नशा मुक्ति पर निबंध

आज हम आप सभी को नशे के हर पहलू से अवगत कराने जा रहे हैं। भारत में यह जहर बिल्कुल हवा के भांति फैल रहा है। इस आर्टिकल के द्वारा हम आपके साथ नशा मुक्ति पर निबंध शेयर करने जा रहे है। यह निबन्ध सभी विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

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नशा मुक्ति पर निबंध हिंदी में (250, 500 और 800 शब्दों में)

नशा मुक्ति पर निबंध (250 शब्द).

हमारे देश का उज्जल भविष्य युवाओं पर टिका होता है। अगर देश की युवा पीढ़ी ही गलत रास्ते में जाने लगे तो निश्चित ही उनका भविष्य अंधकार में चला जाता है। हमारे देश का युवा वर्ग को ज़िन्दगी के हर पहलु को जीने की इच्छा होती है। युवा वर्ग नशे को अपनी शान समझते है। वे शराब, गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट का नशा करते है। उनकी पार्टी नशे के बगैर अधूरी है।

आजकल के हमारे युवा को और कई व्यस्क लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए दिखाई देते हैं। उन्हें यह समझ नहीं आता की किसी भी प्रकार का नशा उनके लिए आगे चलकर हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकता है। आजकल युवा वर्ग के लिए नशा एक फैशन बन गया है, यह उनके लिए अमृत के समान बन चुका है।

हमारे भारत देश में शराब और सिगरेट के निर्यात की वजह से करोड़ों रुपये मिलते है। सिगरेट के पैकेट्स पर नो स्मोकिंग लिखा रहता है, फिर भी रोज कम उम्र के लड़की और लड़के इसका भरपूर सेवन करते है। धूम्रपान या शराब का सेवन स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है।

तम्बाकू, खैनी और गुटखा से माउथ कैंसर हो जाता है। कई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना होता है, मगर कुछ लोग किसी की सुनते नहीं है। उनको सिर्फ अपने मन की करनी होती है। यह सब करने में उनको एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है, लेकिन उनको यह नहीं पता है कि यह उनके लिए कितना हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

nasha mukti per nibandh

नशा मुक्ति पर निबंध (500 शब्द)

देश में आज के समय बुजुर्ग से लेकर युवा हर कोई नशे की दलदल में फंसा हुआ है। नशा मनुष्य के लिए हानिकारक है, लेकिन फिर भी मनुष्य नशे के पीछे भागते रहते हैं। लोगों को ऐसा लगता है कि नशा करने से उनकी मानसिक चिंता दूर हो जाती है और मनुष्य चिंता मुक्त होकर समय व्यतीत कर सकता है। लेकिन यह नशे की बुरी लत व्यक्ति के परिवार को और व्यक्ति को खुद को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है।

नशा मुक्त के लिए सरकार के द्वारा भी कई प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी देश में नशा करना आम बात हो गया है। आज के समय में तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट और शराब का प्रयोग देश के युवा लोगों द्वारा अत्यधिक संख्या में किया जा रहा है।

आज की युवा पीढ़ी नशे का सेवन क्यों करती है?

नशे के सेवन को लेकर देखा जाए तो आज की युवा पीढ़ी इसके पीछे पागल होती जा रही है। कई लोग नशे को सिर्फ शौक समझकर शुरू करते हैं और बाद में उनको नशे की लत लग जाती है। कई लोग अपनी मानसिक चिंता को दूर करने के लिए नशे का सेवन करते हैं और कई लोग दूसरे लोगों को देखकर उनके पीछे-पीछे नशे का सेवन करना शुरू कर देते हैं।

इस तरह से आज की युवा पीढ़ी नशे की दलदल में फंसती जा रही है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे बच्चों पर पड़ता है। उनको भी इस प्रकार की शिक्षा मिलती है और भविष्य में उनको भी दोस्तों से ऐसी ही संगत मिलना शुरू होती है, जिसकी वजह से वे नशे की लत में पड़ जाते हैं।

नशा मुक्ति से देश में कैसे सफल हो सकती है?

सरकार के द्वारा नशा मुक्ति को लेकर कई प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं। कई प्रकार से जागरूकता फैलाई जा रही है। लेकिन उसका कोई भी असर देश की युवा पीढ़ी और वयस्क लोगों पर नहीं पड़ रहा है। हर प्रकार के नशीले पदार्थ की पैकिंग सफलता के बैनर चिपका जा रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी युवा पीढ़ी लगातार इसका प्रयोग कर रहे हैं।

युवा पीढ़ी को किसी भी तरह से नशा मुक्त करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। अन्यथा हमारे देश का भविष्य पूरी तरह से अंधकार में चला जाएगा, तंबाकू और सिगरेट का सेवन करना मुंह और फेफड़ों के कैंसर जैसी भयानक बीमारियों को उत्पन्न करता है।

अब नशा मुक्त देश बनाने के लिए सबसे पहले भारत सरकार को एक बेहतरीन कदम उठाना चाहिए, जिस प्रकार से गुजरात में शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई है। उसी प्रकार के देश के सभी जगहों में भयानक बीमारी फैलाने वाले नशीले पदार्थ को पूरी तरह से प्रतिबंधित करना चाहिए।

सरकार को प्रतिबंधित करने के साथ-साथ कई प्रकार के नशा मुक्ति केंद्र के जरिए लोगों को जागरूकता फैल आनी चाहिए और टीवी के माध्यम से प्रचार-प्रसार करके जागरूकता फैलानी चाहिए।

नशे के दुष्प्रभाव

  • आज की युवा पीढ़ी के द्वारा किया जाने वाला नशा उनको नाबालिग उम्र में भी नशे की दलदल में फंसा देता है।
  • नशे के माध्यम से लोग अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं और नशे की हालत में पारिवारिक झगड़ों को अंजाम दिया जाता है।
  • नशे का सेवन करके वाहन चलाने वाले लोग अक्सर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं और ऐसे में कई बेकसूर लोगों की जान चली जाती है।
  • शुरुआती दौर में नशे से छुटकारा पाना आसान है, लेकिन जब नशे के सेवन को करते हुए काफी साल हो जाते हैं तो उसे छोड़ना काफी मुश्किल होता है।

देश को नशा मुक्त बनाने के लिए सरकार कई तरह से प्रयास कर रही है। सरकार के द्वारा किए गए प्रयास सराहनीय है, लेकिन हर देशवासी को इस नशा मुक्ति के प्रति खुद में और अपने आसपास के लोगों में जागरूकता फैलाना और सरकार नशा मुक्ति अभियान के तहत सहायता करना बहुत जरूरी है। हम सब मिलकर एक दिन देश को नशा मुक्त देश बना सकते हैं।

नशा मुक्ति पर निबंध (800 शब्द)

नशे का उल्लेख सोम व सूरा जैसे ग्रंथो में देखने को मिलता है। पुराने समय के जो राजा महाराजा मदिरापान के बहुत ही ज्यादा शौकीन हुआ करते थे। आधुनिक युग में भी इसका सेवन होते चला आ रहा है। अधिकतर हमें यह ज्यादा देखने को मिलता है कि लोग अत्यधिक चिंता करने के कारण नशे का सहारा ले लेते हैं और धीरे धीरे इसके लती हो जाते हैं।

नशा और युवा पीढ़ी

आज के समय में अधिकतर युवा वर्ग नशे की ओर झुक रहा है। युवा जो हमारे देश का उज्ज्वल भविष्य होते हैं, वे आज नशे की बुरी लत में पढ़कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यहां तक आज के समय में पुरुष तो पुरूष बहुत सी महिलाएं भी नशे की चपेट में आ रही हैं।

भारत में नशे का सेवन बिल्कुल हवा की तरह फैल रहा है और बहुत सी लोगों की ज़िंदगियाँ खराब कर रहा है। बहुत से लोग इसका सेवन केवल अपनी लाइफस्टाइल को मेन्टेन करने के लिए करते हैं। आज के समय हालात यह है कि बहुत से घर नशे की वजह से बर्बाद होते जा रहे हैं। लोग नशा करने के बाद अपना होश खो देते है और वे घर जाकर अशांति फैलाते हैं।

अपने परिवारजनों से मार पीट करते हैं और गाली गलौज करते नज़र आते हैं। इसके साथ साथ मानसिक स्तर व सामाजिक स्तर भी बहुत प्रभावित होता है। नशे की वजह से ही हमें आर्थिक स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। नशे की वजह से ही इंसान बर्बाद होता चला जाता है और इसी के चलते वो घर के लड़ाई झगड़े, मोहल्ले वालों से झगड़े और हर जगह तमाशा करने लगता है। अपना तो तमाशा बनाता ही बनाता है और अपने परिवार की भी इज़्ज़त को मिट्टी में मिला देता है।

नशे से होने वाले दुष्परिणाम

नशे से होने वाले दुष्परिणाम बहुत ही ज्यादा हानिकारक होते हैं। नशा आपके हँसते खेलते जीवन को तहस नहस कर के रख देता है। आजकल नाबालिक बच्चे भी अधिक मात्रा में नशे का सेवन करता है। भारत सरकार की ओर से हर नशे से संबंधित सामग्री पर चेतावनी दी होती है, पर लोगों को इससे बिल्कुल प्रभाव नही पड़ता है और वह नशा करते हैं।

नशा करने के बाद इंसान अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है, जिस कारण वह अपने आप को काबू नहीं कर सकता और नशे के चलते हर जगह झगड़ा करना, अपशब्द बोलना, गाली गलौज करना, घर पर कलेश मचाना आदि कृत्य करता है जबकि यह सरासर जुर्म की श्रेणी में आता है।

