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Wednesday, February 1, 2023
निबंध : स्कूल में मेरा पहला दिन - my first day at school essay in hindi - pdf, निबंध : स्कूल में मेरा पहला दिन.
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विद्यालय में मेरा प्रथम दिन | My First Day at School in Hindi
विद्यालय में मेरा प्रथम दिन | My First Day at School in Hindi!
जन्म दिन और त्योहारों के अतिरिक्त भी कुछ महत्वपूर्ण दिन ऐसे होते हैं, जिन्हें मनुष्य भूल नहीं पाता । प्रथम बार विद्यालय जाना भी बालक के लिए काफी रोमांचकारी होता है । इस का अमिट प्रभाव बालक के मन पर पड़े बिना नहीं रहता ।
यद्यपि आज मैं आठवीं कक्षा का छात्र हूँ, परन्तु जब मैं विद्यालय में अपने प्रथम दिन के विषय में सोचता हूँ, तो रोमांचित हो उठता हूँ । मेरी बहन डी॰ए॰वी॰ स्कूल में पढ़ती थी । वह मुझ से चार वर्ष बड़ी थी । मेरे पिता जी ने मुझे भी इसी विद्यालय में पढ़ाने का निश्चय कर लिया था । जब मैं पाँच वर्ष का हुआ तो मुझे दाखिल कराने का निश्चय किया गया ।
गर्मी के दिन थे । तीन अप्रैल का दिन था । प्रात: काल ही माता जी ने मुझे जल्दी जगा दिया । नित्य कर्म के पश्चात् मैं स्नान करके लगभग छ: बजे तैयार हो गया । दूध और डबल रोटी का नाश्ता किया । मैंने बड़े चाव से विद्यालय की वर्दि पहनी । नये जूते, जुराबें, बस्ता देखकर में प्रफुल्लित था । मेरे पिताजी मुझे और मेरी बहन को कार में बैठाकर स्कूल पहुँचे ।
ADVERTISEMENTS:
विद्यालय की इमारत बहुत सुन्दर और तीन मंजिली थी । बाहर गेट पर खाकी वर्दी पहने चौकीदार था । पिता जी ने मुख्य द्वार के पास कार खड़ी की और हम दोनों को लेकर स्कूल पहुँचे । मेरी बहन तो अपनी कक्षा में चली गई ।
मुझे पिता जी प्रधानाचार्य के कमरे में ले गये । वहाँ और भी कई लड़के-लड़कियाँ और उनके माता-पिता विद्यमान थे । प्रधानाचार्य सब को बारी-बारी बुला रहे थे और उनके प्रवेश पत्रों पर हस्ताक्षर कर रहे थे । मेरा दाखिला पहली कक्षा में हुआ ।
मेरी कक्षा का कमरा भू-तल पर ही था । जब मैं कक्षा में पहुँचा तो वहाँ बीस-पच्चीस छात्र-छात्राएं विद्यमान थे । सुधा मेरी बहन की सहेली की छोटी बहन थी । उसने तत्काल मुझे ”हैलो” कहा और मेरी कक्षा अध्यापिका ने मुझे उसके साथ ही पहली पंक्ति में बैठा दिया । चार पीरियड के बाद आधी छुट्टी की घंटी बजी । सब बच्चे बस्ते बंद करके बाहर निकल आये । मैं भी उनके साथ बाहर आ गया ।
मेरी बहन पहले से ही मेरे कमरे के बाहर पहुँच गई थी । हम ने अल्पाहार किया । आधी छुट्टी बंद होने पर सारे बच्चे अपनी-अपनी कक्षा में चले गये । पहले दिन मेरी कक्षा अध्यापिका ने मुझे स्कूल के नियम समझाये । पाठ्य पुस्तकों की एक सूची दी । गिनती और पहाड़ों का ज्ञान कराया । मुझ से एक कविता सुनी । वो मुझ से बहुत प्रसन्न हुई और पीठ थपथपाई ।
लगभग साढ़े बारह बजे पूर्णावकाश की घंटी बजी । मेरी बहन अब भी दौड़ती हुई मेरी कक्षा के बाहर पहुँच गई । हम दोनों स्कूल के बाहर आये । हमारी माता जी द्वार पर हमारी प्रतीक्षा कर रही थीं । तत्पश्चात् हम तीनों तिपहिया स्कूटर में बैठ कर घर आये । जब भी मैं अपने पहले दिन के विषय में सोचता हूँ, तो आनंदित हो जाता हूँ ।
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विद्यालय में मेरा पहला दिन निबंध
विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध। hindi essay on my first day at school.
कभी-कभी ऐसा होता है। जब कहीं पर किसी विशेष अवसर पर प्रवेश करना पड़ता है। इस प्रकार अनुभव कभी-कभी बहुत मीठा होता है। तो कभी बहुत खट्टा ओर कभी कड़वा होता है। फिर भी ये सभी अनुभव हमारे जीवन पर एक गहरी छाप छोड़ जाते है। इस प्रकार ये अनुभव जीवन मे सजीव हो जाते है। यू तो ओर के जैसे मुझे भी कुछ अनुभव प्राप्त है। जिन्हें हम भुलाएं नही भूलते है। इस प्रकार के अनुभव में एक अनुभव मेरे विद्यालय में पहला दिन था।
विद्यालय में मेरा पहले दिन का अनुभव उस समय का है जब मेंने आठवीं कक्षा पास कर ली थी। मेरा रिजेल्ट बहुत ही अच्छा था मैंने प्रथम श्रेणी में पास कर लिया था। इसलिए मुझे शहर के एक अच्छे विद्यालय में प्रवेश लेने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे परिवार सहित सभी पास पड़ोस ओर रिश्तेदारों ने अपनी-अपनी सलाह ओर सुझाव प्रदान किये। सबके सुझाव सुनकर मेरे पापा ने मुझे एक अच्छे विद्यालय में मेरा प्रवेश करवा दिया। विद्यालय में प्रवेश के बाद मेरा प्रवेश पत्र भरकर जमा करवा दिया। कुछ दिनों बाद प्रवेश-सूची निकाली गई। और पहली सूची में ही मेरा नाम आ गया था। ये देखकर में बहुत खुश हुई। शुल्क, आदि जमा करने के बाद में अपने पठन-पाठन के लिए निश्चित समय पर विद्यालय के लिए घर से चल पड़ा।
स्कूल में पहला दिन:- में समय से पाँच मिनट पहले ही स्कूल पहुँच गया था। मुझे मेरी कक्षा को ढूढने में ज्यादा टाइम नही लगा। और जल्दी ही मुझे मेरी सीट भी मिल गयी। में कक्षा को ध्यान से देख ही रहा था। तभी प्रार्थना की घण्टी बज गई। में अन्य छात्रों के साथ प्राथना के लिए कक्षाओं के सामने विद्यालय के बीचोबीच बहुत बड़े मैदान में पहुँच गया। पाँच मिनट बाद सबके साथ मेने भी प्राथना की। इसके बाद पी.टी.टीचर ने सावधान कराते हुए कुछ हल्के से व्ययाम करवा कर सबको पंक्तिबद्ध होते हुए अपनी-अपनी कक्षा में आकर बैठ गया। चूंकि में उस विद्यालय का नया छात्र था। इसलिय में स्वम् को कुछ अजनबी-सा अनुभव कर रहा था। उधर दुसरे छात्र भी मुझे कुछ अजीब ढंग से देख रहे थे। इसके बाद घण्टी बजी। घण्टी बजते ही सभी छात्र अपने-अपने स्थान पर शांतिपूर्वक बैठ गए।
थोड़ी देर बाद टीचर ने अटेंडेंस ली।उन्होंने मुझे बड़े ध्यान से देखा।देखते ही मुझ पर प्रशनो की बौछार कर दी। एक -एक करके उन्होंने प्रशन करना शुरू कर दिया।क्या नाम है? पिता का क्या नाम है?किस स्कूल से आये हो।कहा रहते हो? आदि।मेने एक-एक करके उनके सभी प्रश्नों के उत्तर दिया।इससे वो मुझसे बहुत खुश हुए।उनके चले जाने के बाद कक्षा आरम्भ की घण्टी बजी।पहला पीरियड शुरू हुआ।जो कि गणित का था।उन्होंने एक सवाल समझाया उसके आधार पर उन्होंने दूसरा प्रशन हल करने को कहा।मेने जल्दी से हल कर दिया।सभी छात्रों सहित अध्यापक महोदय भी मेरा मुँह देखने लगे।उन्होंने मेरा नाम,पिता का नाम,पहले स्कूल का नाम,परीक्षा परिणाम आदि विषय के बारे में पूछा।मेने सभी प्रश्नों का ऊतर दिया इससे वो बहुत प्रसन्न हुए।उन्होंने मुझे शाबासी दी।में तो निहाल हो गया।उन्होंने मुझे बैठने को कहा ओर फिर में नर कार्य करने लगा।फिर गणित का पीरियड समाप्त हो गया।
इसके बाद दूसरे पीरियड की घण्टी बजी। यह पीरियड इंग्लिश का था। टीचर ने आते ही ग्रामर के विषय मे कुछ खास-खास बातें बतलाई।इसके बाद उन्होंने डायरेक्ट इनडायरेक्ट पढ़ाना शुरू किया। पढ़ाते समझाते हुए उन्होंने प्रश्न किया। पर्सन किसे कहते है? यह कितने प्रकार का होता है। इसे सुनकर सारी कक्षा चुप भो गयी। सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे। तभी मेने तपाक से उत्तर देने केवलिये हाथ ऊपर उठाया । उस अध्यापक के अनुमति से मैने सटीक उत्तर दिया। उन्होंने मुझ से आगे पूछा प्रतेक पर्सन के शब्द कौन-कौन होते है? बतलाओगे ,मैने हा करते हुए सभी परसनो के शब्दों को बतला दिया। वे मेरे उत्तर से बहुत सन्तुष्ट हुए। कक्षा के सभी छात्र फिर एक बार मुझे चकित होकर देखते रह गए।
इसके बाद घण्टी बजी। अब संस्कृत का पीरियड आरम्भ हुआ। कक्षा में भारतीय संस्कृति सभ्यता के प्रतीक संस्कृत अध्यापक आये । उन्होंने बड़े ध्यान से सबको देखा। फिर संस्कृत के श्लोकों को पढ़ाया सभी छात्र मंत्रमुग्ध होकर अपना ध्यान लगाएं। इसके बाद विज्ञान का पीरियड लगा। विज्ञान अध्यापक ने बड़ी गम्भीरता ओर तल्लीनता से प्रकाश और ध्वनि नामक विज्ञान का अध्याय पढ़ाया। उन्होंने बोर्ड पर अपेक्षित रूप से इस विषय को समझाया । सभी छात्रों ने बड़ी सावधानी के साथ इस ओर ध्यान देकर अपना काम किया। इसके बाद यह पीरियड भी समाप्त हो गया। अब लंच की घण्टी बजी सभी ने लंच किया । मेने भी अपना लांच बॉक्स खोला। अपने पास बैठे हुए छात्रों को भी मेने अपने साथ लंच करने के लिए कहा। उन्होंने भी मेरा साथ दिया। और हमने मिलकर लंच किया। इस प्रकार हमने मिलजुलकर लंच किया और हम दोस्त बन गए।
