Listrovert

What is Assignment in Hindi – असाइनमेंट कैसे बनाएं

Tomy Jackson

Assignment छात्र जीवन का एक अभिन्न अंग है । आप चाहे किसी भी स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई करते हों, आपको समय समय पर असाइनमेंट करने को जरुर मिलता होगा । खासकर कि सीबीएसई स्कूलों में भर भर के असाइनमेंट करने को मिलते हैं । सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इन्हीं असाइनमेंट के आधार पर आपको अंक भी दिए जाते हैं ।

ऐसे में आपके लिए आवश्यक हो जाता है कि आप सही ढंग से असाइनमेंट तैयार करके जमा करें । आज के इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तारपूर्वक आपको जानकारी देंगे और बताएंगे कि आप असाइनमेंट कैसे बनाएं ? इसके अलावा इससे संबंधित अन्य जानकारियां जैसे यह क्या होता है, इसके फायदे क्या हैं और इसकी विशेषताएं क्या होती हैं, इन प्रश्नों का उत्तर भी दिया जायेगा ।

अगर आपको भी असाइनमेंट करने के लिए मिला है तो आपके लिए यह Assignment in Hindi का आर्टिकल काफी सहायक साबित होगा । आर्टिकल में दी गई जानकारियां अगर आप सही से समझकर अप्लाई करते हैं तो आपको अवश्य ही पूरे मार्क्स मिलेंगे ।

Assignment क्या है ?

Assignment को हिंदी में दत्त कार्य कहा जाता है, जोकि छात्र को उसके शिक्षक द्वारा दिया गया कार्य है जिसे एक निर्धारित समय में पूरा करना होता है । छात्रों को किसी विषय पर असाइनमेंट देने का उद्देश्य उन्हें विषय संबंधित जानकारियों से अवगत कराना होता है । आमतौर पर इसे गृहकार्य के तौर पर दिया जाता है ।

आमतौर पर असाइनमेंट शिक्षण क्षेत्र में ही इस्तेमाल किया जाता है लेकिन व्यवसाय और निर्माण क्षेत्र में भी इसका उपयोग होता है । उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी कम्पनी में नौकरी करते हैं तो आपको कंपनी का SWOT Analysis या PESTLE Analysis करने का असाइनमेंट मिल सकता है ।

इसी प्रकार से एक छात्र को उसके शिक्षक अपने विषय से संबंधित कोई कार्य दे सकते हैं । विज्ञान का शिक्षक छात्र को जहां पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति विषय पर असाइनमेंट दे सकता है तो वहीं एक इतिहास का शिक्षक अपने छात्र को हड़प्पा सभ्यता पर । असाइनमेंट शिक्षकों को छात्रों का बेहतर आकलन करने में मदद करते हैं । खासकर कि बीएड असाइनमेंट इन हिंदी अक्सर छात्रों को दिए जाते हैं ।

असाइनमेंट की विशेषताएं

अगर आप एक असाइनमेंट बनाने की तैयारी में हैं तो आपको सबसे पहले असाइनमेंट की विशेषताएं समझ लेनी चाहिए । इससे आप एक बेहतरीन असाइनमेंट तैयार कर सकेंगे ।

  • असाइनमेंट किसी पाठ का हिस्सा होना चाहिए
  • इसे छात्र के सोचने समझने की क्षमता के अनुरूप दिया जाना चाहिए
  • असाइनमेंट को दिए गए विषय की हर बारीकियां कवर करनी चाहिए
  • असाइनमेंट की भाषा, लेखन शैली और हैंडराइटिंग सीधी, सरल और सुंदर होनी चाहिए
  • एक असाइनमेंट में जरूरत पड़ने पर तस्वीरों, ग्राफ, आंकड़ों और मानचित्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए

असाइनमेंट के फायदे

एक Assignment का फायदा छात्र और शिक्षक दोनों को ही मिलता है । आगे आपको असाइनमेंट करने का कार्य मिला है और आप सोच रहे हैं कि आखिर इससे होगा क्या ? तो असाइनमेंट का महत्व जरूर जानें:

  • असाइनमेंट लिखना छात्र के Writing Skills को बेहतर करता है
  • असाइनमेंट से शिक्षक को छात्र का आंकलन करने में मदद मिलती है
  • एक असाइनमेंट छात्र के सोचने समझने और Critical Thinking Skills को विकसित करता है
  • इसकी मदद से छात्र विषय को ज्यादा गंभीरता से अध्ययन करता है
  • इसकी मदद से छात्र में रचनात्मक कौशल का विकास होता है और उसे शोध कार्य का असली अर्थ समझ आता है
  • असाइनमेंट छात्र की परीक्षा में बेहतर अंक लाने में मदद करते हैं

Assignment कैसे बनाएं ?

अबतक आप अच्छे से समझ चुके हैं कि असाइनमेंट की विशेषताएं और फायदे क्या होते हैं । अब बारी है यह समझने की कि एक assignment कैसे लिखें । सबसे बड़ी समस्या छात्रों के लिए यही आती है कि वे शोधादि तो कर लेते हैं लेकिन उन्हें एक असाइनमेंट को सही और व्यवस्थित क्रम में लिखने नहीं आता है । तो चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि एक असाइनमेंट कैसे बनाएं ।

1. सबसे पहले Assignment Front Page बनाएं

एक Assignment लिखने का पहला पड़ाव होता है कि आप इसका फ्रंट पेज तैयार करें । Assignment First Page में ही आपको आपके स्कूल/कॉलेज का नाम, शिक्षक का नाम, कक्षा, रोल नंबर, विषय आदि की जानकारी देनी होती है । हमने विस्तार से असाइनमेंट फर्स्ट पेज कैसे बनाएं लेख में इस विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी है ।

पहले पृष्ठ में आपको सभी जरूरी जानकारियां लिखनी है और थोड़ा बहुत डेकोरेशन भी करना है । खासकर कि आप borderline decoration जरूर करें, जोकि देखने में अच्छा और प्रोफेशनल लगता है । साथ ही अपने Handwriting का भी खासा ध्यान रखें और विभिन्न रंगों की कलम इस्तेमाल करें । साथ में पंक्तियों के बीच सही गैप देना भी जरूरी होता है ।

2. विषय की अच्छे से जानकारी इकट्ठी करें

आपको आपके शिक्षक द्वारा जो भी विषय दिया गया है, उसपर आपको अच्छे से रिसर्च करनी चाहिए । इंटरनेट, किताबों, रिसर्च पेपर्स, डॉक्यूमेंट्री आदि की मदद से आप विषय की अच्छे से जानकारी हासिल कर सकते हैं । इंटरनेट पा कुछ बेहद ही अच्छी साइटें हैं जहां आपको आपके विषय से संबंधित जानकारियां बड़ी ही आसानी से मिल जायेंगी ।

Topic Research करते समय अपनी कक्षा का भी ध्यान रखें, अगर आप 10वीं कक्षा से ऊपर के छात्र हैं तो आपको बच्चों के स्तर की रिसर्च नहीं करनी है । आपकी रिसर्च अच्छे लेवल की होनी चाहिए, आपको ढेरों रिसर्च पेपर पढ़ना चाहिए और साथ ही Notes बनाते रहना चाहिए । विकिपीडिया के अलावा आपको Research Gate, Google Scholar, JSTOR जैसी साइटों से जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए ।

3. तस्वीरें, आंकड़े और मानचित्र भी असाइनमेंट में जोड़ें

अगर आप अपने Assignment Work को प्रोफेशनल और अट्रैक्टिव दोनों बनाना चाहते हैं तो जरूरी है कि सिर्फ Text Based Information के अलावा तस्वीरें, आंकड़े और मानचित्र भी इकट्ठा करें । खासकर कि आंकड़े यानि Statistics/Figures । इससे आपने जो भी टॉपिक रिसर्च किया है, उसे बल मिलेगा ।