नशे की वजह से आप अपने वाहन को नहीं चला सकते। लोग उसी अवस्था में वाहन चलाते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं। इसके चलते आप अपने सामने वाले कि जान को भी खतरे में डालते हैं और साथ ही साथ अपनी जान को भी खतरे में डालते हैं।

अकसर नशे की शुरुआत हमारे मित्रों के समूह से ही होती है, चाहें वो कोई भी नशा क्यों न हो, उसके बाद मनुष्य की ऐसी अवधारणा बन जाती है कि वो अधिक मात्रा में नशे का सेवन करने लगता है और एक समय ऐसा आता है कि वो बहुत बुरी तरह फस जाता है और अपने जीवन को भी पूरी तरह बर्बाद कर लेता है, ऐसा करने से हम अपने जीवन को तो खराब करते ही हैं और साथ ही साथ अपने परिवार को भी खत्म करते चले जाते हैं।

नशे से होने वाली बीमारियां

नशे की लत के कारण हमें बहुत सी अन्दुरुनी बीमारियां हो सकती हैं। तम्बाकू, शराब, सिगरेट का अधिक मात्रा में सेवन करने से हमारे फेफड़े गुर्दे आदि पर प्रभाव पड़ता है और एक समय आने पर वो भी काम करना बंद कर देते हैं।

इसके साथ ही साथ हमें यह भी ज्ञात होना चाहिए कि अगर हम ध्रूमपान कर रहे हैं और हमारे सामने या साथ वाले को उसका धुंआ लग रहा है, तो वो भी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो सकता है जैसे मुहं का कैंसर होना, फेफड़े का खराब हो जाना और भी अनेकों बीमारी होना आदि।

नशा मुक्ति के उपाय

भारत सरकार नशे को रोकने को के लिए रोजाना हर एक संभव कोशिश कर रही है और लोगों को जागरूक कर रही है। भारत में बहुत सारे काउंसिलिंग सेन्टर खुल रहे हैं। लोगों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है, वे लोग अपने काम को बहुत ही अच्छे से करते हैं।

जब लोग अपने जीवन से हारकर नशा करना चालू करते है तब और वो इस दलदल में बहुत बुरे फसते जा रहे है। इस दलदल से बाहर निकालने का काम चिकित्सक बखूबी करते हैं। भारत सरकार हेल्थ चेकप के साथ-साथ नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता फैलाती है और लोगों को जागरूक करती है।

हम सभी देश का भविष्य हैं। हमें नशे जैसी चीज़ को एक शौक के रूप में भी प्रयोग नही करना चाहिए। हमें जितना हो सके इससे दूर ही रहना चाहिए और ज्यादातर युवाओं को जागरूक करना चाहिए। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमे नशे जैसी चीज को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह नशा मुक्ति पर निबंध इन हिंदी पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

बुरी लत पर निबंध

नशा और युवा वर्ग पर निबंध

नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Comments (2).

Thanks for your support

Too much nice Very good explanation sir Thanks ?

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नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Essay on Nasha Mukti in Hindi

आज नशा हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बहुत तेजी के साथ फैल रहा है। इसके प्रभाव में सबसे ज्यादा छोटी उम्र के लोग आ रहे हैं। ऐसे में सरकार अपनी तरफ से काफी कोशिश कर रही है जिससे कि लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाया जा सके। इसी वजह से स्कूलों में बच्चों को खासतौर पर नशे की बुराइयों के बारे में समझाया जाता है जिससे कि वो नशे से बचे रहें। कई बार परीक्षा में और किसी कंपटीशन में नशा मुक्ति पर निबंध या नशे से होने वाले नुकसान पर निबंध लिखवाए जाते हैं। अगर आप भी नशा मुक्ति निबंध के बारे में जानकारी ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और जानें की नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में कैसे लिखें। 

नशा मुक्ति पर निबंध 100 शब्दों में

नशा आज हमारे समाज के लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। इसके कारण बहुत से युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है। एक बार नशे की लत अगर किसी व्यक्ति को लग जाती है तो तब वह चाहते हुए भी इसे छोड़ नहीं पाता। ऐसे में व्यक्ति के सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को नशे से बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है। नशा एक तरह का नहीं होता बल्कि कई तरह का होता है जैसे कि शराब, भांग, अफीम, बीयर, बीड़ी, सिगरेट, ड्रग्स इत्यादि। ‌

पर सवाल यह है कि आखिर लोग नशा क्यों करते हैं? हर इंसान के नशा करने के पीछे अलग-अलग कारण होते हैं। कोई व्यक्ति शौकिया तौर पर नशा करता है तो कोई किसी दुख को भुलाने के लिए। लेकिन अगर नशीले पदार्थों की बिक्री पर अगर सरकार रोक लगा दे तो काफी हद तक इससे छुटकारा पाया जा सकता है। सरकार के साथ-साथ पूरे देश की जनता को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। 

नशा मुक्ति पर निबंध 150 शब्दों में

हर देश की तरक्की और उसका भविष्य उस देश के युवाओं के ऊपर निर्भर होता है। लेकिन यदि देश की युवा पीढ़ी नशा करने लगे तो ऐसे में उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता। परंतु कुछ युवाओं को यह बात समझ में नहीं आती और वे नशे करने को बहुत अच्छा समझते हैं।  यही वजह है कि आज ज्यादातर युवा गुटखा, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू और शराब जैसे मादक पदार्थों से नशा करते हैं। 

हालांकि हमारे देश की सरकार भी बहुत सारे नशा मुक्ति अभियान चला रही है पर फिर भी नशा करना बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि आज लोगों में कई प्रकार की भयानक बीमारियां जैसे कि मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर इत्यादि देखीं जा रहीं हैं। ऐसे में देश के लोगों को नशे से मुक्ति दिलाने के लिए सभी लोगों को प्रयास करने चाहिए। लोगों को नशे से होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी देकर उनमें जागरूकता लानी होगी। 

नशा मुक्ति पर निबंध 250 शब्दों में

किसी भी देश के लिए वहां के लोग यानी कि जनता बहुत महत्वपूर्ण होती है। पर अगर जनता गलत रास्ते पर चलने लगे तो ऐसे में वो देश फिर कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। आज जिस तरह से हमारे देश भारत के कई युवा लोग नशे के आदी बन चुके हैं इससे उनका भविष्य अंधकार में जा रहा है। शराब, सिगरेट, बीड़ी, अफीम, हीरोइन जैसे नशीले पदार्थ व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन करने का मतलब है मौत को न्यौता देना। ‌

नशे से होने वाले नुकसान

जो व्यक्ति नशा करता है समाज में कोई भी उसका सम्मान नहीं करता। नशे करने वाला इंसान नशा करने के बाद अपने परिवार के लोगों से लड़ाई झगड़ा करता है जिसकी वजह से घर का माहौल खराब होता है। इसके अलावा जो लोग नशा करते हैं उनकी जिंदगी में कभी भी खुशियां नहीं आ सकतीं और ना ही उनके पास पैसा रहता है। जब कोई इंसान नशे का आदी हो जाता है तो तब वह चोरी और दूसरे अवैध काम भी करने लगता है। 

नशा मुक्ति के कुछ उपाय 

नशे जैसी खतरनाक आदत को छुड़ाने के लिए एक नहीं अनेकों प्रयास करने होंगे जैसे कि –

  • लोगों को नशे के नुकसान बताने चाहिएं और उनमें जागरूकता लानी चाहिए।
  • सरकार द्वारा नशे के ऊपर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए और अगर कभी कोई व्यक्ति नशा करता हुआ पकड़ा जाए या फिर नशीले पदार्थों को बेचते हुए पकड़ा जाए तो तब उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए। 
  • लोगों को नशे की लत छुड़वाने के लिए सरकार ने बहुत सारे नशा मुक्ति केंद्र खोले हैं। इसलिए हम सब की यह जिम्मेदारी है कि अगर हमारे घर के आस-पास कोई व्यक्ति नशा करता है तो उसे नशा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उसे नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए भेजना चाहिए। 

नशा मुक्ति पर निबंध 500 शब्दों में

आज हमारे देश में अधिकतर लोगों में नशे की आदत बढ़ती जा रही है। चिंता की बात यह है कि युवा वर्ग खासतौर से नशे की चपेट में आ रहा है। युवा लोगों को नशे की आदत इतनी ज्यादा लग गई है कि उन्हें नशे के अलावा कोई दूसरा काम सुझाई नहीं देता। यही वजह है कि भारत सरकान ने देश के नौजवानों को और व्यस्को को नशे से बचाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए हैं। लेकिन सरकार अपने प्रयासों में तभी सफल होगी जब लोग भी इसमें अपना सहयोग देंगें।‌

नशा करने से होने वाले नुकसान

नशा करने के नुकसान एक नहीं बहुत सारे हैं जिनके बारे में जानकारी निम्नलिखित है – 

  • नशा व्यक्ति के बाहरी और आंतरिक शरीर को नुकसान पहुंचाता है। 
  • नशा करने के बाद व्यक्ति सही गलत में फर्क नहीं कर पाता जिसकी वजह से वह कई बार अपने साथ-साथ दूसरे लोगों को भी नुकसान पहुंचा देता है।
  • जो लोग नशा करते हैं वो हमेशा अपने घर में झगड़े करते हैं। ऐसे में आपसी मनमुटाव और झगड़ों की वजह से कई बार लोगों का पारिवारिक जीवन नर्क बन जाता है।
  • नशे की वजह से व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियां लग जाती है और कई बार तो उसे अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है। 
  • जो लोग नशा करते हैं उनकी समाज में कोई भी इज्जत नहीं करता और ऐसे लोगों को कहीं पर भी काम नहीं मिलता। 

