Hindi Essay on “Mere Jeevan ka Lakshya”, “मेरे जीवन का लक्ष्य”, Hindi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरे जीवन का लक्ष्य

Mere Jeevan ka Lakshya

5 Hindi Essay on ” Mere Jeevan Ka Lakshya”

निबंध नंबर : 01

मानव जीवन में हम बड़े-बड़े काम कर सकते हैं। हम सभी अपने जीवन में कोई-न-कोई लक्ष्य बनाते हैं। उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम भी करते हैं। अपने बड़ों से हमें बहुत प्रेरणा मिलती है और हम भी उनके जैसा बनना चाहते हैं।

पाँचवी कक्षा में कुछ तय करने के लिए मैं बहुत छोटा हूँ परंतु स्वयं को एक फौजी अफसर के रूप में देखना चाहता हूँ। मुझे अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा होती है। जब मैं समाचारों में बाहरी ताकतों की हरकतों। के बारे में पढ़ता हूँ तब मेरा खून खौलने लगता है।

वरदी पहने जवानों को देख मैं बहुत उत्साहित होता हूँ। मेरे दादा जी भी फौज में एक ऊँचे पद पर थे। सभी उनका बहुत सम्मान करते थे। उनके साहस की बातें सुनकर मेरे मन में भी फौजी बनने की इच्छा प्रबल हो उठती  है।

मेरे माता-पिता मुझे अपने लक्ष्य की ओर सदा प्रोत्साहित करते हैं। मैं भी स्वयं को फौजी वरदी में देखने के स्वप्न देखता रहता हूँ।

(150 Words)

निबंध नंबर: 02

मेरे जीवन का लक्ष्य अथवा उद्देश्य

भूमिका- मनुष्य अनेक कल्पनाएं करता है। वह अपने को ऊपर उठाने के लिए अनेक योजनाएं बनाता है। कल्पना सबके पास होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शान्ति किसी-किसी के पास होती है। मनुष्य जीवन एक यात्रा के समान है। यात्री को पता होता है कि मैंने यहाँ जाना है तो वह वहीं की टिकट लेकर अपनी यात्रा आरम्भ कर देता है और अपने लक्ष्य तक पहुँच जाता है। अगर उसे यह पता नहीं कि मैंने कहाँ जाना है तो यात्रा का कोई अर्थ नहीं रह जाता। सभी अपने सामने कोई न कोई लक्ष्य रखकर चलते हैं।

विभिन्न लक्ष्य- विभिन्न व्यक्तियों के लक्ष्य भी विभिन्न होते हैं तो कोई अध्यापक बनना चाहता है, कोई डाक्टर बनना चाहता है। कोई इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहता है। कभी वह सैनिक बनकर देश की सीमा की रक्षा करना चाहता है। कोई कर्मचारी बनकर दफतर में बैठना पसन्द करताहै। कोई व्यापारी बनना चाहता है तो कोई नेता और अभिनेता बनना चाहता है। मेरे मन की एक कल्पना है मैं डॉ० बनकर ग्रामीण लोगों की सेवा करना चाहता हूँ।

मेरे लक्ष्य का महत्त्व – मैंने तो आरम्भ से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। मेरे जीवन का लक्ष्य है डॉ० बनना और अपनी समाज की सेवा करना। डॉ० का लक्ष्य केवल पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। देश और समाज की सेवा करना उनका लक्ष्य होना चाहिए। मेरा लक्ष्य तो समाज की सेवा करना है- धन कमाना नहीं।

हमारे प्राचीन ग्रन्थों में ऐसा लिखा है कि समाज में दो व्यक्तियों का बड़ा उपकार है। पहला है शिक्षक जो लोगों की अज्ञानता को दूर करके ज्ञान रूपी दीपक दिखाकर उनका जीवन सफल बनाता है। दूसरा है डॉक्टर जो बीमार लोगों का उपचार करके उनको जीवन दान देता है। दोनों के कर्म बड़े पावन है लेकिन मैंने डॉक्टर बनकर सेवा करना पसन्द किया है। हमारे देश में जो डॉक्टर बनते हैं या तो विदेशों में भागकर ज्यादा धन कमाना चाहते हैं या फिर अस्पताल बनाकर लोगों का धन लूटते हैं। मुझे ऐसा पसन्द नहीं।

मैं चाहता हूँ कि दूर किसी गाँव में जाकर अपना अस्पताल बनाऊं ताकि गाँव के लोगों को रोगों से मुक्त जीवन मिले। उनको छोटी-मोटी बिमारी के कारण शहर की और न भागना पड़े और अपना धन लुटाना पड़ा। मेरी यह चाहत है कि मैं गरीबों से उतनी ही फीस लूं जिससे अस्पताल का काम सुचारू रूप से चल सके। मेरी यह चेष्टा रहेगा। कि गरीबो का मुफ्त इलाज करूं।

देश की वर्तमान दशा- भारत एक विकासशील देश है। परन्तु यहाँ के अधिकांश निवासी शिक्षा, गरीबी, बीमारी तथा बेरोजगारी का शिकार हैं। बीमारी की हालत में वे अपना इलाज ठीक प्रकार से नहीं करवा पाते। आज देश में ऐसे डॉक्टरों की आवश्यकता है जो सच्चे मन से बीमार लोगों का उपचार करें। मैंने डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

उपसंहार- मेरी तुच्छ वृद्धि के अनुसार एक सफल डॉक्टर और अच्छा डॉक्टर बनना आसान नहीं है। यह कार्य कठिन है। फिर भी मैंने अपने लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए अभी से प्रयल प्रारम्भ कर दिए है। मेरे पिता जी भी ऐसा ही चाहते हैं कि मैं एक डॉक्टर बूं और अपने समाज की सेवा करूं।

(500 Words)

निबंध नंबर : 03

मेरा जीवन-लक्ष्य

Mera Jeevan Lakshya 

बचपन में मेरे पिताजी कहा करते थे-“मेरा श्याम तो इंजीनियर बनेगा”, क्योंकि मैं बचपन में हथौड़ी से कुछ न कुछ कूटाकाटी किया करता था। जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरा रुझान भी इंजीनियर की ओर बढ़ता चला गया। मैं सोचता था-कितने सुनहरे होंगे वो जब मैं सचमुच का इंजीनियर बन जाऊँगा।

“जहाँ चाह, वहाँ राह।” दसवीं कक्षा में विज्ञान में मेरे 95 प्रतिशत अंक और गणित में 98 प्रतिशत अंक आए, तो मेरे अध्यापक ने मय कहा कि अगर मैं बारहवीं की परीक्षा में भी अच्छे नंबर लाऊँगा, तो अब इंजीनियर बन जाऊँगा। साथ ही यह भी संभव है कि इंजीनियरिंग के लिए मुझे सरकार की ओर से छात्रवृत्ति भी मिल जाए, क्योंकि सरकार मेधावी बच्चों को पढ़ने के लिए और कोर्स करने के लिए हर संभव सहायता करती है।

मुझे ज्ञात है कि समाज में इंजीनियर का एक ऊँचा स्थान है। लोग उसे आदर की दृष्टि से देखते हैं और उससे परिचित होने में गर्व का अनुभव करते हैं। आर्थिक दृष्टि से भी वह प्रथम श्रेणी का व्यवसाय है। इंजीनियर के लिए नौकरी और स्वतंत्र धंधा-दोनों ही रास्ते खुले हैं। अच्छे काम की सभी कद्र करते हैं। अनुभव और योग्यता के आधार पर पदोन्नति की संभावना भी रहती है। विदेशों में ऊँचे प्रशिक्षण के भी अवसर आते रहते हैं। निजी उद्योगों की नौकरी में उन्नति के इससे भी अधिक अवसर हैं, किन्तु यदि इंजीनियर चाहे तो अपना स्वतंत्र धंधा भी चला सकता है।

मेरी इच्छा है कि मैं इंजीनियर बनकर देश के औद्योगिक विकास में योगदान करूँ। हमारा देश औद्योगिक क्षेत्र में पिछडा हआ है, दुनिया की दौड़ में उसे आगे ले जाने का काम न तो क्लर्क कर सकते हैं, आर न दुकानदार। यह काम तो इंजीनियर ही कर सकता है। यदि मैं इंजीनियर बन जाऊँ तो जहाँ अपने जीवन के लिए अच्छी-खासी आजीविका जुटाऊँगा, वहीं देश की औद्योगिक प्रगति में भी सक्रिय योगदान दूगा। यह भी संभव है कि मैं कोई नया सुधार या आविष्कार कर सकू।।

मैं स्वयं इंजीनियर बनकर भारत के अन्य गरीब बच्चों को भी आर्थिक सहायता देकर इंजीनियर बनने में सहायता दूंगा। इसके अतिरिक्त समाज हितकर कार्यों के लिए शारीरिक एवं आर्थिक योगदान देकर अपने जीवन को सफल बनाऊँगा।

मुझे पूर्ण आत्मविश्वास है कि मैं अपने जीवन-लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकूँगा।

(350 Words)

निबंध नंबर : 04

My Aim in Life

विद्यार्थियों को अपना एक लक्ष्य अवश्य निर्धारित कर लेना चाहिए । फिर इस लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाना चाहिए । इसलिए मैंने भी अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाया है। मैं एक डॉक्टर बनना चाहता हूँ । डॉक्टर की आमदनी जीने लायक पर्याप्त होती है । उसे समाज में भी उचित सम्मान मिलता है । सबसे बढ़कर उसे समाज-सेवा का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है । डॉक्टर उस समय लोगों की मदद करता है जब कोई और उसकी मदद नहीं कर सकता । वह बीमार व्यक्तियों को नया जीवन देता है । उसका काम बहुत उत्तम कोटि का है । इसलिए मैंने डॉक्टर बनने का पक्का निश्चय किया है । इसके लिए मैं अभी से कठिन श्रम कर रहा हूँ । मैं एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहता हूँ । मैंने माता-पिता को अपना जीवन-लक्ष्य बता दिया है । वे मेरे निर्णय से बहुत खुश हैं । वे मुझे पर्याप्त प्रोत्साहन भी दे।

निबंध नंबर : 05

Mere Jeevan Ka Lakshya 

लक्ष्यपूर्वक जीने से जीवन का रस बढ़ जाता है। तब हमारे जीवन की गति को एक निश्चित दिशा मिल जाती है। मैंने निश्चय किया है कि मैं इंजीनियर बनकर इस संसार को नए-नए साधनों से संपन्न करूंगा। देश में जल-बिजली, सड़क या संचार-जिस भी साधन की आवश्यकता होगी, उसे पूरा करने में अपना जीवन लगा दूंगा। मैं बड़ा होकर भवन निर्माण की ऐसी सस्ती, सुलभ योजनाओं में रुचि लूँगा जिससे मकानहीनों को मकान मिल सकें। मैंने सुना है कि कई इंजीनियर पैसे के लालच में सरकारी भवनों, सड़कों, बाँधों में घटिया सामग्री लगा देते हैं। यह सुनकर मेरा हृदय रो पड़ता है। अतः मैं कदापि यह पाप-कर्म नहीं करूँगा, न अपने होते यह काम किसी को करने दूंगा। मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरंभ कर दिए हैं। गणित और विज्ञान में गहरा अध्ययन कर रहा हूँ। मैं तब तक आराम नहीं करूंगा, जब तक कि लक्ष्य को पा न लें।

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17 Comments

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Make more essays for secondary classes also… PLEASE…

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Please write one for Cardiologist.. Please…?

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Very good essay keep it up ??

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Please write an short essay for law professional

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Thanks for the essay 😊😊😊

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Very useful 👌 👍 👏 😀

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Nice! Can you provide a अनुच्छेद on मेरा लक्ष्य: गायक/गायिका बनना ?

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That’s great but please make an essay on lawyer

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Thanks this is very helpful for me

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Thank you 😌

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Thank you for this . This essay is to good thank you 💜💜💜

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मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – My Aim In Life Essay

My Aim In Life Essay

हर किसी के जीवन के लक्ष्य अलग-अलग होते हैं, कोई किसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है तो कोई किसी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाना चाहता है और नाम कमाना चाहता है, अर्थात लक्ष्य के द्धारा ही व्यक्ति एक सुखी जीवन का आनंद ले सकता है।

वहीं लक्ष्य एक अतिमहत्वपूर्ण विषय है, जिस पर कई बार स्कूलों में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में अथवा क्लास में बच्चों को “मेरे जीवन का लक्ष्य” पर निबंध (My Aim In Life Essay) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में ‘मेरे जीवन का लक्ष्य’ पर अलग-अलग शब्दों में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

My Aim In Life Essay

“मेरे जीवन का लक्ष्य” पर निबंध नंबर – My Aim In Life Essay

जाहिर है कि इस दुनिया में हर व्यक्ति की सोच और उसका लक्ष्य अलग होता है। कोई एक आदर्श शिक्षक बनकर शिक्षित समाज का निर्माण कर देश का कल्याण करना चाहता है, तो कोई इंजीनियर बनकर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करना चाहता है, तो कोई समाजसेवी बनकर समाज में फैली कुरोतियों को दूर करना चाहता है और जरूरतमंदों और असहायों की मद्द करना चाहता है।

सभी अपने सामर्थ्य और क्षमता के मुताबिक ही अपने-अपने लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं, वैसे ही मैं जब भी किसी रोगी को दर्द से कराहता देखता हूं, या फिर जब किसी अस्वस्थ व्यक्ति की पीड़ा समझने की कोशिश करता हूं, तो अक्सर मेरे दिल और दिमाग में यही ख्याल आता है कि काश मै डॉक्टर होता तो इसकी मद्द कर पाता।

इसलिए मैने यह संकल्प लिया है कि मै डॉक्टर बनने के लिए पूरा प्रयास करूंगा और अपनी क्षमता शक्ति से अधिक मेहनत करूंगा ताकि मै एक सफल डॉक्टर बन सकूं।

आपको बता दूं कि मेरा अन्य लोगों की तरह डॉक्टर बनकर सिर्फ नोट छापने का कोई उद्देश्य नहीं है, बल्कि मैं डॉक्टर बनकर गंभीर रोगों से लड़ रहे गरीब और असहाय लोगों के काम आना चाहता हूं और एक स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना सहयोग देना चाहता हूं।

वहीं कई लोग पैसे के अभाव में और कुछ मजबूरियों के चलते डॉक्टर की डिग्री हासिल नहीं कर सकते, लेकिन मैं अक्सर यही सोचता हूं कि अगर मै डॉक्टर बनने का निश्चय किया है तो किसी भी हालत में अपने लक्ष्य को पाकर ही रहूंगा और रोगों से लड़ रहे लोगों के जीवन को सुरक्षित बनाऊंगा, इसके साथ ही पीडि़त लोगों को उनके रोगों को दूर भगाने के लिए सही सलाह दूंगा। साथ ही उन्हें यह भी बताऊंगा कि वे कैसे स्वस्थ जीवन जीएं।

उपसंहार –

जाहिर है कि ज्यादातर लोग अपने जीवन में बड़े-बड़े सपने देखते हैं और लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा लोग ही ऐसे होते हैं, जो अपने लक्ष्यों को पाने के लिए निरंतर कोशिश करते हैं, ऐसे लोग ही अपने लक्ष्यों का आसानी से हासिल कर लेते हैं।

इसलिए हमें अपने जीवन के लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए साथ ही इसे पाने के लिए निरंतर कोशिश भी करते रहना चाहिए। तभी हमारा जीवन सार्थक हो सकेगा।

Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi

लक्ष्य को रखने वाला मनुष्य ही अपने जीवन में सही रास्ते पर चल सकता है और अपने परिवार और देश के विकास में सहयोग कर सकता है, वहीं लक्ष्यविहीन मनुष्य उस गेंदबाज की तरह होते हैं, जो गेंद तो फेंकते हैं लेकिन उसने सामने विकेट नहीं होते।

ऐसे मनुष्य को न तो समाज में कोई दर्जा मिलता है और न ही वह अपने जीवन में कभी आगे बढ़ सकता है, इसलिए हर किसी को अपने जीवन में लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए। वैसे ही मैं भी अक्सर एक शिक्षक बनने के बारे में सोचता हूं, और एक आदर्श शिक्षक बनना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है-