इसके अलावा आंकड़ों के साथ जानकारी देना आपको ज्यादा अंक प्राप्त करने में भी आपकी मदद करेगा । इसके बाद अगर आप History, Geography और Science विषयों के लिए असाइनमेंट तैयार कर रहे हैं तो तस्वीरों का इस्तेमाल अवश्य करें । मानचित्र का इस्तेमाल भी Social Science के विषयों में करना न भूलें ।

4. कभी भी दूसरे के असाइनमेंट को कॉपी न करें

एक Assignment तैयार करते समय ध्यान रखें कि आपको अपने दिए गए विषयों पर रिसर्च करना है, Copy Paste नहीं । यानि आप जो भी जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं, उसे अपने शब्दों में अपने हिसाब से लिखकर तैयार करें । अक्सर ऐसा होता है कि छात्र इंटरनेट पर पड़ी जानकारियां ज्यों की त्यों छाप देते हैं और बाद में जब उनकी चोरी पकड़ी जाती है तो पछताते हैं ।

आपको यह समझना चाहिए कि जितने स्मार्ट आप हैं, उससे कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं आज के समय के शिक्षक/प्रोफेसर । जिस इंटरनेट से आप जानकारियां कॉपी कर रहे हैं, उसी इंटरनेट पर ढेरों Plagiarism Tools भी हैं जिसकी मदद से बड़ी ही आसानी से आपकी चोरी पकड़ी जायेगी । इसके बाद न सिर्फ आपके नंबर काट लिए जायेंगे बल्कि आपकी छवि भी खराब होगी ।

5. व्याकरण सहित हैंडराइटिंग पर भी ध्यान दें

एक अच्छे assignment की विशेषता यह होती है कि उसमें व्याकरण संबंधित अशुद्धियां नहीं होती हैं और लिखावट अच्छी होती है । इसलिए आपको असाइनमेंट लिखते समय व्याकरण अशुद्धियों से बचना चाहिए । इसके अलावा जितना हो सके, अच्छी हैंडराइटिंग में लिखने का प्रयास करना चाहिए ।

अक्सर यह देखा गया है कि छात्रों रिसर्च भले ही कितना ही बेहतर क्यों न हो, लेकिन खराब हैंडराइटिंग और अशुद्धियों की वजह से उचित अंक नहीं मिल पाते । यही नियम परीक्षाओं में भी लागू होता है, इसलिए अगर आपको अपनी हैंडराइटिंग सुधारनी चाहिए । इसके लिए आप Handwriting कैसे सुधारें लेख पढ़ सकते हैं ।

6. उचित मात्रा में डेकोरेशन करें

ज्यादा फुल पत्तियां लगाने के बजाय आपको उचित मात्रा में Assignment Decoration करना चाहिए । इसके अलावा अलग अलग रंगों के कलम इस्तेमाल करना भी न भूलें । इससे आपका असाइनमेंट देखने में ज्यादा रोचक लगेगा और यकीन मानिए, आपको इसके अलग से अंक जरूर मिलेंगे । हालांकि Over Decoration से बचना भी चाहिए ।

अलग अलग रंगों के टेप, ग्लिटर पेपर, आर्टिफिशियल बटन और फूल आदि खरीदकर तभी असाइनमेंट में लगाएं जब आपके शिक्षक की यह मांग हो । अन्यथा ज्यादा डेकोरेशन से बचें क्योंकि कई शिक्षक सिर्फ और सिर्फ आपके रिसर्च पर ध्यान देते हैं और ज्यादा डेकोरेशन पर अंक भी काट लिए जाते हैं ।

Assignment Format

एक Assignment और Project File में कुछ खास अंतर नहीं होता है, खासकर कि अगर हम शिक्षा के क्षेत्र में देखें तो ये दोनों एक ही माने जाते हैं । इसलिए इन दोनों का फॉर्मेट भी एक जैसा ही होता है । इसलिए जैसा फॉर्मेट एक प्रोजेक्ट फाइल का होगा, वैसा ही असाइनमेंट का भी:

  • Certificate
  • Acknowledgement
  • Main Content
  • Bibliography

पूरे असाइनमेंट फॉर्मेट को हमने Project File in Hindi आर्टिकल में कवर किया है । इस आर्टिकल में आपको हर पेज की जानकारी, फॉर्मेट और उदाहरण भी मिल जायेगा ।

1. असाइनमेंट का मतलब क्या होता है ?

असाइनमेंट का मतलब दत्त कार्य होता है, जिसे आमतौर पर शिक्षा के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है । एक शिक्षक अपने छात्रों को असाइनमेंट देते हैं ताकि वे छात्र का आंकलन कर सकें ।

2. असाइनमेंट कैसे लिखा जाता है ?

असाइनमेंट लिखने के लिए सबसे पहले इंटरनेट, किताबों, रिसर्च पेपर्स, डॉक्यूमेंट्री आदि से जानकारी इकट्ठी की जाती है, नोट्स बनाएं जाते हैं और इसके पश्चात एक निश्चित फॉर्मेट का पालन किया जाता है ।

3. शिक्षा में असाइनमेंट का अर्थ क्या है ?

शिक्षा में Assignment का अर्थ दत्त कार्य होता है । इसके अलावा इसे कार्यभार और सत्रीय कार्य भी कहा जाता है । इसे परियोजना कार्य से जोड़कर देखा जाता है ।

' src=

I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

Related Posts

Building an impactful and advancing deep learning career, making time for yourself in college: a guide for freshmen, nursery and playgroup: the main differences, leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

Samar Education

Samar Education

Assignment method of teaching, assignment method.

Assignment method as the name suggests students are assigned some tasks-theoretical as well as practical nature for being performed at their parts in the school, at the workshop or laboratory, library or at their home. They are provided necessary guidance instruction and also the specific outlines for completing their assignments in time.

Assignment Method of Teaching

Assignment is a necessary part of the teaching and learning process, helping us measure whether our students have really learned what we want them to learn. While exams and quizzes are certainly favorite and useful methods of assessment, out of class assignments (written or otherwise) can offer similar insights into our students' learning. And just as creating a reliable test takes thoughtfulness and skill, so does creating meaningful and effective assignments.

Undoubtedly, many instructors have been on the receiving end of disappointing student work, left wondering what went wrong, and often, those problems can be remedied in the future by some simple fine-tuning of the original assignment. This paper will take a look at some important elements to consider when developing assignments, and offer some easy approaches to creating a valuable assessment experience for all involved.

Features of the Assignment Method

  • More emphasis is given on practical work.
  • In this method all aspects of the subject matter are included.
  • The teacher has to provide adequate guidance.
  • Students get used to doing work on their own.
  • Each student works according to his capacity.
  • Students develop the habit of fulfilling their responsibilities.

Importance of Assignments

  • Homework acts as a motivator of the students. This motivates the student to make maximum use of the acquired knowledge.
  • Homework also saves time as it eliminates the need to re-read the lesson in class.
  • Homework gives students opportunities to express their ideas through self-activity.
  • Apart from the school, the home environment is also necessary to make the knowledge permanent, otherwise the ignorant will be unable to remember the absorbed knowledge.
  • Properly planned homework helps in guidance.
  • Through homework, students have to write their own answers to the questions. They bring books on various subjects from the library to read at home. This develops the habits of self-study in them.

Types of assignment method

1. page-by-page assignment.

This type is sometimes called the textbook assignment. It designates the number of pages to be covered. Page-by-page assignment is unsatisfactory, but recent studies have revealed that this type is still widely used in the elementary grades.

2. Problem assignment

This type of assignment gets away from the basic textbook idea. It encourages the use of references and stimulates reflective thinking. In this type the problem to be solved is the prime consideration. Special directions and suggestions are important in this type of assignment.

3. Topical assignment

In this kind of assignment the topic to be developed is the prime consideration. This is also a form of textbook assignment which is often given in social and natural science subjects.

4. Project assignment

This is a special type of assignment which is best adapted to vocational courses, to natural science subjects, and in some measure to social science subjects and other content subjects. In this type of assignment a project is considered a unit.