लोग नशा क्यों करते हैं 

आजकल नशा एक फैशन की तरह बन गया है जिसे युवा पीढ़ी और व्यस्क लोग खुलेआम करते हैं। कई बार लोग नशा सिर्फ इसलिए करते हैं कि वो अपने मन को दुखों से छुटकारा दिलाना चाहते हैं। परंतु उन्हें नहीं पता कि अगर नशे में इतनी ताकत होती कि वह किसी व्यक्ति के दुखों को खत्म कर दे तो फिर दुनिया भर में कोई भी दुखी इंसान नहीं होता। कई बार लोग अपने दोस्तों के कहने पर शराब या अफीम का सेवन करते हैं और धीरे-धीरे वो फिर उसके आदी बन जाते हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता कि नशा अनेकों बुराइयों को जन्म देता है और व्यक्ति के जीवन को असंतुलित बना देता है। 

नशा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास 

नशा मुक्ति के लिए वैसे तो हमारी सरकार द्वारा बहुत सारे प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वो प्रयास तभी सफल होंगे जब जनता भी अपना भरपूर योगदान देगी। सरकार को चाहिए कि वह देश को नशा मुक्त करने के लिए कठोर कानून बनाए और उनका फिर कठोरता के साथ पालन किया जाए। कानून को ऐसे लोगों को माफ नहीं करना चाहिए जो नशा करते पकड़े जाएं या फिर जो लोग नशे का कारोबार करते हैं। इसके लिए हमारे देश में बहुत सारी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी हैं जो नशा मुक्ति अभियान चलाकर लोगों को जागरुक कर सकती हैं। 

इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जो लोग नशा करते हैं वे एकदम से नशे से मुक्त नहीं हो सकते बल्कि ऐसे लोगों को समझा-बुझाकर और प्यार के माध्यम से ही सही रास्ते पर धीरे-धीरे लाया जा सकता है। नशा करने वाले लोगों की मन की स्थिति को बदलने में टाइम लगता है और इसके लिए नशा मुक्ति केंद्रों से उनका उपचार करवाना चाहिए। ‌

  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध
  • समय का महत्व पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

दोस्तों यह था हमारा आज का आर्टिकल नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि आप किस प्रकार से नशा मुक्ति पर निबंध अलग-अलग शब्दों में लिख सकते हैं। ‌ हमें पूरी आशा है कि हमारा यह लेख आपके लिए काफी लाभदायक रहा होगा। इसलिए हमारी आप से रिक्वेस्ट है कि हमारे इस आर्टिकल को ऐसे लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में ढूंढ रहें हैं। 

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नशा मुक्ति पर निबंध – Essay on Nasha mukti in Hindi

नशा मुक्ति पर निबंध (Essay on Nasha mukti In Hindi): भोजन, वस्त्र और आश्रय मनुष्य के लिए आवश्यक है. इसके अलावा, अपने ज्ञान और बुद्धि के विकास के लिए और आरामदायक जीवन जीने के लिए और कुछ द्रव्यों का आवश्यकताएं अपने लिए प्रदान करता है. लेकिन कुछ लोग अस्थायी खुशी के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के नशीले द्रव्यों का सेवन करते हैं. यह नशा की लत के आदी होने के बाद वे इसे छोड़ नहीं सकते है. समय के साथ यह उनकी आदतों की जरूरतों का रूप ले लेता है और उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को बहुत नुकसान पहुंचाता है.

अगर आप student है तो ये लेख आपके लिए है. तो चलिए हमारे मुख्य लेख की ओर बढ़ते है जो है नशा मुक्ति पर निबंध .

प्रस्तावना – नशा सेवन के कारण – नशीली द्रव्यों का उपयोग और नुकसान – नशा मुक्ति के लिए प्रयास – उपसंहार

आधुनिक समाज में आपदाओं का सामना करने के कई कारण हैं. उनमें से, नशा सेवन एक प्रमुख कारण है. कुछ साधारण लोग देसी शराब पीते हैं, जबकि कुछ अमीर लोग विदेशी शराब पीते हैं. हांडिया , महुली, ताड़ के पानी आदि का उपयोग कुछ लोग करते हैं, जबकि बीयर, रम, ब्रांडी, और व्हिस्की कुछ लोगों की पसंदीदा पेय हैं. कुछ लोग भांग और अफीम के दीवाने हैं, जबकि कुछ ब्राउन शुगर के दीवाने हैं. किस किस को शराब, बीड़ी, सिगरेट चाहिए तो और कुछ लोग ड्रग्स, हेरोइन की तलाश में है. बड़े और छोटे, विभिन्न प्रकार के नशा, आज के सामाजिक जीवन को बरबाद करने में व्यस्त हैं. इसलिए नशा मुक्ति के लिए आंतरिक प्रयास जरूरी हैं.

नशा सेवन के कारण

कुछ अमीर लोग विलासिता में समय व्यतीत करते हुए शराब की शरण लेते हैं. विदेशी शराब उन्हें खुश करती है. कुछ लोगों का कहना है कि शराब पीने से दुख और अवसाद से राहत मिलता है. पश्चिमी सभ्यता के दुष्प्रभाव हमें कुछ तरीकों से भ्रमित कर रहे हैं. सिर्फ नशा के वजह से आज का समाज  शिक्षा के बजाय अशिक्षा के अधीन होते जा रहा है. परिवार के मुख्य और अन्य वयस्कों व्यक्ति नशा सेवन करने से इसका प्रभाव परिवार के छोटे बच्चों के ऊपर पड़ता है. बुरी संगत में पड़ कर कुछ लोगों को दारू की लत लग जाती है. कभी-कभी बस, ट्रक आदि चलाने वाले ड्राइवर शराब पीते हैं. बहुत शारीरिक परिश्रम के बाद कुछ लोग दर्द से राहत पाने के लिए नशा सेवन करते है.

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नशीली द्रव्यों का उपयोग और नुकसान

नशा सेवन से पारिवारिक अशांति होती है. कई मामलों में देखा गया है, पुरुष पीने के बाद रात में देर से घर लौटते हैं. वे अपनी पत्नियों पर अत्याचार करते हैं. कुछ महिलाओं को उनके शराबी पति हत्या भी कर देते है. जहरीले शराब की वजह  से अभी भी मौतें हो रही हैं.

नशीली द्रव्यों के उपयोग से कई बीमारियां होती हैं. शराब, अत्यधिक धूम्रपान और अन्य नशीली द्रव्यों के उपयोग से क्षय और कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती है. इससे समय से पहले बुढ़ापा और मृत्यु हो सकती है.

नशीली द्रव्यों के उपयोग का बच्चों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, उनके विकास और चरित्र को बाधित करता है. कुछ प्रभावशाली लोग नशीली द्रव्यों के उपयोग के कारण अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा खो देते हैं. जब किसी व्यक्ति की सामाजिक गरिमा और प्रभाव कम हो जाता है, तो बहुत लोग उसे नफरत करते हैं. नशा सामाजिक अपराध को बढ़ाता है. अत्यधिक सामाजिक अशांति सामाजिक पतन का एक प्रमुख कारण है.

न केवल शहर के लोग नशे के आदी हैं, बल्कि ग्रामीण भी नशे के आदी हैं. देशी शराब के उपयोग के साथ पान बीड़ी आदि का मांग बढ़ रही है.

नशा मुक्ति के लिए प्रयास

भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले ही नशा मुक्ति के प्रयास चल रहे थे. इसमें गांधीजी का भूमिका  बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण था. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नशा मुक्ति के लिए कदम उठाए थे. सरकारी उपाय के रूप में इसके लिए आवश्यक कानून बनाया जा रहा है.

सरकार नशीले पदार्थों की बिक्री से बहुत अधिक राजस्व एकत्र कर रही है. अगर इसकी बिक्री घटती है, तो यह राजस्व पर दबाव डालेगा. इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की आवश्यकता है. अधिक कर प्राप्त करने की आशा में सामाजिक जीवन का त्याग नहीं किया जा सकता है. नशीली दवाओं के उपयोग को बढ़ाने और अवैध व्यापार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. हमारा काम स्वस्थ समाज का निर्माण करना है.

लोक सेवकों की प्रतिबद्धता और जन समर्थन से नशा मुक्ति कार्यक्रमों को तेज किया जा सकता है. सबको कानून के भरोसे नहीं रहना चाहिए. इसके लिए हृदय परिवर्तन की आवश्यकता होती है. अब यह देखने को मिल रहा है कि अधिक से अधिक शराब स्टोर खुल रहे हैं, विशेष रूप से विदेशी शराब स्टोर. समाज को नरक में धकेल कर राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना लोकतांत्रिक सरकार का लक्ष्य नहीं होना चाहिए. नशा मुक्ति के लिए सरकारी प्रयास और जनता का सहयोग आवश्यक है.     

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ये था हमारा लेख नशा मुक्ति पर निबंध . उम्मीद है की आपको ये लेख पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है तो अपने classmate के साथ share करना न भूलें. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद. 