लंच समाप्त की घण्टी बजने के बाद हिंदी का पीरियड लगा। क्लास में हिंदी के सर आये वे बहुत ही सभ्य, सुशील ओर आकर्षक व्यक्तित्व के थे। उन्हें देखकर में गदगद हो गया। उन्होंने दुभद्रा कुमारी चौहान की कविता झाँसी की रानी पढ़ाई ओर फिर उसपे एक प्रशन किया। और कल सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय याद करके आने के लिए कहा। सभी से उन्होंने पूछा कि सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहा हुआ था। मेने उत्तर देने के लिए हाथ ऊपर उठाया , उन्होंने ऊतर देने के लिए स्वीकृति दे दी। स्वीकृति पाकर मैने उत्तर दिया। सुभद्रा कुमारी का जन्म उत्तर प्रदेश के निहालपुर गाँव मे सन 1904 ई.में हुआ था। उन्होंने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा। देखा केवल एक ही छात्र याद करके आया है। इसे सुनकर सभी छात्रों ने कहा सर हम भी कल से याद करके आएंगे। उन्होंने मुझे शाबासी दी। इससे छात्र प्रभावित हो गए। मैंने वह दिन आज भी याद कर्जे खुश हो जाता हूँ। इसके बाद साइंस के प्रैक्टिकल की घण्टी बजी हम सब लोग गए। वहां काफी देर तक विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को देखे-समझे । इसके बाद एक-एक करके सभी पीरियड समाप्त हो गए। में कुछ अपने नए-नए मित्रो के साथ कक्षा से बाहर निकलकर घर लौट आया।
यो तो इस विद्यालय में पढ़ते हुए मुझे दो वर्ष हो गए। किंतु इस विद्यालय में मेरा पहला दीन एक अमिट यादगार बन गया है। सचमुच में मेरा यह पहला दीन मेरे लिए बड़ा ही अदभुत ओर रोचक अनुभवों का रहा।
निबंध लेखक – कविता यादव
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मेरा विद्यालय पर निबंध
By विकास सिंह
एक स्कूल एक संस्था है, जो या तो सरकारी या निजी निकाय द्वारा संचालित है, सभी आयु वर्ग के छात्रों को व्यवस्थित और अनुशासित तरीके से शिक्षा प्रदान करने के लिए यह संस्था कार्य करती है।
मेरा विद्यालय पर निबंध, my school essay in hindi (100 शब्द)
मेरा स्कूल चार मंजिला इमारत है। यह एक मंदिर की तरह है जहां हम रोजाना पढ़ाई करने जाते हैं। सुबह-सुबह सबसे पहले हम अपने बेहतर अध्ययन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और अपने क्लास टीचर को गुड मॉर्निंग कहते हैं। फिर हम अपने पाठ्यक्रम के अनुसार अध्ययन शुरू करते हैं।
मुझे रोजाना स्कूल जाना पसंद है। मेरे विद्यालय में बहुत कठोर अनुशासन है जिसका हमें नियमित रूप से पालन करने की आवश्यकता है। मुझे अपनी स्कूल ड्रेस बहुत पसंद है। यह मेरे मीठे घर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मैं पीले स्कूल की बस से स्कूल जाता हूँ। मेरा स्कूल शहर के प्रदूषण, शोर, धूल, शोर और धुएं से रहित बहुत ही शांत जगह पर है।
मेरा विद्यालय पर निबंध, my school essay in hindi (150 शब्द)
मेरा विद्यालय लाल रंग की तीन मंजिला इमारत में बहुत उत्कृष्ट है। मुझे उचित वर्दी में दैनिक आधार पर स्कूल जाना पसंद है। मेरा क्लास टीचर बहुत दयालु है और हमें स्कूल अनुशासन का पालन करना सिखाता है। मेरा स्कूल बहुत अच्छी जगह शहर की सभी भीड़ और शोर से दूर है।
मेरे स्कूल के मुख्य द्वार के पास दो छोटे हरे बाग हैं जहाँ बहुत सारे रंग-बिरंगे फूलों के बिस्तर, घास के लॉन, फलों के पेड़ और दो खूबसूरत बौछारें हैं।मेरे स्कूल में बहुत सारी सुविधाएं हैं जैसे एक कंप्यूटर लैब, दो साइंस लैब, एक बड़ी लाइब्रेरी, एक सामान्य पढ़ने का कमरा, एक बड़ा खेल का मैदान, एक अच्छा स्टेज और एक स्थिर दुकान।
मेरे स्कूल में 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए नर्सरी की कक्षाएं हैं। मेरे स्कूल में पुरुषों और महिलाओं सहित लगभग सात उच्च योग्य शिक्षक, 20 हेल्पर्स, एक प्रिंसिपल और 10 गेट कीपर हैं। मेरे शिक्षक हमें बहुत विनम्रता से पढ़ाते हैं और हमें बहुत ही रचनात्मक और आकर्षक तरीके से विषयों को सीखाते हैं।
मेरा स्कूल पर निबंध, essay on my school in hindi (250 शब्द)
स्कूल सीखने का मंदिर है और पेशेवर और सामाजिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मेरा स्कूल दान की गई धन की मदद से 1990 में दान की गई भूमि पर स्थापित किया गया था। मेरे स्कूल का माहौल बहुत सुखद है और स्कूल का माहौल बहुत साफ और आकर्षक है।
मेरा स्कूल भवन खेल के मैदान के केंद्र में स्थित है। स्कूल के एक तरफ एक बड़ा बगीचा है जिसमें छोटे तालाब हैं। इस तालाब में कई रंगीन मछलियाँ और अन्य पानी के जानवर हैं। मेरा स्कूल चार मंजिला इमारत है जिसमें 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए नर्सरी की कक्षाएं हैं।
मेरे स्कूल में एक बड़ी लाइब्रेरी, प्रिंसिपल ऑफिस, हेड ऑफिस, क्लर्क ऑफिस, एक साइंस लेबोरेटरी, एक कंप्यूटर लैब, एक कॉमन स्टडी रूम, एक बड़ी लॉबी, टीचर कॉमन रूम, एक बड़ा स्पोर्ट्स ग्राउंड, लड़कियों और लड़कों के लिए एक अलग हॉस्टल है। स्कूल परिसर।
मेरे स्कूल में उच्च योग्य और अनुभवी शिक्षक हैं जो हमें बहुत प्रभावी और रचनात्मक तरीके से पढ़ाते हैं। मेरे स्कूल में लगभग एक हजार छात्र हैं जो हमेशा स्कूल के बाहर या स्कूल के अंदर आयोजित प्रतियोगिताओं में उच्च रैंक प्राप्त करते हैं। हम सभी उचित वर्दी में स्कूल जाते हैं। हमारे पास दो प्रकार की वर्दी है, एक समान वर्दी और दूसरी घर की वर्दी।
मेरे स्कूल की समयावधि सुबह 7.50 बजे और गर्मियों के मौसम में दोपहर में 1.30 बजे और सुबह 8.50 बजे और सर्दियों के मौसम में शाम को 3.30 बजे शुरू होती है। हम रोज़ाना कुछ समय के लिए लाइब्रेरी जाते हैं जहाँ हम अपने कौशल और सामान्य ज्ञान को बढ़ाने के लिए रचनात्मक किताबें और अखबार पढ़ने का अभ्यास करते हैं।
मेरा स्कूल पर निबंध, essay on my school in hindi (300 शब्द)
मेरा विद्यालय मेरे घर से लगभग 1 किमी दूर स्थित है। यह बहुत साफ और शांतिपूर्ण दिखता है। मेरा स्कूल एक मंदिर की तरह है जहाँ हम रोज़ जाते हैं, भगवान से प्रार्थना करते हैं और एक दिन में 6 घंटे पढ़ाई करते हैं। मेरे स्कूल के अध्यापक बहुत ही सराहनीय हैं क्योंकि वे सभी को बहुत ही संयम के साथ सिखाते हैं।
मेरे स्कूल में अध्ययन, स्वच्छता और वर्दी के सख्त मानदंड हैं। मुझे रोज़ाना स्कूल जाना पसंद है क्योंकि मेरी माँ कहती है कि रोज़ाना स्कूल जाना और सभी अनुशासन का पालन करना बहुत आवश्यक है। स्कूल शिक्षा का एक मंदिर है जहाँ हम बहुत रचनात्मक रूप से सीखने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। हम अपने अध्ययन के साथ अन्य चीजों को भी सीखते हैं जैसे अनुशासन, शिष्टाचार, अच्छा व्यवहार, समय की पाबंदी और कई अन्य शिष्टाचार।
मेरे विद्यालय का वातावरण अद्भुत है जहाँ बहुत सारे प्राकृतिक दृश्य और हरियाली उपलब्ध हैं। एक बड़ा बगीचा और तालाब है जिसमें मछली, मेंढक, रंग-बिरंगे फूल, पेड़, सजावटी पेड़, हरी घास आदि हैं। अन्य चीजें जैसे बड़े प्ले ग्राउंड, स्कूल के चारों ओर बड़े खुले स्थान मेरे स्कूल को एक प्राकृतिक सुंदरता देते हैं।
यहां क्रिकेट नेट, बास्केट बॉल कोर्ट और स्केटिंग ग्राउंड की भी सुविधा है। मेरा स्कूल सीबीएसई बोर्ड के मानदंडों का पालन करता है। मेरा विद्यालय नर्सरी से 12 वीं कक्षा तक के छात्रों को कक्षाओं की सुविधा प्रदान करता है। मेरे स्कूल के प्रिंसिपल स्कूल के अनुशासन, स्वच्छता और स्वच्छता के बारे में बहुत सख्त हैं।
मेरा विद्यालय उन छात्रों को बस सुविधा प्रदान करता है जो विद्यालय से दूर स्थित हैं। सभी छात्र सुबह खेल मैदान में इकट्ठा होते हैं और मॉर्निंग प्रेयर करते हैं और फिर अपने-अपने क्लास रूम में पहुंच जाते हैं। मेरा स्कूल हर साल नर्सरी कक्षा (लगभग 2000) छात्रों को प्रवेश प्रदान करता है।