5. Contract assignment

This form of assignment is extensively used in individualized types of instruction with the main purpose of adjusting the task to the ability and interest of the individual.

6. Unit assignment

This type is associated with the Mastery Plan and the Cycle Plan of instruction. It is best adapted to the subjects which are divided into units. The so-called flexible assignment is used with the unit assignment plan.

7. Cooperative or group assignment

Cooperative assignment is most frequently utilized in a socialized type of recitation, or in a project method of instruction. Assignment of this type stimulates pupils to do their own thinking and to organize their materials. Here pupils also participate in determining desirable objectives and in deciding what should be done to attain them. Cooperative assignment can be utilized to advantage in many high school classes.

8. Syllabus assignment

Syllabus assignment is often utilized in the college or university. In this type of assignment, questions and references are given to guide the students. Here again guide questions and other suggestions are given to insure attention to the important points of the lesson.

9. Drill assignment

It is the purpose of this assignment to strengthen the connections formed in the process of growth in mental motor skills. Memorizing a poem or mastery of facts or simple combination facts in Arithmetic are good examples of this type of assignment. Drill assignment, like other type of assignment, should be motivated.

Merits of Assignment Method

1. Development of useful habit:- Assignment method helps in imbibing useful habits like below:

  • (a) A sense of responsibility of finishing the task in hand.
  • (b) Habit of self study and confidence in one's abilities.
  • (c) Self dependency in action and thought.

2. Recognition of individual differences:- The assignment are alloted to the students on the basis of their mental abilities, capacities, interests and aptitudes. They are also allowed to execute their assignments according to their own pace. The brighter ones have not to wait for the slow learners as they can undertake next higher assignments after finishing the one in hand.

3. Provides freedom to work:- There is no restrictions of time both in term of starting and finishing with the assignment. The duration for the execution of the assignment depends upon the mental and physical stamina of the pupil. They may go to the library or work in the laboratory. according to their convenience.

Demerits of Assignment Method

1. Strain on the teacher:- The teacher is expected to work hard in the method for preparing the assignments, assigning these to the students individually or in groups, guiding the students at the proper time in a proper way and evaluating their work.

2. Not suitable to all types of learners:- This method does not suit student of low intelligence and also those having average capacities. Similarly, it cannot also work with the students who are irresponsible or careless and thus cannot be relied to finish their assignment properly in a specified time.

3. Provides stimulation for cheating:- Assignment method may provide temptation or compulsion to a number of students for copying the answers of the questions and results of the experiments from the readily available source or note book of their classmates. If it happens, the very purpose of these assignments is completely lost.

Precautions in the Planning of Assignments

  • The selection of homework should be done keeping in view the prior knowledge of the students.
  • Homework should be inspirational.
  • In the planning of homework, the interests and respects of the students should be taken care of. 4. Homework should be definite and clear.
  • Homework should be based on the teaching formula of 'from simple to complex'.
  • There should be mutual harmony in homework.
  • There should be variety in homework.
  • Homework should be useful.
  • Buzz Group Teaching Method
  • Demonstration Method of Teaching
  • Discussion Method of Teaching
  • Class 11 (Physics)
  • Class 12 (Physics)
  • Class 11 (Chemistry)
  • Class 12 (Chemistry)
  • Chemistry Quiz
  • B.Ed./D.El.Ed.
  • B.Ed. (Eng.)
  • General Knowledge
  • Terms of Use
  • Physics Notes

assignment method in hindi

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

assignment method in hindi

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

assignment method in hindi

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

assignment method in hindi

कम्युनिकेशन स्किल्स क्या हैं?

assignment method in hindi

  • Updated on  
  • मई 16, 2024

Communication Skills in Hindi

आज के दौर में कम्युनिकेशन स्किल बहुत ज़रूरी हुनर है। अगर आपके पास यह नहीं है तो आप पीछे रह जाएंगे। अगर आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी है तो आप अपनी बातों से किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। आप चाहे जॉब करें या अपना खुद का व्यापार, हर जगह आपको कम्युनिकेशन स्किल की आवश्यकता पड़ती ही है। आज इस ब्लॉग में हम Communication Skill in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे।

This Blog Includes:

कम्युनिकेशन स्किल्स क्या होती हैं, संचार कौशल के प्रकार , कम्युनिकेशन स्किल्स के साधन, संचार के साधनों में अंतर  , कम्युनिकेशन के अंग , कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर कैसे करें, प्रोफेशनल लाइफ में, स्टूडेंट लाइफ में, संचार में आने वाली बाधाएं, संचार कौशल के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें.

कम्युनिकेशन (Communication Skill in Hindi) को हिंदी में संचार या सम्प्रेक्षण (ऑब्जरवेशन) कहते हैं। इसका उद्भव लैटिन भाषा में “Communis” शब्द से हुआ है। कम्युनिकेशन का अर्थ होता है सूचना का आदान-प्रदान। कम्युनिकेशन थोड़ी कठिन प्रक्रिया है। कम्युनिकेशन स्किल्स इंसान के व्यक्तित्व का अभिग अंग है, कम्युनिकेशन का मतलब है आप अपनी बात को लोगों के सामने कितने प्रभावी रूप से सामने रखते हैं। किसी व्यक्ति से आपके बात करने के तरीके को कम्युनिकेशन स्किल्स कहते हैं। आप किसी भी क्षेत्र में क्यों नहीं हो अगर आपका बात करने का तरीका सही है तो आप सफल हो जाएंगे।

संचार कौशल के प्रकार नीचे दिए गए हैं-

  • मौखिक संचार (verbal communication skills)
  • लिखित संचार (written communication skills)
  • अमौखिक संचार (non-verbal communication skills)
  • मौखिक संचार- ऐसी संचार प्रणाली है जिसमे हम एक या एक से अधिक लोगो से  बात करके सन्देश का सम्प्रेक्षण करते है।  इसका उपयोग समूह में , टेलीफोन  के माध्यम से करते है। इसमें आप अपने शब्दो से किसी व्यक्ति की मना सकते है।  इसका हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है इस लिए आपकी  मौखिक संचार सही होना चाहिए।
  • लिखित संचार- लिखित संचार का मतलब अपनी बात को लिखित रूप से समझाना आपके लिखने की कला व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकती है।यह विज्ञापन सामग्री, प्रिंट मीडिया अन्य संस्थाओं से संचार के लिए जरूरी है।
  • अमौखिक संचार- इसमें आप अपनी बॉडी लैंगवेज के द्वारा किसी से बातचीत कर रहे हैं। उसे अपनी बॉडी लैंग्वेज से अपनी बात को मनवाना नॉन वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स कहते हैं।  बॉडी लैंग्वेज से कहीं लोग आपके पर्सनैलिटी का अंदाजा लगा सकते हैं।

Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स के साधन नीचे दिए गए हैं-

  • सेल्फ कांसेप्ट: सेल्फ कांसेप्ट जिसे हम आत्म जागरूकता यानि सेल्फ अवारनेस इसमें ये पता चलेगा की एक व्यक्ति खुद को दूसरे के सामने किस तरह से दिखाता हैं ।
  • धारणा: धारणा यानी परसेप्शन जिसमें धारणा बनाकर आप बाहरी दुनिया के बारे में विचार बनाते है । ये सेल्फ कांसेप्ट से जुड़ा है जो अपने अन्दर और भरी दुनिया में सामंजस्यपूर्ण बनाते हैं ।
  • उम्मीद: उम्मीद जो भविष्य में जीवन में होने वाले चीजों के बारे में हैं।
  • इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन: इसमें इसमें दो लोग आपस में बात करते हैं, जिसमे एक चैनल शब्द , विचारों या संदेशो के रूप में बात करते हैं ।
  • ग्रुप कम्युनिकेशन: इसमें कम्युनिकेशन एक समूह यानी ग्रुप के बीच होता है। हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रुप का हिस्सा होता ही है जब किसी ग्रुप में एक विशेष टॉपिक पर चर्चा होती हैं तो वो ग्रुप कम्युनिकेशन कहलाता है। 
  • मास कम्युनिकेशन: ये कम्युनिकेशन का बड़ा रूप होता हैं जिसमें हम लोगों तक किसी मीडियम के द्वारा सूचना पहुंचाते है जैसे : टेलीविज़न , रेडियो, सोशल मीडिया आदि। 