मेरे जीवन का लक्ष्य –

मेरे जीवन का लक्ष्य एक शिक्षक बनना है – जाहिर है कि एक शिक्षक, समाज और देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन कर उसे अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के काबिल बनाता है।

इसके साथ ही शिक्षक, शिष्य के अंदर सोचने-समझने की शक्ति विकसित करते हैं, और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं आज मै भी अपने टीचर की बदौलत ही इस काबिल बन पाया हूं कि अपने जीवन के लक्ष्यों का निर्धारण कर सकूं।

वहीं हो सकता है कि कुछ लोग मेरे शिक्षक बनने के इस लक्ष्य को छोटा समझें लेकिन अगर मुझे एक आदर्श शिक्षक बनने का मौका मिला तो यह मेरे लिए बहुत गर्व और सम्मान की बात होगी, क्योंकि मैं शिक्षक बनकर कई छात्रों का सही मार्गदर्शन कर उनके भविष्य को संवारना चाहता हूं, और विकसित राष्ट्र की नींव रखना चाहता हूं।

क्योंकि एक शिक्षक बनकर ही समाज और राष्ट्र के हित के लिए काम किया जा सकता है, शिक्षक, समाज को एक नई दिशा देता है, और विद्यार्थियों को एक नया जीवन प्रदान करता है, इसलिए शिक्षक को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है, वहीं इस संदर्भ में कबीर जी का यह दोहा भी काफी प्रसिद्ध है –

गुरु गोबिन्द दोनों खड़े, काके लागू पाय बलिहारी, गुरु आपने, जिन गोबिन्द दियो बताय॥

इसके अलावा भी कई महान कवियों और महान पुरुषों ने शिक्षकों के महत्व को अपने विचारों के माध्यम से व्यक्त किया है। जिसके बारे में गंभीरता से सोचते हुए मैने भी शिक्षक बनने का प्रण लिया है।

एक आदर्श शिक्षक बनने के लिए मै निरंतर प्रयासरत रहता हूं और मैं इसके लिए हिन्दी विषय से पीएचडी की पढ़ाई भी करना चाहता हूं, मै छात्रों को हिन्दी विषय के पूरी जानकारी देना चाहता हूं और मैं इसके हिन्दी साहित्य से लेकर व्याकरण तक का ज्ञान देना चाहता हूं।

इसके साथ ही छात्र-छात्राओं को उनके कर्तव्यों का बोध करवाना चाहता हूं। और एक आदर्श शिक्षक बनकर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता हूं।

वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि शिक्षक बनकर सिर्फ चंद पैसे कमाना चाहते हैं, और विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन नहीं करते हैं, मैं इस तरह का शिक्षक बिल्कुल भी नहीं बनना चाहता हूं।

आपको बता दूं कि मेरे जीवन का लक्ष्य एक ऐसा शिक्षक बनना है, जो देश और समाज के कल्याण में काम आ सके और विद्यार्थियों के भविष्य को सुनहरा बना सके।

उपसंहार

शिक्षक को समाज में सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है, क्योंकि शिक्षक ही किसी भी व्यक्ति का उसके जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में मद्द करता है, और उसके अंदर सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक ज्ञान देता है। इसलिए मेरे जीवन का लक्ष्य एक आदर्श शिक्षक बनना है।

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  • Hindi Grammar /

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi : मेरे जीवन का लक्ष्य पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध

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  • Updated on  
  • जनवरी 6, 2024

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi

एक छात्र के जीवन में लक्ष्य दिशा, प्रेरणा और उद्देश्य की भावना प्रदान करते हैं। वे छात्रों को लक्ष्य चीज़ें निर्धारित करने, अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित रखने और एक सक्रिय मानसिकता विकसित करने में मदद करते हैं। विद्यार्थियों के जीवन में लक्ष्यों का होना व्यक्तिगत और शैक्षणिक सफलता में योगदान देता है। इसलिए कई बार छात्रों को मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध 100 शब्दों में , मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध 200 शब्दों में, लक्ष्य को समझें, जीवन में लक्ष्य का महत्व, लक्ष्य को ढूंढें , जीवन में प्रमुख लक्ष्य और उनके प्रकार, लक्ष्य को प्राप्त करने के तरीके, मेरे जीवन के लक्ष्य पर 10 लाइन्स.

जीवन लक्ष्य रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें समुद्र में जहाज के कम्पास की तरह दिशा देता है। इसके बिना, हम खो गए हैं। इसी तरह, व्यक्तिगत लक्ष्य के बिना, हमारे जीवन में स्पष्ट गंतव्य का अभाव होता है। हमारे जीवन में सफलता पाने और सार्थक प्रभाव डालने के लिए हमें एक उद्देश्य चुनना होगा। हमारा कोई न कोई लक्ष्य होना ही चाहिए जैसे प्रोफेसर बनना, डॉक्टर बनना या कोई ऐसा व्यक्ति बना जिसकी हम इच्छा रखते हैं। कड़ी मेहनत और पढ़ाई के प्रति समर्पण से हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। एक लक्ष्य निर्धारित करना जीवन में हमारी यात्रा के लिए फोकस, प्रेरणा और एक रोडमैप प्रदान करता है। यह हमारी पूरी क्षमता को उजागर करने और हमारी आकांक्षाओं को साकार करने की कुंजी है।

यह भी पढ़ें : Mera Parivar Essay In Hindi: जानिए मेरे परिवार पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi निबंध 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

जीवन में एक लक्ष्य रखना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार जैसे एक जहाज को विशाल समुद्र में चलने के लिए पतवार की आवश्यकता होती है। स्पष्ट लक्ष्य के बिना, हम खोया हुआ महसूस कर सकते हैं, अनिश्चित हो सकते हैं कि हम कहाँ जा रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से भी हमारी हमेशा से कुछ बनने की इच्छा रहती है। हमारे जीवन में कोई न कोई लक्ष्य होना चाहिए उसमें हमारा परिवार भी पूरे दिल से उस सपने का समर्थन करता है। हमेशा से हमारे कुछ पसंदीदा विषय होते हैं, हमारे जीवन के लक्ष्यों को चुनने में हमारे शिक्षकों का बड़ा महत्व होता है। 

जीवन में एक स्पष्ट लक्ष्य रखना व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। एक लक्ष्य एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो किसी के प्रयासों को दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। यह एक प्रेरणा के रूप में कार्य करता है, व्यक्तियों को सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने और चुनौतियों पर काबू पाने के लिए प्रेरित करता है।

जीवन में एक लक्ष्य न केवल उद्देश्य की भावना पैदा करता है बल्कि जीवन के अहम निर्णय लेने में भी मदद करता है। यह एक रोडमैप के रूप में कार्य करता है, प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों को रेखांकित करता है। स्पष्ट लक्ष्य के बिना, जीवन में फोकस की कमी हो सकती है और लक्ष्यहीन रूप से भटकना पड़ सकता है, जिससे असंतोष पैदा हो सकता है।

एक लक्ष्य निरंतरता और दृढ़ता की भावना प्रदान करता है। बाधाओं के सामने, लक्ष्य रखने से दृढ़ संकल्प को बढ़ावा मिलता है। यह व्यक्तियों को जीवन की जटिलताओं से निपटने में मदद करता है, व्यक्ति असफलताओं को सीखने के अनुभवों में बदल देता है।

चाहे वह करियर की आकांक्षा हो, व्यक्तिगत विकास का लक्ष्य हो, या समाज में योगदान हो, जीवन में एक उद्देश्य व्यक्तियों को आगे बढ़ाता है, उन्हें उन प्रयासों में समय देने के लिए प्रेरित करता है जो उनके पक्ष में हो। 

मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंध 500 शब्दों में

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi निबंध 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

ऐसा माना जाता है की लक्ष्य न होना जीवन न होने के बराबर है। मनुष्य सहित ब्रह्मांड के सभी प्राणियों के पास विशिष्ट लक्ष्य हैं। मनुष्य को अपने जीवन का मार्ग चुनने का अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता विशेष होती है, जो विविध जीवन लक्ष्यों की ओर ले जाती है। 

यह जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है, लेकिन उद्देश्य के बिना यह निरर्थक हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति एक मिशन के साथ पैदा होता है और एक लक्ष्य का होना महत्वपूर्ण है। छात्र जीवन के दौरान उद्देश्य निर्धारित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। स्पष्ट लक्ष्य वाला व्यक्ति बिना लक्ष्य वाले व्यक्ति से बेहतर प्रदर्शन करता है। यह जाने बिना कि आप क्या चाहते हैं, कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा की कमी होती है। एक पूर्ण जीवन जीने और चुनौतियों से निपटने के लिए एक सुविचारित योजना का होना आवश्यक है। इसलिए हर किसी का एक जीवन लक्ष्य होना चाहिए।

सरल शब्दों में किसी उद्देश्य या लक्ष्य को अक्सर लक्ष्य कहा जाता है। जब हम बच्चे होते हैं, तो हम अंतरिक्ष यात्री, फिल्म स्टार, पुलिस अधिकारी या ऐसा ही कुछ बनने का सपना देख सकते हैं। उद्देश्य में कुछ हासिल करने का इरादा, प्रयास और आकांक्षा शामिल होती है। उदेशय आम तौर पर एक लक्ष्य घोषित करने के साथ शुरू होता है, फिर इसे समयरेखा के साथ छोटे चरणों में विभाजित करना होता है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रास्ते में आने वाली विभिन्न बाधाओं और असफलताओं पर काबू पाने की आवश्यकता होती है। यह एक लक्ष्य निर्धारित करने, एक योजना बनाने और परिणाम तक पहुंचने के लिए चुनौतियों का सामना करने की एक प्रक्रिया है।

एक प्रसिद्ध कहावत है की बिना लक्ष्य वाला व्यक्ति बिना पतवार वाले जहाज जैसा होता है – दोनों को खतरों का सामना करना पड़ता है। बिना लक्ष्य वाला व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है और रास्ते में लड़खड़ाता है।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक स्पष्ट लक्ष्य होना आवश्यक है। जीवन का उद्देश्य अर्थ और दिशा से परिपूर्ण करना है। यह इस बात की खोज करके हासिल किया जाता है कि आपके लिए वास्तव में क्या मायने रखता है। आपका लक्ष्य अपने जीवन में अधिक खुशी लाने का सर्वोत्तम तरीका प्रदर्शित करते हुए दूसरों के लिए एक उदाहरण बनना हो सकता है। एक निश्चित लक्ष्य होने से उद्देश्य की भावना मिलती है और जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।

यदि आप खुद को उन चीजों की ओर काम करते हुए पाते हैं जो आपको अपने होने का एहसास नहीं कराती हैं, आंतरिक शांति की कमी है, और आपको खुशी देने में विफल हैं, तो आप गलत क्षेत्र में हो सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अपने सच्चे लक्ष्य का पीछा नहीं कर रहे हैं।

प्रत्येक व्यक्ति खास होता है, कुछ एकेडमिक्स में उत्कृष्ट होते हैं, कुछ फोटोग्राफी में, कुछ लोग दूसरों की मदद करने के लिए पैदा होते हैं, कुछ प्रतिभाशाली दिमाग वाले होते हैं, और कुछ कला और वास्तुकला का पता लगाने के लिए पैदा होते हैं। ऐसे लोग हैं जो जीवन भर अपना रास्ता लिखते हैं, लेखक बनते हैं। 

आप बस अपनी आँखें बंद करें और सोचें कि आप किस चीज़ को सबसे अधिक महत्व देते हैं, यही आपके जीवन का जुनून और लक्ष्य है। आपको बस उसके करीब जाना है और लक्ष्य बनाना है। केवल अपने जुनून का पालन करके, आप अपने लक्ष्य को वास्तविकता में बदल सकते हैं।

किसी के जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने में विभिन्न बातों पर विचार करना शामिल है। जीवन में प्रमुख लक्ष्य निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

  • एक विशिष्ट उद्देश्य और जुनून के साथ जीना: हर दिन को उद्देश्य और उत्साह की स्पष्ट भावना के साथ जीया जाता है।
  • दूसरों की मदद करके उनके लिए जीना: दूसरों की भलाई में योगदान देने और सहायता प्रदान करने का लक्ष्य बनाना।
  • एक महान परिवार सदस्य बनना: एक उत्कृष्ट पिता, माता, पुत्र या पुत्री बनने की इच्छा होना।
  • व्यापार में सफलता प्राप्त करना: एक अत्यधिक सफल उद्यमी और व्यवसायी बनने की इच्छा रखना।
  • स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली बनाए रखना: ऐसा जीवन जीने पर ध्यान केंद्रित करना जो स्वस्थ, सक्रिय और फिट हो।
  • वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना: वित्तीय स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने की दिशा में काम करना।

लक्ष्य विभिन्न प्रकार के होते हैं, क्योंकि लोगों की अलग-अलग आकांक्षाएँ होती हैं। कुछ लोग डॉक्टर बनने का लक्ष्य रख सकते हैं, अन्य अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का सपना देख सकते हैं, और कुछ इंजीनियरिंग या सेना में करियर बनाने के लिए आकर्षित हो सकते हैं। दूसरों के लिए शिक्षण, समाज सेवा या राजनीति चुना हुआ मार्ग हो सकता है।  अलग-अलग लोग अपनी रुचियों, प्राथमिकताओं और जीवन की धारणाओं के आधार पर अलग-अलग लक्ष्य अपनाते हैं।

हमें कभी भी धन या शक्ति को अपने अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए, चाहे हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हों या असफल। ऐसी प्रसिद्धि को प्राप्त करने से बचें जिसका कोई अर्थ न हो। प्राथमिक ध्यान हमारी अपनी भलाई, आनंद और संतुष्टि के लिए निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने पर होना चाहिए। लक्ष्य को प्राप्त करने के कुछ तरीके निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

  • सक्रिय रहें: पहल करें और अपने कार्यों पर नियंत्रण रखें।
  • नकारात्मकता न होना: नकारात्मक विचारों और दृष्टिकोणों को हटा दें।
  • हमेशा संतुलित रहें: जीवन में संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखें।
  • पूरी तरह से केंद्रित: अपने लक्ष्यों की ओर हमेशा केंद्रित रहें।
  • लक्ष्य को छोटे भागों में बांटें: अपने लक्ष्यों को छोटे, प्राप्त करने योग्य कार्यों में बांट लें।
  • असफलता को स्वीकार करें: असफलताओं को सीखने और बढ़ने के अवसर के रूप में देखें।
  • लोगों की सलाह लें: अपने लक्ष्य अपने परिवार के लोगों या दोस्तो के साथ बांट सकते हैं और उनका समर्थन प्राप्त कर सकते हैं। 
  • अपनी प्रगति की जानकारी रखें: अपनी उपलब्धियों की निगरानी करें और उन्हें जांचते रहें।
  • अंतिम परिणाम की कल्पना करें: सफल परिणाम की कल्पना करें।
  • फीडबैक के आधार पर कार्य को रीसेट करें: आवश्यकतानुसार अपनी योजना को अनुकूलित और परिष्कृत करें।

यह सच है कि सफल जीवन के लिए एक लक्ष्य रखना और उस तक पहुंचने के लिए कदम उठाना महत्वपूर्ण है। हर किसी को अपने उद्देश्यों की दिशा में काम करना शुरू कर देना चाहिए। सफलता की कुंजी एक सक्रिय मानसिकता के साथ समय पर कार्य को करने में होती है। प्रेरित रहने के लिए, एक प्रभावी दृष्टिकोण सकारात्मक परिवर्तनों की कल्पना करना और रास्ते में प्रत्येक छोटी उपलब्धि को प्राप्त करने का जश्न मनाएं। 

यह भी पढ़ें : Essay on Vikram Sarabhai in Hindi : पढ़िए विक्रम साराभाई पर 500 शब्दों में निबंध