मेरे पास अलग-अलग कक्षाओं के लिए अलग-अलग शिक्षक हैं जैसे पीटी, मैथ्स, अंग्रेजी, हिंदी, जी.के., संगीत, नृत्य, पेंटिंग और ड्राइंग। मेरे स्कूल में एक बड़ा पुस्तकालय, स्टेशनरी की दुकान और स्कूल परिसर के अंदर कैंटीन है। मेरा स्कूल हर साल सभी कक्षाओं के लिए एक वार्षिक समारोह आयोजित करता है जिसमें हमें भाग लेना चाहिए।
मेरी पाठशाला पर निबंध, my school essay in hindi (400 शब्द)
मेरा स्कूल बहुत भव्य है, जिसमें तीन मंजिला प्रभावशाली ढंग से संरचित इमारत और शहर के केंद्र में स्थित है। यह मेरे घर से लगभग 3 किमी दूर स्थित है और मैं बस से स्कूल जाता हूँ। मेरा स्कूल राज्य के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में से एक है जहाँ मैं रहता हूँ। यह बिना किसी प्रदूषण, शोर और धूल के बहुत शांतिपूर्ण जगह पर स्थित है।
स्कूल की इमारत के दोनों सिरों पर दो सीढ़ियाँ हैं जो हमें हर मंजिल तक ले जाती हैं। इसमें पहली मंजिल पर अच्छी तरह से सुसज्जित और बड़ी लाइब्रेरी, अच्छी तरह से इंस्ट्रूमेंटेड साइंस लैब और एक कंप्यूटर लैब है। भूतल पर एक स्कूल सभागार है जहाँ सभी वार्षिक कार्य, बैठकें, पीटीएम, नृत्य प्रतियोगिताएं होती हैं।
प्रधान कार्यालय, क्लर्क कक्ष, स्टाफ रूम और सामान्य अध्ययन कक्ष भूतल पर स्थित हैं। स्कूल की कैंटीन, स्टेशनरी की दुकान, शतरंज का कमरा और स्केटिंग हॉल भी भूतल पर स्थित हैं। मेरे स्कूल में स्कूल प्रिंसिपल ऑफिस के सामने दो बड़े सीमेंटेड बास्केटबॉल कोर्ट हैं, जबकि फुटबॉल का मैदान इसके साइड में है।
मेरे स्कूल में एक छोटा सा हरा-भरा बगीचा है, जो हेड ऑफिस के सामने, रंग-बिरंगे फूलों और सजावटी पौधों से भरा है, जो पूरे स्कूल परिसर की शोभा बढ़ाते हैं। मेरे विद्यालय में लगभग 1500 छात्रों ने प्रवेश लिया है। वे हमेशा किसी भी अंतर-स्कूल प्रतियोगिताओं में उच्च रैंक करते हैं।
मेरे विद्यालय के अध्ययन मानदंड बहुत ही रचनात्मक और नवीन हैं जो किसी भी कठिन मामले को बहुत आसानी से समझने में हमारी मदद करते हैं। हमारे शिक्षक हमें बहुत ईमानदारी से सिखाते हैं और हमें व्यावहारिक रूप से सब कुछ बताते हैं।
मेरा स्कूल किसी भी कार्यक्रम में इंटर-स्कूल सांस्कृतिक गतिविधियों और खेल गतिविधियों जैसे पहले स्थान पर है। मेरा स्कूल वर्ष के सभी महत्वपूर्ण दिन मनाता है जैसे कि खेल दिवस, शिक्षक दिवस, अभिभावक दिवस, बाल दिवस, स्कूल वर्षगांठ दिवस, संस्थापक दिवस, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, क्रिसमस दिवस, मातृ दिवस, वार्षिक समारोह, हैप्पी न्यू ईयर , महात्मा गांधी जन्मदिवस, आदि भव्य तरीके से।
हम सह-पाठयक्रम गतिविधियों जैसे तैराकी, स्काउटिंग, एनसी, स्कूल बैंड, स्केटिंग, गायन, नृत्य इत्यादि में भाग लेते हैं। अनुचित व्यवहार और अनुशासनहीन गतिविधियों वाले छात्रों को स्कूल के मानदंडों के अनुसार कक्षा शिक्षक द्वारा दंडित किया जाता है।
हमारे प्रिंसिपल हमारे चरित्र गठन, शिष्टाचार, नैतिक शिक्षा, अच्छे मूल्यों को प्राप्त करने और दूसरों का सम्मान करने के लिए मीटिंग हॉल में रोजाना 10 मिनट तक हर छात्र की कक्षाएं लेते हैं। हमारे स्कूल का समय बहुत ही रोचक और सुखद है क्योंकि हम रोजाना बहुत सारे रचनात्मक और व्यावहारिक काम करते हैं।
कहानीकार, गायन, कविता पाठ, हिंदी और अंग्रेजी में वार्तालाप का हमारा मौखिक मूल्यांकन दैनिक आधार पर कक्षा शिक्षक द्वारा लिया जाता है। तो, मेरा स्कूल दुनिया का सबसे अच्छा स्कूल है।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)
विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर, मतलब वो स्थान जहां विद्या उपार्जन होता हो। हमारे संस्कारों में विद्या को देवी का स्थान दिया गया है और विद्यालय को ‘मंदिर’ की उपमा दी गयी है। मेरा विद्यालय एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर निबंध आदि लिखने को दिया जाता रहता है। हमारी जिन्दगी का सबसे अहम समय हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। विद्यालय से हमारी ढ़ेरो यादे जुड़ी रहती है। इसलिए विद्यालय सबकी जिन्दगी में बहुत मायने रखता है।
मेरा विद्यालय पर छोटे – बड़े निबंध (Short and Long Essay on My School in Hindi, Mera Vidyalaya par Nibandh Hindi mein)
मेरा विद्यालय पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
मेरा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है। मेरे विद्यालय में पठन पाठन उच्च स्तर का है। मेरे विद्यालय में शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए, विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते है। मेरा विद्यालय सारी सुविधाओं से लैस है।
मेरे विद्यालय का स्थान
मेरे विद्यालय का नाम बाल निकेतन है। यह शहर की भीड़-भाड़ से दूर, बेहद शांत माहौल में विद्यमान है। इसके चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। जिस कारण वातावरण शुध्द रहता है और हमें शुध्द वायु भी मिलती है। मेरा विद्यालय मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर है। मेरे विद्यालय का व्यास बहुत बड़ा है। इसके चारों तरफ सुंदर-सुंदर फूलों की क्यारियां लगी है।
पठन पाठन का तरीका
हमारे विद्यालय का परिणाम (रिजल्ट) प्रति वर्ष शत-प्रतिशत आता है। मेरे विद्यालय की गणना शहर के अच्छे स्कूलों में की जाती है। मेरे विद्यालय में हर वर्ष वार्षिकोत्सव होता है, जिसमें कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जाते हैं। जिसमें हर प्रतियोगिता में उत्तीर्ण बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। मेरे विद्यालय में प्रायोगिक शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाता है। हमारे शिक्षक हमारे भीतर कौशल के विकास पर भी ध्यान देते है।
हमारा और सरकार का यह दायित्व है की हमारा विद्यालय आदर्श विद्यालय बने। हमारे विद्यालय से आदर्श विद्यार्थी निकलने चाहिए, जो राष्ट्र को नई दिशा दे सके।
निबंध 2 (400 शब्द) – विद्यालय की भूमिका
मेरा विद्यालय मुझे बहुत पसंद है। हमारा विद्यालय हमारे भविष्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपयोगिता कोई नज़रअंदाज नहीं कर सकता। विद्यालय ही है, जो हमें सामान्य से विशेष बनाता है। हमारी छिपी प्रतिभा को खोज निकालता है। हमारा स्वयं से साक्षात्कार कराता है।
विद्यालय की परिभाषा
विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर। ऐसा स्थान जहां अध्ययन-अध्यापन के द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है।
विद्यालय की परिकल्पना
विद्यालय की परंपरा कोई नयी नहीं है। सदियों से हमारा देश ज्ञान का स्रोत रहा है। हमारे यहां आदिकाल से ही गुरुकुल परंपरा रही है। बड़े-बड़े राजा महाराजा भी अपना राजसी वैभव छोड़कर ज्ञान-प्राप्ति के लिए गुरुकुल जाते थे। यहा तक की ईश्वर के अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम भी पढ़ने के लिए गुरुकुल आश्रम गये थे। गुरू का स्थान ईश्वर से भी ऊपर होता है, संसार को ऐसी सीख दी।
विद्यालय की भूमिका
जिन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, हमारा बाल्यकाल। यही वो समय होता है जब हम केवल खुद के लिए जीते है। दोस्त बनाते हैं। दोस्तों के साथ हंसते है, रोते है। जीवन का असली आनंद अनुभव करते हैं। इन सब खुशी के पलों में हमारा विद्यालय हमारे साथ होता है।
कभी-कभी तो मां-बाप से ज्यादा नजदीकी हमारे शिक्षक हो जाते है। हमें हर कदम पर थामने और सम्भालने के लिए तैयार रहते है। मां-बाप के डर के कारण बहुत से बच्चे अपने शिक्षकों से ही अपनी परेशानियां बताते है। विद्यार्थी के जीवन को सही राह एक शिक्षक ही दिखाता है।
विद्यालय सरकारी और निजी दोनों प्रकार होते है। आजकल ऐसी लोगों की धारणा हो गयी है कि केवल निजी विद्यालयों में ही पढ़ाई होती है। यह धारण गलत है। इसी बात का लाभ ढ़ेरो विद्यालय वाले उठाते है। हर माता-पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा देना चाहते है। किंतु सबकी हैसियत इतनी नहीं होती कि वो इन विद्यालयों की मोटी शुल्क राशि को भर सकें।