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नशा मुक्ति पर निबंध (Essay) | Nasha Mukti Par Nibandh

नशा मुक्ति पर निबंध : नशा एक अभिशाप है. जो भारतीय समाज मे व्यापक रुप से पाया जाता है. किसी भी देश के लिए जनता का स्वस्थ रहना, उसके विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि वहां की जनता मुख्यत: युवा पीढ़ी ग़लत रास्ते पर चलने लगें तो देश कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। आज जिस तरह से हमारे भारत देश की युवा पीढ़ी नशे की लत से जूझ रहा हैं इससे पूरे देश का भविष्य खतरे मे है। क्योकि नशीले पदार्थ व्यक्ति को अन्दर से खोखला कर देते हैं।

नशा मुक्ति पर निबंध

आपको मालूम होगा कि, पृथ्वी पर मानव ही सबसे बुध्दिमान व ताकतवर है और यह अपने जीवन को व्यवस्थिति बनाने के लिये हर सम्भव प्रयास करता हैं. लेकिन लोगों को सही शिक्षा न मिलने के कारण वो कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक दुषप्रभाव के शिकार हो जाते हैं और आजीवन नशा के लत मे जीवन खराब कर लेते है, आज इस लेख में हम नशा मुक्ति पर निबंध पढेंगे, जानेंगे की मनुष्य को नशा से कैसे दूर किया जाये।

नशा मुक्ति पर निबंध हिंदी में – Nasha Mukti Par Nibandh

नशा मुक्ति पर निबंध : नशा स्वास्थ के लिये हानिकारक होता है यह हमारे शरीर को धीरे-धीरे करके मारता है यह कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों का एक मुख्य कारण हैं इसके सेवन से हमारे शरीर में कई प्रकार की बीमारियाँ अपना घर बना लेती है, जो धीरे-धीरे करके पूरे शरीर को नष्ट कर देती है, और फिर मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।

नशा का सेवन करना अर्थात स्वयं के मृत्यु का कारण बनना है। यह विश्व के सबसे गम्भीर बीमारियो मे से एक है। जो दिन-प्रतिदिन भारतीय समाज मे बढती जा रही है। खासकर भारत के युवा लोग अधिक नशा मे ग्रस्त है।

लोगो को नशा से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक करना, तथा इसके सेवन से बचने के उपायो के लिये, हर वर्ष 31 मई को तम्बाकू दिवस मनाया जाता है। एक सर्वें से यह पता चला की 35% भारतीय किसी न किसी नशा का प्रयोग करते है। इनमें 47% मनुष्य तो 20% से अधिक महिलायें भी शामिल हैं।   

नशा से उत्पन्न बीमारियाँ: विशेषज्ञों का मानना है की नशा करने वाले मनुष्य की आयु घटती है, इसके सेवन से दांत, आंख, मुह, व फेफडों पर बुरा असर पडता है, क्योंकि तम्बाकू जैसे नशा का सेवन मुह के द्वारा किया जाता है इसलिये ये पहले मुह को प्रभावित करता है, जहाँ मुह के कैंसर, दांत गिर जाना जैसी गम्भीर बीमारियाँ पहले उत्पन्न होती है।

तम्बाकू में पाये जाने वाला निकोटिन ब्लड प्रेशर को भी बडाता है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना, जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होती है। अर्थात नशा हमारे लिये पूर्ण रुप से विनाशकारी है।

महिलाओं पर नशा का असर: नशा तो सभी व्यक्तियो के लिये हानिकारक है। चाहे वो पुरुष हो या स्त्री यह सभी को ग्रसित कर सकता है। लेकिन नशा महिलाओं के सम्पूर्ण जीवन को पूरी तरह बर्बाद कर सकता हैं इसके सेवन से महिलाओं में ‘गर्भपात की दर’ नशा मुक्त महिलाओं से 15 फिसदी अधिक होता है.

इसके सेवन से महिलाओं में दिल का दौरा, फेफडो में कैंसर, सांस की बीमारी, निमोनिया, माहवारी से जुडी समस्या, तथा प्रजनन सम्बंधी बीमारियाँ उत्पन्न होती है। जो उनके सम्पूर्ण जीवन को मिटा सकती है। – सतत् विकास है? और क्यों है जरुरी

नशा मुक्ति अभियान निबंध (Nasha Mukti abhiyan nibandh Hindi)

Nasha Mukti abhiyan nibandh Hindi

नशा मुक्ति पर निबंध 500 शब्दों में । नशा पर निबंध

नशा मुक्ति अभियान निबंध : नशा मुक्ति अभियान एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल है जो भारतीय समाज को नशीले एवं मादक पदार्थ जैसे- शराब, सिगरेट, गाजा, भाग आदि के सेवन से मुक्त करने का उद्देश्य रखती है। इसका मुख्य लक्ष्य मादक पदार्थों एवं इसके कारण उत्पन्न होने वाली बीमारियों से लोगों को मुक्त करना है। जिसके लिये भारत सरकार ने अनेको अभियान चलाया है।

नशा मुक्ति अभियान के तहत,समाज को नशा से मुक्त करने के लिये विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम, केंद्रीय और प्रादेशिक सरकारों की योजनाएं, नशा के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम और बचाव की उपायों की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ ही, समाज में शराब और मादक पदार्थों के खिलाफ संगठन का गठन भी किया जाता है।

भारत सरकार द्वारा नशा मुक्ति अभियान – Bharat Sarakar Nasha Mukti abhiyan nibandh

नशा मुक्ति अभियान की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 2020 को की गई थी जहाँ सरकार ने मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई को गंभीरता से लेने के लिए विभिन्न नियमो का निर्माण किया था और तथा एक संपूर्ण राष्ट्रीय स्तर पर नशा मुक्ति की दिशा में एक नई पहल की.

सरकार ने नशा मुक्ति के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्रवाईयाँ शुरू की हैं इनमें से कुछ मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं जैसे-

  • मादक पदार्थों के व्यापार पर रोक
  • विक्रय और उपभोग पर पाबंदिया
  • नशे के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम
  • नशा मुक्ति साथी केंद्रों की स्थापना
  • नशा उपचार सुविधाओं का प्रदान
  • नशामुक्त जीवनशैली को प्रोत्साहित करना
  • मादक पदार्थों से दूर रखने के लिए शिक्षा
  • नशा मुक्ति समितियों की स्थापना
  • मादक पदार्थों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम (आदि)

इसके साथ ही, सरकार ने युवाओं को मादक पदार्थों से दूर रखने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाये और इन कार्यक्रमों के माध्यम से नौजवानों को समाजिक और मनोवैज्ञानिक रुप से जागरूक किया.

नशा सेवन के दुषप्रभाव – नशा न केवल हमे स्वास्थिक रुप से कमजोर बनाता है बल्कि यह हमे सामाजिक, मनोवैज्ञानि, आर्थिक रुप से भी कमजोर बनाता है। इसके सेवन से स्वास्थ्य को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचता है। यह शरीर के अंगों, जैसे कि दिल, फेफड़ों, गुर्दे, मस्तिष्क, मुह, गला आदि को क्षतिग्रस्त करता है। जो एक गम्भीर बीमारी का रुप है।

साथ ही नशा के सेवन कारण से परिवारिक, सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों में समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। यह नाराजगी, विश्वासघात और भारी संघर्ष जैसे कई मुद्दे पैदा कर सकता है और जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है। साथ ही आर्थिक समस्यायो की बात करे तो इसके सेवन से नौकरी की हानि, आर्थिक संकट आदि पैदा हो सकती है।

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तम्बाकू से होने वाली मुख्य बीमारियाँ (nasha mukti par nibandh & hone vali bimari)

नशा मुक्ति पर निबंध (Essay) | Nasha Mukti Par Nibandh

तम्बाकू उत्पादों मे लगभग पांच हजार जहरीले पदार्थ पायें जाते हैं इनमे सबसे ज्यादा खतरनाक पदार्थ निकोटीन, टार, और कार्बन मोनोआक्साइड होता हैं जिससे निम्नलिखित बीमारियों का जन्म होता हैं।

  • फेफडो में कैंसर
  • दिमाग से सम्बंधी बीमारी
  • दिल का दौरा
  • मुह में कैंसर
  • दांत खराब होना
  • पैरो की नशो में रुकावट
  • इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
  • डायबिटीज का खतरा
  • आंत्र मे सूजन
  • गुर्दों की क्षति

अगर आप ऊपर बतायी गयी, बीमारियो को जानते हुये भी नशा का सेवन करते है तो आप स्वयं से जिम्मेदार है, जिसका भुगतान आपके साथ-साथ आपके परिवार (मता-पिता, पत्नी, पुत्र, पुत्री) आदि को करना होगा। अगर आप अपने परिवार व रिश्तो से प्रेम करते है तो नशा का सेवन करना त्याग दे, और इसके प्रति लोगो को भी जागरुक करे। ताकि आपके परिवार, रिश्ते-नाते व समाज नशा मुक्त हो सके।

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नशा करने वाले पदार्थ

वैसे भारत मे तो नशा करने वाले कई घटक है, कुछ प्राकृतिक तो कुछ मनुष्यों द्वारा बनायें गयें है, प्राकृतिक रुप से प्राप्त नशा जैसे- गाजा, भाग, धतूर, सूर्ती इत्यादि हैं और मनुष्यों के द्वारा बनायें गये नशा करने वाले पदार्थ जैसे- सिगरेट, तम्बाकू, हुक्का, इत्यादि।

