यु का खतरा होता है। कई प्रजातियां हैं जिन्हें विलुप्त होने के लिए भी धकेल दिया गया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के प्रदूषण से पशु प्रभावित होते हैं। तेल फैलने से समुद्री जीवन प्रभावित होता है जिससे बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।

यह तेल की विषाक्तता के कारण जानवरों की तत्काल मृत्यु का कारण बनता है, इसके अलावा मौतों के कारण, तेल फैल से प्रभावित कई अन्य जानवर हैं। तेल समुद्री और पौधों के जीवन को प्रदूषित करता है जो जानवरों के जीवन को प्रभावित करता है जैसे कि कम या बिगड़ा हुआ प्रजनन, न्यूरोलॉजिकल क्षति, और बीमारी के लिए भेद्यता तेल की छींटे साफ होने के बाद भी लंबे समय तक आम प्रभाव है।

अम्लीय वर्षा के कारण जल प्रदूषित हो जाता है क्योंकि झीलों, तालाबों, नालों और अन्य जल वाहिनियों की ओर जाने वाले वर्षा जल नालियों की वजह से मछली की मृत्यु का कारण बनते हैं। मछली की आबादी में कमी अन्य वन्यजीवों को प्रभावित करती है जो भोजन के लिए मछली पर निर्भर करता है।

पोषक तत्वों के प्रदूषण से पानी के चैनलों में मृत ज़ोन क्षेत्रों में बहुत कम या कोई ऑक्सीजन नहीं होता है जहां समुद्री जीवन के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाता है। शिकार या शिकार का पता लगाने और संचार में ध्वनि को बाधित करने से संतुलन बिगड़ने से वन्यजीवों पर शोर प्रदूषण से गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। अत्यधिक ध्वनि के संपर्क में आने से सुनने की समस्या या स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। यह सामान्य आवास के परिवर्तन को भी जन्म दे सकता है।

पर्यावरण पर प्रदूषण के प्रभाव:

पर्यावरण में प्रवेश करने वाले जहरीले प्रदूषक जीवों द्वारा भोजन और पानी के माध्यम से या उनकी त्वचा के माध्यम से सीधे अवशोषित होते हैं। ये टॉक्सिंस जानवरों के लिए खाद्य श्रृंखला और इतने पर से गुजरते हैं। विभिन्न बीमारियों, आनुवांशिक उत्परिवर्तन, जन्म दोष आदि का अनुभव करने के लिए शीर्ष शिकारी अधिक असुरक्षित हैं।

महासागर का अम्लीकरण होता है क्योंकि हवा में ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड पानी में घुल जाती है जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के महासागरों का पीएच घट जाता है। प्रदूषण की वजह से होने वाली एसिड बारिश से जंगलों, जल चैनलों और भूमि को नुकसान पहुंचता है।

पक्षियों और जानवरों की आबादी और विविधता ने अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण में निवास स्थान का पतन या परिवर्तन दिखाया है। शोर प्रदूषण भी कुछ प्रजातियों के संचार और संभोग को बाधित करता है। सैन्य सोनार द्वारा निर्मित ध्वनियाँ, शिपिंग ट्रैफ़िक पानी के नीचे की आवाज़ के स्तर में वृद्धि करती हैं जो समुद्री प्रजातियों के संचार, शिकार और संभोग को बाधित करती हैं।

इसलिए, प्रदूषण का पर्यावरण, मानव और पशु जीवन पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर सब कुछ परस्पर जुड़ा हुआ है और प्रभावी कामकाज के लिए एक दूसरे पर निर्भर करता है। मनुष्य के रूप में हमें प्रकृति को नुकसान पहुंचाना बंद करना होगा और प्रदूषण की रोकथाम की दिशा में कदम उठाना होगा।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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  • प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): हिंदी में प्रदूषण पर 200-500 शब्दों में निबंध

Updated On: September 02, 2024 06:32 pm IST

  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay …
  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay …

प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)

प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण: वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण: जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण: भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। प्रकाश प्रदूषण: बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण: ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण: ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं: कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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essay on pollution : प्रदूषण पर हिन्दी निबंध

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

Download PDF – Click Here

Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्रदूषण पर निबंध लिखा है. वर्तमान में प्रदूषण के कारण मानव जीवन और अन्य प्राणियों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होना तो जैसे आम बात ही हो गई है.

इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक है सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

इसलिए Essay on Pollution कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Essay on Pollution in Hindi

Get Some Essay on Pollution in Hindi under 100, 250, 500 and 2000 words

Short Essay on Pollution in Hindi 100 Words

प्रदूषण यह एक धीमा जहर है जो कि दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को नष्ट करता जा रहा है. प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण..

वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुए, कल कारखानों, उड़ती हुई धूल इत्यादि कारणों से होता है. ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने से और अन्य शोर उत्पन्न करने वाली वस्तुओं से होता है.

जल प्रदूषण नदियों और तालाबों में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएं डालने से होता है.

अगर हमें पर दूसरों को कम करना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम अच्छे भविष्य की कामना कर सकते है.

Paragraph on Pollution in Hindi 250 Words

प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है यह सिर्फ हमारे देश की नहीं यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है. इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है.

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना.

पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वातावरण में भी परिवर्तन आ रहा है कभी अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कभी सूखा पड़ रहा है ऋतु परिवर्तन असमय हो रहा है जो की यह दर्शा रहा है कि भविष्य में कितनी बड़ी समस्या दस्तक दे रही है.

प्रदूषण के कारण तरह-तरह की विकराल बीमारियां जन्म ले रही है जिसे कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा, हृदय की बीमारी इत्यादि के कारण मानव की आयु कम हो गई है.

यह भी पढ़ें – जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

वर्तमान में हर घर में कोई ना कोई बीमार है और दवाईयां लेकर अपना जीवन यापन कर रहा है. प्रदूषण के कारण जीव जंतु में इसकी चपेट में आ गए हैं जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां तो विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.

हमारे जीवन प्रणाली कुछ इस प्रकार की हो गई है कि हमें पैसों और तरक्की के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है.

हमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान नहीं होगा हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा.

किसी भी प्रकार के प्रदूषण को अगर कम करना है तो हमारा पहला कदम पेड़ों की कटाई रोकना होना चाहिए और जितना हो सके पेड़ लगाने होंगे.

Paryavaran Pradushanpar Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

वर्तमान में प्रदूषण ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके कारण बड़े महानगरों में जीवन बहुत कठिन हो गया है यहां पर हर दिन कोई ना कोई नई बीमारी जन्म ले रही है.

प्रदूषण इतनी तेजी से फैल रहा है कि आजकल तो ऐसा लग रहा है कि यह हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. प्रदूषण के कारण केवल मनुष्य का ही जीवन प्रभावित नहीं हुआ है इसके कारण वन्य जीव जंतुओं और पृथ्वी के वातावरण में भी बदलाव आया है.

प्रदूषण के प्रकार –

प्रदूषण को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है इसके अलावा भी बहुत प्रकार के प्रदूषण होते है –

वायु प्रदूषण – हवा में प्रदूषित कारको के मिश्रण के कारण वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, कल कारखानों और चिमनीओं से निकलने वाला धुआं, धूल उड़ने से, वस्तुओं के सड़ने से उत्पन्न हुई दुर्गंध, पटाखों इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है.

जल प्रदूषण – जल में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स, जीवाणु इत्यादि मिलने के कारण जल प्रदूषण होता है जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत फैक्ट्री और कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल का नदियों और तालाबों में मिलना, गटर लाइन को नदियों में छोड़ना, जल में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के कारण जल प्रदूषण फैलता है.

ध्वनि प्रदूषण – सुनने की एक सीमा से अधिक तीखी और असहनीय आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत – लाउडस्पीकर, वाहनों का हॉर्न, मशीनों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है.

प्रदूषण की रोकथाम के उपाय –

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए साथ ही जहां पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए. वायु प्रदूषण को फैलाने वाले उद्योग धंधों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे कम प्रदूषण हो.

जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा हम नदियों तालाबों में ऐसे ही कचरा डाल देते है. जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियां और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए.

ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वारा ही किया जाता है इसलिए अगर हम स्वयं हॉर्न बजाना बंद कर दें और मशीनों की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उन से आवाज नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी.

उपसंहार –

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी पृथ्वी का पूरा वातावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है.

अगर हमें प्रदूषण को कम करना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण के कारण हो रही हानियों के बारे में अवगत कराना होगा.

जब तक हमारे पूरे देश के लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक किसी भी प्रकार के प्रदूषण को कम करना मुमकिन नहीं है.

Essay on Pollution in Hindi 2000 Words

रूपरेखा –

प्रदूषण आज भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की समस्या है बढ़ते हुए प्रदूषण को देखकर सभी देश इससे चिंतित है. आज संसार की लगभग सभी वस्तुएं चाहे वह सजीव है या निर्जीव किसी न किसी रूप में प्रदूषित होती जा रही है.