आजकल शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। सभी केवल अपनी जेब भरने में लगे है। बच्चों के भविष्य की किसी को चिंता नहीं है। दिन पर दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। विद्यालय ही तो वो जरिया होता है, जहां से देश के भविष्य का सृजन होता है। सरकार ने इस संबंध में कई नियम बनाये हैं। किन्तु पालन तो आम जनता को ही करना है।
निबंध 3 (500 शब्द) – विद्यालय की विशेषताएं व प्रकार
मेरे विद्यालय का नाम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। मेरे विद्यालय का परिसर काफी बड़ा है। मेरे विद्यालय में दो-दो मंजिल की चार इमारतें है। इसके चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए है। इसमें बड़े-बड़े पचास से भी ज्यादा कमरे है। हर कमरे में बड़ी-बड़ी खिड़कियां और दो-दो दरवाजे है। बड़े-बड़े तीन खेल के मैदान है। साथ में लगा हुआ बास्केट-बॉल कोर्ट भी है।
हमारे विद्यालय में पचास से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं। सभी बहुत ही सहृदयी और मिलनसार है। बच्चों की हर संभव सहायता करते है।
विद्यालय की विशेषताएं
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) और शिक्षा का अधिकार 2009 (RTE 2009) ने कुछ मानक तय कर रखे हैं, जिसके अनुसार ही विद्यालय की बनावट और वातावरण होना चाहिए। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) ने भारत में शिक्षा के स्तर में प्रोन्नति हेतु महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं। जो बहुत कारगर भी सिध्द हुएं हैं। RTE 2009 ने विद्यार्थियों के समग्र विकास में विद्यालय की विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका बतायी है। विद्यालय की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों की हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं का ध्यान रखे।
मानक के अनुसार कुछ विशेषताएं अधोलिखित हैं-
- शांत वातावरण होना चाहिए।
- ट्रेंड टीचर्स होने चाहिए।
- विद्यालय का बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन होना चाहिए।
- नियमित गृह कार्य दिया जाना चाहिए।
- छात्र/छात्राओं के मूल्यांकन हेतु सतत मूल्यांकन पद्धति अपनायी जानी चाहिए।
- स्वाध्याय हेतु एक पुस्तकालय एवं वाचनालय होना चाहिए।
- अतिरिक्त पाठ्येतर गतिविधि पर बल देना चाहिए ।
- विभिन्न विषयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की व्यवस्था होनी चाहिए
- अध्यापन हेतु कक्ष विशाल और हवादार होने चाहिए।
- सी० बी० एस० ई० के निर्देशानुसार सत्र 2009 – 2010 से ही कक्षा 9 व् 10 में भी अंको के स्थान पर ग्रेडिंग व्यवस्था लागू कर दिया गया है, जिसका पालन होना चाहिए।
- शीतल पेय-जल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
- समुचित शौचालयों का प्रबंध होना चाहिए ।
- शारीरिक, योग, नृत्य एवं संगीत शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
- छात्रो की अंतः क्रियाओं एवं मानसिक विकास हेतु वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि कराना चाहिए।
- विद्यालय की वार्षिक पत्रिका छपनी चाहिए, जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी बच्चों का उल्लेख होना चाहिए।
- सभी कक्षाओं में स्मार्ट कक्षा की व्यवस्था होना चाहिए ।
विद्यालय के प्रकार
बचपन से बड़े होने तक हम अलग-अलग विद्यालयों में पढ़ते है। विद्यालयों के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे
- आंगनवाड़ी – आंगनवाड़ी में सामान्यतः छोटे बच्चों को बैठना और बाकी आधारभूत चीजें सिखाते हैं।
- प्राथमिक विद्यालय – प्राथमिक पाठशाला में एक से पाँच तक की पढ़ाई होती है।
- माध्यमिक विद्यालय – इस व्यवस्था में प्रथम से आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है। कभी-कभी यह कक्षा छः से आठ तक भी होती है।
- उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय – बारहवीं तक की शिक्षा यहां संपादित होती है।
विद्यालय में जब हमारा दाखिला होता है तो उस वक़्त हम नन्हें पौधे रहते हैं। हमारा विद्यालय ही हमे सींच कर बड़ा वृक्ष बनाता है। और इस दुनिया में रहने योग्य बनाता है। अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घड़ियां हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। बड़े होने पर हम सबसे अधिक विद्यालय में बिताये लम्हों को ही याद करते हैं।
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FAQs: Frequently Asked Questions on My School (मेरा स्कूल पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर- सन 1715 में, संत जॉर्ज एंग्लो-इंडियन हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई में है।
उत्तर- तक्षशिला
उत्तर- सन 1848 में सावित्री बाई फुले ने देश का पहला बालिका विद्यालय खोला था।
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विद्यालय का पहला दिन निबंध,कविता व विचार First day of school essay, poem, quotes in hindi
First day of school essay in hindi.
mera school ka pehla din essay in hindi-विद्यार्थियों के जीवन में स्कूल का पहला दिन जब आता है तो यह दिन उनके लिए खुशी भी लाता है लेकिन थोड़ा गम भी लाता है क्योंकि एक और वह स्कूल में पहली बार आते हैं तो उन्हें थोड़ा डर का एहसास होता है वहीं दूसरी ओर स्कूल में उन्हें उन्हीं की तरह विद्यार्थी यानी उनके साथी मिल जाते हैं जिनके साथ रहकर वह खुशी का अनुभव करते हैं।
मेरे स्कूल का पहला दिन मेरे लिए एक यादगार दिन है सुबह सुबह मेरी मां ने मुझे जल्दी जगाया और मुझे नहलाया तब मेरी उम्र 4 साल थी मैं बच्चा था मुझे कुछ भी ज्यादा समझ नहीं थी मैं समझ गया था कि आज मुझे पहली बार स्कूल जाना है क्योंकि उसके एक दिन पहले ही मैं अपने पिता के साथ स्कूल गया हुआ था वहां पर अध्यापक ने मुझसे कुछ सवाल किये थे और मैंने उनका जवाब दिया और मेरा स्कूल में एडमिशन हो गया था।
अब मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहा था नहाने के बाद मेरी मां मुझे नाश्ते में दूध के साथ में टॉस लेकर आए मैंने बहुत ही मजे से टॉस खाये। उसके बाद मैंने स्कूल की ड्रेस पहनी मैंने अपने स्कूल की ड्रेस जब पहले दिन पहनी थी तव मुझे अच्छा लग रहा था ड्रेस के साथ मैंने काले रंग के स्कूल के जूते पहने। मैं अपनी ड्रेस और जूतों को पहन कर बहुत खुश था क्योंकि जब भी मेरे माता-पिता मुझे कुछ नई चीज दिलवाते थे तो मुझे खुशी होती थी मैं अपने पापा के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर स्कूल की ओर जाने लगा जहां स्कूल की ड्रेस पहनते हुए मुझे खुशी हो रही थी वहीं पहली बार स्कूल जाने में मुझे डर लग रहा था।
मैं पाप से पूछ रहा था कि पापा क्या आप मुझे छोड़ कर वापस आ जाओगे इसी के साथ मैं डरा हुआ था तभी स्कूल का वह दरवाजा आ गया जहां पर हम पिछले दिन भी आए थे दरवाजे के बाहर एक चौकीदार खड़ा हुआ था हम अंदर क्लास रूम में गए। मेरे पापा मुझे पहली क्लास की ओर ले गए जैसे ही वह मुझे पास में ले गए तो मैंने देखा कि वहां पर मेरी ही तरह बहुत सारे विद्यार्थी हैं मुझे डर नहीं लगा क्योंकि मैंने सोचा कि चलो मैं इनके साथ में खेल लूंगा।
मेने देखा कि उस क्लास में हमारी कॉलोनी के कुछ और लड़के भी हैं जो मेरे साथ खेलते हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई मैं क्लास में अंदर गया और उनके पास में बैठ गया। मेने टीचर को गुड मॉर्निंग बोला टीचर ने मेरा नाम पूछा मेरे बारे में पूछा और मुझे चॉकलेट भी दी मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे पहले डर लग रहा था लेकिन मेरे अपने ही दोस्त मेरी कक्षा में थे और साथ में मेरी एक अच्छी सी टीचर थी तो मुझे खुशी हुई। पहले दिन टीचर ने हम सब के बारे में जाना और फिर पढ़ाई शुरू की। लगभग 4 पीरियड हो जाने के बाद हमारा लंच हुआ मेरी मम्मी ने टिफिन में मेरे लिए कुछ खाने के लिए रखा था मैंने उस टिपिन को खोलकर देखा तो उसमें मेरे मनपसंद आलू के पराठे रखे हुए थे।