Communication Skill in Hindi में संचार कौशल में अंग कितने होते हैं, यह नीचे दिए गए हैं-

  • प्रेषक (sender): वह व्यक्ति है जो अपने विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते है, उस प्रेषक कहते हैं।
  • सन्देश (message): यह  संचार का मुख्य विषय होता है, जिसमें कोई भी सूचना लिखित,  मौखिक या अलिखित किसी भी माध्यम से सम्प्रेषित की जा सकती है।
  • एन्कोडिंग (encoding): सूचना भेजने वाला व्यक्ति अपने विचारों को अपनी भाषा में या विभिन्न चिन्हों की एक श्रृंखला के रूप में व्यवस्थित करता है और फिर  इस सूचना को आगे भेजता है।
  • संचार माध्यम (communication channel): सन्देश भेजने के लिए एक ऐसे  माध्यम की जरूरत पड़ती है, जिसके द्वारा वह अपने सन्देश को आगे भेज सके संचार माध्यम औपचारिक अथवा अनौपचारिक किसी भी प्रकार का हो सकता है । व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक स्तर पर अनौपचारिक माध्यम का प्रयोग किया जाता है जबकि स्कूल किसी संगठन में सन्देश भेजने के लिये  औपचारिक माध्यम  का प्रयोग किया जाता है। 
  • डिकोडिंग (decoding): सन्देश प्राप्त होने के बाद प्राप्तकर्ता सन्देश को समझता है। यदि सन्देश किसी कूट भाषा या सांकेतिक भाषा में लिखा है, तो वह इस संदेश को समझने के लिए अपने शब्दों में उसे डिकोड करता है, जिससे उसे सन्देश समझने में सहायता मिलती है।
  •   प्राप्तकर्ता (receiver): वह व्यक्ति जो संदेश प्राप्त करता है वो प्राप्तकर्ता कहलाता है।

Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए नीचे दिए गए पॉइंट्स को का पालन करें, तभी आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स सुधार सकते हैं-

  • सरल भाषा- प्रेषक द्वारा सन्देश में सरल भाषा का उपयोग करें और तकनीकी और कठिन भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए। अपनी बात को सही से पैश करने के लिए सही शब्दो का चयन करना बहुत जरूरी है, सन्देश में ऐसी भाषा प्रयोग होना चाहिए जो सन्देश प्राप्तकर्ता को आसानी से समझ आए। 
  • व्यवस्थित सन्देश – सन्देश का समय, विषय, स्थान उद्देश्य, सन्देश प्राप्तकर्ता सभी पहले से व्यवस्थित होने चाहिए।
  • पक्षपात से बचें- संदेश प्राप्त करने एवं भेजने वाले दोनों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए। उन्हें संदेश पर खुले और स्पष्ट तरीके से विचार करना चाहिए ।उन्हें खुद के ही विचार को सही नहीं समझना चाहिए।
  • बॉडी लैंग्वेज – कम्युनिकेशन स्किल्स  में बॉडी लैंग्वेज का बहुत महत्व होता है, बातचीत करते समय अपने बॉडी लैंग्वेज को सही रखना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को कन्विंस में बॉडी लैंग्वेज का बड़ा रोल है। अपनी बॉडी लैंग्वेज को सुधर करने के लिए रोज़ अभ्यास करे ,अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स के लिए। 
  • अच्छा श्रोता- आपको अच्छा वक्ता होने के साथ-साथ एकअच्छा श्रोता भी होना चाहिए अगर अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स को अच्छा बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको लोगों की बात को ध्यान से सुनना पड़ेगा।
  • आई कोन्टक्ट- अपने वार्तालाप को बेहतर बनाने के लिए ऑय कोन्टक्ट होना चाहिए , जिससे सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों पर विश्वास कर सकें। अगर आप बात करते समय अपनी नज़रों को चुराते हैं तो कोई भी व्यक्ति आपकी बातों पर विश्वास नहीं करेगा।  
  • कॉंफिडेंट और सकारात्मक रहें- जब आप किसी के सामने अपनी बात रखते है तो उसे प्रेजेंट करने में विश्वास बनाकर रखे और अपनी बात कहे। इसके लिए पहले थोड़ा सोचे उसके बाद ही अपनी बात कहे। अगर आप कॉंफिडेंट दिखते है तो आप अपनी बात को सही साबित कर सकते हैं।
  • पॉइंट टू पॉइंट बात करें- हम अपनी बातों को तभी समझा पाते है जब हम पॉइंट टू पॉइंट बात करते हैं। बहुत से लोग ऐसा करते है कि किसी बात को एक ही बार में एक साथ बोल देते है जिससे सामने वाले व्यक्ति को कुछ भी समझ में नहीं आता है। इसके लिए अपनी बातों को पॉइंट टू पॉइंट रखे जिससे सुनने वाले को आपकी सभी बाते अच्छे से समझ में आए।
  • सही शब्दों का प्रयोग करें- जब आप किसी से बात करते है तो गलत शब्दों का प्रयोग न करें। सही शब्दों का चयन करे, कभी भी काम चलाऊ जैसे शब्दों का प्रयोग न करें। जब आप अच्छे और आकर्षित शब्दों का प्रयोग करते है तो लोग आपसे आकर्षित होते है। और आपकी बात ध्यान से सुनते है तथा आपको एक अच्छा व्यक्ति समझते हैं।
  • बात पूरी करें- कभी भी अपनी बातों को अधूरा ना छोड़े बात को पूरा करे और सामने वाले की बात को भी पूरा होने दे। उनकी बातों को भी ना काटें, नहीं तो सामने वाले व्यक्ति को लगेगा की आपको उनकी बातों में रूचि नहीं है। एक टीम या समूह में, दूसरों को बिना किसी रुकावट के बोलने की अनुमति देना एक आवश्यक संचार कौशल के रूप में देखा जाता है।

कम्युनिकेशन स्किल्स का महत्व 

Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स का हमारी लाइफ में बहुत बड़ा योगदान है, इसका महत्व हर छेत्र में अलग अलग हो सकता है तो आइए देखते हैं-

प्रोफेशनल लाइफ में कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी (best communication skills in hindi) होना बहुत ज़रूरी है, यह हमारी मदद करती है। ऑफिस में खुद को लीडर की तरह पेश करना, अपनी बात दूसरों के आगे अचे तरीके से रखना जिससे प्रदर्शन में और सुधार आता है। अपने सहयोगियों के साथ अच्छे सबंध और उनका भरोसा जीतने में मदद करता है।   

खराब कम्यूनिकेशन स्किल के कारण कई छात्र खुद से परेशान हैं और ठीक से लोगों से बात नहीं कर पाते। खराब कम्युनिकेशन स्किल्स की वजह से कही न कही एक होनहार छात्र पीछे रह जाता है, यह आपको उन चीज़ों पर शिक्षकों के साथ बात करने में मदद करेगा जो आपके लिए कठिन हैं, आपके साथी छात्रों के साथ संबंध सुधरने में आपकी मदद करेगा। अन्य छात्रों की तुलना में बहुत कम मानसिक तनाव होगा क्योंकि आप एक बेहतर संप्रेषक हैं। 

 संचार प्रक्रिया में बाधा एक प्रकार का अवरोध है, जो संदेश के प्रभाव को कमजोर कर देता है। परिणामत: संदेश को ग्रहण करने व उसके अर्थ को समझने में परेशानी होती है। इसमें विकृत फीडबैक मिलता है। संचार प्रक्रिया में कोई न कोई बाधा अवश्य आती है। यह बाधा निम्नलिखित हो सकती है-               

  • शारीरिक बाधा 
  • भाषाई बाधा 
  • सांस्कृतिक बाधा 
  • भावनात्मक बाधा 
  • अवधारणात्मक बाधा 