जल, वायु, मृदा तथा संपूर्ण भूमंडल प्रदूषण की चपेट में आ गया है. आए दिन प्रदूषण के कारण कोई ना कोई समस्या या फिर नई बीमारियां उत्पन्न होती रहती है.

कारखानों से गैस रिसने, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मिता के बढ़ने, नदियों, तालाबों, समुद्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों से निकले विषाक्त केमिकल्स और गंदे पानी के मिलने से पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है.

आज हम सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है लेकिन प्रकृति की जरा भी चिंता नहीं कर रहे है. विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है लेकिन प्रदूषण को रोकने में आज भी सफल नहीं हो पाई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों को बार-बार चेतावनी दी जा रही है लेकिन फिर भी प्रदूषण के बढ़ने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हमारे भारत देश को तो जात-पात और आरक्षण से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो वह पर्यावरण के बारे में क्या सोचेगा.

प्रदूषण क्या है –

हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी भी प्रकार की गंदगी का घूमना प्रदूषण की श्रेणी में आता है प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल, हवा, ध्वनि, मृदा प्रमुख है.

इनमें से अगर कोई भी घटक प्रदूषित होता है तो उसका सीधा असर पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों और निर्जीव वस्तुओं पर बुरा असर पड़ता है.

प्रदूषण के प्रकार और दुष्प्रभाव –

जल प्रदूषण –

वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.

कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.

इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.

एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.

जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.

वायु प्रदूषण –

वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.

वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है

ध्वनि प्रदूषण –

ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,

लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.

वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.

ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.

मृदा प्रदूषण –

मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.

वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.

खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.

इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.

प्रकाश प्रदूषण –

दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.

और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है. जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.

रेडियोधर्मिता प्रदूषण –

रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.

इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.

यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.

थर्मल प्रदूषण –

वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.

जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.

प्रदूषण संतुलन के उपाय –

पेड़ लगाना –

हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.

आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

प्लास्टिक का उपयोग बंद करना –

वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.

हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.

कार पुलिंग को बढ़ावा दे –

वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.

अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें –

हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.

नदियों को साफ करें –

हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.

अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.

वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें –

वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.

हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.

यूरिया खाद का उपयोग कम करे –

किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.

जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.

कड़े नियम कानून बनाएं –

भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.

भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.

प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं –

हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.

हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.

इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.

हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, हमारी सरकार ने मध्य प्रदेश में प्रदूषण संस्थान की स्थापना की है जोकि प्रत्येक वर्ष सरकार को प्रदूषण संबंधी जानकारियां देंगी.

जो भी व्यक्ति या संस्थान प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है उन पर सख्त कार्यवाही की जा रही है. वर्तमान में छोटे छोटे शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे है. साथ ही प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए जा रहे.

अगर हम सब भी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सहयोग करें तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण में संतुलन आ जाएगा और मानव जीवन के साथ साथ अन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे से बाहर हो जाएगा.

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Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – essay on pollution problem and solution in hindi.

“आज हमारा वायुमण्डल अत्यधिक दूषित हो चुका है, जिसकी वजह से मानव का जीवन खतरे में आ गया है। आज यूरोप के कई देशों में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है, जिसके कारण वहाँ कभी–कभी अम्ल–मिश्रित वर्षा होती है। ओस की बूंदों में भी अम्ल मिला रहता है। यदि समय रहते हुए हमने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो एक दिन विश्व में संकट छा जाएगा।”

–’खनन भारती से उद्धृत

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pradooshan Kee Samasya Aur Samaadhaan Par Laghu Nibandh

  • प्रदूषण का अर्थ,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण– (क) वायु–प्रदूषण, (ख) जल–प्रदूषण, (ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण, (घ) ध्वनि–प्रदूषण, (ङ) रासायनिक प्रदूषण,
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण,

प्रदूषण का अर्थ– प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होनेवाला वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।

जीवधारी अपने विकास और व्यवस्थित जीवनक्रम के लिए एक सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। सन्तुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहते हैं। कभी–कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है, जो जीवधारियों के लिए किसी–न–किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण–प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ–साथ हुआ है। विकासशील देशों में औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे ने जल ही नहीं, वायु और पृथ्वी को भी प्रदूषित किया है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल की निकासी का प्रश्न ही विकराल रूप से खड़ा हो गया है।

विकसित और विकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

(क) वायु–प्रदूषण–वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। जीवधारी अपनी क्रियाओं द्वारा वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। अपनी श्वसन प्रक्रिया द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं।

हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं। इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है, किन्तु मानव अपनी अज्ञानता और आवश्यकता के नाम पर इस सन्तुलन को बिगाड़ता रहता है। इसे ही वायु–प्रदूषण कहते हैं।

वायु–प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास सम्बन्धी बहुत–से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं। वायु में विकिरित अनेक धातुओं के कण भी बहुत–से रोग उत्पन्न करते हैं। सीसे के कण विशेष रूप से नाडीमण्डल सम्बन्धी रोग उत्पन्न करते हैं।

कैडमियम श्वसन–विष का कार्य करता है, जो रक्तदाब बढ़ाकर हृदय सम्बन्धी बहुत–से रोग उत्पन्न कर देता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड से फेफड़ों, हृदय और आँखों के रोग हो जाते हैं। ओजोन नेत्र–रोग, खाँसी ए की दुःखन उत्पन्न करती है। इसी प्रकार प्रदूषित वायु एग्जीमा तथा मुँहासे आदि अनेक रोग उत्पन्न करती है।

(ख) जल–प्रदूषण–सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। पौधे भी अपना भोजन जल के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक–अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है।

केन्द्रीय जल– स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान’ के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आन्त्रशोथ (टायफाइड, पेचिश आदि) से होती है, जिसका कारण अशुद्ध जल है। शहरों में भी शत–प्रतिशत निवासियों के लिए स्वास्थ्यकर पेयजल का प्रबन्ध नहीं है।

देश के अनेक शहरों में पेयजल किसी निकटवर्ती नदी से लिया जाता है और प्रायः इसी नदी में शहर के मल–मूत्र और कचरे तथा कारखानों से निकलनेवाले अवशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित कर दिया जाता है, परिणामस्वरूप हमारे देश की अधिकांश नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

(ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण–परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं, वरन् आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। परमाणु विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ पर वे ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बहुत छोटे–छोटे धूल के कणों के रूप में वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से बहुत–से मनुष्य अपंग हो गए थे। इतना ही नहीं, इस प्रकार के प्रभावित क्षेत्रों की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गईं।

(घ) ध्वनि–प्रदूषण–अनेक प्रकार के वाहन; जैसे मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन व विभिन्न प्रकार की मशीनों आदि से ध्वनि–प्रदूषण उत्पन्न होता है। ध्वनि की तरंगें जीवधारियों की क्रियाओं को प्रभावित करती हैं।

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य के सुनने की शक्ति का ह्रास होता है और उसे ठीक प्रकार से नींद भी नहीं आती। यहाँ तक कि ध्वनि–प्रदूषण के प्रभावस्वरूप स्नायुतन्त्र पर कभी–कभी इतना दबाव पड़ जाता है कि पागलपन का रोग उत्पन्न हो जाता है।

(ङ) रासायनिक प्रदूषण–प्रायः कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आधुनिक पेस्टीसाइड्स का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि ही पहुँचा रहा है।

जब ये रसायन वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो ये समुद्री जीव–जन्तुओं तथा वनस्पति पर घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, किसी–न–किसी रूप में मानव–शरीर भी इनसे प्रभावित होता है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण– पर्यावरण में होनेवाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए विगत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है। औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों व अन्य लोगों का उतना ध्यान ही गया था, किन्तु औद्योगीकरण और जनसंख्या दोनों ही की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर प्रयास आवश्यक हैं। जल–प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 ई० से ‘जल–प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया है।

इसके अन्तर्गत एक ‘केन्द्रीय बोर्ड’ व सभी प्रदेशों में ‘प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड’ गठित किए गए हैं। इन बोर्डों ने प्रदूषण नियन्त्रण की योजनाएँ तैयार की हैं तथा औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक निर्धारित किए हैं।

उद्योगों के कारण उत्पन्न होनेवाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नए उद्योगों को लाइसेंसू दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था तथा पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति भी प्राप्त करनी ग्री। इसी प्रकार उन्हें धुएँ तथा अन्य प्रदूषणों के समुचित ढंग से निष्कासन और उसकी व्यवस्था का भी दायित्व लेना होगा।

वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वनक्षेत्र बनाए जाएँ और जनसामान्य को वृक्षायण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम आनेवाले समय में और अधिक अच्छा एवं स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत कर सकेंगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

उपसंहार– जैसे–जैसे मनुष्य आपदी वैज्ञानिक शक्तियों का विकास करता जा रहा है, प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। विकसित देशों द्वारा वातावरण का प्रदूषण सबसे अधिक बढ़ रहा है।

यह एक ऐसी समस्या है, जिसे किसी विशिष्ट क्षेत्र या राष्ट्र की सीमाओं में बाँधकर नहीं देखा जा सकता। यह विश्वव्यापी समस्या है, इसलिए सभी राष्ट्रों का संयुक्त प्रयास ही इस समस्या से मुक्ति पाने में सहायक हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

Table of Content

पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध ENVIRONMENTAL POLLUTION ESSAY IN HINDI

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

जनसंख्या वृद्धि increased population.