में अपने और दोस्तों की तरह ही एक जगह बैठकर पराठे खा रहा था मैं बहुत ही खुश हुआ उसके बाद कुछ ही समय बाद हम वापस हमारी क्लास में आ गए और हम हमारी जगह पर बैठ गए तब एक और टीचर हमारी क्लास में आई उन्होंने हमें पढ़ाया समझाया। पहले दिन हमें कुछ भी खास समझ में नहीं आया क्योंकि सभी बच्चे यही सोच कर डर रहे थे कि पता नहीं हमारे टीचर हमें क्या सिखाएंगे और क्या हम सीख पाएंगे? उसके बाद और भी टीचर आए हमें और भी विषय पढ़ाए उसके बाद हमारे स्कूल की छुट्टी हो गई।
स्कूल की छुट्टी जैसे ही हुई सभी विद्यार्थी स्कूल से बाहर जाने लगे उनके साथ मैं भी जाने लगा तो मैंने देखा कि मेरी कक्षा के बाहर मेरे पापा खड़े हुए हैं मैं उनके पास गया उन्होंने मेरी उंगली पकड़ी और बाहर तक मुझे ले गए। मैंने देखा कि मेरे दोस्तों को भी उनके पापा लेने के लिए आए हुए हैं वहां पर लगभग हर बच्चे के मां बाप उसे लेने के लिए आए हुए थे फिर हम हमारी मोटरसाइकिल पर बैठकर घर की ओर चल पड़े।
घर पहुंच कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि उस स्कूल में मेरी तरह और भी कई विद्यार्थी थे मैं उनसे बातें कर रहा था,पढ़ाई कर रहा था उनके साथ मुझे यह सब अच्छा लग रहा था लेकिन तभी एक आशा भी थी कि मैं अगली सुबह स्कूल जाऊंगा और अपने दोस्तों से मिलूंगा। मैंने अपना स्कूल का पहला दिन बहुत ही अच्छी तरह गुजारा। में स्कूल जाते समय जो डर रहा था स्कूल जाने के बाद वह मेरा डर लगभग खत्म हो गया था ।
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विद्यालय का पहला दिन पर कविता first day of school poem in hindi
स्कूल का पहला दिन मुझे आज भी याद है खुशियों और गम का दिन मुझे आज भी याद है नए नए दोस्तों का मिलना और खेलना कूदना सभी के संग रहना मुझे आज भी याद है
सुबह जल्दी जागना नहा धो कर भागना पापा का स्कूल छोड़ना मुझे आज भी याद है दुनिया की झंझट से परे हम तो स्कूल में पढ़े स्कूल का पहला दिन मुझे आज भी याद है खुशियों और गम का दिन मुझे आज भी याद है
विद्यालय का पहला दिन पर विचार first day of school quotes in hindi
- स्कूल का पहला दिन हर विद्यार्थी के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है विद्यार्थी अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ते हैं
- स्कूल का पहला दिन हर एक विद्यार्थी को हमेशा याद रहता है
- स्कूल के पहले दिन किसी विद्यार्थी के होठों पर मुस्कान होती है तो कोई विद्यार्थी उदास होता है
- इस दिन हर एक बच्चे का एक नया जन्म होता है
- स्कूल के पहले दिन अगर हमें हमारे जैसे विद्यार्थी यानी हमारे दोस्त मिल जाएं तो यह दिन बहुत ही खुशी देता है
- यह दिन किसी को गम देता है तो किसी को खुशी
- हर किसी इंसान के जीवन में यह दिन जरूर आता है
- अगर स्कूल के पहले दिन विद्यार्थी का डर खत्म हो जाए तो यह दिन उसके लिए बहुत ही खुशी के दिन होते हैं ।
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kamlesh kushwah
In my opinion it is good
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स्कूल में मेरा पहला दिन हिंदी निबंध First Day of My School Essay in Hindi
First Day of My School Essay in Hindi: एक हाथ में पट्टी लिए, जेब में पेन डाले और एक हाथ में माता, पिता या बड़े भैया की अँगुली पकड़े छह सात वर्ष का बालक जब पहले-पहल स्कूल जाता है तब सचमुच यह उसके जीवन की एक महत्त्वपूर्ण घटना बन जाती है। उस समय मेरी उम्र लगभग छ: वर्ष की थी, जब एक दिन मैं अपने पिताजी के साथ स्कूल में दाखिल होने के लिए चला था। अभी तक मेरा जीवन खाने-पीने और खेलने-कूदने में ही गुजरा था, इसलिए किसी तरह के बंधन से मेरा परिचय नहीं हुआ था।
स्कूल में मेरा पहला दिन पर हिंदी में निबंध First Day of My School Essay in Hindi
प्रिन्सिपल साहब से भेंट और कक्षा में प्रवेश.
पिताजी मुझे सबसे पहले स्कूल के मुख्याध्यापकजी के पास ले गए। मैंने देखा कि एक बड़ी मेज पास कुर्सी पर एक महोदय काला चश्मा पहने बैठे हैं। मैंने उनको प्रमाण किया। स्कूल के रजिस्टर में मेरा नाम लिख दिया गया। उसके बाद पिताजी मुझे वर्ग-शिक्षक के पास ले गए। वर्ग-शिक्षक मेरी ओर देखकर मुस्कराए और उन्होंने मुझे पहली बेंच पर बैठने का आदेश दिया। शाम को मैं तुम्हें लेने आऊँगा यह कहकर मेरे पिताजी चले गए।
स्कूल में मेरे लिए सब कुछ नया था। कक्षा के सभी लड़कों की आँखें मुझ पर ही लगी हुई थीं। यद्यपि स्वभाव से मैं चपल था, फिर भी उस समय किसी से बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। शिक्षक सामने के काले तख्ते पर गिनती लिखते थे और हर लड़के से पूछते थे। न बतानेवाले को खड़ा रखा जाता था। मैं मन ही मन डर रहा था। धीरे-धीरे मेरी बारी आई। पर शिक्षक के पूछते ही मैंने झट से ठीक उत्तर दे दिया। उन्होंने मुझे शाबाशी दी।
एक लड़के से मित्रता
दोपहर की छुट्टी में एक लड़के ने आकर बड़े स्नेह से मेरा नाम पूछा। उसने ही मुझे पानी पीने का कमरा और शौचालय दिखाया। वह उसी दिन मेरा मित्र बन गया। वह मेरी कक्षा का मानीटर अशोक था।
शाम तक पढ़ाई होती रही। आखिरी घंटे में शिक्षक महोदय ने एक कहानी सुनाई। वह मुझे बड़ी अच्छी लगी । पर मन में यही हो रहा था कि कब छुट्टी हो और कब घर भागू। भूख भी बहुत जोर से लगी थी। समय होते ही टन्-टन् करके घंटी बजी। लड़के उठ-उठकर भागने लगे। अशोक के साथ मैं भी बाहर निकला। पिताजी दरवाजे पर मेरा इंतजार कर रहे थे। मैंने उनसे अशोक का परिचय कराया। घर पहुँचते ही माताजी ने मुझे चूमकर गले लगा लिया।
इस प्रकार स्कूल में मेरे विद्यार्थी जीवन का श्रीगणेश हुआ। यह मेरे जीवन का वह शुभ दिन था, जब मैंने स्कूल में जाकर अपने सामूहिक जीवन का प्रारंभ किया और सहयोग तथा मित्रता का पहला पाठ सीखा।
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Rakesh more.
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Essay on My School in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध 150, 300 और 600 शब्दों में
Essay on My School in Hindi : हमारी जिंदगी में विद्यालय और शिक्षा काफी महत्व रखती है। बिना विद्यालय और शिक्षा के हम एक अच्छे जीवन की कल्पना नही कर सकते है। इसलिए हमें विद्यालय के महत्व को जानना बहुत ज़रूरी है।
स्कूलों में अक्सर मेरा विद्यालय पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। अगर आपको भी Mera School Par Nibandh लिखने के लिए कहा गया है, तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। मेरा विद्यालय निबंध हिंदी में Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और 8 सभी के लिए उपयोगी हैं। मैने यहां पर My School Essay in Hindi में 150, 300 और 600 शब्दों में लिखा है।
मेरा विद्यालय पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on My School in Hindi)
स्कूल विद्या का मंदिर होता है, जहां पर हमें विद्या (शिक्षा) मिलती है। विद्यालय में हम शिक्षा के महत्व को समझते है, और शिक्षा की मदद से हम अपनी जिंदगी को एक सही दिशा देते है।
अगर मैं अपने स्कूल की बात करूँ तो मेरे स्कूल का नाम “ महावीर विद्या मंदिर ” है, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। मेरा स्कूल शहर से थोड़ी दूर शांत जगह पर है, जहां हम बस की मदद से जाते है। मेरे स्कूल में लगभग 1000 छात्र पढ़ते हैं, और सभी छात्र अनुशासन में रहते है।
मेरे विद्यालय का भवन काफी सुंदर है, जहां पर सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर एक बड़ा खेल का मैदान, एक पुस्तकालय, एक विज्ञान की प्रयोगशाल और एक कंप्यूटर लैब है। इसके अलावा एक बहुत बड़ा हॉल भी हैं, जहां हम सभी मिलकर सुबह-सुबह प्रार्थना करते है।
मेरे विद्यालय में अनेक तरह के खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। मेरे स्कूल के सभी अध्यापक और अध्यापिकाएँ बहुत अच्छी हैं, जो हमें प्यार से पढ़ाते हैं। मुझे यहां पर बहुत कुछ सिखने को मिल रहा है, और मैं अपने स्कूल को बहुत प्यार करता हूँ।
मेरा विद्यालय पर निबंध 300 शब्दों में (My School Essay in Hindi)
प्रस्तावना.