शारीरिक बाधा :  इसका तात्पर्य संचारक और रिसीवर में शारीरिक अक्षमता से है, जिसके कारण संदेश को सम्प्रेषित करने या ग्रहण करने या अर्थ को समझने में बाधा उत्पन्न होती है। (best communication skills in hindi) संचार प्रक्रिया में संदेश के प्रभाव को कमजोर करने वाली प्रमुख शारीरिक बाधाएं निम्नलिखित हैं-

  • उच्चारण क्षमता का कमजोर होना
  • श्रवण क्षमता का कमजोर होना
  • दृश्य क्षमता का कमजोर होना

भाषाई बाधा :  इसका तात्पर्य उन अवरोधों से है, जिनका सम्बन्ध भाषा से होता है। मरफ और पैक के अनुसार- शब्दकोष में रन शब्द के 110 अर्थ है। इनमें 71 क्रिया, 35 संज्ञा तथा 4 विश्लेषण के रूप में हैं। ऐसी स्थिति में संचारक जिस अर्थ में रन शब्द का प्रयोग किया होता है, उस अर्थ को रिसीवर समझ लेता है तो संचार प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न नहीं होता है। इसके विपरीत, यदि गलत अर्थ समझता है तो भाषाई बाधा उत्पन्न होता है। भाषाई बाधा निम्नलिखित हैं :-

  • भाषा का अल्प ज्ञान होना
  • दोषपूर्ण अनुवाद होना
  • तकनीकी भाषा का ज्ञान न होना

यहाँ Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स में सुधार करने के लिए विशेष सलाह दी जा रही है :

  • धारा प्रवाह से बोलें।
  • यह सुनिश्चित करें कि लोग आपकी बात साफ़ साफ़ सुन पा रहे हैं।
  • अन्य लोगों की बात को न काटें। यह बुरा शिष्टाचार माना जाता है।
  • आत्मविश्वास के साथ बोलें। दूसरे लोगों की सोच की चिंता न करें।
  • बोलते समय व्याकरण का ध्यान रखें।
  • आईने के सामने बोलने की प्रैक्टिस करें। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

Communication Skill in Hindi के अंतर्गत संचार कौशल के लिए बेस्ट किताबों की लिस्ट नीचे दी गई है-

कम्युनिकेशन के 6 तरीके इस प्रकार हैं: बॉडी लैंग्वेज सही रखें, बातें ध्यान से सुनें, व्यक्ति को समझें, सही शब्दों का प्रयोग करें, रोज प्रैक्टिस करें, पॉइंट टू पॉइंट बात करें आदि।

कम्युनिकेशन को हिंदी में संचार या संप्रेषण कहते हैं। इसका उद्भव लैटिन भाषा में “Communis” शब्द से हुआ हैं। कम्युनिकेशन का अर्थ होता है सूचना का आदान-प्रदान करना।

संचार कौशल के प्रकार ऐसे हैं: मौखिक संचार, लिखित संचार और अमौखिक संचार।

उम्मीद है, ये ब्लॉग आपकी Communication Skills in Hindi को सुधारने में आपकी मदद करेगा। ऐसे ही फैक्ट आधारित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

' src=

Team Leverage Edu

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

10 comments

I am very impressed about communication skills

आपका आभार, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

Very nice information

आपका शुक्रिया, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

काफी जानकारियां एक ही जगह पर मिली और संतुष्टी भी हुई धन्यवाद

हमारे लेखन को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। इसी तरह के और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी साइट पर बने रहें।

this is really helpful thanks for sharing this information

आपका धन्यवाद

Today was my presentation and I learnt many topics from there nd I got best marks😁😁

आपका बहुत बहुत आभार, ऐसे ही अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट में बनें रहें https://leverageedu.com/

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

assignment method in hindi

Resend OTP in

assignment method in hindi

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

January 2025

September 2025

What is your budget to study abroad?

assignment method in hindi

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

EVS Pedagogy Complete Notes In Hindi | Problem of Environmental Teaching

EVS Pedagogy Complete Notes In Hindi

पर्यावरण शिक्षण की समस्याएं एवं शिक्षण सहायक सामग्री\साधन 

इस पोस्ट में हम  जानेंगे पर्यावरण पेडगॉजी (EVS Pedagogy Notes) के अंतर्गत पर्यावरण शिक्षण की समस्याएं(Problem of Environmental Teaching) एवं पर्यावरण शिक्षण की सहायक सामग्री\ साधन के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक संपूर्ण जानकारी, एवं विगत परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न भी आपको इस पोस्ट में प्राप्त होंगे।  पर्यावरण पेडगॉजी (EVS Pedagogy Complete Notes In Hindi ) का यह टॉपिक 11 व 12 है इससे पहले कि टॉपिक यदि आपने अध्ययन नहीं किए हैं, तो उनकी लिंक नीचे दी गई है।  दी गई लिंक पर क्लिक करके आप उसे पढ़ सकते हैं आशा है, कि यह आप सभी अभ्यार्थियों  के लिए उपयोगी साबित होगी।  आगामी परीक्षाओं के लिए आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!!!!

DOWNLOAD EVS Pedagogy SCORE BOOSTER  PDF Notes In Hindi – CLICK HERE

शिक्षण सहायक सामग्री\ साधन   (Teaching  material\ aids)

  •  पर्यावरण अध्ययन में अधिगम को प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं की आवश्यकता है।  इसलिए शिक्षण अधिगम के स्थानीय संसाधनों तथा सामग्री का विकास, रखरखाव, आपस में बांटना तथा उपयोग करना पर्यावरण अध्ययन के शिक्षक के लिए महत्वपूर्ण है। 

 अधिगम संसाधन क्या है?

” संसाधन” का अर्थ है, वह चीज जो किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रयोग में लाई जाए। नक्शे, मॉडल, विद्यालय का बगीचा, वीडियो फिल्म इत्यादि सभी शिक्षण अधिगम के साधन के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं।

 पर्यावरण अध्ययन में अधिगम संसाधनों का महत्व

  • पर्यावरण अध्ययन में कक्षा से बाहरी वातावरण पर आधारित अधिगम  प्रक्रियाएं काफी प्रभावशाली होती हैं। 
  •  पर्यावरण अध्ययन हेतु भौतिक, जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पक्षों पर आधारित वास्तविक जीवन के अनुभव उपयुक्त होते हैं। स्थानीय संसाधन एवं सामग्री वास्तविक जीवन पर आधारित अधिगम को प्रोत्साहित करते हैं। 
  •  इन संसाधनों का प्रयोग विभिन्न प्रकार के शिक्षण सीखने के तरीके, शिक्षण को और अधिक रोचक और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। 
  •  यह कक्षा में बच्चों की भागीदारी के लिए अधिक अवसर भी प्रदान करते हैं, और इसके द्वारा बच्चों में स्थाई विकास की संभावनाएं बढ़ जाती है। 
  • संसाधन तथा शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा ज्ञान के अधिग्रहण की सुविधा और कक्षा में छात्रों द्वारा उचित समझ विकसित की जा सकती है। 
  •  अधिगम संसाधन हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, मल्टीमीडिया एवं डिलीवरी सिस्टम के संयोजन है। 

 संसाधनों के प्रकार तथा उनका उपयोग

  • Also Read : All Definitions: Psychology, Child Development, Intelligence, Motivation Definition

(1) समुदाय संसाधन

  •   हर व्यक्ति एक संसाधन हो सकता है। प्रतिदिन का कार्य अभ्यास हर व्यक्ति को विशेषज्ञ बनाता है। 
  • इस सप्ताह आप” जो चीजें हम बनाते एवं करते हैं” उस तथ्य की चर्चा कर रहे हैं। कुमार केवल अपने व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में ही नहीं बता सकता बल्कि इन पक्षियों जैसे उस क्षेत्र में मिट्टी के प्रकार तथा बर्तन बनाने की प्रक्रिया आधी भी बता सकता है। 
  •  किसान पौधों के बारे में बेहतर समझा पाएगा खासकर खरपतवार के बारे में। 
  • यह वास्तविक स्थितियों में सीखने के अवसर प्रदान करता है। 