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय how to control pollution in hindi, निष्कर्ष conclusion.

essay on pollution and its effects in hindi

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)

प्रदूषण

वह अवांछित तत्व जो किसी निकाय के संतुलन के प्रतिकूल हो और उसकी खराब दसा के लिए जिम्मेदार हो प्रदूषक तत्व कहलाते हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न विषम परिस्थितियां प्रदूषण कहलाती है। दूसरे शब्दों में “ हमारे द्वारा उत्पन्न वे अपशिष्ट पदार्थ जो पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रहे हैं, प्रदूषक तत्व तथा उनके वातावरण में मिलने से उत्पन्न विभिन्न प्रकार के संकट की स्थिति प्रदूषण कहलाती है। ”

प्रदूषण पर 10 वाक्य || प्रदूषण मानवता को कैसे प्रभावित करता है पर निबंध || शहरीकरण के कारण प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essays on Pollution in Hindi, Pradushan par Nibandh Hindi mein)

प्रदूषण से संबंधित समस्त जानकारियां आपको इस निबंध के माध्यम से मिल जाएगी। तो आईए इस निबंध को पढ़कर पर्यावरण प्रदूषण के बारे में खुद को अवगत कराएं।

प्रदूषण पर निबंध 1 (300 शब्द) – प्रदूषण क्या है

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ ( Meaning of Pollution )

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मनुष्यों के लिए छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है। जिस कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। प्रदूषण भी इस असंतुलन का मुख्य कारण है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

प्रदूषण पर निबंध 2 (400 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार

हमें पहले यह जानना जरुरी है कि हमारी किन-किन गतिविधियों के कारण प्रदूषण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है और पर्यावरण में असंतुलन फैला रहा है।

पहले मेरे गांव में ढ़ेर सारे तालाब हुआ करते थे, किन्तु अब एक भी नहीं है। आज हम लोगों ने अपने मैले कपड़ो को धोकर, जानवरों को नहलाकर, घरों का दूषित और अपशिष्ट जल, कूड़ा-कचरा आदि तालाबों में फेंककर इसे गंदा कर दिया है। अब उसका जल कहीं से भी स्नान करने और न ही पीने योग्य रह गया है। इसका अस्तित्व समाप्ति की कगार पर है।

प्रदूषण के प्रकार ( Pradushan ke Prakar )

वातावरण में मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण हैं –

  • जल प्रदूषण ( Water Pollution )

घरों से निकलने वाला दूषित पानी बहकर नदियों में जाता है। कल-कारखानों के कूड़े-कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थ भी नदियों में ही छोड़ा जाता है। कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक से भूमिगत जल प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण से डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, हैजा आदि खतरनाक बीमारियाँ होती है।

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)

कारखानों की चिमनी और सड़को पर दौड़ते वाहनों से निकलते धुएँ में कार्बन मोनो ऑक्साइड, ग्रीन हाउस गैसें जैसै कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं। ये सभी गैसें वायुमंडल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इससे हमारे सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दमा, खसरा, टी.बी. डिप्थीरिया, इंफ्लूएंजा आदि रोग वायु प्रदूषण का ही कारण हैं।

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

मनुष्य के सुनने की क्षमता की भी एक सीमा होती है, उससे ऊपर की सारी ध्वनियां उसे बहरा बनाने के लिए काफी हैं। मशीनों की तीव्र आवाज, ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज़ आवाज, हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। इनसे होने वाला प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। इससे पागलपन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बहरापन आदि समस्याएं होती है।

  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

खेती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण होता है। साथ ही प्रदूषित मिट्टी में उपजे अन्न खाकर मनुष्यों एवं अन्य जीव-जंतुओं के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदूषण फैल जाता है।

प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है। पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक़्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता। पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी  आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है। इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है। इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है।

इन्हे भी पढ़ें: वाहन प्रदूषण पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध || प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध || वायु प्रदूषण पर निबंध || मृदा प्रदूषण पर निबंध || जल प्रदूषण पर निबंध || ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध 3 (500 शब्द) – प्रदूषण के कारण

2019 में दीवाली के कुछ दिन बाद ही राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन हॉलीडे हुआ। यह अत्यंत चौंकाने वाली बात थी कि, दिल्ली सरकार को पॉल्यूशन के कारण विद्यालय बंद कराना पड़ा। कितने दुःख की बात है। ऐसी नौबत आ गयी है, अपने देश में।

पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।

प्रदूषण के मुख्य कारण (Main Reason for Pollution)

प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

  • वनों की कटाई (Deforestation)

बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है।  पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं। वनोन्मूलन के कारण ही वातावरण में ग्रीन-हाउस गैसों की अधिकता होते जा रही है। जिसके दुष्परिणाम ग्लोबल-वार्मिग के रूप में प्रकट हो रही है। क्योंकि पेड़ ही पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइआऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।

  • उद्योग-धंधे (Industries)

भोपाल गैस त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कारखाने में कीटनाशक रसायन को बनाने के लिए मिक गैस का उत्पादन होता था। इस गैस संयंत्र के कारखाने में 2-3 दिसंबर 1984 को जहरीली मिक गैस (मिथाइल आइसो सायनाइड) के रिसाव के कारण कुछ ही घंटो में करीबन 2500 लोगों की जान चली गयी थी और हजारों घायल हुए थे। हजारों जानवरो की भी मृत्यु हो गयी थी। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।

इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।

वैज्ञानिकों की माने तो औद्योगिकीकरण के नाम पर बीते 100 सालों में 36 लाख टन कार्बन डाइआऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी गयी है, जिस कारण हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। और तो और मौसम में तब्दीलियां भी इसी कारण हो रही हैं, जैसे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, अम्लीय वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के जल-स्तर में वृध्दि होना आदि। अकेले अमेरिका विश्व का लगभग 21% कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है।

बढ़ता प्रदूषण आज समूल विश्व का सरदर्द बन चुका है। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गंभीर है। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस आदि मनाये जाते है। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मेलन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है।

Pollution Essay in Hindi

प्रदूषण पर निबंध 4 (600 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार व रोकथाम

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है।

प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution)

1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

2. जल प्रदूषण (Water Pollution)

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

3. भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

4. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

5. प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

6. रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

7. थर्मल प्रदूषण (Thermal Pollution)

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

8. दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution)

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर (Most Polluted City of The World)

एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण कम करने के उपाय (Tips for Preventing Pollution)

जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।

1. कार पूलिंग

2. पटाखों को ना कहिये

3. रीसायकल/पुनरुयोग

4. अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर

5. कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके

6. पेड़ लगाकर

7. काम्पोस्ट का उपयोग किजिए

8. प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके

9. रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर

10. कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर

11. योजनापूर्ण निर्माण करके

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – भारत का सबसे अधिक प्रदूषित राज्य राजधानी नई दिल्ली है।

उत्तर – भारत में सबसे कम प्रदूषित शहर मिजोरम का लुंगलेई शहर है।

उत्तर – विश्व का सबसे कम प्रदूषित देश डेनमार्क है।

उत्तर –जल प्रदूषण की मात्रा BOD (Biological Oxygen Demand) से मापी जाती है। 

उत्तर –भारत में प्रदूषण नियंत्रण “केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” के अंतर्गत आता है।

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Essay on Plastic Pollution: छात्रों और बच्चों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

essay on pollution and its effects in hindi

  • Updated on  
  • जून 26, 2024

Essay on Plastic Pollution

आज के दौर में प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। खरीदारी से लेकर भोजन तक, हर जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि प्लास्टिक में मौजूद रसायन हमारे वातावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है और इसका अत्यधिक उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है जो हमारे ग्रह, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है। यह प्रदूषण आज के दौर में सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। ऐसे में लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए तरह तरह के अभियान चलाये जाते हैं। वहीं कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं।

This Blog Includes:

प्लास्टिक प्रदूषण क्या होता है, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर स्लोगन, प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स.