विद्यालय हमारी जिंदगी का काफी अहम हिस्सा है। जब बड़े हो जाते है, तब भी स्कूली घटनाएं हमारी जिंदगी की सबसे यादगार घटनाओं में से एक होती है। क्योंकि स्कूल के साथ हमारे बच्चपन की यादे जुड़ी होती है। विद्यालय हमें जिंदगी में आगे बढ़ना सिखाता है।
विद्यालय की परीभाषा
विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहां पर शिक्षा ग्रहण की जाती है। यहां पर बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है। यह एक मंदिर है जहां सभी प्रकार के बच्चे एक ही तरह की ड्रेस पहनकर पढ़ाई करते है।
विद्यालय में बिना भेदभाव के अध्यापक बच्चों को शिक्षा देते है। यहां पर बच्चों को शिक्षा, ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है, और अंतत बच्चे का व्यक्तित्व निर्माण होता है।
मेरे विद्यालय का भवन
मेरे स्कूल का नाम “ महावीर विद्या मंदिर ” है, और यह राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थिति है। मेरा विद्यालय भवन तीन मंजिला है, जहां सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। मेरे स्कूल में कक्षा 10वीं तक पढ़ाई करवाई जाती हैं। मेरे स्कूल में एक बड़ा हॉल और एक बड़ा खेलकूद का मैदान भी है।
मेरे विद्यालय में बड़ी-बड़ी कक्षाएं, एक पुस्तकालय, एक विज्ञान की प्रयोगशाला, और कंप्यूटर लैब भी है। मेरे विद्यालय में प्रेवश करते ही सामने प्रधानाचार्य का ऑफिस है। इसके अलावा विद्यालय के चारों तरफ पेड़-पौधे भी हैं।
मेरा विद्यालय की अध्यापक-अध्यापिकाएँ
मेरे स्कूल में कुल आठ अध्यापक और अध्यापिकाएँ हैं, जो काफी अच्छे से पढ़ाती है। मेरी स्कूल के सभी टीचर्स अनुभवी और विद्वान है। मेरे विद्यालय में सभी तरह के विषय पढ़ाए जाते हैं, जैसे- हिंदी, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान आदि। और सभी विषय के लिए विशेष अनुभवी अध्यापक मौजुद है।
मेरी स्कूल एक पीटी टिचर और एक योगा टीचर भी है, जो हमारी शेहत का ख्याल रखते है। हमारी स्कूल में समय-समय पर खेल प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है, जिसमें सभी अध्यापक अपना योगदान देते है।
विद्यालय में अनुशासन
मेरे विद्यालय में काफी अनुशासन है, और इसके लिए विद्याल में कुछ कठोर नियम भी बनाए गए हैं। सभी विद्यार्थी नियमों की पालना करते है, और स्कूल में अनुशासन बनाए रखते है। विद्यालय में अनुशासन बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना अनुशासन के पढ़ाई नही की जा सकती है।
उपसंहार
मेरा विद्यालय बहुत अच्छा है, जहां मुझे सभी तरह की सुविधाएं मिलती है। मुझे पूरा यकिन है कि मैं यहां पर पढ़कर एक अच्छा इंसान बनूंगा, और अपने पूरे परिवार व स्कूल का नाम रोशन करूंगा। मैं अपने सभी अध्यापकों का धन्यवाद करता हूँ, जो मुझे इतना अच्छे से और प्यार से पढ़ा रहे है।
Essay on My School in Hindi से हम विद्यालय के महत्व को समझ सकते है।
मेरा विद्यालय पर निबंध 600 शब्दों में (Essay on My School in Hindi)
उपसंहार (विद्यालय का परिचय).
स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां पर हम धीरे-धीरे बड़े होते है, और हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। मेरा अधिकतर समय स्कूल में बितता है, जहां मैं अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई भी करता हूँ और मस्ती भी करता हूँ। मेरी स्कूल का नाम “ महावीर विद्या मंदिरा उच्च माध्यमिक विद्यालय ” है, जहां 12वीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है।
मेरा विद्यालय बहुत अच्छा है, जहां पर सभी अध्यापक अच्छे और अनुभवी है, और सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर पढ़ाई करने योग्य अनुकूल माहौल है। मेरे स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और कौशल पर भी ध्यान दिया जाता है। सच में, मेरा विद्यालय काफी अच्छा है, जिसे मैं बहुत प्यार करता हूँ।
विद्यालय क्या है, इसके प्रकार
विद्यालय का शाब्दिक अर्थ होता है- विद्या और आलय। इसका मतलब है कि एक ऐसा स्थान जहां पर विद्या मिलती हो। प्राचीन समय में पहले गुरुकुल हुआ करते थे, जहां पर गुरू शिष्यों को अनेक तरह की शिक्षाएं देते थे। हालांकि अब गुरुकुल को विद्यालय और स्कूल बोला जाता है। और इसके साथ ही प्राचीन काल की तुलना में शिक्षा का ढंग भी बदल गया है। विद्यालय मंदिर का रूप होता है, जहां व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
हम बचप्पन से बड़े होने तक अलग-अलग विद्यालयों में पढ़े हैं, जैसे- आंगनवाड़ी, प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय और फिर उच्च माध्यमिक विद्यालय। इसके बाद महाविद्यालय (कॉलेज) में जाकर पढ़ाई करते है।
इसके अलावा भी विद्यालय के अन्य प्रकार होते हैं, जैसे- सरकारी विद्यालय, निजी विद्यालय, आवासीय विद्यालय, धार्मिक विद्यालय, कौशल निर्माण विद्यालय और सैनिक विद्यालय।
मेरे विद्यालय की विशेषताएं
मेरा विद्यालय काफी अच्छा हैं, जहां सभी सुविधाएं दी गयी है। यहां पर कोई भी बच्चा आसानी से पढ़ सकता है। मेरे स्कूल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
- मेरा विद्यालय शहर से थोड़ा दूर शांत जगह पर है, और चारों तरफ खुला वातावरण है।
- मेरे स्कूल में सभी विषय के लिए विशेष अनुभवी अध्यापक और अध्यापिकाएं हैं।
- मेरा स्कूल तीन मंजिला है, और स्कूल के बाहर एक गार्डन भी है।
- स्कूल में एक प्रार्थन हॉल, एक पुस्तकालय, एक कंप्यूटर लैब, और एक विज्ञान प्रयोगशाला है।
- विद्यालय में शीतल जल और शुद्ध पानी की व्यवस्था है।
- विद्यालय में अनेक खेलकूद और सांस्कृतिक प्रोग्राम होते हैं।
- मेरे स्कूल में पढ़ने के लिए काफी अच्छा वातावरण है।
- मेरे विद्यालय में काफी अच्छा अनुशासन है।
- मेरे स्कूल में कक्षा 12 तक पढ़ाई करवाई जाती हैं।
मेरे विद्यालय में विद्यार्थियों का अनुशासन
मेरे विद्यालय में सबसे ज्यादा अनुशासन पर ध्यान दिया जाता है। क्योंकि जब तक अनुशासन नही होगा, तब तक पढ़ाई संभव नही है। अनुशासन की वजह से ही सभी कक्षाएं समय पर लगती है, और बच्चे भी समय पर स्कूल आते है। व्यक्ति के जीवन में अनुसाशन होना बहुत जरूरी है, और यह अनुसाशन स्कूल की मदद से ही आता है।
हमारी स्कूल में अच्छा अनुसाशन होने की वजह से हम समय पर पढ़ते है और समय पर खेलते भी हैं। जिंदगी में अनुशासन का होना बेहद ज़रूरी है।
मेरे विद्यालय की शिक्षण प्रणाली
एक अच्छे विद्यालय में अच्छी शिक्षण प्रणाली होना बहुत ज़रूरी है, और मेरे विद्यालय में है। मेरे स्कूल में एक दिन में दो पारीयां चलती हैं, जिसमें सुबह के समय प्राथमिक कक्षा से 6वीं कक्षा के विद्यार्थी आते है। और फिर 12 बजे के बाद 7वीं कक्षा से 12 कक्षा के विद्यार्थी आते है।
मेरे स्कूल में रेगुलर क्लासेस चलती है, और बीच में रेस्ट भी मिलती है। पढ़ाई के बाद बच्चों को खेलने का समय भी दिया जाता है। इसके अलावा जो भी बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते है, उन्हे विशेष क्लासेस भी दी जाती है।
सभी कक्षाओं में समय-समय पर टेस्ट भी होते हैं, ताकि बच्चों की स्थिति का पता चल सके।
प्रतियोगिताओं का आयोजन
मेरे विद्यालय में हर साल अनेक तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है जैसे- चित्र-कला, वाद-विवाद, कविताएँ आदि, ताकि हम पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कौशल भी सीख सके। यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है, जिससे हमें काफी कुछ नया सिखने को मिलता है।
विद्यालय के प्रति हमारा कर्तव्य
विद्यालय एक विद्या का मंदिर है, जिसके प्रति हर विद्यार्थी के कुछ कर्तव्य होते हैं। हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है कि हम अपने स्कूल में अनुसाशन को बनाए रखे। और अच्छा रिजल्ट प्राप्त करके स्कूल का नाम रोशन करें। हमे अपने शिक्षकों को सम्मान देना चाहिए, और उन्हे अपनी लाइफ में हमेशा याद रखना चाहिए।
विद्यालय एक बच्चे के जीवन में काफी अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि विद्यालय से बच्चे को शिक्षा, ज्ञान और कौशल मिलता है,और एक अच्छा व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यहां पर मुझे पढ़ाई के साथ-साथ और भी कई तरह के अनुभव भी मिल रहे है। मैं अपनी स्कूल को बहुत प्यार करता हूं, और मैं हमेशा अपने विद्यालय पर गर्व महसूस करूंगा।
मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में 10 लाइन (Mera School Par Nibandh)
- मेरी स्कूल का नाम “महावीर विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय” है जो शहर कुछ दूर स्थित है।
- मेरा विद्यालय एक शांत जगह पर है, जहां पढ़ाई का माहौल काफी अच्छा है।
- मेरे विद्यालय में बहुत सारे कमरे, प्रार्थना स्थ, खेलकूद का मैदान, पुस्तकालय और लैब उपलब्ध हैं।
- मेरे स्कूल में रोज़ाना सुबह 30 मिनट तक प्रार्थना होती है, और फिर भोजन से पूर्व भी छोटी-सी प्रार्थना होती है।
- मेरे विद्यालय में प्रत्येक विषय को पढ़ाने के लिए अनुभवी और योग्य शिक्षक मौजुद हैं।
- स्कूल में बच्चों के प्रति प्रधानाचार्य और सभी शिक्षकों का काफी अच्छा व्यवहार है।
- मेरे स्कूल में अनुशासन पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
- स्कूल के बाहर गार्डन में सभी बच्चे रोज़ाना खेलते है।
- मेरे विद्यालय में हर साल अनेक तरह के सांस्कृतिक प्रोग्राम और प्रतियोगिताएं होती हैं।
- मैं अपने स्कूल से काफी प्यार करता हूँ, और मैं अपने स्कूल के लिए गर्व महसूस करता हूं।
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Essay on my first day at school for class 4 in hindi विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध.
Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi. विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध हिंदी में।
Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi विद्यालय में पहले दिन पर निबंध
Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi 250 Words
यह मेरा दूसरा विघालय है, फिर भी जिस दिन इस विघालय में मेरा पहला दिन था, मैं बहुत घबराया हुआ था। हाल ही में हम दिल्ली में आकर बस थे इसलिए मुझे अपना विघालय बदलना पडा। यह विघालय मेरे पहले वाले विघालय से बिल्कुल अलग है। इसकी इमारत बहुत शानदार है। इमारत के दोनों और बडे मैदान है। मैं इस विघालय में आकर बहुत खुश हूँ। मैने कुछ विद्यार्थी इधर उधर घूमते देखा। उनका मेरी और कोई ध्यान नहीं था। जबकि कुछ विधार्थी मुझे घूर रहे थे। मैं इससे भयभीत हो गया।
मैं सोच रहा था कि आखिर किस तरह इन सभी सहपाठियों के साथ धुल-मिल पाउंगा। तभी मेरी कक्षा अध्यापिका प्रधानाध्यापक जी के कक्ष से बाहर आई और मुझे अपने साथ मेरी कक्षा में ले गई। उन्होंने मेरा परिचय विधार्थियों से करवाते हुए एक विधार्थी को कहा कि वो मुझे एक स्थान दें और मुझे कहा कि मैं हर रोज उसी स्थान पर बेठू। उस विधार्थी ने मुझे हैलो तक नही कहा। मैं अपने आपको अकेला और बेवकूफ महसूस कर रहा था। तभी घंटी बजी। अध्यापिका ने कक्षा से प्रस्थान किया। कुछ पाँच–छह विधार्थीयों ने मुझे घेरकर मेरा नाम पूछा व अपना नाम भी बताया, सभी एक दूसरे का मजाक उड़ा रहे थे और एक-दूसरे की टांग खिंचाई कर रह थे। जल्दी ही मैं भी उनके साथ घुल मिल गया और अब मैं उनमें से ही एक विघार्थी था। अब मुझे मेरा विघालय बहुत अच्छा लगता है।
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मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi
इस पोस्ट में हमने मेरा विद्यालय पर निबंध (Essay on My School in Hindi) हिन्दी में लिखा है। स्कूल के विद्यार्थी जो मेरी पाठशाला पर निबंध की खोज में हैं वे इस स्कूल पर सुंदर निबंध की मदद ले सकते हैं।
यह मेरी पाठशाला या मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi – Class 3, 4, 5, 7 मे अधिकतर पूछा जाता है।
Table of Content
मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi (1000 Words)
विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहां लोग बहुत कुछ सीखते हैं और पढ़ते हैं। इसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। अपने विद्यालय या पाठशाला में हम सब जीवन का सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं जिसमे हम कई विषयों में शिक्षा लेते हैं ।
स्कूल में हमारे अध्यापक गण अपना ज्ञान हमें प्रदान कर सफलता पाने का सही रास्ता दिखाते हैं। आज इस लेख में मैंने मेरे विद्यालय पर बच्चों और विद्यार्थियों के लिए निबंध प्रस्तुत किया है।
मेरे विद्यालय का नाम और रूप Name and Structure of My School
मेरे विद्यालय का नाम अरविन्द पब्लिक स्कूल है। मेरा विद्यालय बहुत बड़ा और भव्य है, यह भुबनेश्वर में स्थित है। यह तीन मंजिला है और इसकी इमारत बहुत ही सुन्दर है। यह मेरे घर के पास शहर के केंद्र में स्थित है।
विद्यालय की दूरी कम होने के कारण मैं चलकर ही विद्यालय जाता हूं। मेरा विद्यालय पूरे राज्य में सबसे अच्छा और बड़ा है। मेरे विद्यालय के चारों ओर का स्थान बहुत शांतिपूर्ण और प्रदूषण से मुक्त है।
मेरे विद्यालय की सुविधाएँ Facilities in My School
सबसे नीचे विद्यालय में ऑडिटोरियम है जहां सभी वार्षिक कार्य और बैठकें संपन्न होती हैं। स्कूल में दोनों सिरों पर सीढ़ियां हैं, जो हमें हर एक मंजिल तक ले जाती हैं।
पहली मंजिल पर एक बड़ा पुस्तकालय है, जो कि पुस्तकों से अच्छी तरह से सुसज्जित है इसमें अनेक विषयों से संबंधित किताबे है। यहां पर वाद्य यंत्र की कक्षायें भी है इसके अलावा एक विज्ञान प्रयोगशाला है।
इसमें विज्ञान और वाणिज्य में 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कक्षाएं हैं तथा नर्सरी के बच्चों के लिए भी यही कक्षायें बनायी गई है और दूसरी मंजिल पर एक कंप्यूटर प्रयोगशाला है, तथा यहाँ पर कक्षा पांच से दश तक के छात्र एवं छात्राओं की पढाई के लिए उत्तम व्यवस्था की गई है।
विद्यालय में पीने के पानी एवं शौचालय की भी उत्तम व्यवस्था है। शिक्षक सभी छात्रों के अंको और अन्य छात्रों से संबंधित बातों की पूर्ण जानकारी रखते है। विद्यालय में अलग-अलग कामों के लिये नौकर लगाये गये जो अपने-अपने कामों को नियम पूर्वक करते है।
जिसमें से एक रात्री के समय विद्यालय की देखभाल के लिये वहां रहता भी है। उसके लिए विद्यालय के किनारे पर एक छोटा सा घर बनाया गया है।
हम सभी बच्चों के खेलने के लिए एक बड़ा खेल का मैदान है जहाँ कई झूले है और एक बड़ा बगीचा है जिसमें कई सारे फूल खिले रहते है, कई आम और अमरुद के बड़े-बड़े पेड़ लगे है। सभी कक्षाएं बहुत हवादार और खुली हुई हैं।
ड्राइंग रूम, म्यूजिक रूम, साइंस लेबोरेटरीज और ऑडियो वीडियो रूम भी हैं। हमारे विद्यालय में पांच हजार छात्र हैं। जिनमें 2000 लड़कियां और 3000 लड़के है। हमारे स्कूल के ज्यादातर छात्र ज्यादातर स्कूल इंटर-स्कूल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और उच्च स्थान लाते हैं और सभी गतिविधियों का समर्थन करते है।
मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक Principal and Teachers of My School
हमारी प्रधानाचार्या श्रीमति कल्पना जी बहुत दयालु महिला हैं। हमारे स्कूल में, 90 शिक्षक हैं , जो हमें ज्ञान देते हैं। और हमें प्यार भी करते है। विभिन्न गतिविधियों और कार्यों को साल भर आयोजित किया जाता है। मुझे अपने स्कूल पर बहुत गर्व है।
मैं अपने स्कूल से प्यार करता हूं और सम्मान करता हूं। मेरे विद्यालय की कई अलग अलग शहरों में शाखाएं है। मेरे विद्यालय पीले रंग से रंग किया गया है। यह पीला रंग आँखों को लुभाता है इस कारण मेरा विद्यालय दूर से ही सबसे अनोखा दिखाई पड़ता है।
प्रिंसिपल ऑफिस, हेड ऑफिस, क्लर्क रूम, स्टाफ रूम और आम स्टडी रूम सबसे नीचे बने हुये हैं। स्कूल कैंटीन, स्टेशनरी की दुकान, शतरंज कक्ष, और स्केटिंग हॉल भी जमीन तल पर स्थित हैं। स्कूल के प्रधानाचार्या ऑफिस के सामने मेरे स्कूल में दो बड़ी सीमेंट वाली बास्केटबाल कोर्ट हैं जबकि फुटबॉल मैदान इसके दूसरे तरफ है। मेरे स्कूल में एक छोटा हराभरा उद्यान भी है, जो मुख्य कार्यालय के सामने, रंगीन फूलों और सजावटी पौधों से भरा है जो पूरे स्कूल परिसर की सुंदरता बढ़ाता है।
मेरे विद्यालय में शिक्षा व उत्सव Education and Celebrations in My School
मेरे स्कूल के अध्ययन मानदंड बहुत ही रचनात्मक हैं जो हमें किसी भी कठिन विषय को आसानी से समझने में मदद करते हैं। हमारे शिक्षक हमें बहुत ईमानदारी से सब कुछ सिखाते हैं और हमें व्यावहारिक रूप से ज्ञान भी देते हैं।
मेरे विद्यालय में साल के सभी महत्वपूर्ण दिन जैसे खेल दिवस , शिक्षक दिवस , मातृ-पितृ दिवस , बाल दिवस , सालगिरह दिवस, संस्थापक दिवस, गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस , क्रिसमस दिवस , मातृ दिवस, वार्षिक समारोह, नव वर्ष , गांधी जयंती, आदि एक भव्य तरीके से मनाये जाते है।
मेरा विद्यालय उन छात्रों को बस सुविधा प्रदान करता है जो बच्चे स्कूल से बहुत दूर रहते हैं। सभी छात्र सुबह खेल के मैदान में इकट्ठे होते हैं और सुबह की प्रार्थना करते हैं और फिर सभी अपनी कक्षाओं में जाते हैं।
मेरा स्कूल हर साल लगभग 2000 छात्रों को नर्सरी कक्षा में प्रवेश प्रदान करता है। मेरे विद्यालय में विभिन्न विषयों जैसे गणित, अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, जीके, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, चित्रकला, खेल और शिल्प इत्यादि के लिए अलग-अलग अध्यापक हैं।