तम्बाकू का सेवन निम्न तरीकों से किया जाता हैं

  • सिगरेट ( मनुष्य को धीरे-धीरे करके मारता हैं)
  • बिडी (अधिकतर भारत मे प्रयोग किया जाता है)
  • सूर्ती (अधिकतर भारत के गावों मे अधिक खाया जाता है)
  • हुक्का ( ये नशा गावों व शहरो दोनो मे प्रचलिति है)
  • गाजा (इसका भी भारत के उत्तरी राज्यो मे अधिक प्रयोग किया जाता है)
  • शराब ( शराब का सेवन पूरी दुनिया मे भारी मात्रा मे की जाती है)
  • भाग ( अधिकतर भारत के गावों मे)

नशा से बचाव/ नशा से कैसें बचे

समाज को नशा से कैसे बचायें : समाज को नशा से बचाने का मुख्य उपाय यह है की उन्हें नशा से होने वाली बीमारियों के बारे मे अवगत कराया जायें, उन्हें बताया जाय की नशा से आप के सेहत पर बुरा असर पडता है, साथ ही पर्यावरण, आप से जुडे लोगो पर, तथा आप के आने वाली पीढी पर भी इसका बुरा डालता हैं।

अगर महिलायें नशा का सेवन करती हो तो, उन्हे शिशु जन्म देने मे भी समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं के द्वारा किया गया नशा, उन्हे बाझपन, बच्चे का समय से पहले जन्म, मृत शिशु का जन्म, गर्भस्राव जैसी कई गंभीर समस्यायें उत्पन्न कर सकती है।

नशा रोकने का कानून

नशा से बचाओ के लिये सरकार ने कई नियमों को निकाला है, अगर कोई मनुष्य सार्वजनिक स्थान पर नशा करते पकडा जाता है, तो उसपर शक्त कार्यवाही की जाती है, वर्तमान मे सरकार ने मई 2003 को राष्ट्रिय तम्बाकू नियत्रण कानून पारित किया हैं। अधिनियम सभी तंबाकू युक्त उत्पादो जैसे ( गुटखा, सिगरेट, पान मसाला, खैनी, इत्यादि) सभी पर लगू होता है।

नशा रोकन हेतु निम्नलिखिति धाराएं

  • धारा चार : सभी सार्वजनिक स्थान (शिक्षिण संस्थान, होटल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, सिनेमा हाल, बस स्टैंड) इत्यादि पर धूम्रपान करना निषेध हैं
  • धारा पांच : सभी तम्बाकू उत्पादनों के विज्ञापन, आडियो, प्रिंट मीडिया और विजुअल मीडिया के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है।
  • धारा छः (क) : धारा छः के अंतरगर्त अठारह वर्ष से कम आयु के बच्चो पर तंबाकू बिक्री करना वर्जित है।
  • धारा छः (ख) : इस धारा के अंतरगर्त आप किसी भी शैक्षिण संस्था के आसपास या 100 गज के दायरे मे तम्बाकू की बिक्री नही कर सकतें
  • धारा सात: इस धारा के अंतरगर्त सभी तम्बाकू उत्पादनों पर स्वास्थ्य चेतावनी का लेबल लगाना जरुरी है।
  • धारा सात (पांच) : इस धारा के अंतरगर्त सभी तम्बाकू उत्पादनो के पैकेट पर अधिकतम अनुमेय सीमा के साथ निकोटीन तथा टार सामग्री होनी चाहिये। तथा पैकेट पर पूर्ण रुप से दर्शाया भी जाना चाहिये। [सोर्स : राष्ट्रिय स्वास्थ्य (आरोग्यम् सुखसम्पदा) ]

इस लेख मे हमने नशा मुक्त पर निबंध ( Nasha mukt par nibandh) पढा, साथ ही नशा से कैसे बचा जाय, तथा इससे कौन-कौन सी बीमारिया उत्पन्न होती है जाना, यह लेख आप के लिये कितना शिक्षाप्रद रहा कमेंट मे अपना सुझाव अवश्य दे, साथ ही हमारे साथ जुडे- और पाये नई जानकारी सबसे पहले- Join Us ‘नशा मुक्ति पर निबंध’ पर अपने विचार अवश्य शेयर करें

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नशा मुक्ति - क्या करें जब कोई अपना फंस जाए नशे की गिरफ्त में?

अगर नशा मुक्ति की ज़रूरत हो, तो हमें कौन सा रास्ता चुनना चाहिए ? सद्‌गुरु बता रहे हैं कि अगर किसी नज़दीकी व्यक्ति को नशे से मुक्त करना हो तो हमें क्या करना चाहिए। क्या योग अभ्यास इसमें मदद कर सकते हैं ? जानते हैं सद्गुरु से।

baby girl's drawing showing mommy and daddy doing intoxication

प्रश्न : सद्‌गुरु, अगर परिवार का कोई सदस्य या नजदीकी व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ जाए तो क्या करना चाहिए?

बड़े शहरों में तेज़ी से बढ़ रहा है चलन

सद्‌गुरु : बहुत मुश्किल है। यह निर्भर करता है कि वह नशा किस तरह का है। अगर कोई केमिकल नशे के चंगुल में फंस गया है तो उससे उबरना आसान नहीं है। मैंने कई परिवारों को बहुत ही दुखद स्थितियों में देखा है। कई बार इंसान के अंदर इन चीजों से बाहर आने की इच्छा भी होती है, पर वह आ नहीं पाता। कई बार उसके भीतर इच्छा ही नहीं होती। उसे लगता है कि वह कुछ भी गलत नहीं कर रहा है। ऐसे में कोई रास्ता नहीं है। पश्चिमी देशों में तो यह सब इतना ज्यादा है कि वहां की संस्कृति में रच-बस गया है। ऐसा कोई नहीं है, जो यह कह सके कि उसने कभी इन पदार्थों का सेवन नहीं किया। सौ फीसदी न सही, लेकिन अस्सी से पच्चासी फीसदी लोगों ने तो कभी-न-कभी इसका स्वाद लिया ही है। भारतीय संस्कृति में अभी हाल उतना बुरा नहीं है, लेकिन बड़े शहरों में यह तेजी से बढ़ रहा है। कुछ हिस्सों में तो इसका चलन बहुत ज्यादा है।

तार्किक बुद्धि के बढ़ने का परिणाम है ये

जैसे-जैसे धरती पर तार्किक ज्ञान बढ़ता है, यही स्वाभाविक परिणाम होता है, क्योंकि कुछ और है ही नहीं, जिसकी खातिर जिया जाए।

नशा मुक्ति का इरादा होना चाहिए

लोग सुधार की बात करते हैं। कुछ समय के लिए वे अपने में सुधार ले आते हैं, लेकिन फिर थोड़े समय बाद वे फिर उसी चंगुल में फंस जाते हैं। फिर यह सब अंतहीन तरीके से चलता रहता है।

कुछ लोग इनर इंजीनियरिंग करके इससे मुक्त हुए हैं

प्रश्न : ऐसे लोगों को सुधार केंद्र पर ले जाने की स्थिति आने से पहले क्या कुछ ऐसे काम हैं, जो परिवार के लोग कर सकते हैं?

सद्‌गुरु : शारीरिक गतिविधियां और खेल। यह बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार माता-पिता इस बात को लेकर पागल हो जाते हैं कि उनके बच्चे के नंबर पड़ोसी के बच्चे से ज्यादा आएं।

नशे से बचे रहने की कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि बाहरी दुनिया का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, लेकिन अगर बच्चा खेलों में है तो इस प्रभाव को कम किया जा सकता है। वे बेहतर करना चाहते हैं, क्योंकि कामयाबी का नशा किसी भी दूसरी चीज के नशे से कहीं बड़ा होता है। बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बच्चे सुबह उठेंगे, दौड़ लगाएंगे और शारीरिक श्रम करेंगे। ये चीजें उन्हें नशीले पदार्थों की ओर जाने से रोकेंगी। जो बच्चे ज्यादातर समय खाली रहते हैं, घर में बैठे रहते हैं और किसी विशेष काम में खुद को नहीं लगाते, उन्हें ऐसी चीजें जल्दी पकड़ लेती हैं। ऐसे में जब वे ऐसी चीजों के प्रति अतिसंवेदनशील हैं, तो उन पर नजर रखी जानी चाहिए। कोई भी अजीब सी हरकत दिखाई दे, तो मां-बाप फौरन कदम उठाएं। इसके लिए मां-बाप को बच्चों के साथ अच्छा और नजदीकी रिश्ता भी कायम करना चाहिए, जिससे उनके जीवन में होने वाली किसी भी अजीब घटना का पता उन्हें फौरन लग सके। रोकथाम हमेशा बेहतर होती है, क्योंकि एक बार वे रसायनों के गुलाम बन गए तो फिर कुछ करना बहुत मुश्किल होगा। पहले जैसी स्थिति में पहुँचने के भी कई तरीके हैं - कुछ लोगों को हमने इनर इंजीनियरिंग प्रोग्राम में भी शामिल किया, बहुत से लोग नशे से बाहर आ भी गए, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि यह शत-प्रतिशत कामयाब तरीका है। कोई एक ऐसा तरीका नहीं है, जो सौ फीसदी कामयाब हो।

संपादक की टिप्पणी:

*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:

21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया

*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है:

नाड़ी शुद्धि , योग नमस्कार

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नशा मुक्त भारत अभियान

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan

The Minister for Social Justice & Empowerment Shri Thawaarchand Gehlot launched the website for the Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA) on the occasion of International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking on 26 June 2021, which is observed worldwide to strengthen action and cooperation in achieving the goal of a sustainable world free of substance abuse. The entire world is facing the menace of drug addiction which has a devastating impact on the addict, individual, family and a large section of society.