मेरे जीवन के लक्ष्य पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • जीवन में लक्ष्य रखने से हमें दिशा और उद्देश्य मिलता है।
  • यह हमारे कार्यों और निर्णयों के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है।
  • स्पष्ट लक्ष्य रखने से केंद्रित और सार्थक विकल्प चुनने में मदद मिलती है।
  • यह हमारी दैनिक गतिविधियों और दीर्घकालिक योजनाओं को अर्थपूर्ण बनाता है।
  • एक उद्देश्य एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो हमें अपने लक्ष्यों की ओर काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह हमें बाधाओं और असफलताओं से उबरने में मदद करता है।
  • लक्ष्य के बिना, जीवन लक्ष्यहीन और पूर्ति में कमी महसूस कर सकता है।
  • अलग-अलग व्यक्तियों के अपने हितों और मूल्यों के आधार पर अलग-अलग लक्ष्य हो सकते हैं।
  • एक अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्य उपलब्धि और संतुष्टि की भावना में योगदान देता है।
  • किसी के लक्ष्य को प्राप्त करने में अक्सर छोटे लक्ष्य निर्धारित करना और उनके लिए व्यवस्थित रूप से काम करना शामिल होता है।

जीवन में एक लक्ष्य रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। यह व्यक्तियों को निर्णय लेने, लक्ष्य निर्धारित करने और एक पूर्ण और सार्थक जीवन की दिशा में काम करने में मार्गदर्शन करता है।

हाँ, जैसे-जैसे व्यक्ति बढ़ता है, नए अनुभव प्राप्त करता है, और अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करता है, लक्ष्य समय के साथ बदल सकते हैं। लोगों का विकास होना स्वाभाविक है, जिससे उनके जीवन लक्ष्यों और आकांक्षाओं में बदलाव आता है।

किसी लक्ष्य को हासिल करने में आम चुनौतियों में असफलताओं का सामना करना, बाधाओं का सामना करना, प्रभावी ढंग से समय का प्रबंधन करना और प्रेरणा बनाए रखना शामिल है। इन चुनौतियों पर काबू पाने को के लिए अक्सर एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध

नमस्कार दोस्तों, कहा जाता है ना कि जिंदगी में हर किसी का कोई ना कोई सपना जरूर होता है। वह डॉक्टर, शिक्षक, पायलट, आर्मी ऑफिसर, कुछ ना कुछ जरूर बनना चाहता है। तो आइए हम आपकी सहायता करते हैं कि आपको अपने जीवन के लक्ष्य के बारे किस तरह से सोचना चाहिए कि आप को अपने जीवन में क्या करना है।

Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi

हम यहाँ पर मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध अलग-अलग शब्द सीमा में शेयर किया है, जिससे विद्यार्थियों को आसानी रहे। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के लिए मददगार है।

यह भी पढ़े:   हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध (100, 150, 200, 250, 300 और 1000 शब्दों में)

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध 100 शब्द.

हर मनुष्य अपने जीवन में लक्ष्य बनाता है। मनुष्य का अपने जीवन के लिए लक्ष्य बनाना एक स्वाभाविक गुण माना जाता है। हर व्यक्ति कोई न कोई लक्ष्य या कोई न कोई प्राप्ति हासिल करना चाहता है। हर व्यक्ति के मन में सपने होते हैं और उसी सपनों को पूरा करने के लिए व्यक्ति काम करता है।

बिना लक्ष्य के व्यक्ति अपने जीवन में लड़खड़ा ना शुरू कर देता है। व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य का होना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। मनुष्य को अनुशासन पर चलाने में भी लक्ष्य का निर्धारण बहुत ही ज्यादा जरूरी है, जो व्यक्ति के सामने कोई न कोई टारगेट होता है, तो व्यक्ति अनुशासन के तहत मेहनत करता है। मैंने अपने जीवन में डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने की बात छोटी उम्र में दिमाग में बिठा ली थी।

mere jeevan ka lakshya essay in hindi

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध 150 शब्द

विद्यार्थी भी अपने जीवन में शुरुआत से ही कोई लक्ष्य को चयनित कर लेते हैं। लक्ष्य हासिल करने के लिए विद्यार्थी हमेशा तत्पर रहता है। हर इंसान के द्वारा लक्ष्य का निर्धारण किया जाता है और उसी निर्धारण के आधार पर लक्ष्य प्राप्ति के पीछे मुकाम हासिल करने की चाहत रखते हैं।

मनुष्य के द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य मनुष्य को विपरीत दिशाओं से मुकाबला करते हुए अपने मंजिल तक पहुंचने की चाहत पैदा करते हैं। लक्ष्य के आधार पर ही व्यक्ति सही राह पर चल सकता है। अन्यथा उस व्यक्ति के सामने हजार रास्ते मौजूद हो जाते हैं। जहां व्यक्ति कौन से रास्ते का चयन करें इसके बारे में सही से सोच नहीं पाता है। हर मनुष्य को अपने जीवन में एक लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए।

लक्ष्य का निर्धारण करना मनुष्य के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है। मैंने अपने लक्ष्य के लिए अपने माता-पिता ओं को प्रथम गुरु मानते हुए उनका मुख्य सहयोग लिया है। इसके अलावा मैंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सहपाठियों और गुरुजनों का सहयोग प्राप्त किया।

लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैंने सही तरीके से कार्य की और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक सही रास्ते का चयन किया। उसके पश्चात मैंने पूरे विश्वास के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। तब जाकर मुझे अपना लक्ष्य हासिल हुआ।

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध 200 शब्द

लक्ष्य का निर्धारण करना और उसे हासिल करना मनुष्य के लिए एक नए जीवन की शुरुआत के समान होता है। जब मनुष्य वृद्धावस्था में भी अपने लक्ष्य को हासिल करता है तो उस समय मनुष्य के मन में खुशी के कोई ठिकाने नहीं होते हैं। बूढ़े को भी लक्ष्य की प्राप्ति जवान बना देती है।

लक्ष्य की प्राप्ति करने में जो कठिनाइयां सामने आती है। उन कठिनाइयों से भलीभांति परिचित होकर ही आपको विश्वास और लगन के साथ परिश्रम करना चाहिए। व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए माता-पिता और गुरुजनों का सहयोग ले सकता है।

गीता में एक बात कही गई है कि “कर्मियेवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचनः” इसका तात्पर्य देखा जाए तो इसका मतलब मुझे पूर्ण विश्वास है, कि मैं अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुंच जाऊंगा। यदि व्यक्ति के मन में यह आत्मविश्वास रहता है तो व्यक्ति अक्सर अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेता है।

विद्यार्थी भी अपने जीवन में एक लक्ष्य का निर्धारण करते हैं। विद्यार्थियों के मन में भी बड़े होकर ऊंचे पद पर नौकरी हासिल करना, बड़े होकर डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना होता है, जो विद्यार्थियों के लिए एक लक्ष्य और चुनौती की तरह होता है। यह लक्ष्य और चुनौती को हासिल करने के लिए विद्यार्थी पुरजोर से मेहनत करता हैं।

mere jeevan ka lakshya essay in hindi

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध 250 शब्द

हर व्यक्ति को अपने जीवन में कोई ना कोई उद्देश्य जरूर रखना चाहिए। एक लक्ष्य ही होता है, जो हमें हमारे सपनों तक पहुंचा सकता है और हमें एक अलग पहचान दे सकता है। जिस व्यक्ति का कोई सपना नहीं होता, कोई लक्ष्य नहीं होता, वह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता।

ऐसे लोगों को ही अक्सर कहते सुना है कि हमारी किस्मत ही हमारे साथ नहीं है। अगर हम मेहनत ही नहीं करेंगे तो हमें फल कहां से मिलेगा। इसीलिए भगवान ने भी गीता में कहा है कि कर्म करते रहो फल की इच्छा मत करो।

देखा जाए तो आपको हर व्यक्ति से सुनने को मिलेगा कि हमारा लक्ष्य यह है, हम यह बनना चाहते हैं। कुछ लोग डॉक्टर बनना चाहते हैं, तो कुछ लोग इंजीनियर बनना चाहते हैं, कुछ लोगों को बच्चों को पढ़ाने में दिलचस्पी होती है, इसलिए वे शिक्षक बनना चाहते हैं, कुछ लोग अभिनेता बनना चाहते हैं, जबकि वहीं कुछ लोग नेता बनना चाहते हैं। हमारा तात्पर्य यह है कि इंसान वही बनना चाहता है, जिसमें उसकी रूचि होती है, जिसमें वह आत्मसमर्पण से मेहनत कर सकता है।

कुछ लोग अपने लक्ष्य को अपनी हैसियत के हिसाब से चुनते हैं, तो कुछ लोग अपने लक्ष्य अपनी सोच के हिसाब से, जिसकी जैसी सोच होती है, वैसा ही वह लक्ष्य चुनता है। कुछ लक्ष्य तो सुनने में और करने में अच्छे होते हैं, परंतु कुछ लक्ष्य ऐसे होते हैं जो हमें अपने लक्ष्य से भ्रमित कर सकते हैं।

देखा जाए तो जीवन में हर व्यक्ति को चुनौतियां और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परंतु जीवन में किसी भी व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए। हमें तब तक प्रयास करना चाहिए, जब तक हमारा शरीर हमारे साथ है।

कई लोग कहते हैं कि आपने ऐसा लक्ष्य चुना है, यह तो आपसे नहीं हो पाएगा। ऐसा हम मान सकते हैं कि हमारा लक्ष्य कठिन हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। हमें निरंतर प्रयास करते ही रहना चाहिए। कभी ना कभी सफलता हमारे कदम चूमेगी।

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध 300 शब्द

मैंने अपने जीवन में एक लक्ष्य का निर्धारण किया है। जब मैं पांचवी कक्षा पास कर चुका था तब मैंने डॉक्टर बनने का एक लक्ष्य निर्धारित किया था और डॉक्टर बनकर देश की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए मैंने अपने लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया।

लक्ष्य का पीछा करते-करते ही मैंने अपनी पढ़ाई पर बहुत जोर दिया। दिन रात मुझे अपने लक्ष्य को हासिल करने की चाहत रहती हैं। मैं अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम शुरू कर चुका हूं। डॉक्टर बनने के लिए मैंने परिश्रम में अपनी तरफ से कोई भी कसर नहीं छोड़ी।

डॉक्टर बनने के लिए जो पढ़ाई करनी होती है, उस पढ़ाई के लिए मैंने अपनी पूरी मेहनत जौक दी। पढ़ाई करने मैं मेहनत करने के साथ-साथ डॉक्टर बनने के लिए और क्या जरूरी होता है। उसके बारे में भी मैंने दसवीं कक्षा से ही शुरुआत कर ली।

दसवीं कक्षा के बाद मैंने विज्ञान वर्ग का चयन करके डॉक्टर बनने के लिए पहली सीढी पर कदम रखा था। 11वीं और 12वीं कक्षा में ने बायोलॉजी विषय से पूरी की और उसके पश्चात एंट्रेंस एग्जाम में भाग लिया।

जब मैंने एंट्रेंस एग्जाम को पास कर लिया तो मुझे डॉक्टर के लिए जरूरी डिग्री एमबीबीएस के लिए कॉलेज मिल गया था। अब मैंने कॉलेज में कड़ी मेहनत के साथ पढ़ाई करना शुरू किया। धीरे-धीरे मेरी कॉलेज की डिग्री पूरी होती गई और मेरा डॉक्टर बनने का सपना भी पूरा होने वाला था।

उसके पश्चात मैंने मास्टर डिग्री हासिल की और ट्रेनिंग की अवधि पूरी कर के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया। मुझे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का बहुत ज्यादा गर्व महसूस होता है। जब मैंने लक्ष्य हासिल किया था, तब मेरे मन में खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा था।

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध 1000 शब्द

यह बिल्कुल सच वाक्य है कि बिना उद्देश्य वाला व्यक्ति जीवन में कभी कुछ नहीं कर सकता, उसका जीवन जानवर के समान होता है। ऐसा कहा जाता है कि इंसान और जानवर में यही फर्क होता है।

जानवर अपने लिए सब कुछ नहीं कर सकता, परंतु इंसान चाहे तो अपने लिए सब कुछ कर सकता है। इसीलिए जीवन में हर व्यक्ति का कोई ना कोई लक्ष्य जरूर होना चाहिए। अगर हमारा जिंदगी में कोई भी लक्ष्य नहीं होगा तो समाज भी हमें नहीं स्वीकारता।

लक्ष्य/उद्देश्य क्या होता है?

उद्देश्य यह बहुत ही छोटा सा शब्द है, लेकिन इसका हमारे जीवन में बहुत ही बड़ा महत्व है। जीवन में जो सपना हम सच करना चाहते हैं, उसे ही उद्देश्य कहा जाता है। लक्ष्य का मतलब होता है, पक्का इरादा करना, निरंतर प्रयास करना, किसी चीज से आकांक्षा रखना, अपनी इच्छा को पूरा करना। बचपन में हर कोई अपने जीवन को लेकर कोई ना कोई सपना जरूर देखता है।

कोई व्यक्ति चाहता है कि मैं कलाकार बनूंगा तो कोई व्यक्ति चाहता है मैं डॉक्टर बनूंगा, यही उद्देश्य का मतलब होता है। अगर हमें अपना उद्देश्य पूरा करना है तो इसके लिए हमें हर चुनौती और समस्या का सामना डट कर करना होगा। उसको पार करके ही हम अपने सपने को पूरा कर सकते हैं।

लक्ष्य/उद्देश्य का क्या महत्व होता है?

साधारण शब्दों में कहा जाए तो जिस व्यक्ति का कोई उद्देश्य नहीं होता, उस व्यक्ति को समाज नकार देता है। उसे अपने समाज में जगह नहीं देता है। अगर हमें अपना सपना पूरा करना है तो हमें सफलता के लिए हर पड़ाव को पूरा करना होगा। चाहे कितनी भी बार हमारे कदम क्यों ना लड़खड़ाए हमें वहां डटकर खड़े रहना होगा।

हमारे जीवन में लक्ष्य का बहुत अधिक महत्व है, क्योंकि लक्ष्य के बिना जीवन जीने का कोई मतलब नहीं होता है। अगर आपका आपके जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य होता है तो आपका जीवन बहुत ही आनंदमय के साथ बीतता है और यह हमारे जीवन जीने का सबसे सर्वोत्तम तरीका है।

हमारे जीवन में प्राथमिक उद्देश्य क्या होना चाहिए?

सभी व्यक्तियों के जीवन में अलग-अलग प्राथमिक उद्देश्य होते हैं। किसी के लिए सबसे पहले उनका परिवार आता है, तो किसी के लिए सबसे पहले उनका सपना होता है। अगर आपको अपने सपने को पूरा करना है तो इसके लिए आपको खुद को फिट रखना होगा, जीवन को पूरी स्वतंत्रता के साथ जीना होगा और सफलता के लिए हर प्रयास करना होगा। यही हमारे प्राथमिक उद्देश्य होने चाहिए।

उद्देश्य कितने प्रकार के होते हैं?

हर व्यक्ति के जीवन में उनके लिए उद्देश्य कई प्रकार के होते हैं। जिस तरह से सभी व्यक्ति अलग होते हैं, उसी तरह से उनके उद्देश्य भी अलग होते हैं। क्योंकि कुछ व्यक्ति शिक्षक बनना चाहते हैं तो कुछ पायलट बनना चाहते हैं, इसी तरह से कुछ लोग इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, जबकि कुछ लोग चित्रकला में दिलचस्पी रखते हैं। इसी तरह से उदेश्य कई प्रकार के हो सकते हैं।

हमें जीवन का सही उद्देश्य कैसे चुनना चाहिए?

ऐसा कहा जाता है कि जीवन में सबसे पहली गुरु हमारी मां होती है। अगर आपको अपने उद्देश्य को चुनने में मुश्किल हो रही है, तो सबसे पहले आप अपनी मां के पास जाइए, क्योंकि आपकी मां से बेहतर आपको कोई नहीं जान सकता। इसीलिए आपको आपके प्रश्नों के उत्तर आपकी मां के पास बेहतर तरह से मिल सकेंगे।

आजकल की युवा पीढ़ी को इन समस्याओं का अधिक सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके सामने इतने अत्यधिक विकल्प हैं कि वह असमंजस में पड़ जाते हैं कि उनके लिए कौन सा बेहतर विकल्प है। इसके लिए वह अपने प्रिय जनों से या अपने गुरु से वार्तालाप करके इस समस्या का हल पा सकते हैं।

हमें अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना चाहिए?