प्लास्टिक प्रदूषण एक पर्यावरणीय समस्या है जो प्लास्टिक के उपयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। प्लास्टिक एक अविश्वसनीय औद्योगिक उत्पाद है जो बहुत सारे उपयोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जैसे कि खाद्य संचार, वस्त्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि पैकेजिंग, आदि। प्लास्टिक की बढ़ती मांग के कारण, इसका उत्पादन और उपयोग भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग करने के बाद उसे कचरे के रूप में भूमि पर या जल स्रोतों में फेंकना और इस प्लास्टिक कचरे का इकठ्ठा होना ही प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है।

छात्र 100 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक प्रदूषण, आज दुनिया के सामने सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। प्लास्टिक प्रदूषण, हमारे ग्रह, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है और दमा, पलमोनेरी कैंसर (फेफड़ों के द्वारा जहरीली गैसों में साँस लेने के कारण होता है), लिवर इन्फेक्शन, गुर्दे की बीमारी, बर्थ डिसॉर्डर, गर्भावस्था संबंधित विकार, हार्मोनल विकार जैसी कई बिमारियों का कारण बनता है। अब सवाल आता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोकें? इसके लिए हम व्यग्तिगत स्तर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं। इसकी जगह हम विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही हम रीयूज़ की आदत अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं। प्लास्टिक बैग फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार हम प्लास्टिक कचरे को कम करने में और प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में अपनी महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

छात्र 200 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक प्रदूषण प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होता है। प्लास्टिक एक नॉन- बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो सैंकड़ो वर्षों तक पृथ्वी पर रहकर वातावरण को नुक्सान पहुंचाता है। आज के समय में यह विकराल रुप धारण कर चुका है और दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

प्लास्टिक एक लीच की तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। मनुष्य प्लास्टिक पर इस तरीके से निर्भर हो गए है कि वह चाहकर भी प्लास्टिक को छोड़ नहीं पा रहे है। सूरज की रोशनी, हवा और समुद्री लहर की बजह से प्लास्टिक कचरा छोटे छोटे कणों का आकर ले लेता है। फिर यह हमारे पर्यावरण के वायु मंडल, जल स्रोत आदि में रह जाता है। इन मइक्रोप्लास्टिक का आकर बहुत ही छोटा होता है, जिसके कारण यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है, चाहे वो साँस लेते समय हो या फिर पानी के माध्यम से हो।

माइक्रोप्लास्टिक जल स्त्रोतों से हमारे घर तक पहुंचाए जाने वाले पेयजल प्रणालियों में और हवा में प्रवेश करते\। जाने अनजाने में इन मइक्रोप्लास्टिक का सेवन हम इंसान भी कर रहें हैं, जिसके कारण हम बीमार भी पड़ सकते हैं और हमे गंभीर बिमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती जा रही है। इसमें भी प्लास्टिक एक समस्या है जो सबसे अधिक चिंताजनक है क्योंकि यह एक ऐसा पदार्थ होता है जिसे नष्ट होने में काफी समय लगता है। केवल इतना ही नहीं इसके कारण पानी से लेकर हवा और भूमि सभी प्रदूषित होते हैं। हमें प्लास्टिक रिसाइकिलंग के बारे में गंभीरता से सोचना होगा और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ेगा, तभी हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहेगी। स्पष्ट रूप से हमें इस दिशा में और अधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

यह भी देखें – प्रदूषण पर निबंध

छात्र 500 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीन या जल में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। प्लास्टिक प्रदूषण कई तरीकों से हो सकता है। एक तरफ, प्लास्टिक के उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली कचरे के धातुओं के उपयोग में परिवर्तन के कारण और दूसरी ओर, उपयोगिताओं के बाद नष्ट होने पर प्लास्टिक अप्रचलित हो जाता है। इन अप्रचलित प्लास्टिक आवागमनों के कारण यह प्रदूषण पानीमार्ग के माध्यम से नदियों, समुद्रों, झीलों और अन्य जल निकायों में पहुंचता है। यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, जीवन पशुओं, मार्गनिर्देशक प्रणी, और जलीय प्रदेशों आदि के लिए हानिकारक होता है। 

प्लास्टिक प्रदूषण कई कारणों से होता है। प्लास्टिक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ है। यह किफायती होने के साथ इन्हे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। प्लास्टिक के वस्तुओं के बढ़ते उपयोग के कारण ही प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। प्लास्टिक एक नान- बायोडिग्रेडबल पदार्थ है। इससे उत्पन्न कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह जल और भूमि में विघटित नहीं होता है। यह वातावरण में सैकेड़ो वर्षो तक बना रहता है, जिससे यह भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है। प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने अन्य उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाते हैं। यह मिट्टी और पानी के स्त्रोतो में मिल जाते है। परिणामस्वरूप, प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

प्लास्टिक अन्य जीवन रूपों को प्रभावित कर सकता है। जल में प्लास्टिक के पड़ जाने से जलजीवन, मत्स्य, और अन्य जलीय प्राणियों को नुकसान पहुंच सकता है। जब प्लास्टिक कचरा जल निकायों में पहुंचता है, तो यह जलमार्गों को प्रदूषित करता है। प्लास्टिक कचरे की वजह से नदियों, समुद्रों और झीलों का पानी गंदा हो जाता है, जिससे जलजीवन और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और महत्वपूर्ण प्राणियों को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक के टुकड़े, छोटे उपकरण और प्लास्टिक वगैरह के साथ जंगली जानवरों के गले बंध सकते हैं या उनके पांव में फंस सकते हैं, जिससे उन्हें खाने-पीने और आकारीय गतिविधियों में समस्याएं हो सकती हैं। प्लास्टिक के उपयोग से उत्पन्न होने वाले केमिकल्स और विषाणुओं के कारण, मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पडता है। सांस लेने या प्लास्टिक उत्पादों के संपर्क में आने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं जैसे एलर्जी, श्वसन संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, कैंसर आदि हो सकता हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर पहल करने की ज़रूरत है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, प्लास्टिक से बेहतर निपटारा, विकल्प उत्पादों का उपयोग, जनसंचार के माध्यम से जागरूकता फैलाना , वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी उन्नति से प्लास्टिक के विकास को कम करना, प्रदूषण नियंत्रण नीतियों को सख्ती से लागू करना , सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन आदि से हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

यह भी देखें – सिंगल यूज प्लास्टिक पर पोस्टर

प्लास्टिक प्रदूषण पर कुछ बेस्ट स्लोगन्स कुछ इस प्रकार हैं –

  • प्लास्टिक न सड़ती है, न गलती है सिर्फ़ सदियों तक प्रदूषण करती है 

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  • नई पीढ़ी न करेगी माफ़ जब पर्यावरण का होगा नाश  
  • पेपर बैग का करें इस्तेमाल प्रदूषण में करें न योगदान 
  • घर से थैला खुद ले जाएं पॉलिथीन को न अपनाएं 
  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक को न कहें पर्यावरण संरक्षण को हाँ कहें 
  • बीमारी और मौत से बचें प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता को समझें 

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  • पॉलिथीन का व्यापार न करें लालच में पृथ्वी बीमार न करें 
  • पॉलिथीन से सबको बचाना है जूट और कपड़ा विकल्प बनाना है 
  • पॉलिथीन का करें न उपयोग फैलाती है यह जानलेवा रोग 

प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स निम्नलिखत हैं –

  • विश्व में प्रति वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।
  • अमेरिका हर साल 42 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन करता है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है
  • हर साल 8 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है। 
  • महासागरीय प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक 29 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ने की राह पर है 
  • हर साल प्लास्टिक में फंसने से 100,000 जानवर मर जाते हैं। 
  • मनुष्य हर सप्ताह 5 ग्राम प्लास्टिक निगलता है। 
  • प्लास्टिक 2030 तक अमेरिका में कोयले की तुलना में अधिक GHG उत्सर्जन रिलीज़ करेगा
  • COVID-19 ने महासागर में 25,900 टन प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ा दिया है। 
  • औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है। 
  • एक प्लास्टिक को गलने में कम से कम 100 से 500 साल लगते हैं। 
  • आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है और वो लुप्त होने की कगार पर हैं। 

प्लास्टिक प्रदूषण से कैंसर, दमा, दिमाग सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती हैं। 

माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं जिनकी लंबाई 5 मिलीमीटर से कम होती है। समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

हर साल अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री दिवस 3 जुलाई को मनाया जाता है।

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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Plastic Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Essays on Pollution in Hindi

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Here is a compilation of Essays on ‘Pollution ’ for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Pollution’ especially written for Kids, School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Pollution

Essay Contents:

  • ध्वनि-प्रदूषण: स्वरूप और परिणाम | Paragraph on Noise Pollution and its Effect for School Students in Hindi Language

1. प्रदूषण | Essay on Pollution in Hindi Language

इस सृष्टि में भूमि, जल वायु तथा समस्त प्राणी जगत के बीच एक संतुलन है, जो प्राकृतिक रूप से बना रहता है । जैवमंडल की रचना इस प्रकार की है कि किसी बाहरी या कृत्रिम सहायता के बिना भी इसका निरंतर पोषण एवं संवर्धन होता रहता है ।