The launch of Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA) is for 272 Districts across 32 State/Union Territories that have been identified as the most vulnerable in terms of usage of drugs in the country. These vulnerable districts were identified on the basis of findings from the Comprehensive National Survey and the inputs provided by the Narcotics Control Bureau (NCB) . According to the National Comprehensive Survey conducted by the Ministry of Social Justice and Empowerment , there are more than 60 million drug users in the country of which a large number of users are in the age group of 10-17 years.

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan intends to reach out to the masses and spread awareness about substance abuse through various activities like:

  • Awareness generation programmes
  • Focus on higher educational Institutions, university campuses and schools
  • Reaching out to the Community and identifying dependent population
  • Focus on counselling and treatment facilities in hospitals and rehabilitation centres that have been geo-tagged
  • Capacity building programmes for service providers

Initiatives

The Ministry of Social Justice and Empowerment has been mandated to reduce drug demand. It coordinates and oversees all aspects of drug abuse prevention including assessment of the extent of the problem, preventive action, treatment and rehabilitation of addicts, dissemination of information, and public awareness and is mandated to run de-addiction centres.

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan is operational with the involvement of more than 500 voluntary organizations across the country, which are assisted financially under the National Action Plan for Drug Demand Reduction (NAPDDR) scheme of the Ministry of Social Justice & Empowerment .

These NGOs have been actively involved in the implementation of Drug-Free India campaign. Nearly 8000 youth volunteers and outreach workers of these institutions/organizations have gone from door to door, village to village and nearby localities, etc. to educate the people about the ill effects of drug abuse and have assisted in the rehabilitation of victims of substance abuse.

The Nasha Mukt Bharat Abhiyaan website provides detailed information about the Abhiyaan and its activities, gives glimpses through the Photo & video gallery, provides IEC resource material and information on the institutions set up by the Ministry with the aim of Drug Demand reduction.

Institutions

The Ministry of Social Justice and Empowerment supports organizations that work for preventive education & awareness generation on substance abuse, capacity building, treatment and rehabilitation. These organizations are:

Nasha Mukt Bharat Abhiyaan Institutions

  • Integrated Rehabilitation Center For Addicts (IRCAs) : are de-addiction centres with inpatient facilities of counselling and treatment for drug dependent persons
  • Community Peer Led Intervention (CPLI) : work with the community supported by youth volunteers for early preventive education, especially for vulnerable adolescents and youth in the community
  • Outreach And Drop In Centres (ODIC) : provide facilities of screening, assessment and counselling along with providing referral & linkage to treatment and rehabilitation services for drug dependents
  • GEO Location : Ministry supported institutions providing Drug addiction counseling, treatment and rehabilitation and other facilities have been Geo-tagged to make their services accessible and easier to locate

For details : Visit

Related Links

  • Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA)
  • Press Release on Nasha Mukt Bharat Abhiyaan (NMBA)
  • Scheme of National Action Plan for Drug Demand Reduction (NAPDDR)

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नशा पर निबंध – Nasha Mukt Bharat in Hindi

 Nasha Mukti Essay in Hindi

Nasha Essay In Hindi – नशा एक अभिशाप है । यह एक ऐसे मादक और उत्तेजक पदार्थ है, जिनका प्रयोग करने से व्यक्ति अपनी स्मृति और संवेदनशीलता अस्थाई रूप से खो देता है।  वैसे तो नशे का चलन समाज में आदि काल से रहा है। भारत में मादक द्रव्यों के उपयोग का पहला सन्दर्भ ऋग्वेद में मिलता है। लगभग 2000 ईसा पूर्व व्यक्ति विभिन्न उत्सवों पर सोमरस का पान करते थे। जोकि एक प्रकार का मधुरस (नशा) था। लेकिन आधुनिक युग में पाश्चात्य संस्कृति से नशे को नए रूप मिले हैं। इसमें विशेष रूप से चरस, गांजा, भांग, अफीम, स्मैक, हेरोइन जैसी ड्रग्स उल्लेखनीय हैं। शराब भी इसी प्रकार का एक नशा है। 

अपने देश का दुर्भाग्य है कि लोग पाश्चात्य संस्कृति से इस नए रूप को ग्रहण तो कर रहे हैं, पर उनका अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है। आज  अकेले भारत में बड़ी संख्या में लोग नशीले पदार्थों के सेवन से जान गवा रहे हैं। सोचने की बात तो यह है कि भारत में नशाखोरी अब किसी एक राज्य की समस्या भर नहीं रह गई है, अपितु देश के लगभग सभी राज्य इस समस्या से जूझ रहे हैं।

बेहद अफसोसनाक तो ये है कि समाज में बढ़ते नशे के इस नए रूप से पीड़ित आज का अधिकांश मासूम किशोर व युवा पीढ़ी है। हालाँकि अपनी सरकार इन पीड़ित मासूम किशोरों एवं युवाओं को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान जैसे अनेक मुहीम चला रही हैं, ताकि जल्द से जल्द नशीले पदार्थों जैसे शराब तम्बाकू और गुटखे पर रोक लगा सके।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस नशीली दवाओं की रोकथाम की दिशा में एक बड़ा आयोजन है जो वैश्विक स्तर पर मुहीम चलाकर काम करता है। संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से इस दिवस की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी। लोगों को नशे से मुक्त कराने और उन्हें जागरुक करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ तथा समाजसेवी संगठनों द्वारा नशीले पदार्थों के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया जाता हैं। इस साल अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का थीम बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान जरूरी है (Better Knowledge For Better Care) है।

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पर नशे के जाल और दुष्परिणाम को समझना भी बेहद जरुरी हैं। क्योंकि इसने बहुतों मासूम किशोरों को अपने चंगुल में कर लिया है। आँकड़ो की आइने में देखें तो मासूम किशोरों में  नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाव, परिवार के झगड़े, इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हैं। बरहाल कारण जो भी हो पर इसके दुष्प्रभाव और दुष्परिणाम, दोनों ही खतरनाक हैं।  

नशे के नुकसान या दुष्परिणाम

नशाखोरी किसी भी समाज में विलासिता और अकर्मण्यता पैदा करने का सबसे सरल उपाय है। यदि किसी व्यक्ति को इसकी आदत हो जाती है तो वह कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो जाता है । नशे में डूबा इंसान अपने अच्छे बुरे की पहचान भी खो देता है । एक जानकारी के अनुसार नशे के सेवन से दिमाग की कोशिकाओं पर बहुत बुरा असर पड़ता है जो एक बार क्षतिग्रस्त होने पर दुबारा नहीं बन पाती है। इस विश्वव्यापी नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ लगभग सभी देशों में रोक है और रोकथाम के कड़े कानून भी बने हैं।

नशे की रोकथाम के उपाय –

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या पर काबू पाने के लिए अस्सी साल पहले  से ही प्रयास किया जा रहा है जब अफीम को अंतर्राष्ट्रीय न्याय सीमा के भीतर लाया गया था। इस मामले में नवीनतम प्रयासों को देखा जाए तो संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेम्बली ने 90 के दशक को ‘नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ दशक’ घोषित कर दिया है।

नशीली वस्तुओं का धन्धा करने वालों को क ठोरता से दबाने के लिये भारत सरकार भी कठोर दण्ड देने पर विचार कर रही है जिससे नशे का बढ़ता हुआ जाल रोका जा सके। सरकार नशीली वस्तुओं की तस्करी और अवैध धन्धा करने वालों को मृत्युदंड देने तक के लिए संसद के मानसून अधिवेशन 1988 में एक विधेयक पारित किया, जोकि 29 मई 1989 से ही प्रभावी भी हो गया। सरकार ने इसके लिए मादक द्रव्य नियन्त्र ब्यूरो की भी स्थापना की। 

अन्य उपायों में पंजाब और राजस्थान से लगी हुई भारत – पाक सीमा पर 3000 किमी. तक कंटीले तार लगाए जाने की योजना है। इतना ही नहीं, भारत सरकार ने मादक द्रव्यों के खिलाफ लड़ाई के लिए गैर सरकारी संगठनों को सहयोग देने का भी फैसला लिया है। लेकिन अफसोसजनक यह है कि आज समाज में धन के साथ – साथ इन्हीं चीजों को प्रतिष्ठा मिल रही है, इनकी गति भी इतनी तीव्रतर एवं तीव्रतम है कि नशाबन्दी की दिशा में इतने शख्त कानून बनने के बावजूद भी कोई लाभ होता न दिखाई पड़ रहा है। सच तो यह है कि समस्या के विकराल रूप को देखते हुए ये सभी कानून और अन्य उपाय नाकाफी हैं । नशा जैसी सामाजिक बुराई को केवल कानून और दण्ड के बल पर दूर नहीं किया जा सकता।

जिंदगी तबाह करने वाली इस सर्वनाशी नशा से मुक्ति हेतु सामाजिक चेतना, जागृति और एक जुट होकर मजबूत प्रयास करने की जरुरत है। यदि जाग्रति की यह प्रक्रिया सामाजिक अभियान बनाकर छेड़ी जाए तो कोई कारण नहीं कि इन अवांछित मूल्यों से निजात नहीं पाई जा सकती, परन्तु यह मात्र कहने एवं व्याख्यान, प्रवचन से संभव नहीं हो सकता। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं संकल्पशक्ति के द्वारा सतत भागीरथप्रयास से इसे किया जाना संभव है और यदि ऐसा होता है तो समाज से नशा का तीव्र प्रभाव घटेगा। इसके घटते ही अन्य सामाजिक बुराइयाँ भी घटने लगेंगी। क्योंकि सारी बुराईयों की यही तो जड़ है। 

अत: सभ्य एवं श्रेष्ठ समाज  गढ़ने के लिए निर्विरोध रूप से सरकार और जनता दोनों का सक्रिय सहयोग ही सफल हो सकता है। सरकार और जब सारा समाज एक जुट होकर नशे के खिलाफ कब्र खोदने के लिए कमर कस लेगा, यह बुराई तभी समाप्त होगी। और हानि केवल एक होगी और वह है आर्थिक। सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि सबसे अधिक राजस्व सरकार को एक्साइज से मिलता है। आज भी शराब का एक ठेका लाखों में उठता है।

दोस्तों यहां उपलब्ध “नशा मुक्ति पर निबंध और भाषण” केवल साधन नहीं है, बल्कि जनजागरूकता फैलाकर नशा मुक्ति भारत अभियान को तेज करने का हमारा एक छोटा प्रयास है। आशा करती हूँ यह जानकारी आपके द्वारा अवश्य सराही जायेगी। धन्यवाद !