अगर हमें अपने लक्ष्य को वाकई में प्राप्त करना है तो इसके लिए हमें बहुत ही मेहनत करनी होगी। इसके लिए आपको कुछ बातें याद भी रखनी होगी जो निम्नलिखित हैं:

  • हमें हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति सक्रिय रहना चाहिए और लगातार काम करते रहना चाहिए।
  • जितना हो सके हमें नकारात्मक बातों को दिमाग में नहीं लाना चाहिए।
  • सभी काम हमें धैर्य पूर्वक करने चाहिए और काम में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
  • सभी काम हमें ध्यान पूर्वक करना चाहिए।
  • असफलता और मुसीबतों से नहीं घबराना चाहिए बल्कि, गलतियों को सुधार कर और बेहतर बनाना चाहिए।
  • हमें किसी सफल व्यक्ति से सहायता लेनी चाहिए और अपना मार्गदर्शन करना चाहिए।
  • अंतिम परिणाम की कल्पना करनी चाहिए यह सोचना चाहिए कि वाकई में हम यह काम कर सकते हैं।
  • सबसे जरूरी बात हमें अपने लक्ष्य पर अडिग रहना चाहिए।

इसी तरह से हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ध्यान केंद्रित रखना होगा। अगर आप मेहनत से अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहेंगे तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। आपको सफलता जरूर मिलेगी।

इसी प्रकार हमें अपनी इच्छा अनुसार अपने लक्ष्य को हर हाल में पूरा करना ही चाहिए। अगर हमें इसके लिए किसी की सहायता लेनी पड़ती है तो हमें सहायता बेझिझक मांगनी चाहिए। सहायता मांगने में शर्म नहीं करनी चाहिए। हमें अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमेशा दृढ़ रहना चाहिए। तभी हम अपने सपने को पूरा कर पाएंगे और जीवन में सफल हो सकेंगे।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आया होगा, इस निबन्ध को आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

  • भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध
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Rahul Singh Tanwar

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Comments (4).

Very-very good anucched . It was so helpful for my Hindi homework

Ati labhdayak kal mera language paper h

Osamm labhdayak hai ☺️☺️☺️

Aapka lakshya ka niband bahut hi achha hai

Sir apne lakshya ko drid banay rakhne ke liye kya karna chahiye

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मेरे जीवन का लक्ष्य आईएएस अफसर पर निबंध Essay on mere jeevan ka lakshya ias officer in hindi

Essay on mere jeevan ka lakshya ias officer in hindi.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मेरे जीवन का लक्ष्य आईएएस ऑफिसर पर निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़ते हैं ।

essay on mere jeevan ka lakshya ias officer in hindi

मेरे जीवन का एक ही लक्ष्य है आईएएस ऑफिसर बनना । एक आईएएस ऑफिसर बनना मेरे बचपन का लक्ष्य है । इस लक्ष्य को मैं अपनी मेहनत और लगन से प्राप्त करके ही रहूंगा । दुनिया के हर व्यक्ति का कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करता है , आगे बढ़ता है । मैंने भी अपने बचपन से ही एक लक्ष्य बनाके रखा है कि मैं आगे चलकर आईएएस ऑफिसर बनूंगा । मैं अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाता हूं ।

मैंने 10th क्लास में टॉप किया है । अब मैं आगे की पढ़ाई में अपना ध्यान लगा रहा हूं जिससे कि मैं आईएएस ऑफिसर बन सकूं क्योंकि आईएएस ऑफिसर देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । मैं अपने देश को विकासशील बनाने के लिए और गरीब जनता को न्याय दिलाने के लिए आईएएस ऑफिसर बनना चाहता हूं । मेरे इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेरा पूरा परिवार मेरे साथ है । मैं सुबह 4:00 बजे उठकर पढ़ाई करने लगता हूं ।

पढ़ाई करने के साथ मैं अपने स्वास्थ्य का भी पूरी तरह से ध्यान रखता हूं । मैं समय पर खेलने के लिए भी जाता हूं क्योंकि खेलने से मेरा मानसिक विकास होगा । मैं हर परीक्षा को मेहनत और लगन से पास करता हूं । मैं कभी भी क्वेश्चन आंसर को रटता नहीं हूं बल्कि उसको समझता हूं । मैं जो भी एक बार पढ़ता हूं उसे समझ कर ध्यान में रखता हूं  जिससे कि वह मेरे दिमाग में बस जाए । यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है ।

मैं पास होने के लिए पढ़ाई नहीं करता बल्कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए पढ़ाई करता हूं । मुझे मेरे ऊपर पूरा विश्वास है कि मैं आईएएस ऑफीसर अवश्य बन जाऊंगा । मेरे पड़ोस में एक भाई साहब रहते थे । जब वह पढ़ाई करते थे तब मैं उनको पढ़ाई करते हुए देखता था । वह पूरी मेहनत से पढ़ाई  करते थे । एक दिन उन्होंने मुझसे कहा था कि मेरा लक्ष्य एक डॉक्टर बनना है ।  वह डॉक्टर बनने के लिए पूरी मेहनत किया करते थे और आज वह भाई साहब डॉक्टर बन चुके हैं ।

उन्होंने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है । उन्हीं को देख कर मुझे आत्मविश्वास प्राप्त होता है । जब मैं अपने आप को कमजोर महसूस करने लगता हूं तब मैं पड़ोस में रहने वाले भाई साहब के बारे में सोचने लगता हूं जिससे मुझे आत्म बल प्राप्त होता है । मैं नियमित रूप से स्कूल जाता हूं और स्कूल की पढ़ाई करता हूं । स्कूल की पढ़ाई करने के बाद में खेलने के लिए भी जाता हूं । खेलने के बाद में ज्ञान वर्धक पुस्तकें पढ़ता हूं ।

आईएएस बनने के लिए जिन पुस्तकों को पढ़ना पड़ता है मैं खाली समय में उन पुस्तकों का अध्ययन करता हूं क्योंकि जब मैं यूपीएससी का एग्जाम दूंगा तब मुझे इसका फल प्राप्त होगा । मैं आज से ही एक आईएएस ऑफिसर बनने की तैयारी में जुट चुका हूं और मुझे मेरे ऊपर पूरा विश्वास है कि मैं आईएएस ऑफिसर अवश्य बन जाऊंगा ।

मेरी मां से मुझे बड़ा हौसला प्राप्त होता है क्योंकि मेरी मां मुझसे कहती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की ठान ले तो वह उस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है ।

इसीलिए मैंने अपना एक ही लक्ष्य निर्धारित किया है और वह लक्ष्य है एक आईएएस ऑफिसर बनना । इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मैं कभी भी किसी तरह का कोई भी आलस नहीं करूंगा । मुझे जितनी चाहे पढ़ाई करनी पड़े मैं पढ़ाई करूंगा और एक आईएएस ऑफिसर बनके रहूंगा और अपने लक्ष्य  को  अवश्य  पूरा  करूंगा ।

  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर भाषण speech on mere jeevan ka lakshya in hindi
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर पैराग्राफ paragraph on mere jeevan ka lakshya in hindi

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह जबरदस्त लेख मेरे जीवन का लक्ष्य आईएएस अफसर पर निबंध essay on mere jeevan ka lakshya ias officer in hindi यदि पसंद आए तो अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर अवश्य करें धन्यवाद ।

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शिक्षा का अधिकार पर निबंध Hindi essay on shiksha ka adhikar

essay on mere jeevan ka lakshya army officer in english

Mere jeebn ka bhi yhi lkshy hai ki me IPS officer bnu . I proud of you IPS officer. Mera bchpn se hi yhi lkshy rha hai ki Me bde hokr IPS officer bnu.

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कोरोना महामारी से उपजी बेरोजगारी पर निबंध

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Mere jeevan ka lakshya hai ki mai IAS officer banu aur mai banke rahunga

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I really want to be an IAS officer’s please.. support me….. This is very interesting and sweet eassy or anything else….

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Sir , me bhi ek IAS officer banke rahunga aur mera dash and meri family ka name roshan karunga . And sir i prepation for IAS officer Jay, hind .

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धन्यवाद सर। सर मेरा लक्ष्य भी प्रशासनिक अधिकारी बनना है। में वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 11 में पढ़ रहा हूं और मुझे पूरी उम्मीद और विश्वास है कि में एक दिन अपना लक्ष्य पर पहुंच जाऊंगा। धन्यवाद

Sir, my goal is also to become an administrative officer. I am currently studying in class 11 in Kendriya Vidyalaya and I am confident and hope that I will reach my goal one day. Thank You.

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Mera jivn la aim ips officer bnna hai .I love my police department ♥️♥️

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I love this essay m isi ko likh kar apne paper me top karungi IAS Varsha Kumari ye mera name hoga Mera bhi aim IAS Officer banana h or m bankar rahungi Thank you have a nice day 👑⌚👑😊😊😊

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Thank you sir 🙏

✍️ Meyra bhi yhi aim h ki me ek IAS officer bnu Ab y sab padhne k badh muje or confidence huya ki me krugi Ek din jrur y meyra aim pura hoga Thank you so much sir 🙏✍️

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Mere jeevan ka aim ias ban na hai aur iske liye Mai bahut mehnat karuuga

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Hindi Essay on “Mere Jeevan Ka Lakshya ” , ” मेरे जीवन का लक्ष्य या उदेश्य ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मेरे जीवन का लक्ष्य या उदेश्य.

Mere Jeevan ka Lakshya

Top 5 Hindi Essay on ” Mere Jeevan Ka Lakshya”

निबंध नंबर – 01

      लक्ष्य का निश्चय – मैं दसवीं  कक्षा का छात्र हूँ | मेरे मन में एक ही सपना है कि मैं इंजीनियर बनूँगा |

      लक्ष्यपूर्ण जीवन के लाभ – जब से मेरे भीतर यह सपना जागा है, तब से मेरे जीवन में अनेक परिवर्तन आ गये हैं  | अब मैं अपनी पढाई  की और अधिक ध्यान देने लगा हूँ | पहले क्रिकेट के खिलाडियों और फ़िल्मी पत्रिकाओं  में गहरी रूचि लेता था, अब में ज्यामिति की रचनाओं और रासायनिक मिश्रणों में रूचि लेने लगा हूँ | अब पढ़ाई में रस आने लगा है | निरुदेश्य पढ़ाई बोझ थी | लक्ष्बुद्ध पढ़ाई में आनंद है | सच ही कहा था कलाईल ने – “ अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ, और इसके बाद अपना सारा शरीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो |”

      मेरा संकल्प – मैंने निश्चय किया  है कि मैं इंजीनियर बनकर एक संसार को नए-नए साधनों से संपन्न करूँगा | मेरे देश में जिस वस्तु की आवश्यकता होगी, उसके अनुसार मशीनों का निर्माण करूँगा | देश में जल-बिजली , सड़क या संचार-जिस भी साधन की आवश्यकता होगी, उसे पूरा करने में अपना जीवन लगा दूँगा |

      मैं गरीब परिवार का बालक हूँ | मेरे पिता किराए के एक मकान में रहे हैं | धन की तंगी के कारण हम अपना माकन नहीं बना पाए | यही दशा मेरे जैसे करोंड़ों बालकों की है | मैं बड़ा होकर भवन-निर्माण की ऐसी सस्ती, सुलभ योजनाओं में रूचि लूँगा | जिससे माकनहीनों को मकान मिल सकें |

       मैंने सुना है कि कई इंजीनियर धन के लालच में सरकारी भवनों, सड़कों, बाँधों में घटिया सामग्री लगा देते हैं | यह सुनकर मेरा ह्र्दय रो पड़ता है | मैं कदपि यह पाप-कर्म नहीं करूँगा, न अपने होते यह काम किसी को करने दूँगा |

       लक्ष्य-पूर्ति का प्रयास – मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरम्भ कर दिए हैं | गणित और विज्ञान में गहरा अध्ययन कर रहा हूँ | अब मैं तब तक आराम नहीं करूँगा, जब तक कि लक्ष्य को पा न लूँ |

कविता की ये पंक्तियाँ मुझे सदा चलते रहने की प्रेरणा देती हैं –

धनुष से छुटता है बाण कब पथ में ठहरता |  देखते ही देखते वह लक्ष्य का ही बेध करता |    लक्ष्य-प्रेरित बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसे ? लक्ष्य तक पहूँचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा ?

निबंध नंबर – 02

जीवन का उद्देश्य

Jeevan Ka Udeshya 

‘इस पथ का उद्देश्य नहीं है, श्रांत भवन में टिके रहना, किंतु पहुंचना उस समय तक, जिसके आगे राह नहीं।’

सृष्टि के समस्त चराचरों में मानव सर्वोत्कृष्ट है क्योंकि केवल उसी में बौद्धिक क्षमता, चेतना, महत्वाकांक्ष होती है। केवल मनुष्य ही अपने भविष्य के लिए अपने समने संजो सकता है, अपने जीवन के लक्ष्य का निर्धारण कर सकता है तथा उसे पाने के लिए सतत् प्रयत्व करने में सक्षम होता है।

मैंने भी अपने जीवन के बारे में एक लक्ष्य निर्धारित किया है, और वह है- एक डॉक्टर बनने का। विश्व में कई प्रकार के व्यवसाय हैं, उद्योग धंधे हैं, नौकरियां और कार्य-व्यापार हैं। उनमें से कई बड़े ही मानवीय दृष्टि से बड़े ही संवेदनशील हुआ करते हैं। उसका सीधा संबंध मनुष्य के प्राणों और सारे जीवन के साथ हुआ करते हैं। डॉक्टर का धंधा कुछ इसी प्रकार का पवित्र, मानवीय संवेदनाओं से युक्त प्राण-दान और जीवन रक्षा की दृष्टि से ईश्वर के बाद दूसरा, बल्कि कुछ लोगों की दृष्टि में ईश्वर के समान ही हुआ करता है। मेरे विचार में ईश्वर तो केवल जन्म देकर विश्व में भेज दिया करता है। उसके बाद मनुष्य -जीवन की रक्षा का सारा उत्तरदायित्व वह डॉक्टरों के हाथ में सौंप दिया करता है। इस कारण बहुधा मन-मस्तिष्क में यह प्रश्न उठा करते हैं कि यदि मैं डॉक्टर होता तो?