मेरे विद्यालय में पाठ्यक्रम गतिविधियाँ Curriculum activities in My School
हमारे विद्यालय में तैराकी, स्काउटिंग, एनसीसी, स्कूल बैंड, स्केटिंग, गायन, नृत्य इत्यादि कई सह-पाठ्यचर्या गतिविधियाँ हैं। विद्यालय के मानदंडों के अनुसार कक्षा शिक्षक द्वारा अनुचित व्यवहार और अनुशासित गतिविधियों वाले छात्रों को दंडित भी किया जाता है।
हमारे प्रधानाचार्या हमारे चरित्र निर्माण, शिष्टाचार, नैतिक शिक्षा, अच्छे मूल्यों को प्राप्त करने और दूसरों का सम्मान करने के लिए 10 मिनट के लिए मीटिंग हॉल में प्रतिदिन प्रत्येक छात्र की कक्षाएं लेते हैं। इस तरह मेरी प्रधानाचार्या एक अच्छी शिक्षक भी है।
विद्यालय जाने का समय My School Time
विद्यालय जाने का समय सुबह 7:30 से 2:30 गर्मियों में और सर्दियों में 9:30 से 4:30 तक है। सभी छोटे बच्चों और बड़े बच्चों के लिये छुट्टी होने पर स्कूल से निकलने का अलग-अलग रास्ता है ताकि छोटे बच्चों को बाहर निकलने में कोई परेशानी न हो।
मेरा विद्यालय पर 10 लाइन 10 Lines on My School in Hindi
- मेरा विद्यालय बहुत ही सुन्दर है।
- मेरा विद्यालय ज्ञान का मंदिर है।
- मेरे स्कूल में सभी प्रकार की शिक्षा और पाठ्यक्रम गतिविधियों की सुविधाएँ है।
- मेरे विद्यालय में कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
- मेरे विद्यालय में बहुत बड़ा खेलने का मैदान है जिसमे बच्चे फुटबॉल और क्रिकेट भी आसानी से खेल सकते हैं।
- मेरे विद्यालय में शिक्षा बहुत ही अच्छे प्रिंसिपल और शिक्षक हैं।
- मेरे स्कूल में सभी प्रकार के खेल-कूद की ट्रेनिंग दी जाती है।
- स्कूल में कई प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन समय-समय पर किया जाता है।
- मेरा विद्यालय बहुत ही साफ़-सुथरा है क्योंकि यहाँ स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सफाई पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
- हर साल मेरे विद्यालय के सभी छात्र और अध्यापक पिकनिक मनाने जाते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
हमारे विद्यालय के शिक्षक बहुत ही अनुभवी और योग्य है। शिक्षकों और हमारी प्राचार्या के नेतृत्व में हमारा विद्यालय लगातार उन्नति कर रहा है। आशा करते हैं आपको मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi हिन्दी में अच्छा लगा होगा।
42 thoughts on “मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi”
In order not to leave regrets and regrets in life, we should try our best to seize all opportunities to change our lives
yes that’s true
This is very amazing
It was very nice easy
Thankyou it really helped me a lot .
yes It help me
Thankyou sooo much
Very nice niband. Helped my kid a lot. THANK YOU VERY MUCH…………
it helped me so much.
essay on school very easy 4th class
you are very good
please give me 2 lines more
Helpful essay on my school thank you so much ☺️
Hello guys ☺️
Thank you to give answer
Yes, it is true
This was helpful…thanks
Wow very easy essay for children
Nice composition
It helped me too
I like this ☺ it really helpful
Thank for essay
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These lines are very beautiful ❤ . I love my school
It helps me very much.
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It is very good to me Thank you for this
Very nice and thank you so much
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विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध
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रुपरेखा : प्रस्तावना - विद्यालय का विवरण - विद्यालय में प्रथम दिन - सहपाठियों का विवरण - उपसंहार।
जब कोई व्यक्ति किसी अज्ञात जगह पर जाता है या किसी अपरिचित व्यक्ति से मिलता है, तब उसे बहुत-सी शंकाएँ रहती हैं। उसी प्रकार, जब हम किसी नए विद्यालय में जाते हैं, तो हमारा मन शंकाओं और प्रश्नों से भरा रहता है। हम बहुत घबराए रहते हैं। हम नए शिक्षकों और सहपाठियों के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। नए विद्यालय में मेरा पहला दिन मुझे अभी तक याद है। मैं दसवीं वर्ग में था। मैं माध्यमिक विद्यालय से उच्च माध्यमिक विद्यालय में जा रहा था।
विद्यालय में मेरा पहले दिन का अनुभव उस समय का है जब मेंने आठवीं कक्षा पास कर ली थी। मेरा रिजेल्ट बहुत ही अच्छा था मैंने प्रथम श्रेणी में पास कर लिया था। इसलिए मुझे शहर के एक अच्छे विद्यालय में प्रवेश लेने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे परिवार सहित सभी पास पड़ोस ओर रिश्तेदारों ने अपनी-अपनी सलाह ओर सुझाव प्रदान किये। सबके सुझाव सुनकर मेरे पापा ने मुझे एक अच्छे विद्यालय में मेरा प्रवेश करवा दिया। विद्यालय में प्रवेश के बाद मेरा प्रवेश पत्र भरकर जमा करवा दिया। कुछ दिनों बाद प्रवेश-सूची निकाली गई। और पहली सूची में ही मेरा नाम आ गया था। ये देखकर में बहुत खुश हुई। शुल्क, आदि जमा करने के बाद में अपने पठन-पाठन के लिए निश्चित समय पर विद्यालय के लिए घर से चल पड़ा।
जब मैंने अपने नए विद्यालय के द्वार में प्रवेश किया, मैं चकित रह गया। इसका परिसर आकार में विशाल था। विद्यालय-भवन बहुत सुंदर था। मैंने अपनी कक्षा को ढूँढ़ा और अंदर गया। अधिकतर सीटें भरी हुई थीं। मैंने देखा कि आखिरी बेंच खाली था और वहाँ बैठ गया। मेरे सभी सहपाठी मुझे अनभिज्ञ ढंग से घूर रहे थे। कुछ देर बाद हमलोग सुबह की सभा के लिए विद्यालय के खेल-मैदान में गए। वहाँ एक सामूहिक प्रार्थना हुई। उसके बाद प्राचार्य ने नए विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें अनुशासन के महत्त्व से अवगत कराया।
हमारी वर्ग-शिक्षिका पहली घंटी में वर्ग में आईं। उन्होंने पूरी कक्षा से मेरा परिचय कराया। उन्होंने मेरे पूर्व विद्यालय एवं परीक्षाफल के बारे में पूछा। इसी तरह चार घंटियाँ बीत गईं। मेरे कुछ सहपाठी मुझसे बात करने आए। हमलोग मध्यावकाश के दौरान बाहर गए । तब-तक मैंने कुछ मित्र बना लिए थे। मैंने उनलोगों के साथ अपना मध्याह्न भोजन साझा किया। उन्होंने मुझे विद्यालय का पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला और इन्डोर स्टेडियम दिखाया। उन्होंने मुझे विद्यालय के कुछ अन्य शिक्षकों के बारे में भी बताया। मैंने उनसे कुछ 'नोट्स' लिए। उन्होंने मेरे पाठ्यक्रम को पूरा करने में मुझे मदद करने का वादा किया। कुछ शरारती छात्रों ने मेरे साथ शरारत करने की कोशिश की। वह अनुभव भी अच्छा था। विद्यालय का प्रथम दिन होने के कारण मध्यावकाश के बाद पढ़ाई नहीं हुई । बच्चे खेलने लगे । मैंने खेल घर में जाकर कैरम बोर्ड और चैस खेला। खेल खेलते हुए मुझे बहुत आनंद आया । फिर छुट्टी की घंटी बजी । बच्चों ने बस्ता सँभाला और आपस में बातें करते हुए घर की ओर चले ।
इस प्रकार विद्यालय का प्रथम दिन नए विद्यालय को जानने तथा शिक्षकों एवं सहपाठियों से परिचय प्राप्त करने में बीता । कई नए अनुभव प्राप्त हुए । कई नए मित्र बनाए। नए मित्रों के साथ खेल खेले। फिर मित्र के साथ बातें करते-करते घर लौटे। घर लौटकर माँ, पिताजी और भाई के साथ अपने अनुभव बाँटे । मेरे सभी सहपाठी अच्छे थे। मैंने अपने नए विद्यालय में पहले दिन का बहुत आनंद लिया। कभी-कभी मुझे आज भी उस दिन की याद आती है।
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