इसे ही नैसर्गिक संतुलन कहा जाता है । जैवमंडल या पारिस्थिति की में विद्यमान सामंजस्य में थोड़ा-सा भी फेर बदल होने से आए नकारात्मक परिणाम को ही प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है । प्रदूषण का तात्पर्य ‘गंदा’ या ‘अशुद्ध’ से लगाया जाता है, किंतु इसके अर्थ में कुछ अन्य स्थितियाँ तथा क्रियाएँ भी समाहित रहती हैं ।

वायु और वायु के प्रदूषण से हम सभी परिचित हैं परंतु वनों की अंधाधुंध कटाई से हुआ विनाश भू-क्षरण तथा जीव-जंतुओं की प्रजातियों का विनाश आदि भी प्रदूषण की श्रेणी में आता है । आज मनुष्य विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में बहुत आगे निकल गया है लेकिन यह प्रगति ही मनुष्य के लिए गंभीर संकट पैदा कर रही है ।

पूरे विश्व में औद्योगीकरण के कारण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है । उद्योगों में विभिन्न प्रकार के कच्चे माल व रसायनों का प्रयोग किया जाता है । कारखानों और फैक्टरियों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ वातावरण को प्रदूषित करते हैं ।

जब इन अवशिष्ट पदार्थों को नदियों और समुद्र में डाला जाता है, तो जल भी प्रदूषित हो जाता है । उद्योगों में मशीनों से निकलने वाली गैसों तथा धुएँ आदि से वायु प्रदूषित होती है । फैक्टरियों और कारखानों द्वारा छोड़ी जा रही गैसों और धुएँ में कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड, सल्फर डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि होती हैं ।

ये जहरीली गैसें वायुमंडल के प्रदूषण का कारण बन रही हैं जिससे संपूर्ण प्राणी जगत तथा वनस्पति जगत दोनों के लिए ही गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है । कई बड़े शहरों में तो मोटर वाहनों से इतना अधिक प्रदूषण होता है कि सड़कों पर साँस लेना भी दूभर हो जाता है । कृषि कार्यो के दौरान कीटनाशक दवाओं तथा रासायनिक खादों का प्रयोग करने से भी वायुमंडल दूषित होता है ।

ADVERTISEMENTS:

फर्नीचर और उपकरणों पर स्टे-पेंटिंग पॉलिश । रंगाई छपाई तथा ड्राई-क्लीनिंग के काम में आने वाले द्रव्यों से कार्बनिक वेपर उत्पन्न होते हैं जो वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं । बहता हुआ पानी प्राय: स्वच्छ होता है, क्योंकि उसमें खुद को स्वच्छ बनाए रखने की क्षमता होती है । परंतु औद्योगिक क्रियाकलापों के कारण जल भी प्रदूषित होता जा रहा है ।

जल में फास्फरस तथा नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से जल दूषित हो जाता है । भूमि के कटाव के कारण नदियों, झीलों तथा सागरों में गाद इकट्‌ठा हो जाती है जिससे समुद्री जीवों के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है ।

जहरीला औद्योगिक कचरा कारखानों के अवशिष्ट पदार्थ तेल विषैले, रसायन आदि को नदियों झीलों व समुद्रों में बहा देने से इनका पानी विषैला हो जाता है तथा जल के जीवों के लिए संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

प्रदूषित पानी को उपयोग में लाने वाले प्राणी विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं । इसी प्रकार खेतों में डाले जाने वाले रसायन भूमिगत जल को प्रदूषित करने का कारण बन जाते हैं । पेड़ों की कटाई खदानों की खुदाई तेल की खोज चरागाहों का सिकुड़ना भूमि का कटाव तथा जीव-जन्तुओं का विनाश आदि सभी प्रदूषण का कारण बनते हैं ।

शोर-शराबे तथा भारी मशीनों के कारण होने वाली आवाजों से ध्वनि प्रदूषण होता है । ध्वनि-प्रदूषण के कारण सुनने की शक्ति तथा स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो जाता है । आज हवा समुद्र नदियाँ सभी प्रदूषण के शिकार हैं । नदियों का पानी जहरीला हो रहा है । समुद्र में प्रदूषण के परिणामस्वरूप मछलियाँ मर रही हैं पेड़ सूख रहे हैं और साँस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है ।

शहरों की प्रदूषित वायु में दम घुटता है । वायु और जल प्रदूषण के कारण मनुष्य तथा जीव-जन्तु तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं । भोजन चक्र के माध्यम से भी विषैले तत्व हमारे शरीर में पहुँच रहे हैं । पक्षियों का विनाश होने से कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कीड़े-मकोड़ों के कारण फसलें नष्ट होने लगेंगी ।

प्रदूषण के कारण ओजोन की परत नष्ट हो रही है । यदि ओजोन का क्षरण नहीं रुका तो सूर्य की हानिकारक किरणें धरती पर पहुँचेंगी तथा मनुष्य और अन्य जीवों को हानि पहुंचाएंगी । यदि वनों और पेड़-पौधों की कटाई ऐसे ही होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भू-क्षरण के कारण भूमि खेती के लायक ही नहीं रह जाएगी । वनों के विनाश से वर्षा में भी कमी आएगी ।

प्रकृति में जीवधारियों की एक निश्चित और सुसम्बद्ध श्रृंखला होती है । इसकी एक कड़ी भी यदि टूट जाए तो भयानक विनाश हो सकता है । उदाहरण के लिए यदि भी बिल्लियाँ मार दी जाएं तो चूहों की संख्या में हद से ज्यादा वृद्धि हो जाएगी जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा ।

इसी प्रकार शेर, बाघ और चीतों के विनाश से जंगलों में पर्यावरणिक असंतुलन पैदा होगा । प्रकृति में जीवों और वनस्पतियों के बीच तथा स्वयं वनस्पतियों और जीवों के बीच एक ऐसा संतुलन है जिसके बिगड़ने पर विनाश आरम्भ हो जाएगा । यह सतुलन प्रदूषण के कारण ही बिगड़ता जा रहा है ।

हाल के वर्षो में इस संबंध मे जागरूकता आयी और प्रदूषण के कारकों को समाप्त करने इन प्रयास किया जा रहा है । मानव मात्र की रक्षा और भावी पीढ़ियों के कल्याण हेतु इस दशा में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है । ऐसा करके ही हम प्रदूषण की समस्या ऊन निराकरण कर सकते हैं ।

2. पर्यावरण प्रदूषण का स्वरूप व उनके परिणाम । Essay on Environment Pollution and its Effects for College Students in Hindi Language

पर्यावरण प्रदूषण के कारण ही पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है । इस ताप का प्रभाव ध्वनि की गति पर भी पड़ता है । तापमान में एक डिग्री सेल्सियस ताप बढ़ने पर ध्वनि की गति लगभग साठ सेंटीमीटर प्रति सेकेण्ड बढ़ जाती है । आज हर ध्वनि की गति तीव्र है और श्रवण शक्ति का हास हो रहा है ।

यही कारण है कि आज बहुत दूर से घोड़ों के टापों की आवाज जमीन पर कान लगाकर नहीं सुनी जा सकती । जबकि प्राचीन काल में राजाओं की सेना इस तकनीक का प्रयोग करती थी । बढ़ते उद्योगों, महानगरों के विस्तार तथा सड़कों पर बढ़ते वाहनों के बोझ ने हमारे समक्ष कई तरह की समस्या खड़ी कर दी हैं । इनमें सबसे भयंकर समस्या है प्रदूषण ।

इससे हमारा पर्यावरण संतुलन तो बिगड़ ही रहा है साथ ही यह प्रकृति प्रदत्त वायु व जल को भी दूषित कर रही है । पर्यावरण में प्रदूषण कई प्रकार के हैं । इनमें मुख्य रूप से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण शामिल हैं । इनसे हमारा सामाजिक जीवन प्रभावित होने लगा है तथा तरह-तरह के रोग उत्पन्न होने लगे हैं ।

औद्योगिक संस्थाओं को कूड़ा-करकट, रासायनिक द्रव्य व इनसे निकलने वाला अवजल नाली-नालों से होते हुए नदियों में गिर रहे हैं । इसके अतिरिक्त अंत्येष्टि के अवशेष तथा छोटे बच्चों के शवों को नदी में बहाने की प्रथा है । इनके परिणामस्वरूप नदी का पानी दूषित हो जाता है । हालांकि नदी के इस जल को वैज्ञानिक तरीके से शोधित कर पेय जल बनाया जाता है ।

लेकिन इस कथित शुद्ध जल के उपयोग से कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो रहे हैं । इनमें खाद्य विषाक्तता तथा चर्म रोग प्रमुख है । प्रदूषित जल मानव जीवन को ही नहीं कई अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है । इससे कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है । प्रदूषित जल से खेतों में सिंचाई करने के कारण उनमें उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों की शुद्धता व उसके अन्य पक्षों पर भी उसका दुष्प्रभाव पड़ता है ।

शुद्ध वायु जीवित रहने के साथ-साथ हमारे जीवन के लिए आवश्यक है । शुद्ध वायु का स्त्रोत वन, हरे-भरे बाग व लहलहाते पेड़-पौधे हैं । क्योंकि यह जहां प्रदूषण के भक्षक हैं वहीं यह हमें आक्सीजन प्रदान करते