यह सच है कि डॉक्टर का व्यवसाय बड़ा ही पवित्र हुआ करता है, कमाई करने के लिए नहीं। मैंने ऐसे कईं डॉक्टरों की कहानियां सुन रखी हैं जिन्होंने मानव-सेवा करने में खुद सारा जीवन भूखे-प्यासे रहकर बिता दिया, पर किसी बेचारे मरीज को इसलिए नहीं करने दिया कि उसके पास फीस देने या दवाई खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। यदि मैं डॉक्टर होता तो ऐसा ही करने की कोशिश करता। किसी भी मनुष्य को बिना उपचार, बिना दवाई के मरने नहीं देता। मैंने यह भी सुन रखा है कि कुछ ऐसे डॉक्टर भी हुए हैं, जिन्होंने अपने बाप-दादा से प्राप्त की गई सारी संपत्ति को सेवा-सहायता में ही खर्च कर दिया। यदि मैं बाप-दादा से प्राप्त की गई संपत्तिवाला डॉक्टर होता, तो एक-एक पैसा जन-साधारण की सेवा-सहायता में खर्च करता। इसमें शक नहीं।

मैंने सुना है कि भारत के दूर-दराज के गावों में डॉक्टरी-सेवा का अभाव है, जब कि वहां तरह-तरह की बीमारियों फैलकर लोगों को भयभीत किए रहती हैं, क्योंकि पढ़े-लिखे वास्तविक डॉक्टर वहां जाना नहीं चाहते, इसी कारण वहां नीमहकीमों की बन आती है या फिर झाड़-फंूक करने वाले ओझा लोग बीमारों का भी इलाज करते हैं। इस तरह नीमहकीम और ओझा बेचारे अनपढ़-अशिक्षित गरीब देहातियों को उल्लू बनाकर दोनों हाथों से लूटा तो करते ही हैं, उनके प्राण लेने से बाज नहीं आते और उनका कोई कुछ बिगाड़ भी नहीं पाता। यदि मैं डॉक्टर होता तो आवश्यकता पडऩे पर ऐसे ही दूर-दराज के गांवों में जाकर लोगों के प्राणों की तरह-तरह की बीमारियों से रक्षा करता। साथ ही लोगों को ओझाओं, नीम-हकीमों और तरह-तरह के अंधविश्वासों से मुक्ति दिलाने का भी प्रयास करता। मेरे विचार में अंधविश्वास भी एक प्रकार का भयानक रोग ही है। इनसे लोगों को छुटकारा दिलाना भी एक बड़ा महत्वपूर्ण पुण्य कार्य ही है।

यह ठीक है कि डॉक्टर भी मनुष्य होता है। अन्य सभी लोगों के समान उसके मन में भी धन-संपत्ति जोडऩे जीवन की सभी प्रकार की सुविधांए पाने और जुटाने, भौतिक सुख भोगने की इच्छा हो सकती है। इच्छा होनी ही चाहिए और ऐसा होना उसका भी अन्य लोगों की तरह बराबर का अधिकार है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि वह अपने पवित्र कर्तव्य को भुला दे या बस पाने के लिए बेचारे रोगियों के रोगों पर परीक्षण करने रहकर दोनों हाथों से उन्हें लूटना और धन बटोरना शुरू कर दें। यदि मैं डॉक्टर होता तो इस दृष्टि से न तो कभी सोचता और न व्यवहार करता। सभी प्रकार की सुख सुविधांए पाने का प्रयास अवश्य करता पर पहले अपने रोगियों को ठीक करने का उचित निदान कर, उन पर तरह-तरह के परीक्षण करके नहीं कि जैसा आजकल बड़े-बड़े डिग्रीधारी डॉक्टर किया करते हैं। अफसोस उस समय और भी बढ़ जाता है जब यह देखता हूं कि रोग की वास्तिवक स्थिति की अच्छी भली पहचान हो जाने पर भी जब लोग कईं प्रशिक्षणों के लिए जोर देकर रोगियों को इसलिए तथाकथित विशेषज्ञों के पास भेजते हैं कि ऐसा करने पर उन परिचितों-मित्रों की आय तो बढ़े ही भेजने वाले डॉक्टरों को भी इच्छा कमिशन मिल सके। मैं यदि डॉक्टर होता तो इस प्रकार की बातों को कभी भूलकर भी बढ़ाना न देता।

मैंने निश्चय कर लिया है कि आगे पढ़-लिखकर डॉक्टर ही बनूंगा। डॉक्टर बनकर उपर्युक्त सभी प्रकार के इच्छित कार्य तो करूंगा ही, साथ ही जिस प्रकार से कुछ स्वार्थी लोगों ने इस मानवीय तथा पवित्र व्यवसाय को कलंकित कर रखा है उस कलंक को भी धोने का हरसंभव प्रयास करूंगा।

‘एक चिकित्सक रोगियों को जीवनदान देता है। जीवनदान सर्वोपरि है। इस प्रकार का कृत्य आत्मसंतुष्टि प्रदान करता है। मानव-जीवन के उद्देश्य को पूरा करता है-सर्वोसुखिन: संतु सर्वे संतुनिरामया केवल धन कमाना ही मानव जीवन का लक्ष्य नहीं’ परोपकार करना भी इसका उद्देश्य है जिसे एक चिकित्सक बनकर पूरा किया जा सकता है। इसलिए मैंने डॉक्टर बनने का जीवन लक्ष्य निर्धारित किया है।

निबंध नंबर – 03

मेरे जीवन का लक्ष्य 

MereJeevan ka Lakshya

                मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है। प्रत्येक व्यक्तिजीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है। कुछ बड़े होकर डाॅक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते हैं। सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं पंरतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं। थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं ऐसे व्यक्तियों मे सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं।

                                मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है। लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल मे उस गेंदबाज की तरह होती है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते। इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते है कि फुटबाल के खेल में खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वतः ही लगाया जा सकता है। अतः जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है।

                                                मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर चिकित्सक बनूँ और अपने चिकित्सा ज्ञान से उन सभी लोगों को लाभान्वित करूँ जो धन के अभाव में उचित चिकित्सा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। मैं इस बात को अच्छी तरह समझता हूँ कि एक अच्छा चिकित्सक बनना आसान नहीं है। अच्छे विद्यालय का चयन, उसमें प्रवेश पाना तथा पढ़ाई में होने वाला खर्च आदि अनेक रूकावटें हैं। परंतु मुझे पूरा विश्वास हैं कि मैं इन बाधाओं को पार कर सकूँगा। इसके लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत का संकल्प लिया है। उचित मार्गदर्शन के लिए मैं अपने अध्यापक व अनुभवी छात्रों का सहयोग ले रहा हूँ।

चिकित्सक बनने के बाद मैं भारत के उन गाँवों में जाना चाहता हूँ जहाँ पर अच्छे चिकित्सक का अभाव है अथवा जहाँ पर चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था नहीं है। मैं उन सभी लोगों का इलाज निःशुल्क करना चाहता हूँ जो धन के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पाते हैं। इसके अतिरिक्त मैं उनमें अच्छे स्वास्थय के बारे में जागरूकता लाना चाहता हूँ। वे किस प्रकार के जीवन-यापन करें, सफाई, स्वास्थय एवं संतुलित भोजन के महत्व को समझें, इसके लिए मैं व्यापक रूप से अपना योगदान देना चाहता हूँ। आजकल कुछ परंपरागत रोगों का इलाज तो आसानी से संभव है लेकिन उचित जानकारी का अभाव, रोग त्रीव होने पर ही इलाज के लिए तत्पर होना जैसी समस्याएँ अशिक्षितों एवं ग्रामीणों की प्रमुख समस्याएँ हैं। इस दिशा में मैं कुछ कदम जरूर उठाना चाहूँगा।

                                मेरे लक्ष्य में देश और समाज की सेवा का भाव निहित है। सभी लोगों, विशेषकर निर्धन लोगों को चिकित्सा तथा अच्छे स्वास्थय संबंधी जानकारी देकर मैं निश्चय ही आत्म-संतुष्टि प्राप्त करूँगा। समाचार-पत्रों व दूरदर्शन अथवा अन्य माध्यमों से जब मुझे इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि देश के गाँवों में प्रतिवर्ष हजारों लोग कुपोषण के कारण तथा उचित चिकित्सा के अभाव में मृत्यु के शिकार हो जाते हैं तो मुझे वास्तव मंे बहुत दुःख होता है। यह निश्चिय ही देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी कि मैं अपने देश और देशवासियों के लिए अपना योगदान कर सकूँगा। दूसरी ओर एड्स जैसी कई बीमारियाँ ऐसी है जिसके बारे में समाज को जागरूक बनाना अत्यावश्यक है।

                                मुझे विश्वास है कि मेरे इस जीवन लक्ष्य में गुरूजनों, सहपाठियों व माता-पिता सभी का सहयोग प्राप्त होगा। ईश्वर मेरे इस नेक कार्य व मेरे लक्ष्य प्राप्ति मार्ग में मेरी सहायता करेंगे इसका मुझे पूर्ण विश्वास है। मैं खुद भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति में कोई कसर नहीं छोडूँगा।

निबंध नंबर – 04

मेरे जीवन का लक्ष्य

मानव महत्त्वाकाँक्षी प्राणी है। उसका लक्ष्य अपने जीवन को सार्थक बनाना है। जिसके हृदय में दृढ़-संकल्प, अदम्य साहस और काम करने की लगन होती है, वह अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा कर लेता है। बहुत से मानव जीवन की सार्थकता ‘खाने-पीने और मौज उड़ाने में ही मानते हैं। ऐसे लक्ष्यहीन मानव का जीवन पशु तुल्य होता है। कुछ मानव ऐसे भी होते हैं जिनका जीवन परिस्थितियों के साँचे में ढलता रहता है। ऐसे मानव जीवन में अनेक पापड़ बेलते हैं।

आज के वैज्ञानिक युग में मुझे भी अपने माता-पिता के सुनहरे स्वप्नों को साकार करने के लिए स्थिर चित्त तथा दूरदर्शी बनकर लक्ष्य चुनना है। मुझे अपने भावी जीवन के लिए ऐसा लक्ष्य चुनना होगा जिससे न सिर्फ अपने जीवन को सुख शान्ति बल्कि समाज तथा राष्ट्र का भी हित हो सके। मेरी चिर अभिलाषा आदर्श अध्यापक बनने की रही है।

शिक्षण काल से ही मेरी पढने-पढ़ाने की रुचि रही। कई बार मेरे गुरुजन ने मेरी पीठ थपथपाते हुए कहा था कि मुझमें एक आदर्श अध्यापक बनने के सभी गुण विद्यमान है तभी से मैंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया कि मुझे आदर्श अध्यापक बनना है.

इस गौरवपूर्ण पद को पाना उतना ही कठिन है जितना कहना सरल है। इसके लिए मुझे कठिन साधना करनी पड़ेगी तभी इच्छित सिद्धि प्राप्त हो पायेगी। आदर्श अध्यापक बनने से पूर्व मुझे आदर्श विद्यार्थी बनना होगा। जब तक मैं स्वयं किसी विषय से पारंगत नहीं हो जाऊँगा, तब तक किसी को शिक्षा देना न्याय संगत नहीं होगा। छात्रों को आदर्श रूप बनाने के लिए पहले मुझे स्वयं उनके लिए आदर्श बनना होगा। मुझे तपस्वी के समान तपस्या, सैनिक के समान अनुशासन और धरा के समान सहनशीलता अपनानी होगी।

वह गुरुता और महिमा की प्रतिमा, विद्या का प्रकाश स्तम्भ है। उसका पुनीत कर्त्तव्य शिष्यों के अज्ञानांधकार को दूर करना है। मेरा विचार है कि विद्या ही सर्वोत्तम धन है। इसका दान ही सबसे बड़ा दान है। अध्यापन कार्य में मेरी सहज स्वाभाविक रुचि है। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आदर्श अध्यापक बन कर राष्ट्र के भावी कर्णधारों का पथ प्रशस्त करूँ। मेरे हर्ष की सीमा न होगी, जब मेरे ही पढ़ाये छात्र कुशल चिकित्सक सफल इंजीनियर, उच्चाधिकारी और देश के नेता बनेंगे। मेरे जीवन की सार्थकता तभी होगी जब मैं नश्वर देह को आजीवन विद्या दान करते पाऊँगा। इस पुनीत कार्य से जीवन भर संतोष और शान्ति मेरी सहचरी बनी रहेगी।

निबंध नंबर – 05

छोटे से छोटा काम भी लक्ष्य के बिना नहीं किया जाता। मनुष्य के हर यल और चेष्टा के मूल में कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है। उस दशा में जीवन का कोई लक्ष्य न बनाना मानों अमूल्य मानव जीवन को व्यर्थ गंवाना है। मैंने भी अपने जीवन का कोई लक्ष्य नहीं चुना था। विद्यार्थी के रूप में शिक्षा पा रहा था। आगे चल कर क्या करूंगा, कुछ भी निश्चित नहीं था। एक पस्तक में मैंने पदा कि पश्चिमी युवक लक्ष्य बना कर उसके अनुसार विद्या ग्रहण करते हैं। यह बात मेरे मन में समा गई। मैंने भी सोचा कि जीवन लक्ष्य को निश्चित करके ही शिक्षा पानी चाहिए। जिसे अपनी मंज़िल का ही पता न हो वह किस रास्ते को अपना सकता है ? लक्ष्यहीन नौका कभी किनारे नहीं लगती। वह मंझधार में ही डूबती है।

मैंने सोचा कि मैं डॉक्टरी को अपने जीवन का लक्ष्य बना लूं, क्योंकि हमारे दोस में रहने वाले डॉक्टर का काम खूब चलता था और उसने बहुत धन कमाया था। कार, कोठी, फ्रिज, टेलीविज़न आदि जीवन की सब सुखसुविधाओं से वह सम्पन्न था। तभी मेरे मन ने आवाज़ दी कि धन ही कमाना उद्देश्य है तो डॉक्टरा का पर्दा क्यों डाला जाए। क्यों न कोई व्यवसाय ही आरम्भ किया जाए। फिर ध्यान आया कि आज देश के किसी भी व्यवसाय में सच्चाई और ईमानदारी नहीं है। हर जगह झूठ है, ब्लैक है, हेराफेरी है। फिर भय तथा चिन्ता से मन हर समय परेशान रहता है। मैं ऐसा गन्दा लक्ष्य अपना कर जीवन को नष्ट नहीं करूंगा।

फिर विचार आया कि मैं पढ़ लिख कर आई.ए.एस. की परीक्षा में सम्मिलित होकर प्रशासकीय सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य क्यों न बना लूँ ? वहां छल-कपट, हेराफेरी नहीं है और रोबदाब भी रहता है। सभी लोग सम्मान करते हैं। फिर मन ने आवाज़ दी कि नौकरी तो नौकरी ही है, रात दिन चौबीस घण्टे की नौकरी कोई चैन नहीं । इसके अतिरिक्त राजनैतिक नेताओं की धौंस और अकड़ के आगे झुक कर चलना पड़ेगा । आज इस नगर में तो कल न जाने कहां की बदली होने के आदेश मिल जाएं । यह लक्ष्य भी मझे निरर्थक ही लगा।

बुद्धि ने ज़ोर का चाबुक मार कर मुझे जगा सा दिया । मैं जीवन का लक्ष्य नहीं चुन रहा था परन्तु मैं तो स्वार्थ में भर कर सिर्फ अपने लिए सुख सुविधाओं का रास्ता ढूंढ रहा था। वह लक्ष्य क्या जो देश-हित में न हो ! वह लक्ष्य कैसा जिसमें मानव की सेवा न हो ! सेवा का भाव हो तो वह हर क्षेत्र में की जा सकती है। बहुत सोच विचार के बाद मैंने अपने जीवन का लक्ष्य चुन लिया है : मैं डॉक्टर बनंगा । मैंने अपने इस लक्ष्य की सूचना अपने पिता जी को भी दे दी है। वे स्वयं वकील होने के कारण मुझे भी वकालत पास करवाने के इच्छुक थे और सोचते थे कि उनकी सहायता भी हो जाएगी और मेरा काम भी चल जाएगा ।

मुझे पता है कि आजकल डॉक्टरी में दाखिला मिलना बड़ा कठिन है, किन्तु जब निश्चय ही कर लिया तो असम्भव को सम्भव कर दिखलाऊँगा । डॉक्टर बन कर मैं पैसे को अपना लक्ष्य नहीं बनाऊंगा। मेरे सामने एक ही लक्ष्य होगा-दीन दुखियों की सेवा करना। धनवानों से पैसे लेकर में निर्धनों का इलाज मुफ्त करूंगा। किसी को पानी के टीके लगा कर नहीं लूलूंगा और न ही किसी को धोखे में रखूगा। जितने पैसे से मेरा निर्वाह हो जाए उतने ही अपने लिए अपने पास रखूगा।

यह सत्य है कि डॉक्टर मृत्यु को नहीं मार सकता किन्तु वह रोगी की पीड़ा दूर कर सकता है। उसके जीवन काल को बढ़ा सकता है मीठा बोल कर वह रोगी के दिल को ढाढस दे सकता है। मूर्खतावश तथा असमय हो रही मृत्य को तो वह टाल सकता है। दवाई खाने की अपेक्षा स्वास्थ्य के नियमों का पालन करना और रोग से बचाव करना कहीं अच्छा है। अधिकांश लोग गलत खान-पाल से अनुचित जीवन चर्या के कारण बीमार पड़ते हैं। मैं दवाई देने के साथ साथ उन रोगियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों की जानकारी भी करवाऊंगा और इस तरह देश के धन-जन की रक्षा करूंगा।