(2)  अधिगम संसाधन के रूप में प्राकृतिक तत्व

  • प्राकृतिक पर्यावरण, पर्यावरण अध्ययन हेतु बहुत अच्छा संसाधन माना जाता है।
  •   प्रकृति के तत्व जैसे पहाड़िया, घास के मैदान, वन, सागर इत्यादि बच्चों को उत्सुक कर उनमें जिज्ञासा पैदा करते हैं।  अतः एक शिक्षक होने के नाते आप बच्चों को विद्यालय के बाहर ले जाकर अधिगम को प्रभावी बनाने के अधिक अवसर दे सकते हैं। 
  •  भ्रमण पर ले जाना। 

(3)  संस्थानीय संसाधन

  • संस्थान खास तौर पर सरकारी, बहुत प्रभावशाली, स्थाई अधिगम संसाधन हो सकते हैं।  प्रत्येक संस्थानीय संसाधन, समाज के विकास\ आर्थिक उद्देश्य की प्राप्ति में सहभागिता करता है। 
  •  इससे शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में वास्तविक जीवन की कड़ियां जोड़ना भी सुनिश्चित हो जाता है। 
  •  चिड़ियाघर, पौधों की नर्सरी, सरकारी पुस्तकालय, पशुओं के अस्पताल, अजायबघर ,पवन फॉर्म।

(4) मीडिया संसाधन

  • आज मीडिया के संसाधनो के भंडार उपलब्ध है।  समाचार पत्र अपेक्षाकृत पर सस्ते तथा सब जगह उपलब्ध है।  यह अधिगम के अमूल्य संसाधन है। 
  •  इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को शैक्षिक क्षमता कई प्रकार से नवाचार तरीके से  शिक्षा देने के लिए उपयोग में लाई जा सकती है। वीडियो फिल्म, टेलिविजन, कंप्यूटर, इंटरनेट यह सभी कक्षा में संसार लेकर आने की संभावना प्रदान करते हैं। 
  •  मीडिया शिक्षण अधिगम के लोकप्रिय एवं आसानी से उपलब्ध संसाधनों को प्रदान करता है। 
  • पर्यावरण अध्ययन के मीडिया का एक विशेष लाभ यह है, कि बच्चों को किसी मुद्दे पर विभिन्न मतों एवं दृष्टिकोण ओं के बारे में पढ़ने एवं समझने का अवसर भी मिलता है। 
  •  मीडिया संसाधनों में सम्मिलित है- समाचार पत्र, पत्रिकाएं, टेलिविजन( द डिस्कवरी, द नेशनल ज्योग्राफिक, ट्रैवल एवं लिविंग), रेडियो कार्यक्रम( ज्ञान भारती, विविध भारती), पर्यावरण से संबंधित वेबसाइट, प्रदर्शनीया, चित्रकारी। 

 पर्यावरण अध्ययन में मीडिया का प्रयोग कैसे करें?

  • पर्यावरण अध्ययन से संबंधित समाचार पत्र की कतरनो का प्रयोग करना, बच्चे पर्यावरण अध्ययन से एक चुने गए प्रकरण पर शोध कार्य परियोजना भी कर सकते हैं। 
  •  पर्यावरण संबंधी चैनलों तथा पत्रिकाओं का प्रयोग कर संबंधित पर्यावरणीय  मुद्दों पर तथ्यों तथा विचारों पर चर्चा की जा सकती है। 
  •  आप बच्चों को वैज्ञानिक या पर्यावरण से संबंधित कहानियां\ कविताएं पत्रिकाओं या समाचार पत्रों से पढ़ने के लिए कह सकते हैं। 
  •  पोस्टर तथा चित्रकला का उपयोग कर, आप बच्चों को संबंधित पर्यावरणीय मुद्दों पर उनके विचारों एवं मतों की अभिव्यक्ति करने में सहायता कर सकते हैं। 

(5) प्रौद्योगिकी संसाधन(Technology resources)

  • आज शिक्षक को शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में सहायता करने हेतु कई प्रकार की प्रौद्योगिकी ए साधन उपलब्ध है। 
  • प्रौद्योगिकी यंत्र बच्चों को आकर्षित करते हैं। 
  •  पर्यावरण अध्ययन के शिक्षण अधिगम में प्रौद्योगिकी का उपयोग रचनात्मक एवं अर्थ पूर्ण तरीके से किया जा सकता है। 
  •  मोबाइल फोन-  जानवरों तथा पक्षियों की आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए,GPS ( ग्लोबल प्रोसेसिंग सिस्टम) को मानचित्र बनाने तथा पढ़ने के कौशल को बढ़ाने हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है। 
  •  कैमरा-  पक्षियों, जानवरों, कीड़ों की प्राकृतिक क्रियाओं को रिकॉर्ड करने, भ्रमण में उनका प्रयोग करने में इसका उपयोग किया जा सकता है। 
  •  कंप्यूटर- मल्टीमीडिया सुविधा को पर्यावरण अध्ययन संबंधित तथ्यों के वीडियो दिखाने में प्रयोग में लाया जा सकता है। इंटरनेट की सुविधा सूचना उपलब्ध करवाने में सहायक है।  एनिमेशन बच्चों को पर्यावरण की अमूर्त तत्वों जैसे” पर्यावरण के भीतर”,”पौधों के शरीर में गति तथा प्रक्रिया आएं”, सागर के अंदर जीवन, समझने में सहायता कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस जैसे कार्यक्रमों का उपयोग आंकड़ों में सुधार, ग्राफ बनाने इत्यादि में प्रयोग किया जा सकता है। 

ये भी जाने : बुद्धि के सिद्धांत (Theory of intelligence Notes in Hindi)

(6) मानव निर्मित संसाधन.

  • पर्यावरण अध्ययन में हम कुछ ऐसी वस्तुओं का प्रयोग भी करते हैं, जो मानव द्वारा निर्मित की गई है। 

 जैसे- पैन, पेंसिल, गिलास, कुर्सी, कागज आदि।  यह तुलना ,मॉडलिंग, सादृश्य लाने के साधन बन जाते हैं, तथा कई क्रियाओं में बच्चों को अवधारणा को समझाने में प्रयोग किए जाते हैं। 

पर्यावरण अध्ययन में पाठ्य पुस्तकों की विशेषताएं

  • पुस्तकों की भाषा सरल होनी चाहिए। 
  •  पुस्तकों की विषय वस्तु इस प्रकार की होनी चाहिए।  जो बच्चों के अंदर प्रश्न करने, खोज करने, जिज्ञासा आदि को जगा सके। 
  •  यह शिक्षकों की  वैविध्यपूर्ण(diverse)पृष्ठभूमि की जरूरतों को पूरा करती  हो। 
  •  पुस्तकों की विषय वस्तु बच्चों के मानसिक स्तर की होनी चाहिए। 
  •  पुस्तकों में वास्तविक कहानियों और घटनाओं को शामिल करना चाहिए। 
  •  यह प्राकृतिक सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को एकीकृत तरीके से प्रस्तुत करती हैं। 
  •   पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक की भाषा बच्चे की दिन-प्रतिदिन की भाषा से समृद्ध होनी चाहिए। 
  •  यह भय एवं पूर्वाग्रह से मुक्त होने के मूल्य को बढ़ावा देती हो। 
  • पर्यावरण अध्ययन की पुस्तक कैसी होनी चाहिए।  जो शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर अधिक बल देती हूं और उसे प्रभावशाली बनाती  हो। 
  •  पर्यावरण अध्ययन की पुस्तकों में अभ्यास एवं गतिविधियों को प्रकरणों मेंअंतर्निर्मित करके उपलब्ध कराना चाहिए। 
  •  पुस्तक में पहेलियों को शामिल करना चाहिए, क्योंकि यह सृजनात्मक चिंतन, तार्किक चिंतन का विकास करती है।   

EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) Notes

पर्यावरण  शिक्षण की समस्याएं( problem of environmental teaching ).

assignment method in hindi

 अलग-अलग शिक्षक अपने रोजमर्रा के शिक्षण के दौरान अलग-अलग चुनौतियों का सामना करते हैं।  पाठ्य पुस्तक से संबंधित, कक्षा संपादन, समय एवं संसाधनों का प्रबंधन तथा हर व्यक्तिगत बच्चे के साथ निपटने में।  यह समय समय पर परिवर्तित होते रहते हैं। पर्यावरण अध्ययन के संपादन में कई अतिरिक्त चुनौतियां हैं। 

  • पर्यावरण अध्ययन अपने संपादन में बाल केंद्रित पद्धति का प्रयोग करता है, ना की  पारंपरिक शिक्षक केंद्रित पद्धति का, अर्थात पर्यावरण अध्ययन के शिक्षण में, शिक्षक के बजाय बच्चों पर ध्यान दिया जाता है। 
  •  अनुभवों से ज्ञात के सृजन में सहायता करने की चुनौती।  बच्चे विद्यालय में पर्यावरण संबंधी अपने अनुभव एवं समझ ले कर आते हैं।  शिक्षक को उन्हें संबंध बनाने के लिए उनके प्रत्यक्ष पर्यावरण के भीतर अधिगम अनुभव प्रदान करने होते हैं। 
  • अभिभावक एवं समुदाय को भी अधिगम प्रक्रिया में लाना। 
  •  विभिन्न संबंधों को बच्चों के पूर्व ज्ञान से जोड़ने की चुनौती। 
  •  बच्चे कैसे सीखे और कैसे समझें की चुनौती। 

(1)  कक्षा संपादन

(2) पाठ्यक्रम संबंधित

(3)  समय एवं संसाधनों का प्रबंधन

1.  कक्षा संपादन संबंधित चुनौतियां

  • छात्र केंद्रित पद्धति। 
  •  बच्चों  को उनके पर्यावरण को समझने में सहायता करना। 
  •  समझने का लचीला तरीका लाना। 
  •  बच्चे कैसे सीखते और समझते हैं?
  • कक्षा में चर्चा किए गए मुद्दों पर अंतर्दृष्टि विकसित करें। 
  •  शिक्षण में गत्यामकता  हो। अलग-अलग विधियां, गतिविधियों को प्रयोग करने की चुनौती। 
  •  बच्चों का सही प्रकार से मूल्यांकन करने की चुनौती।   क्योंकि सभी बच्चे अलग अलग समझ व स्तर के होते हैं। 

2. पाठ्यक्रम संबंधी चुनौतियां

  • पाठ्यक्रम की विषय वस्तु को वास्तविक संसार से संबंधित करना। 
  •  जिससे वह अपने आसपास का अवलोकन एवं अनुभव करें और नए ज्ञान, अनुभव तथा उसके उपयोग का सृजन करें। 
  •  बच्चों के नए अनुभवों व समाज को उनके  पूर्व ज्ञान से जोड़ने की चुनौतियां। 
  •  व्यक्तिगत सीमाओं से बाहर निकलने की चुनौतियां। 
  •  पाठ्यक्रम को सरल एवं सहज बनाने की चुनौती। 

3. समय एवं संसाधनों का प्रबंधन संबंधी चुनौतियां

  • संसाधनों के संपूर्ण ज्ञान की चुनौतियां। 
  •  संसाधनों का समुचित प्रयोग करने की चुनौती। 
  •  सभी बच्चों को समूह में ठीक प्रकार से कार्य करने तथा संसाधनों के प्रयोग से समझ विकसित करने की चुनौती। 

EVS Pedagogy Previous Year Questions (पिछली परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न)

 प्रश्न1 ईवीएस पाठ्यवस्तु में एक खेल टिकट का एक नमूना दिखाने का उद्देश्य है- 

(A) छात्रों को रेल किराए के बारे में जानकारी देना। 

(B)  उन्हें टिकट में प्रयुक्त विभिन्न संक्षिप्त रूप का ज्ञान प्रदान करना। 

(C)   निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए छात्रों के कौशल में वृद्धि करना। 

(D) उन्हें वास्तविक जानकारी के साथ बातचीत और अवलोकन के कौशल विकसित करने का अवसर देना। 

Ans – B

प्रश्न2 “बीज अंकुरण” की अवधारणा को सबसे अच्छे से सिखाया जा सकता है?

(A) किसी वर्ग के बीज कैसे अंकुरित होते हैं दिखाकर और अंकुरण की प्रक्रिया को समझा कर. 

(B)   बोर्ड पर चित्र के माध्यम से अंकुरण चरण पेश करके. 

(C)  छात्रों द्वारा बीज बोने के विभिन्न चरण को गतिविधि के माध्यम  प्रदर्शित करने से. 

(D) बीज अंकुरण की तस्वीरें दिखाकर 

Ans – C

प्रश्न3  प्राथमिक स्तर पर आकलन में होना चाहिए?

(A)  सतत और अंसरचित टिप्पणियों को छात्र और उनके माता-पिता के साथ साझा करना. 

(B)   हर सप्ताह औपचारिक परीक्षण और खेल का रिपोर्ट कार्ड में दर्ज होना. 

(C)  साल के अंत में अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा कराना. 

(D)   हर हफ्ते गृह कार्य और कक्षा कार्य का उत्तीर्ण  और अनुउत्तीर्ण के तहत निर्धारण करना .  

Ans – A

प्रश्न4  दोपहर की भोजन की ब्रेक के बाद, ईवीएस शिक्षण में जब आपको लगता है कि छात्र सबक में रुचि नहीं ले रहे हैं।  आप क्या करेंगे?

(A)   विषय तुरंत बदलें

(B)   विषय को दिलचस्प बनाने के लिए ऑडियो विजुअल का उपयोग करें

 (C) जमीन  में खेलने के लिए बच्चों को बाहर ले जाओ

(D)   उनसे कहे कि वे  डेस्क पर अपना सिर रखकर आराम करें

प्र श्न5 एक स्कूल  के कक्षा पांचवीं के  छात्रों के लिए राजस्थान की एक शैक्षिक यात्रा की योजना बनाई यात्रा के दौरान आपकी बच्चों से क्या अपेक्षा होगी?

(A)  उन्हें खुद में आनंद लेना चाहिए

(B)  उन्हें गौर से निरीक्षण करना चाहिए,नोट से बनाने चाहिए और अन्य छात्रों और शिक्षक के साथ अपने निरीक्षण को सांझा करना चाहिए

(C)  उन्हें सवालों को लिखना चाहिए, यदि कोई  हो, और घर पहुंचने पर माता-पिता से पूछना चाहिए

(D)  बिना सवाल पूछे उन्हें सबकुछ निरीक्षण करना चाहिए

Ans –  B

प्रश्न6  एक ईवीएस कक्षा में बच्चों के व्यक्तिगत अनुभवों को महत्व देते हुए शिक्षक को क्या फायदा होगा-

(A)  बच्चे के अनूठे अनुभव का पता लगाना

(B)  बच्चों की भाषा और संचार कौशल में सुधार करने के लिए सहायता देना

(C)  शिक्षार्थियों के विषय में  अनुभवानात्मक दुनिया से संबंधित करना और प्रतिबिंब और अधिगम को बढ़ावा देना

(D)  इनमें से कोई नहीं

प्रश्न7 बच्चों को ईंधन के विभिन्न प्रकार के बारे में बताने के लिए, शिक्षक कर सकते हैं?

(A)  एक चटाई पर ईंधन की तस्वीरें दिखाना

(B)  बच्चों को विभिन्न निधन की सूची बनाने के लिए कहना.

(C)  कक्षा में ईंधन के कुछ नमूने दिखाना

(D)  एक लघु फिल्म के साथ-साथ बच्चों को बताना कि खाना पकाने के लिए ईंधन के किन संभावित प्रकारों का इस्तेमाल किया जा सकता है

Ans – D

प्रश्न8  एक नक्शे को पढ़ने के लिए आवश्यक कौशल है?