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नशाखोरी का देश व उसके युवाओं पर दुष्परिणाम | Nashakhori ka samaj and yuva par prabhav in hindi 2024

नशाखोरी का देश व उसके युवाओं पर दुष्परिणाम, तंबाकू मुक्ति दिवस व विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 (Nashakhori ka samaj and yuva par prabhav or World No Tobacco Day (WHO) theme, activities in hindi)

पश्चिमी सभ्यता ने हमारे देश किस तरह अपनी ओर आकर्षित किया, इससे सभी भलीभांति परिचित है. इसकी ओर देश के युवा सबसे अधिक आकर्षित होते है, और अपनी भारतीय संस्कृति छोड़ पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागते है. नशाखोरी भी इसी का उदाहरण है. भारत देश की बड़ी मुख्य समस्याओं में से एक युवाओं में फैलती नशाखोरी भी है. देश की जनसँख्या आज 125 करोड़ के पार होते जा रही है, इस जनसँख्या का एक बड़ा भाग युवा वर्ग का है. नशा एक ऐसी समस्या है, जिससे नशा करने वाले के साथ साथ, उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है. और अगर परिवार बर्बाद होगा तो समाज नहीं रहेगा, समाज नहीं रहेगा तो देश भी बिखरता चला जायेगा. इन्सान को इस दलदल में एक कदम रखने की देरी होती है, जहाँ आपने एक कदम रखा फिर आप मजे के चलते इसके आदि हो जायेगें, और दलदल में धसते चले जायेगें. नशे के आदि इन्सान, चाहे तब भी इसे नहीं छोड़ पाता, क्युकी उसे तलब पड़ जाती है, और फिर तलब ही उसे नशा की ओर और बढ़ाती है. “नशा नाश है”

Table of Contents

तंबाकू मुक्ति दिवस व विश्व तंबाकू निषेध दिवस कब मनाया जाता है? (World No Tobacco Day or WHO Day 2024 Date)

देश के लोगो को नशे से मुक्ति के लिए जागरूक करने व देश के  युवा वर्ग को उनकी जिम्मेदारी  का अहसास करने के लिए हर साल देश में 31 मई को तंबाकू मुक्ति दिवस व विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है.

इस साल 2024 में भी इसे 31 मई, दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा.

हर रोज नशा के सेवन से मरने वालों लोगों की संख्या –

नशा की अधिकता से मरने वालों की संख्या में तमिलनाडु सबसे आगे है.

Nashakhori ka yuva samaj par prabhav

नशा कई तरह का होता है, जिसमें शराब, सिगरेट, अफीम, गांजा, हेरोइन, कोकीन, चरस मुख्य है. नशा एक ऐसी आदत है, जो किसी इन्सान को पड़ जाये तो, उसे दीमक की तरह अंदर से खोखला बना देती है. उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से बर्बाद कर देती है. जहरीले और नशीले पदार्थ का सेवन इन्सान को बर्बादी की ओर ले जाता है. आजकल नशा का आदि छोटे बच्चे भी हो रहे है, युवाओं के साथ साथ बड़े बुजुर्ग भी इसकी गिरफ्त में है, लेकिन सबसे अधिक ये युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है. युवा पीढ़ी के अंदर सिर्फ लड़के ही नहीं, लड़कियां भी आती है. नशा करने वाला व्यक्ति घर, देश, समाज के लिए बोझ बन जाता है, जिसे सब नीचे द्रष्टि से देखते है. नशा करने वाले व्यक्ति का न कोई भविष्य होता है, न वर्तमान, उसके अंत में भी लोग दुखी नहीं होते है. देश में जो आज आतंकबाद, नक्सलवाद, बेरोजगारी की समस्या फ़ैल रही है, इसका ज़िम्मेदार कुछ हद तक नशा भी है. नशा के चलते इन्सान अपना अच्छा बुरा नहीं समझ पाता और गलत राह में चलने लगता है.

नशाखोरी का समाज में फैलने का कारण (Nashakhori Reason) –

  • शिक्षा की कमी – देश में शिक्षा की कमी की समस्या आज भी व्याप्त है, सरकार इसकी ओर कड़े कदम उठा रही है. शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में बहुत है, लेकिन कई लोग इसे नहीं समझते है, और शिक्षा की कमी के चलते कई दुष्प्रभाव सामने आते है. जो लोग कम पढ़े लिखे होते है, वे इसके दुष्प्रभाव को नहीं समझते है, और इसकी चपेट में आ जाते है. गाँव में कम पढ़े लिखे लोग कई तरह के नशा करते है, जिससे उनका परिवार तक नष्ट हो जाता है.
  • नशा संबधी पदार्थो की खुलेआम बिक्री – हम व हमारे देश की सरकार नशा के दुष्परिणाम को जानती है, लेकिन फिर भी इसकी बिक्री खुलेआम होती है. नशा के पदार्थ आसानी से कही भी मिल जाते है, जिससे इसे देखदेख कर भी लोग इसकी ओर आकर्षित होते है.
  • संगति का असर – स्कूल के बच्चों में ये नशाखोरी संगति के चलते फैलती है. कम उम्र में ये बच्चे भटक जाते है, और ऐसे लोगों के साथ संगती करते है, जो नशा को अपना जीवन समझते है. बच्चों के अलावा युवा को भी कई बार संगति ही बिगाड़ती है. युवा पीढ़ी के कई ऐसे दोस्त होते है, जो नशा करते है, और देखा देखि में वे भी इसे करने लगते है. जो लोग इस नशा को करते है, वे अपने साथ वालों को भी इसे करने के लिए प्रेरित करते है.
  • मॉडर्न बनने के लिए – नशा को कुछ लोग मॉडर्नता का माध्यम मानते है. उनका मानना होता है, नशा करने से लोग उन्हें एडवांस समझेगें, और उनकी वाह वाही होगी. नशा को अमीरों की शान भी माना जाता है, उन्हें लगता है, नशा करने से हमारा रुतवा सबको दिखेगा. जो व्यक्ति शिक्षित है, वो भी नशा से दूर नहीं है, उनका मानना है कि नशा करने से उनकी बुद्धि में विकास, याददाश और आतंरिक शक्ति में विकास होता है.
  • पाश्चात्य संस्कृति – पाश्चात्य सभ्यता में मादक पदार्थ को सामाजिक रूप से स्वीकारा गया है, जिससे यहाँ खुलेआम लोग इसे लेते है और इसकी खपत भी अधिक होती है. इसे देख देख हमारे देश के युवा अपने आप को पाश्चात्य संस्कृति में ढालने के लिए नशा को अपनाते है. उनका मानना होता है, नशा उन्हें पाश्चात्य बनाएगा.
  • सिनेमा का प्रभाव – हमारे सिनेमा जगत का नशाखोरी फ़ैलाने में बहुत बड़ा हाथ है. टीवी, फिल्मों में खुलेआम शराब, सिगरेट, गुटखा खाते हुए लोगों को दिखाया जाता है, जिससे आम जनता विशेषकर बच्चे और युवा प्रभावित होते है, और उसे अपने जीवन में उतार लेते है. टीवी पर तो इसके बड़े बड़े विज्ञापन भी आते है, जिस पर हमारे देश की सरकार भी कोई कदम नहीं उठा रही है. युवा पीढ़ी टीवी पर देखती है, कैसे किसी का दिल टूटने पर जब गर्लफ्रेंड या पत्नी छोड़ कर चली जाती है तो हीरो शराब पीने लगता है, बस वो भी इसे देख अपने जीवन में उतार लेता है. गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने पर वो भी देवदास बन शराब पीने लगता है.
  • तनाव, परेशानी – किसी तरह की पारिवारिक परेशानी, समस्या के कारण भी इन्सान नशा का आदि हो जाता है. अपने गम को भुलाने के लिए इन्सान नशा करने लगता है, लेकिन इससे वो नशा के द्वारा दूसरी समस्या को बुलावा दे देता है. बेरोजगारी, गरीबी, कोई बीमारी या किसी पारिवारिक समस्या के चलते इन्सान नशा की ओर रुख करता है. मूड को बदलने के लिए भी लोग नशा करना पसंद करते है, उनके हिसाब से नशा करने के बाद उन्हें अपने दुःख दर्द याद नहीं रहते और उन्हें सुख की अनुभूति होती है.