आदर-सम्मान, पदवी, पैसा, सुख, सुविधा सब का लालच छोड़ कर और सेवा के भाव को अपने मन में रख कर मैंने अपना जीवन लक्ष्य चन ति मेरे जीवन का लक्ष्य है: डॉक्टर बन कर पीड़ित मानवता की सेवा करना और इस तरह संसार के दुःखों की मात्रा को कुछ कम कर सकना।

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Mere Jivan ka Lakshya

जीवन का लक्ष्य पर निबंध: Mere Jeevan ka Lakshya Essay (Aim of Life)

प्रत्येक व्यक्ति का कोई-न-कोई लक्ष्य होना चाहिए। बिना लक्ष्य के मानव उस नौका के समान है जिसका कोई खेवनहार नहीं है। ऐसी नौका में कभी भी भँवर में डूब सकती है और कहीं भी चट्टान से टकराकर चकनाचूर हो सकती है। लक्ष्य बनाने से जीवन में रस आ जाता है।

हर व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है तो कोई किसी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाना चाहता है और नाम कमाना चाहता है, कई लोगों को ये भी पता नहीं होता है कि मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है? अर्थात् लक्ष्य के बिना जीवन बितना व्यर्थ है। लक्ष्य के द्वारा ही व्यक्ति एक सुखी जीवन का आनंद ले सकता है।

मेरे जीवन का लक्ष्य

मानव-जीवन का लक्ष्य क्या है? यह बड़ी उलझन में डालनेवाला प्रश्न है। रुचि, स्थिति, अवस्था आदि की भिन्नता से भी जीवन के लक्ष्य में पर्याप्त विभिन्नता हो सकती है। इसलिए, इसे इदमित्थम् कहना संभव नहीं। किसी के जीवन का लक्ष्य केवल धनार्जन हो सकता है। उसके लिए धनार्जन एकमात्र चातुर्य, एकमात्र पांडित्य हो सकता है- ऐसे लोगों के मन में एक धारणा घर कर गई है कि पैसे के द्वारा जीवन में सब-कुछ खरीदा जा सकता है-चाहे वह प्रतिष्ठा ही क्यों न हो। लोक की बात कौन कहे, परलोक का टिकट भी पैसे के द्वारा खरीदा जा सकता है।

दरिंद्र के जैसा संसार में कोई गुणहीन नहीं और धनी से बढ़कर कोई गुणवान नहीं। जिसके पास धन है, वही मनुष्य कुलीन है, वही पंडित है, वही शास्त्रज्ञ और गुणज्ञ है, वक्ता है और वही देखने योग्य है, क्योंकि सभी गुण कांचन (धन) में रहते है।ऐसा सोचनेवाला अपना सारा जीवन कुबेर बनने में लगा देगा और ऐसी चेष्टा करेगा कि लक्ष्मी उसका पादपीडन करती रहे। कुछ लोगों के लिए जीवनभर ज्ञान की पिपासा, विद्या की साधना ही जीवन का लक्ष्य हो सकती है।

समस्त शस्त्रों का रहस्यभेद कर आनेवाले पीढ़ी को ज्ञान का नया खजाना लूटा जाना उसके पांडित्य का उद्देश्य हो सकता है। राजा तो केवल अपने देश में पूजा जा सकता है, पर पंडित समग्र संसार में। किसी का लक्ष्य शस्त्र-निर्माण हो सकता है। वह अपने को मनु याज्ञवल्क्य और पराशर को कोटि में रखना चाह सकता है। किसी का उदेश्य काव्य या साहित्य का सर्जन हो सकता है जिससे एक साथ यश, अर्थ, व्यवहारज्ञान तथा शिवेतर रक्षा हो सकेगी। कवि तो प्रजापतितुल्य होता है।

परमात्मा के लिए अनेक विशेषणों में हमारे वैदिक ऋषियों ने सर्वप्रथम ‘कवि’ शब्द का प्रयोग किया। अतः, क्यों न वह अपनी काव्यसाधना का प्रकाश समग्र संसार के लिए छोड़ जाए? ऐसे भी व्यक्ति हो सकता हैं , जिनके लक्ष्य पदप्राप्ति हो। वे सोच सकते हैं कि राजनीतिक के शिखर पर जाएँ और राष्ट्र का नेतृत्व अपने हाथों सँभालें; क्योंकि वे जानते हैं कि जिसके हाथ में सत्ता रहती है, उसके इंगित के बिना एक पत्ता भी नहीं डोलता।

चाहे कलाकार हों, चाहे कवि हों, चाहे पंडित हों, चाहे वैज्ञानिक सब राजनीतिज्ञों के कृपा-कटाक्ष के भिखारी होते हैं। उनके भृकुटिनिक्षेप से देश में उथल-पुथल मच जाती है। अतः जैसे भी हो, नीति की डगर पकड़कर हो या अनीति की अंधी गालियों से गुजरकर हो, शासन की बागडोर अपने हाथों ही लेनी चाहिए ऐसा भी जीवन का उद्देश्य हो सकता है।

जीवन का लक्ष्य पर निबंध

कुछ ऐसे भी हो सकते हैं जो महान वैज्ञानिक बनकर प्रकृति के रहस्यों के तहखानों का पता लगाने में अपने जीवन की बाज़ी लगा दें। वे भी गैलीलियो, फैराड़े, न्यूटन, आइंस्टाइन की कोटि में अपने को लाना चाहते हों और मानवता की सेवा में कोई-न-कोई अमूल्य नियामत उपस्थित करना चाहते हों। कुछ ऐसे भी व्यक्ति ही सकते हैं, जिन्हें न राज्य चाहिए, न वैभव चाहिए, न स्वर्ग-सुख चाहिए। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य है पीड़ितों की सेवा करना।

व्यास के दो अनमोल वचन है- ‘परोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम्’ (परोपकार पुण्य देता है, परपीड़न पाप)। अतः, वे दिन-रात कष्टों के कंटकों पर पाँव रखते हुए मानव-सेवा के व्रत में लीन रहना चाहेंगे। कुछ ऐसे भी व्यक्ति हो सकते हैं, जो देश की सेवा के लिए एक वीर प्रहरी होना चाहते हों। ऐसों को न वनिता की ममता होती है, न पुत्र का ममत्व खींचता है। वे गोलियों की बौछार सहते हैं। तोप की गोलों पर छाती दिए हुए, बम-विस्फोटों की कर्णस्फार ध्वनियाँ सहते हुए, उनकी लपटों को सीने पर झेलते हुए सदा देशसेवा के लिए तैयार रहते हैं।

उनके जीवन में स्पृहा का दीप जलता है-वह है देश की सुरक्षा; उससे बढ़कर संसार में और कुछ नहीं। किन्तु, दूसरे प्रकार के व्यक्ति भी हो सकते हैं, जो खुद को बाहर की ओर न कर केवल अपनी आत्मा की ओर झाँके। जीवन क्या है? आहों का जलजला ही तो ! कराहों का सिलसिलाही तो ! पीड़ा की एक रंगीन कहानी ही तो ! दर्द की एक लुभावनी दास्तान ही तो !

सब-कुछ मिथ्या है। धोका है, भ्रम है, प्रवंचना है। संसार के सारे नाते झूठ है, सारी ममताएँ मृगतृष्णा है। सब ओर की ममता के धागे बटोरकर भगवान के चरणों में बाँध देना चाहिए। पुत्र , धन, धरती सब-कुछ धुएँ की धरोहर है। जीवन में सबका त्याग होना चाहिए। प्रहाद:, ध्रुव आदि। भक्तों की कोटि में जाना चाहिए। राजनीतिक के ऊपर, भले ही साहित्य हो, किन्तु सबसे ऊपर तो अध्यात्म है। और इस प्रकार जीवन का लक्ष्य है भक्ति, परमात्मा की खोज, आत्मांवेषण, ऐकांतिक साधना, सारे जागतिक बंधनों से मोक्ष ।

इस मिट्टी के जीवन में कुछ सार नहीं है, इस हाड़-मांस के तन मे कोई रस नहीं है। जो-कुछ आनंद है, वह परमात्मा से एकाकार होने में है। इस प्रकार, जीवन के लक्ष्य भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। किसी को उत्तम-अनुत्तम सत्य-असत्य कहना बहुत उचित नहीं है। हाँ, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि दृष्ट जीवन के लक्ष्य के साथ यदि अदृष्ट जीवन का लक्ष्य का तारतम्य हो जाए, तो अत्युत्तम है !

My Aim in Life Essay in Hindi

मैंने तो अभी से ही तय कर लिया है कि मैं पत्रकार बनूँगा। आजकल सबसे प्रभावशाली स्थान है- प्रचार-मध्यमों का। समाचार-पत्र, रेडियो, दूरदर्शन आदि। चाहे तो देश में आमूल-चूल बदलाव ला सकते हैं। मैं भी ऐसे महत्वपूर्ण स्थान पर पहुँचना चहता हूँ। जहाँ से में देशहित के लिए बहुत कुछ कर सकूँ। पत्रकार बन कर में देश को तोड़ने वाली ताकतों के विरुद्ध संघर्ष करूँगा, समाज को खोखला बनाने वाली कुरीतियों के खिलाफ जंग छेड़ूँगा और भ्रष्टाचार का भण्डाफोड़ करूँगा।

मुझे पता है कि पत्रकार बनने में खतरे बहुत है तथा पैसे भी बहुत कम मिलते हैं। परंतु मैं पैसों के लिए पत्रकार नहीं बनूँगा। मैं हर बुराई को देखकर उसे मिटा देना चाहता हूँ। मैं स्वस्थ समाज देखना चाहता हूँ। इसके लिए पत्रकार बनकर हर दुख-दर्द को मिटा देना मैं अपना धर्म समझता हूँ।

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मेरा जीवन का लक्ष्य पर निबंध essay on mere jeevan ka lakshya in hindi / aim of my life essay in hindi.

Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Most students find difficulty in writing essay on new topics but you don’t need to worry now. Read and write this essay in your own words. Mere Jeevan ka Lakshya paragraph in Hindi. मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध।

Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi मेरा जीवन का लक्ष्य पर निबंध

hindiinhindi Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi

मेरा जीवन का लक्ष्य पर निबंध Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi 200 Words

विचार – बिंदु-• लक्ष्य का लाभ • मेरा लक्ष्य • लक्ष्य-पूर्ति का प्रयास।

लक्ष्यपूर्वक जीने से जीवन का रस बढ़ जाता है। तब हमारे जीवन की गति को एक निश्चित दिशा मिल जाती है। मैंने निश्चय किया है कि मैं इंजीनियर बनकर इस संसार को नए-नए साधनों से संपन्न करूंगा। देश में जल-बिजली, सड़क या संचार – जिस भी साधन की आवश्यकता होगी, उसे पूरा करने में अपना जीवन लगा दूंगा। मैं बड़ा होकर भवन-निर्माण की ऐसी सस्ती, सुलभ योजनाओं में रुचि लूंगा। जिससे मकानहीनों को मकान मिल सकें।

मैंने सुना है कि कई इंजीनियर पैसे के लालच में सरकारी भवनों, सड़कों, बाँधों में घटिया सामग्री लगा देते हैं। यह सुनकर मेरा हृदय रो पड़ता है। अतः मैं कदापि यह पाप-कर्म नहीं करूंगा, न अपने होते यह काम किसी को करने दूंगा। मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरंभ कर दिए हैं। गणित और विज्ञान में गहरा अध्ययन कर रहा हूँ। मैं तब तक आराम नहीं करूंगा, जब तक कि लक्ष्य को पा न लूँ।

Essay on Mere Jeevan ka Lakshya Teacher in Hindi

Essay on Mere Jeevan ka Lakshya Doctor in Hindi

मेरा जीवन का लक्ष्य पर निबंध Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi 1000 Words

“माँ, माँ, मैं ट्रैफिक पुलिसमैन बनूंगा।” मैं घर में घुसते ही चिल्लाया। माँ के साथ माँ की सखियाँ बैठी थीं। यह सुनते ही सभी हँस पड़ीं। माँ ने मुझे गोद में बैठाया और पूछा-‘‘ट्रैफ़िक पुलिसमैन ही क्यों ?” मैं तब चार वर्ष का था। पिता जी के साथ बाजार गया तो चौराहे पर ट्रैफिक पुलिसमैन को देखा। उसकी वर्दी और आगे-पीछे हुई गाड़ियों ने मुझे प्रभावित कर दिया और तभी शायद मन में ट्रैफिक पुलिसमैन बनने की इच्छा ने अँगड़ाई ली।

कुछ और बड़ा हुआ तो अभिलाषा उत्पन्न हुई अभियंता बनने की, क्योंकि पिता जी अभियंता थे। घर में कोई चीज खराब हो, झट पिता जी के सामने हाजिर। पिता जी भी उसे शीघ्र ठीक कर देते। तो क्यों न जगती ऐसी अभिलाषा। ट्रैफ़िक पुलिसमैन बनने की कामना तो न जाने कब से गायब हो चुकी थी। समय पंच लगाकर उडता रहा और उसी के साथ न जाने कितनी कामनाओं ने करवटें बदलीं। फिर एक समय ऐसा आया कि जाने-अनजाने ही मैंने अपना जीवन लक्ष्य निर्धारित कर लिया। दादी माँ को रोज़ रामचरितमानस का पाठ करते देखा, उसे पढ़ने की उत्सुकता हुई और आद्यंत पढ़ डाला। लगा कि यह एक कथा का ताना-बाना ही नहीं, इसमें तो जैसे सारा संसार समा गया है। सामाजिक-सांस्कृतिक स्थितियाँ, मानव-मूल्य, मानवीय संबंधों की गरिमा, प्रेम, दया, ईर्ष्या, द्वेष सभी तरह की भावनाएँ, कहीं कुछ भी तो अछूता नहीं रहा। इस एक ही रचना ने साहित्य पढ़ने की ललक उत्पन्न कर दी। पढ़ते-पढ़ते न जाने कब स्वयं आशु कवि बन बैठा और साहित्यकार बनना ही मेरा जीवन लक्ष्य बन गया।

मैं अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सतत प्रयत्नशील हूँ। जब लक्ष्य सामने हो, आंखों में सपने हों, व्यक्ति में रुचि और प्रतिभा हो, परिस्थितियों से लड़ने का सामर्थ्य हो, तो लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग सहज हो उठता है। इस मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा मुझे दी मेरे हिंदी अध्यापक ने। उन्होंने सदा मेरा मार्ग दर्शन किया और जब भी मैं मार्ग से भटकने लगता वे कवि दिनकर की पंक्ति दोहरा देते –

“थककर बैठ गए क्या भाई ! मंज़िल दूर नहीं है।”

इन पंक्तियों को सुनकर मेरे मन में उत्साह की एक नई लहर दौड़ जाती। मेरे अध्यापक मुझे निरंतर पढ़ने की प्रेरणा देते, हर प्रकार का साहित्य मुझे लाकर देते और फिर उन पुस्तकों पर चर्चा करते। साहित्य पढ़कर ही मैंने सीखा कि किस प्रकार समाज की बनती-बिगड़ती स्थितियाँ साहित्यकार को निरंतर प्रभावित करती हैं। वह अपने आसपास की स्थितियों, समाज के गुण-दोषों, संस्कृति, मानव-मूल्यों और संवेदनाओं को अपने साहित्य का विषय बनाता है और अपनी लेखनी से यथार्थ का चित्र ही नहीं उकेरता अपितु आदर्श भी सामने रखता है। समाज को उचित दिशा भी देने का प्रयास करता है और ऐसा ही साहित्यकार युगातीत बनता है। कबीर, तुलसी दास, प्रेमचंद जैसे साहित्यकार ऐसे ही हैं जिनकी रचनाएँ सदा ही पाठकवर्ग को प्रभावित करती रहेंगी।

इन महान साहित्यकारों का साहित्य मुझे सदैव ही श्रेष्ठ साहित्य रचना करने की प्रेरणा देता है। मैं भी ऐसे साहित्य का सजन करना चाहता हूँ जो ‘सत्यं शिव सुंदरम्’ को स्वयं में समाए हो, जो जन-जन की भावनाओं को वाणी दे सके और सुखी-स्वस्थ समाज के निर्माण में अहम भूमका निभा सके। मेरे साहित्य में तुलसी, प्रेमचंद-सी युगचेतना हो; सूर, प्रसाद जैसी कोमल मृदु भावनाएँ हों, निराला का निरालापन हो, महादेवी की संवेदना हो, दिनकर का ओज हो, पंत का प्रकृति प्रेम हो और साथ ही हो कबीर-सी सरल सहज नीति।