हैं । बढ़ती जनसंख्या के कारण आवास की समस्या उत्पन्न होने लगी है । मानव ने अपनी आवासीय पूर्ति के लिए वन क्षेत्रों और वृक्षों का भारी मात्रा में दोहन किया ।

इसके अलावा हरित पट्टियों पर कंकरीट के जाल रूपी सड़कें बिछा दी हैं । इस कारण हमें शुद्ध वायु नहीं मिल पा रही । इसके अतिरिक्त कारखानों से निकलने वाली विषैली गैसें, धुआं, कूड़े-कचरों से उत्पन्न गैसें वायु को प्रदूषित कर रही हैं । रही सही कसर पेट्रोलियम पदार्थ से चलने वाले वाहनों ने पूरी कर दी है । स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, बस, ट्रक आदि वाहन दिन रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं ।

इनसे जो धुआं निकलता है उसमें कार्बनडाय आक्साइड, सल्फ्यूरिक ऐसिड और सीसे के तत्व शामिल होते हैं । जो हमारे वायुमंडल में घुलकर उसे प्रदूषित करते हैं । दिल्ली जैसे महानगर में वायु को प्रदूषित करने में वाहनों की अहम भूमिका है ।

वायु को प्रदूषित करने में इनका हिस्सा साठ प्रतिशत तथा शेष कारखानों व अन्य स्त्रोत के जरिये होता है । वायु प्रदूषण से श्वास संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं । इसके अलावा यह हमारे नेत्रों व त्वचा को भी प्रभावित करती है । हमारे वातावरण में मनुष्य की ध्वनि के अतिरिक्त प्रकृति और प्राकृतिक वातावरण से सुनाई देने वाली भी कुछ ध्वनियां हैं ।

पक्षियों के चहचहाने, पत्तों का टकराने, बादलों और समुद्र की हल्की गर्जना आदि से भी ध्वनि उत्पन्न होती है । इन ध्वनियों को प्रकृति का संगीत मानकर उनका आनन्द लिया जाता है । लेकिन यही ध्वनियां जब तेज हो उठती हैं तो कानों को चुभने लगती हैं । तेज ध्वनि से कानों के पर्दे फट जाने और व्यक्ति के बहरा हो जाने का भय होता है । इस भयप्रद ध्वनियों के प्रभाव को वास्तव में ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है ।

प्रात: से ही हम ध्वनि प्रदूषण का शिकार होने लगे हैं । इस समय मन्दिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में कीर्तन मण्डलियों द्वारा लाउडस्पीकर चलाकर भजन गाये जाते हैं । यह भी ध्वनि प्रदूषण का एक बहुत बड़ा हानिप्रद कारण है । इन पर अंकुश लगाने में हमारा धर्म आड़े आ जाता है । यही कारण है कि इस पर कानूनी अंकुश लगाने में सफलता नहीं मिल पा रही है ।

इसके अतिरिक्त मोटरों, कारों, ट्रकों, बसों, स्कूटरों आदि के तेज आवाज वाले होर्न, तेज गति व आवाज से दौड़ती रेलें, कल-कारखानों के बजते भोंपू व मशीनों की आवाज भी ध्वनि प्रदूषण फैलाती है । संगीत की कोकिल ध्वनि चित्त को जहां शांति व खुशी प्रदान करती है वहीं दूसरी ओर वाहनों का शोर हमें कान की व्याधि का शिकार बना रहा है ।

ध्वनि व शोर में कोई अधिक अंतर नहीं है । शोर वह ध्वनि है जिसे हम नहीं चाहते । अधिक तीव्रता एवं प्रबलता की ध्वनि ही शोर कहलाती है । बड़े शहरों के खुले वातावरण में तीस डेसीबल का शोर हर समय रहता है । कभी-कभी यह पचास से डेढ़ सौ डेसीबल तक बढ़ जाता है ।

उल्लेखनीय है कि किसी सोये हुए व्यक्ति की निद्रा चालीस डेसीबल के शोर से खुल जाती है । पहले प्रात: चिड़ियों की चहचहाट से नींद खुलती थी लेकिन अब मोटर वाहनों की शोरगुल से नींद खुलती है । अकेले दिल्ली में सड़कों पर दौड़ते वाहनों एवं कर्कश कोलाहल से करीब सवा करोड़ की आबादी में से अधिकतर लोग शोर जनित बहरेपन के शिकार है ।

ऐसे लोगों को फुस्फुसाहट सुनाई नहीं देती । पचास डेसीबल का शोर हमारे श्रवण शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है । दीवाली पर जलाये जाने वाले पटाखों का शोर दौ सौ डेसीबल से भी अधिक होता है । ध्वनि प्रदूषण कानों की श्रवण शक्ति के लिए तो हानिकारक है ही, साथ ही यह तन मन की शान्ति को भी प्रभावित करता है । ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव चिड़चिड़ा और असहिष्णु हो जाता है ।

इसके अलावा अन्य कई विकार पैदा होने लगते हैं । हमें प्रदूषण से बचने के लिए हरित क्षेत्र विकसित करना होगा । इसके अतिरिक्त आवासीय क्षेत्रों में चल रही औद्योगिक इकाइयों को वहां से स्थानांतरित कर इन इकाइयों से निकलने वाले कचरे को जलाकर नष्ट करने जैसे कुछ उपाय अपनाकर प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है ।

3. गंगा प्रदूषण । Essay on Ganga River Pollution f or Kids in Hindi Language

गंगा भारतीय जन-मानस बल्कि स्वयं समूची भारतीयता की आस्था का जीवन्त प्रतीक है, मात्र एक नदी नहीं । हिमालय की गोद में पहाड़ी घाटियों से नीचे उतर कल्लोल करते हुए मैदानों की राहों पर प्रवाहित होने वाली गंगा पवित्र तो है ही, वह मोक्षदायिनी के रूप में भारतीय भावनाओं में समाई है । भारतीय सभ्यता-संस्कृति का विकास गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों विशेषकर गंगा तट के आस-पास ही हुआ है ।

गंगा जल वर्षों तक बोतलों, डिब्बों आदि में बन्द रहने पर भी कभी खराब नहीं होता और न ही उसमें कोई कीड़े लगते हैं । वही भारतीयता की मातृवत पूज्या गंगा आज प्रदूषित होकर गन्दे नाले जैसी बनती जा रही है, यह भी एक वैज्ञानिक परीक्षणगत एवं अनुभवसिद्ध तथ्य है ।

पतित पावनी गंगा के जल के प्रदूषित होने के बुनियादी कारण क्या हैं, उन पर कई बार विचार एवं दृष्टिपात किया जा चुका है । एक कारण तो यह है कि भारत के प्राय: सभी प्रमुख नगर गंगा तट पर और उसके आस-पास बसे हुए हैं । उन नगरों में आबादी का दबाव बहुत बढ़ गया है ।

वहां से मल-मूत्र और गन्दे पानी की निकासी की कोई सुचारू व्यवस्था न होने के कारण इधर-उधर बनाए गए छोटे-बड़े सभी गन्दे नालों के माध्यम से बहकर वह गंगा नदी में आ मिलता है । परिणामस्वरूप कभी खराब न होने वाला गंगाजल भी बाकी वातावरण के समान आज बुरी तरह से प्रदूषित होकर रह गया है ।

एक दूसरा प्रमुख कारण गंगा-प्रदूषण का यह है कि औद्योगीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति ने भी इसे बहुत प्रश्रय दिया है । हावड़ा, कोलकाता, बनारस, कानपुर आदि जाने कितने औद्योगिक नगर गंगा तट पर ही बसे हैं । यहां लगे छोटे-बड़े कारखानों से बहने वाला रासायनिक दृष्टि से प्रदूषित पानी, कचरा आदि भी गन्दे नालों तथा अन्य मार्गों से आकर गंगा में ही विसर्जित होता है ।

इस प्रकार के तत्वों ने जैसे बाकी वातावरण को प्रदूषित कर रखा है, वैसे गंगाजल को भी बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है । वैज्ञानिकों, का यह भी मानना है कि सदियों से आध्यात्मिक भावनाओं से अनुप्राणित होकर गंगा की धारा में मृतकों की अस्थियों एवं अवशिष्ट राख तो बहाई ही जा रही है, अनेक लावारिस और बच्चों की लाशें भी बहा दी जाती हैं ।

बाढ़ आदि के समय मरे पशु भी धारा में आ मिलते हैं । इन सबने भी जल-प्रदूषण की स्थितियाँ पैदा कर दी हैं । गंगा के निकास स्थल और आस-पास से वनों-वृक्षों का निरन्तर कटाव, वनस्पतियों औषधीय तत्वों का विनाश भी प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है । इसमें सन्देह नहीं कि ऊपर जितने भी कारण बताए गए हैं, गंगा-जल को प्रदूषित करने में न्यूनाधिक उन सभी का हाथ अवश्य है ।