(A)  उत्कृष्ट ड्राइंग और पेंटिंग कौशल

(B)  एक दुनिया पर गणना और स्केच पदों का उपयोग करने की क्षमता.

(C)  अर्थपूर्ण क्षमता से बाहर आकर्षित करने के लिए उत्कृष्ट संचार कौशल

(D)  स्थानों, दूरी और दिशाओं के संबंधों की स्थिति को समझने की क्षमता

 प्रश्न9  असाइनमेंट के बारे में निम्नलिखित तथ्यों में से कौन सा सही है?

(A)   विविधता और अभ्यास प्रदान करने के लिए कक्षा कार्य के बाद हर दिन गृह कार्य में असाइनमेंट किए जाने की जरूरत है

(B)  असाइनमेंट कार्य मूल्यांकन का एकमात्र तरीका होना चाहिए

(C)   असाइनमेंट शिक्षार्थियों को जानकारी की खोज के लिए अपने विचारों का निर्माण और उन्हें स्पष्ट करने का अवसर प्रदान करते हैं

(D)  माता पिता, भाई बहन  अपनी योग्यता के अनुसार असाइनमेंट कर सकते हैं

 प्रश्न10  निम्न में से कौन सा एक ईवीएस पुस्तक में पहेलियां और पहेली सहित का एक उद्देश्य नहीं है

(A)  छात्रों में महत्वपूर्ण सोच की क्षमता विकसित कर

(B)  छात्रों में तर्क करने की क्षमता विकसित करना

(C)  छात्रों के मन भ्रमित और उन्हें  भ्रम का आनंद लेने के लिए 

प्रश्न11  सरल प्रयोगों और प्रदर्शनों को ईवीएस कक्षा में प्रदर्शित किया जा सकता है?

(A)  बच्चों को अपने दम पर जानने के लिए और अपने परीक्षण कौशल को अधिक विकसित करने के लिए

(B)  वरिष्ठ कक्षाओं में जो किया जा रहा है, उसका पालन करने के लिए

(C)  विचारों, रिकॉर्ड पर चर्चा करने और छात्रों द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर टिप्पणियों का विश्लेषण करने के लिए

(D)   छात्रों को नियंत्रित करने और कक्षा में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए

Ans – C 

प्रश्न12  टीवीएस की कक्षा में अवधारणाओं को समझने के लिए कविता और कहानी कहना किस प्रकार  सहायता करता है?

(A)  पाठ सुखद और रोचक बनाता है

(B)   स्थानीय और वैश्विक स्तर पर दुनिया की प्रकृति की कल्पना और अन्वेषण की क्षमता को बढ़ावा देता है

(C)  शिक्षार्थियों के बीच भाषा और सांस्कृतिक विविधता की देखभाल करता है

(D)   सही दिशा में छात्रों की ऊर्जा को लगाता है.

 दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना पर्यावरण पेडागोजी के अंतर्गत पर्यावरण शिक्षण की चुनौतियां(Probl em of Environmental Teaching) एवं पर्यावरण अध्ययन की शिक्षण सहायक सामग्री\ साधन   ( Teaching  material\ aids ) एवं साथ ही विगत परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न भी आपको इस पोस्ट में प्राप्त हुए, ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी वेबसाइट विजिट करते रहिएगा साथ ही आप हमारी फेसबुक पेज को भी लाइक कर सकते हैं यहां पर आपको  प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाती हैं इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद 

All Subject Pedagogy In Hindi

To Get the latest updates Please “JOIN OUR TELEGRAM CHANNEL” 

assignment method in hindi

For Latest Update Please join Our Social media Handle

Related Posts:

  • Hindi pedagogy Notes (Topic Wise Complete Notes) For…
  • EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) In Hindi For CTET…
  • रस, छंद एवं अलंकार संपूर्ण जानकारी | Ras Chhand…
  • MP TET 2020: Paryavaran Questions For Samvida…
  • [Updated] हिंदी भाषा की शिक्षण विधियाँ | Hindi…
  • EVS Pedagogy Notes - पर्यावरण अध्ययन में सतत एवं…

1 thought on “EVS Pedagogy Complete Notes In Hindi | Problem of Environmental Teaching”

Leave a comment cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

IMAGES

  1. Assignment Method of Teaching in hindi

    assignment method in hindi

  2. How to write a Hindi Assignment, Automatic Hindi Assignment Writer

    assignment method in hindi

  3. Hindi

    assignment method in hindi

  4. Assignment meaning in Hindi

    assignment method in hindi

  5. Hindi Worksheet 12

    assignment method in hindi

  6. Assignment meaning in hindi || assignment ka matlab kya hota hai

    assignment method in hindi

VIDEO

  1. Lec-29 Assignment Problem Hungarian Method

  2. Lec-30 Assignment Problem Hungarian Method

  3. [#1]Assignment Problem[Easy Steps to solve

  4. Maximization Assignment Problem in Hindi (Lecture.34)

  5. Lec -5 Simplex Method || General form to Standard form || In Hindi || Easy steps to convert

  6. Lec-31 Unbalanced Assignment Problem

COMMENTS

  1. Assignment Method of Teaching in hindi

    दत्त कार्यदैनिक पाठ योजना का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके द्वारा कक्षा की क्रियाऐं संगठित एवं निर्देशित होती हैं। यह शैक्षिक क्रियाओं को दिशा देने का मुख्य साधन होता है। यह कक्षा के कमरे में या उससे बाहर दूसरे दिन के कार्य की तैयारी के लिए भी आवश्यक है। मनोवैज्ञानिक रूप से दत्त कार्य …

  2. Teaching Methods In Hindi

    1. छात्रों की सीखने की शैली और जरूरतें: हर छात्र एक जैसा नहीं हो सकता और इसलिए उनके लिए शिक्षण विधियां भी अलग अलग होनी चाहिए । किसी भी शिक्षण विधि या रणनीति को चुनते समय सबसे पहले यह तय करना …

  3. What is Assignment in Hindi

    Assignment को हिंदी में दत्त कार्य कहा जाता है, जोकि छात्र को उसके शिक्षक द्वारा दिया गया कार्य है जिसे एक निर्धारित समय में पूरा करना होता है । छात्रों को किसी विषय पर असाइनमेंट देने का उद्देश्य …

  4. Assignment Method of Teaching

    Assignment method as the name suggests students are assigned some tasks-theoretical as well as practical nature for being performed at their parts in the school, at the workshop or laboratory, library or at their home.

  5. असाइनमेंट लिखने के नियम

    Assignment In Hindi: विद्यार्थी जीवन में असाइनमेंट कार्य एक महत्वपूर्ण विषय है। और यदि आप इस असाइनमेंट को लिखने के नियमों को नहीं जानते हैं, तो परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना संभव नहीं है, जैसे छात्र …

  6. Teaching methods के 20 अच्छे तरीके

    विभिन्न Teaching methods (teaching methods) का उपयोग विभिन्न शिक्षण शैलियों को पूरा करने और सीखने की प्रक्रिया में छात्रों को शामिल करने में मदद कर ...

  7. विस्तार से जानिए कम्युनिकेशन स्किल्स क्या हैं

    Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स के साधन नीचे दिए गए हैं- इंटरापर्सनल कम्युनिकेशन: इसमें व्यक्ति खुद से बातचीत करता है। अपने मन ...

  8. Teaching Methods & Strategies

    Using the assignment method, the teacher creates an assignment with clear instructions, milestones, and grading criteria based on an outcome that students need to achieve.

  9. EVS Pedagogy Complete Notes In Hindi

    इस पोस्ट में हम जानेंगे पर्यावरण पेडगॉजी (EVS Pedagogy Notes) के अंतर्गत पर्यावरण शिक्षण की समस्याएं (Problem of Environmental Teaching) एवं पर्यावरण शिक्षण की ...