मैं अपनी लेखनी से जन-मन में नव-चेतना का संचार कर सकूँ। मैं शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद कर सकूँ और सामाजिक कुरीतियों का मूलोच्छेदन कर सकूँ, मैं भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकूँ। कार्लाइल कहते हैं, “अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और उसके बाद सारा शारीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो।” मैं उनके इस उपदेश पर अमल करते हुए अपने लक्ष्य प्राप्ति के पथ पर अग्रसर हूँ और उसके लिए प्रयत्नशील हूँ। मैं भले ही अभी एक विद्यार्थी हूँ, परन्तु जिस प्रकार एक अच्छा अध्यापक जीवन भर एक विद्यार्थी बना रहता है, उसी प्रकार मैं भी जीवन भर एक विद्यार्थी बना रहना चाहता हूँ। मैं सदा सीखता रहूँ और यही सीख साहित्यकार के रूप में अपनी रचनाओं द्वारा दूसरों को देता रहूँ। यही कामना है और यही है मेरे जीवन का लक्ष्य।

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“मेरे जीवन का लक्ष्य” निबंध | Essay on Mere Jeevan Ka Lakshya in Hindi

Essay on Mere Jeevan Ka Lakshya in Hindi

“मेरे जीवन का लक्ष्य” पर हिंदी भाषा में निबंध | Essay on Mere Jeevan Ka Lakshya in Hindi | Mere Jeevan Ka Lakshya Nibandh

मानव जीवन एक दुर्लभ उपलब्धि है. चौबीस लाख योनियों में मानव योनि ही सर्वश्रेष्ठ है. इसलिए मानव जाति की अमूल्य रचना है. विधाता ने केवल मानव को ही बुद्धि प्रदान की है जिससे मानव जीवन स्वार्थी ना बन जाए अभी तो उसके जीवन में परमार्थ (परोपकार)साधना का प्रमुख स्थान होना चाहिए. जीवन का लक्ष्य तय करना प्रत्येक मानव का कर्तव्य है. कल्पना का जगत सबसे अधिक रमणीय तथा मधुर है. मेरे जीवन का एक सपना है जिसे मैं येन-केन प्रकारेण साकार और सार्थक करना चाहता हूं.

लक्ष्य का निश्चय

मैं दसवीं कक्षा का छात्र हूं. में किसी विश्वविद्यालय का अध्यापक बनना चाहता हूं. मेरे माता-पिता भी मुझे अध्यापक बनने की सलाह देते हैं. संभवत इसी कारण की वे स्वयं भी अध्यापक है.

लक्ष्य पूर्ण जीवन के लाभ

जब से मेरे मन में अध्यापक बनने का सपना जगा हैं, तब से मेरे जीवन में अनेक परिवर्तन आ गए हैं. मैं पढ़ाई की और अधिक ध्यान देने लगा हूं ताकि अपने लक्ष्य को सुगमता से प्राप्त कर सकूं. उद्देश्य सहित पढ़ने में अत्यंत आनंद है. टाइल्स ने सत्य ही कहा था- “ अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और उसके बाद अपने शारीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो”. अथर्ववेद से भी यही प्रेरणा मिलती है- “उन्नत होना और आगे बढ़ना प्रत्येक जीवन का लक्ष्य है”. छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद का उद्देश्य अनंत गीत और अनंत विस्तार मानते हैं-

‘इस पथ का उद्देश्य नहीं है श्रांत भवन में टिक रहना. किन्तु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं.

लक्ष्य पूर्ति का प्रयास

मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरम्भ कर दिए हैं. अअध्ययन के प्रति मैं और अधिक गंभीर हो गया हूँ. जब तक मेरे लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती तब तक मै जीवन में आराम नहीं करूँगा. अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयास करता रहूँगा. ये पंक्तिया मुझे सदा चलते रहने की प्रेरणा देती हैं.

धनुष से छूटता है जो बाण वो पथ में कब ठहरता , देखते ही देखते वह लक्ष्य का भेद करता लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम ठहरने का गम कैसा, लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ में पथिक विश्राम कैसा

लक्ष्य निर्धारण के कारण

मेरा लक्ष्य है आदर्श अध्यापक बनना. मैंने परमार्थ साधना को भी अपने जीवन का उद्देश्य बनाया है तथा उसी के अनुसार व्यवसाय का चयन किया है. अध्यापन व्यवसाय ही ऐसा व्यवसाय है जो मानव को परमार्थ साधना के पथ का पथिक बना सके. अध्यापक का जीवन अत्यंत सात्विक होता है. वह तो विलास से दूर रहता है. आदर्श जीवन जीता है. वह सादा जीवन उच्च विचार के जीवन दर्शन में विश्वास रखता है. वह संतोषी प्रकृति का होता है उसकी आवश्यकताएं बहुत कम होती है. सात्विकता के कारण ही हमारे ऋषि-मुनियों ने अध्यापन कार्य का चयन किया था. गुरुकुल की स्थापना की थी. जहां राजा से लेकर अंत तक के बच्चे बिना भेदभाव के शिक्षा प्राप्त करते थे. सांदीपनि आश्रम में श्री कृष्ण जी से उच्च स्तर के तथा सुदामा जी से निम्न स्तर के बालकों ने साथ साथ शिक्षा प्राप्त की. धौम्य, वशिष्ठ, वाल्मीकि आदि ऐसे ही मुनि थे.

गुरुओं के सात्विक और सादा जीवन की छाप विद्यार्थियों पर पड़ती है जिनसे उनका जीवन कुसुम सुवासित होता है. अध्यापक के सात्विक वातावरण से संसर्ग में उसे और प्रेरणा मिलती है.

अध्यापक की जीविका चुनने के प्रमुख कारण निम्न हैं.

मानसिक उत्थान

अध्यापन व्यवसाय के चयन का प्रमुख कारण है मानसिक उत्थान. अध्यापक स्वाध्याय में संलग्न रहता है. स्वाध्याय से ज्ञान के चक्षु खुल जाते हैं मानसिक विकास होता है. विकसित मस्तिक से विवेक बुद्धि प्राप्त होती है. सुबुद्धि उपलब्ध होती है जिससे सही गलत का बोध होता है. वह सन्मार्ग पर चल कर अपने जीवन को सफल बनाता है.

आत्मिक उत्थान

अध्यापन व्यवसाय के चयन का एक अन्य कारण आत्मिक उत्थान भी है. अध्यापक को उत्कृष्ट, उपदेशात्मक, नीति संबंधित तथा सदाचार पूर्ण साहित्य का अवलोकन करने का सुअवसर मिलता है. उसके माध्यम से सत पुरुषों का सत्संग प्राप्त करता है. वह कभी जग में कबीर की अमृतवाणी सुनता है, तो कभी तुलसी के रामचरित्रमानस में गोते लगाता है. कभी सूर के भक्ति भाव के लहराते हुए सागर में डुबकी लगता हैं तो कभी भारतेंदु के “सत्य हरिश्चंद्र” नाटक में सत्य के साकार स्वरूप के दर्शन करता हैं. इससे उसके जीवन में नीति, मर्यादा और सदाचार का समावेश होता हैं.

राष्ट्र निर्माण में योगदान

अध्यापन व्यवसाय राष्ट्र में सराहनीय योगदान करता हैं. आज का बालक कल का नागरिक है और नागरिक राष्ट्र की इकाई होता है. बालक जैसी शिक्षा प्राप्त करेगा वैसा ही नागरिक बनेगा. विद्यालय बालक की निर्माणशाला है. अध्यापक उसका निर्माता है वही उसके व्यक्तित्व की रचना करता है. उसके अंदर ज्ञान तथा सद्गुणों का प्रकाश फैलाता है, सदाचार की सृष्टि करता है. आदर्श अध्यापक अपने छात्रों पर सब कुछ न्योछावर कर देता है.

माता पिता जो केवल बालक को जन्म देते हैं किंतु अध्यापक उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है. ज्ञान रहित तथा गुण हीन बालक अध्यापक के हाथ से ज्ञान शिरोमणि तथा गुण संपन्न बन जाता है. इस प्रकार अध्यापक भवन निर्माण के लिए नागरिक रूपी सुदृढ़ ईट तैयार करता है. अध्यापक का योगदान अमूल्य है.

अध्ययन व्यवसाय सेवा एवं परोपकार का श्रेष्ठ साधन है. अतुलित उपकार तथा सेवा के कारण ही भारतीय संस्कृति में अध्यापक का स्थान, गुरु का पद परमेश्वर से भी ऊंचा रखा गया है. तभी तो गुरु गोविंद दोनों की उपस्थिति में शिष्य गुरु के चरण स्पर्श करता है, गोविंद के नहीं. कबीर के शब्दों में-

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

ऐसा होता है महान अध्यापक और उसका व्यवसाय. अध्यापन व्यवसाय परमार्थ साधना का उत्तम उपाय है. इसमें अनेक बालकों को अपना जीवन सफल तथा सार्थक बनाने का अवसर मिलता है. अध्यापन व्यवसाय धन्य है जो बीच के समान अपना सर्वस्व बलिदान करके रख रूपी राष्ट्र को अपने छात्र संपदा प्रदान करता है. इसलिए अध्यापक को राष्ट्र का निर्माता माना जाता है.

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  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
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2 thoughts on ““मेरे जीवन का लक्ष्य” निबंध | Essay on Mere Jeevan Ka Lakshya in Hindi”

Kuch ni pta lga da

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मेरा जीवन लक्ष्य पर निबंध | Essay On Mere Jeevan Ka Lakshya In Hindi

मेरा जीवन लक्ष्य पर निबंध Essay On Mere Jeevan Ka Lakshya In Hindi My Aim of Life: महत्वकांक्षा मानव जीवन का अहम गुण हैं, जिन्हें चाहकर भी खत्म नहीं किया जा सकता हैं.

हरेक व्यक्ति के जीवन का एक न एक लक्ष्य होता हैं, जिसे वह प्राप्त करना चाहता हैं. डॉक्टर या इंजीनियर, व्यवसायी, राजनेता, अभिनेता या खिलाड़ी , शिक्षक, सैनिक, आमतौर पर एक आम आदमी इन्ही को अपना लक्ष्य चुनता हैं.

Essay On Mere Jeevan Ka Lakshya In Hindi

जीवन में लक्ष्य खोजना उतना कठिन नहीं है जितना उन्हें पूर्ण करने की राह पर चलना कठिन हैं. हमारे आस पास ऐसे लोग भी मिल जाएगे, जिनके जीवन का ध्येय ईश्वर प्राप्ति अर्थात भक्ति हो जाता हैं तथा वे वैराग्य धारण कर लेते हैं.

जीवन में कुछ बनने या पाने की प्रबल इच्छाओं को साकार रूप देने में चंद भाग्यशाली लोग ही सफल हो पाते हैं. दृढ़ इच्छा-शक्ति वाले लोग साधारणतया अपने लक्ष्यों को साधने में कामयाब हो जाते हैं.

बच्चों की समस्या : स्कूल में पढने वाला बच्चा अपने संग कई सपने सजोकर रखता हैं. उन्हें सब कुछ बनना अच्छा लगता हैं. जैसे डोक्टर, खिलाड़ी, अभिनेता, शिक्षक आदि.

कभी उनका मन किसी को देखकर कुछ बनने का करता हैं तो कभी कुछ और भी, इस तरह उन्हें लिए जीवन का कोई एक लक्ष्य नहीं बन पाता हैं.

जैसे जैसे बच्चे की आयु बढ़ती हैं उनका रुझान भी साफ होने लगता हैं. उसे अपने रूचि के अनुसार पेशा अच्छा लगने लगता हैं. यदि किसी को क्लाश में पढाना अच्छा लगता है तो वह शिक्षक बनना चाहता हैं, रोगियों की मदद करने के रूचि है तो डोक्टर बनेगा. देश की सेवा के लिए नेता व सीमा पर जाकर लड़ने का शौक है तो सिपाही बनेगा.

कई बार बच्चे बड़े होकर अपने जीवन का लक्ष्य कुछ निर्धारित कर लेते हैं जबकि माता पिता की अपेक्षाएं व सपने उनसे अलग ही होते हैं. बच्चे की रूचि खेल में हैं मगर माँ बाप उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते हैं.

एक तरह से यह उस बच्चे की इच्छाओं पर मनमर्जी होगी. परिजनों को चाहिए कि बालक की इच्छाओं को दबाने की बजाय उनकी मदद करे, प्रोत्साहित करे तो निश्चय ही वह एक दिन बड़ा आदमी बन सकेगा.

जीवन में लक्ष्य का महत्व – लक्ष्य जीवन को दिशा देते हैं तथा उन प्रयासों को सार्थक बनाते है जो उस सपने को पूरा करने के लिए किये जा रहे हैं. यदि जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित न हो तो फिर जाना कहाँ है किस तरफ जाना हैं, समझना कठिन हो जाता हैं.

उदहारण के लिए मानिए आप एक गेंदबाज है और पिच पर स्टम्प न हो और आपकों गेंदबाजी करने को कहा जाए, या फिर आप फ़ुटबाल के खिलाड़ी है और मैदान से गोल पोस्ट को हटा दिया जाए तो क्या हालात होंगे.

उस स्थिति में आप कितना भी पसीना बहाए आपकी मेहनत का कोई परिणाम नहीं निकलेगा. मेहनत तो की जा रही हैं मगर अदिश मेहनत में न कोई लक्ष्य है न ही कोई दिशा.

मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं शिक्षक बनू, तथा अपने शिक्षा ज्ञान से देश की भावी पीढ़ी में संस्कारयुक्त शिक्षा पहुंचा सकू. साथ ही ऐसे बच्चों को विद्यालय से जोड़ सकू जो कभी विद्यालय न गये हो.  मैं इस बात को भली भांति जानता हूँ कि आज के दौर में शिक्षक बनना बिलकुल भी आसान नहीं हैं.

शिक्षक बनने की न्यूनतम योग्यताएं मैं अर्जित कर चुका हैं. इस दिशा में मेरा पहला प्रयास भी असफल रहा, मगर मुझे अपने प्रयास से इतना विश्वास हो गया कि यदि थोड़ी और तपस्या की जाए तो शिक्षक बनने का मेरा सपना पूरा हो सकता हैं.

मैंने शुरू में ही यह निर्णय कर लिया कि मुझे अपने सपने को साकार करने के लिए जितनी कड़ी मेहनत की आवश्यकता होगी मैं उससे अधिक बढकर मेहनत करुगा साथ ही सफल साथियों व गुरुजनों के आशीर्वाद व मार्गदर्शन मेरी राह को आसान बनाएगे.

मेरे प्रदेश में कई ऐसे विद्यालय है जहाँ कोई शिक्षक नहीं हैं. ऐसे में देश का भावी भविष्य के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं हैं. यदि शिक्षक लगे भी है तो वे बच्चों के स्तर को सुधारने की तरफ गम्भीरता से ध्यान नहीं देते. यही वजह है कि गाँवों से आने वाले बच्चें आगे चलकर शहरी बच्चों से गणित, अंग्रेजी व विज्ञान जैसे विषयों में पिछड़ जाते हैं.

यदि मैं शिक्षक बन पाया तो मेरा पहला ध्येय बच्चों के शिक्षा स्तर में आमूलचूल बदलाव, उन्हें आरम्भिक कक्षाओं में विषयों को आकर्षक तरीके से समझाया जाए तो वे आगे जाकर उनमें फिसड्डी नहीं होंगे. मेरा ध्यान उन बच्चों की तरफ अधिक रहेगा जो बेहद कमजोर है तथा उन्हें शिक्षा की उचित सुविधाएँ नहीं मिल पाती हैं.

अपने व्यक्तिगत प्रयासों से जरूरतमंद बच्चों के लिए शिक्षण सामग्री का प्रबंध कर नित्य विद्यालय से पहले या बाद में ऐसे बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास रहेगा.