विगत वर्षों में गंगाजल का प्रदूषण समाप्त करने के लिए एक योजना बनाई गई थी । कुछ दिनों उस पर कार्य होता भी रहा । फिर शायद धनाभाव के कारण उसे रामभरोसे बीच में छोड़ दिया गया । योजना के अन्तर्गत दो कार्य मुख्य रूप से किए गए या करने का प्रावधान किया गया ।

एक तो यह कि जो गन्दे नाले गंगा में आकर गिरते हैं, या तो उन का रुख मोड़ दिया जाए, या फिर उनमें जल-शोधन करने वाले संयंत्र लगाकर जल को शुद्ध साफ कर गंगा में गिरने दिया जाए । शोधन से प्राप्त मलबा बड़ी उपयोगी खाद का काम दे सकता है, यह एक स्वयं सिद्ध बात है । दूसरा यह कि कल-कारखानों से निकलने वाला विषैला प्रदूषित जल भी गंगा तक न पहुंचने दिया जाये ।

कारखानों में ऐसे संयत्र लगाए जायें जो उस जल का शोधन कर सकें या उस पानी को, कचरे को कहीं और भूमि के भीतर दफन कर दिया जाए । शायद ऐसा कुछ करने का एक सीमा तक प्रयास भी किया गया, पर काम आगे नहीं बढ़ सका, यह भी तथ्य है, जबकि गंगा के साथ जुड़ी भारतीयता का ध्यान रख उसे पूर्ण करना बहुत आवश्यक है ।

बाकी तनिक आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टि अपनाकर अपने ही हित में गंगाजल में लाशें बहाना बन्द किया जा सकता है । धारा के निकास-स्थल के आसपास से वन-वृक्षों, वनस्पतियों आदि का कटाव कठोरता से प्रतिबन्धित कर कटे स्थान पर उनका पुनर्विकास कर पाना आज कोई कठिन बात नहीं रह गई है ।

अन्य उन कारक तत्वों को भी थोड़ा प्रयास कर के निराकरण किया जा सकता है, जो गंगा जल को प्रदूषित कर रहे हैं ऐसा सब करना वास्तव में भारतीयता और उसकी संस्कृति में आ मिले अपतत्वों से उसकी रक्षा करना है । वास्तव में गंगा जल की शुद्धता का अर्थ भारतीयता की समग्र शुद्धता है ।

4. वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण  |Essay on Rise of Pollution in the Recent Times for College Students in Hindi Language

पर्यावरण को जीवन्त बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है । बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक विकास की होड़ में जिस प्रकार जंगलों का विनाश किया गया है और किया जा रहा है, उससे समस्त धरा असुरक्षित हो गई है ।

अत: धरती पर जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है । हमारे यहां प्राचीन काल से ही वनों की सुरक्षा और वृक्षारोपण को धार्मिक भावनाओं से जोड़ दिया गया ।  वट-सावित्री पूजन, एकादशी को आवले के नीचे भोजन करना, पीपल की पूजा आदि प्राचीन विधियां वनों को सुरक्षित रखने और वृक्षारोपण को प्रश्रय देने के लिए की गई थी ।

वृक्षारोपण से वन-सम्पदा में दृष्टि होती हैं । इससे अनेक लाभ है: जलावन, घर के किवाड़, खिड़की, धरन और अन्य उपयोगी सामान इसी से प्राप्त होते हैं ।  अनेक वृक्षों के छाल और पत्ते उद्योग धन्धों को चलाने के काम आते हैं । बबूल की छाल, हर्र-बहेरा और आंवला चमड़ा बनाने के काम में भी आता है ।

रबर, रेशम आदि वृक्ष से ही प्राप्त होते है । भारतवर्ष के अधिकांश हिस्सों में आज भी जलावन के लिए लकड़ी का ही व्यवहार किया जाता है । वृक्षारोपण न केवल हमारे गृहस्थ्य जीवन का आधार है, बल्कि यह वायु मंडल को नियंत्रित करने में भी सहायक है । वृक्ष ऑकसीजन का सर्वप्रमुख माध्यम है ।

यह हमें छाया प्रदान कर वायुमंडल में कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करता है । साथ ही यह हमें छाया प्रदान करने के साथ-साथ पशु-पक्षियों को खाद्य और आश्रय प्रदान करता है । जंगलों के विनाश से बाढ़ का प्रकोप बढ़ा है ।  इसे वृक्षारोपण द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है ।

वृक्ष (जंगल) मिट्टी का क्षरण रोककर बाढ़ की विनाशलीला से हमारी रक्षा करता है । कहा जाता है कि रोम और बेवालीन के पतन के कारणों में जंगलों का विनाश भी था । जंगल के अभाव में बड़े-बड़े उपजाऊ प्रदेश रेगिस्तान में बदल गये । वृक्षारोपण से मिट्टी में जलधारण कीं क्षमता बढ़ती है जिससे अनेक लाभ हैं ।

साथ ही यह मिट्टी में जैविक पदाथों की वृद्धि कर मिट्टी की कार्य क्षमता को बढ़ाता है । धरती को जीवन्त और उपजाऊ बनाकर हमें फल-फूल, अनाज आदि प्रदान करता है । आज हमारे समक्ष उत्पन्न पर्यावरण संबंधी विभिन्न समस्याओं को भी अनुभव किया जा रहा है जिसका एक मात्र हल वृक्षारोपण है ।

इन समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार ने भी वृक्षारोपण योजना को प्रश्रय देने के लिए विभिन्न योजनाओं को आकार दिया है । वन-महोत्सव एक आन्दोलन की शक्ल में देखा जा रहा है ।  पंजाब में सिंचाई करके जंगल लगाये जा रहे हैं ।

अन्य प्रदेशों में भी वृक्षारोपण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है ।  निष्कर्षत: वृक्षारोपण का जीवन पर अत्यधिक प्रभाव है । हमारा कर्तव्य है कि हम स्थायी जंगलों की रक्षा करें, साथ ही वृक्षारोपण द्वारा नये जंगल लगाने का प्रयास करें । 

इससे न केवल आंधी, तूफान, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों से हमारी रक्षा होगी अपितु इंधन की समस्या भी दूर होगी ।  बंजर और व्यर्थ पड़ी भूमि को वृक्षारोपण द्वारा हम उपयोगी बना सकते हैं । वृक्षारोपण एक यज्ञ है और इस यज्ञ को पूरा करने में हमें तन-मन-धन से जुट जाना चाहिए ।

5. ध्वनि-प्रदूषण: स्वरूप और परिणाम | Essay on Noise Pollution and its Effect for School Students in Hindi Language

मनुष्य को प्रकृति का यह वरदान प्राप्त है कि वह बोल सकता है । उसके पास अपनी एक उन्नत भाषा है । उस भाषा में वह बातचीत कर सकता है । विचारों को समझ-समझा या उनका आदान-प्रदान कर सकता है ।

प्रकृति के वरदान और भाषा अर्जित कर लेने के बल पर मनुष्य गुनगुना सकता है । स्वर-लय में गा सकता है । चाहने और आवश्यकता पड़ने पर रो भी सकता है और चिल्ला भी सकता है । इस प्रकार समय और स्थिति के अनुसार मनुष्य को अपनी तथा अपने जैसे अन्य मनुष्यों की ध्वनियाँ सुननी पड़ती हैं ।

इस प्रकार की ध्वनियाँ सामान्य रूप से सुनना किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं कहा जा सकता । स्वाभाविक ही कहा जाएगा । मनुष्यों की ध्वनियों के अतिरिक्त प्रकृति और प्राकृतिक वातावरण से सुनाई देने वाली भी कुछ ध्वनियाँ हुआ करती हैं ।

पक्षियों का चहचहाना, पत्तों का टकराकर मरमर करना, धारा का सरसर करते हुए सरकना या बहना, बादलों और समुद्र की हल्की गर्जना आदि । इस प्रकार की ध्वनियों को प्रकृति का संगीत मान कर उन सबका स्वाभाविक आनन्द लिया जाता है ।

लेकिन जब बादल तुमुल स्वरों में गर्जने, सागर ऊंची लहरें उठाकर हुँकारने और बादलों में बिजलियाँ कड़क कर कानों के पर्दे फाड़ने लगती है, तब किसे अच्छा लगता है? इसी प्रकार जब कई मनुष्य चिल्ला-चिल्ला कर गाने या बातें करने लगते हैं ।

दहाड़े मारकर सबको दहला देना चाहते है, तब भी कानों पर बुरा असर पड़ता है । वे फटने लगते हैं । जब भूकम्प आता है और पृथ्वी गड़गड़ाहट के साथ हिलने और फटने लगती हैं-तब यह प्राकृतिक व्यापार होते हुए भी किसी को अच्छे नहीं लगते ।

इस प्रकार के प्राकृतिक ध्वनि-विकारों से कानों के पर्दे फट जाने और व्यक्ति के बहरा हो जाने का भय बना रहता है । इसी भयप्रद ध्वनियों के प्रभाव को वास्तव में ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है । यह चाहे प्रकृति द्वारा फैलाया जाए, चाहे मनुष्यों द्वारा, कतई अच्छा नहीं माना जाता ।

आजकल हमें हर कदम पर और भी कई प्रकार की विकराल ध्वनियों से दो चार होना पड़ता है । सड़कों-बाजारों पर गूँजती और सुनाई देती रहने वाली ध्वनियों की बात तो जाने दीजिए । वह तो घर से बाहर निकलने पर ही सुनने को मिलेगी; पर आजकल तो कई बार व्यक्ति अपने घर तक में शान्त नहीं बैठ पाता ।

वहाँ भी चारों ओर से सुनाई देने वाली ध्वनियाँ उसके कानों के पर्दों और श्रवण शक्ति के लिए चुनौती बनी रहती है । आप शान्त बैठे अपना पूजा-पाठ कर रहे हैं, या कुछ पढ़-लिख रहे हैं, आपस में कोई घरेलू बात ही कर रहे हैं कि आस-पड़ोस से कहीं कोई टेपरिकार्डर उच्च स्वर में, कानों के पर्दे फाड़ देने वाले स्वर में गूँज उठता अब कर लीजिए पूजा-पाठ! पढ़-लिख लीजिए या कर लीजिए जरूरी घरेलू बातचीत ! हो गया सब ।

उस गूंजते टेप रिकार्ड के कारण जब अपनी आवाज आपको सुन पाना संभव नहीं, तो दूसरे कैसे सुनेंगे ?  कैसे लग सकता है मन पूजा-पाठ या पढ़ने-लिखने में? आपको परीक्षा देनी है सुबह, किसी साक्षात्कार की तैयारी कर रहे हैं आप भाड़ में जाए सब ।

बजाने वाले को तो बस अपना मन बहलाना है । अपनी पसन्द का गाना न चाहे हुए भी आपको सुनाना ही है । अब आपने यदि जाकर कह दिया कि धीरे बजाइये, तो जानते हैं न, क्या उत्तर मिलता है? यही न-कि अपना घर है, घर में बजा रहे हैं, आप मत सुनिये । अपने कान और किबाड़ बन्द कर लीजिए ।

इसमें आपका कोई क्या ले रहा है । अब ऐसे भले मानुसों को कौन समझाए कि यह एक प्रकार का ध्वनि-प्रदूषण है । इससे दूसरे की श्रवण-शक्ति के साथ-साथ आपकी अपनी श्रवण-शक्ति को भी हानि पहुँच सकती है । बहरेपन का बढ़ता रोग इस बात का प्रमाण है, पर नहीं । उन्हें तो नहीं समझना है ।

मन्दिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, जागरणों, कीर्तन-मण्डलियों द्वारा लाउडस्पीकर चलाकर अपने भजन-कीर्तन, आदि का विस्तार करना भी ध्वनि-प्रदूषण का एक बहुत-बड़ा हानिप्रद कारण है । हालांकि कानूनी तौर पर ऐसा करना गलियों-बाजारों में टैण्ट लगा कर उच्च स्वरों में लाउडस्पीकर बजाना वर्जित और दण्डनीय अपराध है; किन्तु कौन किसको रोके ? धर्म जो आड़े आ जाता है ।

सो बेचारे कानून के रखवाले भी अनसुनी करके रह जाते हैं । इन सबके अतिरिक्त मोटरों, कारों, ट्रकों, बसों, स्कूटरों आदि के जोर-शोर के बजते हार्न, धड़धड़ा कर चलते उनके पहिए, दौड़ती रेलें और उनकी ऊँची सीटियां, कल-कारखानों के बजते घुग्घू और धड़-धड़ करते मशीनों के पहिए उफ ! कितना शोर होता है इन सब के कारण ।

कई बार कानों पर हाथ रख लेने को विवश हो जाना पड़ता है । कानों में ठूँसने के लिए रुई तक खोजनी पड़ती है और भी तरह-तरह के शोर-शराबे हमारे चारों ओर गूँज कर हमें व्यथित और पीड़ित करते रहते हैं । इस प्रकार आज अन्य प्रकार के प्रदूषणों की तरह ध्वनि-प्रदूषण को संत्रस्त कर रखा है ।

ध्वनि प्रदूषण कानों की श्रवण-शक्ति के लिए तो हानिकारक है ही, तन मन की शान्ति भी हरण करने वाला प्रमाणित हुआ है । ध्वनि-प्रदूषण अपनी अधिकता के कारण कई बार व्यक्ति के सूक्ष्म स्नायु तन्तुओं में तनाव पैदा कर नींद को भगा दिया करता है । ध्वनि-प्रदूषण व्यक्तियों को चिड़चिड़ा और असहिष्णु भी बना दिया करता है ।

इससे और भी कई प्रकार की शारीरिक-मानसिक बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं या हो जाया करती हैं । इन्हीं सब कारणों से व्यक्ति को एकान्त एवं शान्त वातावरण में रहने वालों द्वारा हर समय चपट-चपट करते रहने वाले को अच्छा नहीं समझा जाता । ऐसी दशा में अपने ही हित के लिए हमें जितना भी संभव हो सके, शान्त वातावरण में शान्त मौन भाव से रहने का करना चाहिए ।

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Essay on Pollution for Students and Children

500+ words essay on pollution.

Pollution is a term which even kids are aware of these days. It has become so common that almost everyone acknowledges the fact that pollution is rising continuously. The term ‘pollution’ means the manifestation of any unsolicited foreign substance in something. When we talk about pollution on earth, we refer to the contamination that is happening of the natural resources by various pollutants . All this is mainly caused by human activities which harm the environment in ways more than one. Therefore, an urgent need has arisen to tackle this issue straightaway. That is to say, pollution is damaging our earth severely and we need to realize its effects and prevent this damage. In this essay on pollution, we will see what are the effects of pollution and how to reduce it.

essay on pollution

Effects of Pollution

Pollution affects the quality of life more than one can imagine. It works in mysterious ways, sometimes which cannot be seen by the naked eye. However, it is very much present in the environment. For instance, you might not be able to see the natural gases present in the air, but they are still there. Similarly, the pollutants which are messing up the air and increasing the levels of carbon dioxide is very dangerous for humans. Increased level of carbon dioxide will lead to global warming .

Further, the water is polluted in the name of industrial development, religious practices and more will cause a shortage of drinking water. Without water, human life is not possible. Moreover, the way waste is dumped on the land eventually ends up in the soil and turns toxic. If land pollution keeps on happening at this rate, we won’t have fertile soil to grow our crops on. Therefore, serious measures must be taken to reduce pollution to the core.

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Types of Pollution

  • Air Pollution
  • Water Pollution
  • Soil Pollution

How to Reduce Pollution?

After learning the harmful effects of pollution, one must get on the task of preventing or reducing pollution as soon as possible. To reduce air pollution, people should take public transport or carpool to reduce vehicular smoke. While it may be hard, avoiding firecrackers at festivals and celebrations can also cut down on air and noise pollution. Above all, we must adopt the habit of recycling. All the used plastic ends up in the oceans and land, which pollutes them.

essay on pollution and its effects in hindi

So, remember to not dispose of them off after use, rather reuse them as long as you can. We must also encourage everyone to plant more trees which will absorb the harmful gases and make the air cleaner. When talking on a bigger level, the government must limit the usage of fertilizers to maintain the soil’s fertility. In addition, industries must be banned from dumping their waste into oceans and rivers, causing water pollution.

To sum it up, all types of pollution is hazardous and comes with grave consequences. Everyone must take a step towards change ranging from individuals to the industries. As tackling this problem calls for a joint effort, so we must join hands now. Moreover, the innocent lives of animals are being lost because of such human activities. So, all of us must take a stand and become a voice for the unheard in order to make this earth pollution-free.

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FAQs on Pollution

Q.1 What are the effects of pollution?

A.1 Pollution essentially affects the quality of human life. It degrades almost everything from the water we drink to the air we breathe. It damages the natural resources needed for a healthy life.

Q.2 How can one reduce pollution?

A.2 We must take individual steps to reduce pollution. People should decompose their waster mindfully, they should plant more trees. Further, one must always recycle what they can and make the earth greener.

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10 Lines on Pollution and its Effects in Hindi – 10 Lines Essay

10 lines on pollution and its effects in hindi language :.

Hello Student, Here in this post We have discussed about Pollution and its Effects in Hindi. Students who want to know a detailed knowledge about Pollution and its Effects, then Here we posted a detailed view about 10 Lines Essay Pollution and its Effects in Hindi. This essay is very simple.

Pollution and its Effects

3) जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण का आज मनुष्य तथा पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

5) ध्वनि प्रदूषण के कारण आज कई पक्षी मर रहे तथा मनुष्य के बीच सुनने की क्षमता और उसके स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ रहा है।

9) प्रदूषण के घातक परिणाम केवल मनुष्य जाति ही नहीं तथा संपूर्ण सजीवों को भुगतना पड़ेगा।

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