विभाग के आदेश के अनुसार आज भी हमारे स्कूलों में वर्ष में दो छात्र अभिभावक सम्मेलन कराए जाने की व्यवस्था हैं मगर इस नवाचार को शिक्षक व्यवहारिक रूप देने की बजाय लीपापोती कर कागजों में ही मीटिंग करवा लेते हैं.

यदि समय समय पर अभिभावकों की विद्यालय में मीटिंग होती हैं तो यह बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती हैं. माता पिता से बच्चों का फीडबैक लेना, उनकी समस्याओं की चर्चा करना, अभिभावकों को उनके बच्चों के कर्तव्य बताना, शिक्षा और अधिक सुगम और सरस बनाने के उपायों पर चर्चा करना जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये जा सकते हैं.

शिक्षकों का महत्व : गुरु का दर्जा ईश्वर से ऊपर माना गया हैं. वह गुरु ही है जो एक कोरे मस्तिष्क पर मनचाही आकृति को बनाकर बच्चे को एक रूप देता हैं लोगों के अंदर के अज्ञान को समाप्त कर ज्ञान का दीपक जलाकर उनके जीवन को सार्थक बनाता हैं.

पद, पैसा, शौहरत बड़ी आसानी से कमाई जा सकती हैं, बहुत से उद्यम में ये आसानी से मिल जाते हैं. मेरे शिक्षक बनने के सपने की ओर प्रेरित करने वाली चीज सेवा और राष्ट्र निर्माण हैं.

मेरा मानना है कि सेवा तो किसी भी क्षेत्र में की जा सकती हैं मगर शिक्षा में यदि सेवा का भाव हो तो निश्चय ही वह शिक्षा राष्ट्र निर्माण में सहायक सिद्ध होगी.

हमारे देश का भविष्य कैसा होगा, यह बात इस पर निर्भर करता हैं हमारे स्कूल कैसे हैं हमारे अध्यापक कैसे है, शिक्षक व्यवस्था कैसी इस बात पर सब कुछ निर्भर करता हैं.

यदि मैं शिक्षक बना तो स्वयं को सौभाग्यशाली मानुगा कि एक ऐसी व्यवस्था का हिस्सा बनूगा जिसके हाथ में राष्ट्र निर्माण की बागडौर होगी. मैं पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ राष्ट्र निर्माण के इस अभियान में अपना पूर्ण योगदान दूंगा.

Mera jeevan lakshya par nibandh 400 words

हर व्यक्ति की जिंदगी में कोई ना कोई लक्ष्य अवश्य होता है जिसे प्राप्त करने के लिए वह संघर्ष करता है। कोई अच्छी पढ़ाई लिखाई करके डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई अच्छी पढ़ाई लिखाई करके बिजनेसमैन बनना चाहता है। वहीं कई लोग समाज सेवा भी करते हैं।

मेरी भी जिंदगी का लक्ष्य है। मेरा लक्ष्य यह है कि मैं अपनी जिंदगी में अच्छी पढ़ाई लिखाई करू और बड़ा होकर डॉक्टर बनू ताकि मैं लोगों की सेवा कर सकूं और उन्हें स्वस्थ बना सकूं।

डॉक्टर बनने की वजह से मेडिकल का ज्ञान होने के कारण मैं ऐसे लोगों की सेवा सही प्रकार से कर पाऊंगा, जो पैसे के अभाव में अपना इलाज सही प्रकार से नहीं करवा पाते हैं। 

हालांकि मैं यह भी जानता हूं कि डॉक्टर बनना इतना आसान नहीं है क्योंकि डॉक्टर बनने के लिए अच्छे विद्यालय का चयन, उसमें एडमिशन पाना और पढ़ाई में होने वाले खर्च जैसी कई रुकावटें आती हैं परंतु मुझे अपने आप पर विश्वास है कि मैं इन सभी कठिनाइयों को हर हाल में पार करूंगा और इसीलिए मैंने डॉक्टर बनने के लिए कठिन मेहनत करने का प्रण भी ले कर के रखा है।

मैंने यह ठान लिया है कि चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए, मैं अपनी मंजिल को प्राप्त करके ही रहूंगा और एक दिन मेरे भी नाम के आगे डॉक्टर बन जाने के बाद डॉक्टर लगेगा।

डॉक्टर की लाइन में जाने के लिए मैं उचित मार्गदर्शन की तलाश में हूं। इसके लिए मैं अपने टीचर और अनुभवी विद्यार्थी का भी सपोर्ट ले रहा हूं।

डॉक्टर बन जाने के बाद मैं भारत के ऐसे इलाके में जाना चाहता हूं, जहां पर अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है अथवा जहां पर स्वास्थ्य सेंटर की व्यवस्था ना के बराबर है। मैं ऐसे सभी लोगों का बिल्कुल फ्री में इलाज करना चाहता हूं,

जिनके पास अपना इलाज करवाने के लिए पैसे उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करना चाहता हूं। इसके लिए मैं प्रयासरत हूं कि मैं जल्दी से अपनी पढ़ाई खत्म करु और डॉक्टर की डिग्री हासिल करु। 

मुझे पता है कि सिर्फ समाज सेवा करने से काम नहीं चलता है। जिंदगी जीने के लिए पैसे भी कमाने पड़ते हैं परंतु मैं समाज सेवा और इनकम इन दोनों के बीच संतुलन बना करके चलूंगा ताकि मेरे द्वारा समाज सेवा भी होती रहे,

साथ ही मेरा जीवन यापन भी होता रहे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं अपनी जिंदगी में अपने लक्ष्य को अवश्य हासिल करके रहूंगा और इसके लिए मैं सभी रुकावटो को पार करुगा और हर मैदान फतेह करूंगा।

Long Essay On Mere Jeevan Ka Lakshya In Hindi In 1000 Words

पांडव जब शस्त्र विद्या सीख रहे थे तो गुरु द्रोणाचार्य ने उन्हें पेड़ पर बैठे एक पक्षी की आँख पर निशाना बाँधने को कहा. सबने निशाना साध लिया, तब उन्होंने बारी बारी से सबसे पूछा कि उन्हें क्या दिख रहा हैं.

किसी ने कहा पेड़ की डालियाँ, किसी ने कहा पेड़, किसी ने कहा पूरा पक्षी, तो किसी ने कहा पेड़ और उसके ऊपर चमकता सूरज. फिर द्रोणाचार्य ने अर्जुन से पूछा कि उसे क्या दिख रहा हैं तो अर्जुन ने उत्तर दिया- पक्षी की आँख गुरुदेव और उसका बाण सीधा पक्षी की आँख में जा लगा.

अर्जुन का लक्ष्य निश्चित था. उसकी तैयारी पूरी थी, इसलिए पेड़ की दूरी, हिलती डुलती डालियाँ, आँखों पर चमकता सूरज, कोई भी अर्जुन के लिए बाधा नहीं बन पाया. कहने का तात्पर्य यह हैं कि जिसे लक्ष्य प्राप्ति की धुन होती है, उसे बाधाएं नहीं केवल लक्ष्य दिखाई पड़ता हैं.

अतः जीवन में निश्चित सफलता के लिए निश्चित लक्ष्य का होना भी अत्यंत आवश्यक हैं. जिस तरह निश्चित गन्तव्य तय किये बिना चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन जीवन भी निरर्थक होता हैं.

एक व्यक्ति अपनी योग्यता एवं रूचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए, जहाँ तक मेरे जीवन के लक्ष्य की बात हैं तो मुझे बचपन से ही पढने लिखने का शौक रहा हैं.

वैसे तो मैं पढ़ाई पूरी करने के बाद कई तरह के पेशों में जा सकता हूँ, किन्तु उन सभी में मुझे शिक्षक का पेशा काफी पसंद हैं. इसलिए मैं अपने जीवन में एक सफल शिक्षक बनना चाहता हूँ.

शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं. इसलिए शिक्षक को देव तुल्य एवं माता पिता से भी श्रेष्ठ माना गया हैं.

प्राचीन काल में सामान्यतः मन्दिर एवं मठ शिक्षा के केंद्र होते थे एवं शिक्षा प्रदान करने वाले व्यक्ति चाहे वह पुजारी हो या मठ में रहने वाला सन्यासी का समाज में ईश्वर तुल्य सम्मान प्राप्त था.

आधुनिक काल में शिक्षण के बड़े संस्थानों की स्थापना के बाद से तथा शिक्षा के निजीकरण एवं शिक्षकों के कुछ पेशेवर रवैयों के कारण उनके सम्मान में भले ही थोड़ी कमी हुई हो,

.किन्तु शिक्षकों के सामाजिक महत्व एवं स्थान में आज भी कोई कमी नहीं हुई हैं. मैं भी एक शिक्षक के रूप में समाज की सेवा कर, लोगों के सम्मान का पात्र बनना चाहता हूँ.

भारत में अच्छे शिक्षकों की भारी कमी हैं. यहाँ प्रत्येक एक सौ बच्चों पर भी एक शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. जबकि विकसित देशों में प्रायः प्रत्येक 20 बच्चों पर एक शिक्षक उपलब्ध होता हैं. इसलिए, शिक्षा के अधिकार के अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक 30 बच्चों पर एक शिक्षक को नियुक्त करने का प्रावधान किया गया हैं.

यदि लोग इस पेशे में नहीं आएगे, तो शिक्षकों की कमी का दुष्प्रभाव अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ेगा. अधिकतर लोग जो इस पेशे में हैं. शहरी क्षेत्र में नियुक्ति पाना चाहते हैं. मैं एक शिक्षक के रूप में ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चाहुगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव हैं. इन क्षेत्रों में सामान्य शिक्षा के अतिरिक्त कंप्यूटर एवं अन्य व्यावसायिक शिक्षा पर भी जोर देने की आवश्यकता हैं.

मैं ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षक के रूप में नियुक्त होने पर वहां के बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दूंगा. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को कैरियर का चयन करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.

उन्हें पता ही नहीं होता कि वे अपनी योग्यता के अनुरूप जीवन में क्या कर सकते हैं. इसलिए एक शिक्षक के रूप में मैं परामर्शदाता एवं मार्गदर्शक भी बनुगा.

किसी भी विद्यालय की सफलता उसके शिक्षकों के व्यवहार पर निर्भर करती हैं. इसीलिए शिक्षकों को अपनी भूमिका एवं कार्यों के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भली भांति समझना पड़ता हैं. यदपि शिक्षक का मुख्य कार्य अध्यापन करना होता हैं, किन्तु अध्यापन के उद्देश्यों की पूर्ति तब ही हो सकती हैं.

जब वह इसके अतिरिक्त विद्यालय की अनुशासन व्यवस्था में सहयोग करे, शिष्टाचार का पालन करे, अपने सहकर्मियों के साथ सकारात्मक व्यवहार करे एवं पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाकलापों में अपने साथी शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों का सहयोग करे. इन सभी दृष्टि कोणों से मैं एक आदर्श शिक्षक बनने की कोशिश करुगा.

एक आदर्श शिक्षक के रूप में मैं धार्मिक कट्टरता, प्राइवेट ट्यूशन, नशाखोरी इत्यादि से बचूंगा. सही समय पर विद्यालय जाऊँगा. शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षण सामग्रियों का भरपूर प्रयोग करुगा.

छात्रों को हमेशा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता रहूँगा. छात्रों पर नियंत्रण रखने के लिए मैं शैक्षणिक मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञान प्राप्त करूँगा.

इस ज्ञान का प्रयोग मैं शिक्षण कार्य एवं छात्रों के निर्देशन तथा परामर्श में करुगा. मुझे समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान हैं. इसलिए मैं इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्तव्यों का ज्ञान कराऊंगा.

मैं शिक्षण के साथ साथ पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं में भी अत्यंत रूचि रखता हूँ. मैं समय समय पर निबंध प्रतियोगिता,कहानी प्रतियोगिता एवं काव्य रचना प्रतियोगिता आयोजित करवाऊँगा. इन आयोजनों का उद्देश्य छात्रों में रचनाशीलता का विकास करना होगा.

इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त मैं भाषण प्रतियोगिता, गोष्ठी, नाटक एवं एकांकी का भी आयोजन करवाऊंगा. आजकल के बच्चें विभिन्न प्रकार की उपाधियाँ तो प्राप्त कर लेते हैं, किन्तु उनमें सम्प्रेष्ण कौशल का अभाव होता हैं.

जीवन के हर क्षेत्र में सम्प्रेष्ण कौशल का महत्व होता हैं. इसलिए मैं छात्रों में सम्प्रेष्ण कौशल के विकास पर जोर देते हुए, उनमें इसके विकास के लिए छद्म साक्षात्कार, सामूहिक परिचर्चा एवं वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित करवाऊंगा.

व्यक्ति को शिष्ट आचरण की शिक्षा अपने घर परिवार समाज व स्कूल से मिलती हैं. बच्चें का जीवन उनके परिवार से आरम्भ होता हैं. यदि परिवार के सदस्य गलत आचरण करते हैं तो बच्चा भी उसी का अनुसरण करेगा.

परिवार के बाद बच्चा समाज एवं स्कूल से सीखता हैं. यदि उसके साथियों का आचरण खराब होगा तो उसे भी उससे प्रभावित होने की पूरी संभावना बनी रहती हैं. यदि शिक्षक का आचरण गलत हैं तो बच्चें कैसे सही हो सकते हैं.

इसलिए बच्चों को शिष्ट आचरण सिखाने की अपनी भूमिका का मैं पूरी तरह निर्वहन करूँगा. इसके लिए मैं स्वयं भी शिष्ट आचरण एवं अनुशासन का पूरा पूरा ध्यान दूंगा.

मेरा मानना है कि बच्चों को अनुशासित करने के लिए आवश्यक हैं कि शिक्षक एवं अभिभावक अपने आचरण में सुधार लाकर स्वयं अनुशासित रहते हुए बाल्यवस्था से ही बच्चों में अनुशासित रहने की आदत डाले.

वही व्यक्ति अपने जीवन अपने जीवन में अनुशासित रह सकता हैं जिसे बाल्यकाल में ही अनुशासन की शिक्षा दी गयी हो. बाल्यकाल में जिन बच्चों पर उनके माता पिता लाड प्यार के कारण नियंत्रण नहीं रख पाते वही बच्चें आगे बढकर अपने जीवन में कभी सफल नहीं होते.

अनुशासन के अभाव में कई प्रकार की बुराइयाँ समाज में अपनी जड़ विकसित कर लेती हैं. छात्रों के नित्य प्रति विरोध प्रदर्शन,परीक्षा में नकल शिक्षकों की बदसलूकी अनुशासनहीनता के ही उदहारण हैं. इसका खामियाजा उन्हें बाद में जीवन की असफलताओं के रूप में भुगतना पड़ता हैं.

किन्तु जब तक वे समझते हैं तब तक देर हो चुकी होती हैं, इसलिए मैं छात्रों को अनुशासित रखने पर विशेष जोर दूंगा. किसी मनुष्य की व्यक्तिगत सफलता में भी उसके शिष्टाचार एवं अनुशासित जीवन की भूमिका होती हैं.

जो छात्र अपने प्रत्येक कार्य नियम एवं अनुशासन का पालन करते हुए सम्पन्न करते हैं, वे अन्य साथियों से न केवल श्रेष्ठ माने जाते हैं बल्कि सभी के प्रिय भी बन जाते हैं.

महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, सुभाषचंद्र बोस, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, डॉ भीमराव अम्बेडकर, दयानन्द सरस्वती इत्यादि जैसे महापुरुषों का जीवन शिष्टाचार और अनुशासन के कारण समाज के लिए उपयोगी एवं हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बन सका.

मैं भी इन महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण करते हुए अपने कर्मों से सबकों शिष्ट एवं अनुशासित रहने की प्रेरणा दूंगा. छात्र की सफलता में ही शिक्षक की सफलता निहित हैं.

इसलिए शिक्षक के रूप में मैं छात्रों की सफलता को महत्व देकर अपने छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए उनकी सफलता में भागीदार बनूंगा.

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