नशाखोरी का देश व उसके युवाओं पर दुष्परिणाम (Nashakhori ka samaj and yuva par prabhav in hindi)

  • गरीबी बढ़ती है – देश में कई ऐसे परिवार है जो एक वक्त की रोटी के लिए रोते है, उन्हें बिना खाना खाए सोना होता है. नशा का आदि इन्सान भले खाना न खाए, लेकिन उसके लिए नशा बहुत जरुरी होता है. वह अपनी दिन भर की कमाई नशा में गवां देता है, यह तक नहीं सोचता की कि उसके बच्चे भूखे है. जो इन्सान पैसा नहीं कमाता, अपने घर के पैसों को इस नशे में लगा देता है, जिससे घर के दुसरे लोगों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है. रोज रोज के इस खर्चे से घर में गरीबी आने लगती है, और घर में खाने पीने तक की समस्या हो जाती है.
  • नशा एक ऐसी समस्या है, जो दूसरी समस्या को न्योता देती है. इससे गरीबी आती है, बेरोजगारी, आतंकवाद फैलता है. देश में अपराधियों की संख्या बढ़ने लगती है|
  • घरेलु हिंसा को बुलावा – नशा करने वाला इन्सान अपना आपा खो देता है, उसे याद नहीं होता है वो कहाँ है, क्या कर रहा है. नशा वाला इन्सान घरेलु हिंसा को दावत देता है, वो आने घर में अपनी बीवी, बच्चों को मारने लगता है.
  • अपराधी बना देता है – नशा एक अपराध से कम नहीं है, और नशा वाला इन्सान एक अपराधी. नशे की तलब को पूरा करने के लिए इन्सान चोरी करने लगता है, और छोटे छोटे अपराध कब बड़े अपराध में बदल जाते है पता ही नहीं चलता. अफीम, चरस, कोकीन का नशा लेने के बाद इन्सान के अंदर उत्तेजना आ जाती है, जिससे वो अपने काबू में नहीं रहता और इस नशे के बाद इन्सान चोरी, मृत्यु, हिंसा, लड़ाई-झगड़े, बलात्कार जैसे कामों को अंजाम देता है, जो उसे एक बड़ा अपराधी बना देता है. घर टूटते है
  • भविष्य नष्ट होता है – नशेबाज को नशे के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता है. मैंने ऐसे कई किस्से सुने है, जहाँ नशा ने अच्छे खासे बने बनाये इन्सान को बर्बाद कर दिया है. नशा का आदि इन्सान अपना भविष्य नष्ट कर लेता है, उसे उससे कोई लेना देना होता है.
  • स्वास्थ्य संबधी समस्या – नशा की लगातार लत से शरीर नष्ट हो जाता है. तम्बाकू, शराब, सिगरेट अधिक पीने से शरीर में फेफड़े, गुर्दा, दिल, और न जाने क्या क्या ख़राब होने लगता है. हम सबको पता है, धुम्रपान हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, फिर भी हम इसके आदि हो जाते है. धुम्रपान का धुँआ अगर सामने वाले व्यक्ति के शरीर में भी जाता है, तो उसे नुकसान पहुंचता है. इसी तरह गुटका जिस पर लिखा भी होता है कि इसे खाने से स्वास्थ्य संबधी समस्या होती है फिर भी लोग मजे से इसे खाते है, मुहं का कैंसर, गले का कैंसर सब नशा के कारण होते है. नशा करने से व्यक्ति की उम्र घटती जाती है, और ये कई शोध के द्वारा प्रमाणित हो चूका है.
  • अलग अलग नशा पदार्थ अलग अलग नुकसान देते है. शराब पीने से लीवर, पेट ख़राब होता है, और लीवर कैंसर भी होता है. गुटखा खाने से मुहं में कैंसर, अल्सर की परेशानी होती है. गांजा, भांग से इन्सान का दिमाग खराब होने लगता है, इससे वो पागल भी हो सकता है.
  • परिवार टूट जाते है – नशेबाज इन्सान अपने परिवार से ज्यादा अपने नशे को तवज्जो देते है, जिससे परिवार टूट जाते है. नशाखोरी, आज के समय में परिवार बिखरने की सबसे बड़ी वजह है. नशे के चलते पति पत्नी में झगड़े बढ़ते है, जिसका असर बच्चों पर भी होता है. कई बार तो ये बच्चे बड़े होकर अपने बड़ों की तरह ही काम करते है, और नशा को अपना लेते है.

मादक पदार्थ का सेवन इन्सान को घटक से घटक बना देता है, वो अपनी तलब को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. हमारे देश की सरकार देश की इस बड़ी समस्या की ओर उतनी नजर नहीं की हुई है, जितनी उसे करना चाइये. सरकार को नशामुक्ति के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए,

सरकार को खुलेआम मादक पदार्थ का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए.

सिनेमा, टीवी में इसके प्रयोग को वर्जित करना चाहिए.

नशाखोरी की समस्या के बारे में लोगों बताने के लिए कैम्पेन, सभा, आयोजित करनी चाहिए. गाँव, शहर सभी जगह लोगों को इस समस्या के बारे में खुलकर बताना चाइये.

नशाखोरी सिर्फ भारत देश की ही नहीं, पुरे विश्व की समस्या है तो इससे निपटने के लिए, सभी देखों को इकठ्ठे होकर काम करना चाहिए.

नशामुक्ति केंद्र, समझाइश कार्यालय अधिक से अधिक खोलें जाएँ.

Ans- इससे मानसिक स्वास्थ्य आदि की समस्याएं उत्पन्न होती है।

Ans- इससे आपकी मृत्यृ भी हो सकती है।

Ans- नशाखोरी छोड़ने के लिए आप नशा मुक्ति केंद्र जा सकते हैं।

Ans- नशाखोरी शराब, तंबाकू, गुटखा, सिगरेट आदि की होती है।

Ans- नशाखोरी से लोगों को दूर करने के लिए जागरूक अभियान चलाने चाहिए।

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Essay on Nasha Mukti in Hindi – नशा मुक्ति पर निबंध

June 14, 2018 by essaykiduniya

Here you will get Paragraph and Short Essay on Nasha Mukti in Hindi Language for students of all Classes in 200 and 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में नशा मुक्ति पर निबंध मिलेगा।

Short Essay on Nasha Mukti in Hindi Language – नशा  मुक्ति पर निबंध ( 200 words )

आज के युवाओं में नशे के सेवन का प्रचलन बहुत ज्यादा देखने को मिलता है। वह शराब, गुटखा , सीगरेट आदि नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। युवाओं का जीवन अंधकार में है। नशे में रहने वाला व्यक्ति अस्थाई रूप से असंवेदनशील रहता है। जिस व्यक्ति को नशे की लत लग जाती है वह अपनी पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक छवी को खो बैठता है। आज के युवा नशा करने को फैशन और बड़े गर्व की बात समझते हैं। नशे में धुत व्यक्ति अपने ही घर में चोरी तक कर बैठते हैं। नशा बहुत से संगीन अपराधों को जन्म देता है।

युवाओं और देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए लोगों को नशे के जाल से निकालना होगा। इसके लिए बहुत से नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए हैं। टीवी, पत्रिका आदि के माध्यम से लोगों को नशे से होने वाली हानियों के प्रति जागरूक करना होगा। नशा कर रहें लोगो और नशीले पदार्थ खरीदने और बेचने वालों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। देश को नशा मुक्त करने के लिए परिवार, समाज और देश को मिलकर कोशिश करनी होगी और नशे में फँस चुके व्यक्ति को प्यार और सहानुभूति से ही नशे से मुक्ति दिलानी होगी।

Essay on Nasha Mukti in Hindi Language – नशा मुक्ति पर निबंध ( 400 words )

आज के आधुनिक समस में लोग नशा करने के आदि होते जा रहें हैं। वह शराब, सिगरेट, तंबाकू, चरस आदि नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। नशे ने हमारे पूरे देश को घेर लिया है और लोगों की जिंदगी में अंधकार कर दिया है। ज्यादातर नशे का सेवन युवाओं में देखा जाता है क्योंकि वह विदेशों की संस्कृति को अपनाना चाहते हैं। वह नशा करने को फैशन समझते है और गर्व महसूस करते हैं। नशे के वजह से देश के युवा अंधकार में है और देश का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है।

नशा करने वाला व्यक्ति अपना मान सम्मान सब कुछ खो देता है। वह अपनी पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को खराब कर लेता हैं। नशे की लत में पड़कर यह लोग पहले धन देकर नशीले पदार्थ खरीदते हैं। बाद में घर के सामान आदि भी बेचने लगते है। नशे की लत में पड़ा हुआ मनुष्य अस्थाई रूप से असंवेदनशील हो जाता है। नशे की लत के चलते लोग बहुत से अपराधों को भी अंजाम देते हैं। वह चोरी छिपे भी विदेशों से नशीले पदार्थ मंगवाते है। नशा बहुत सी गंभीर बिमारियों को जन्म देता है। इसकी वजह से लीवर और अमाशय कमजोर होता है। कैंसर जैसी गंभीर बिमारियाँ भी इसी से उत्पन्न होती है।

लोगों को नशे से मुक्त करना उनके और देश के भविष्य के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके लिए बहुत से नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए है। देश को नशा मुक्त बनाने के लिए हमें और सरकार को मिलकर प्रयास करना होगा। लोगों को नशे से होने वाली हानियों के बारे में जागरूक करना होगा। संचार माध्यम जैसे की टीवी, अखबार और पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। नशीले पदार्थों का आयात भारत में बंद किया जाना चाहिए।

यदि कोई फिर भी नशा करता हुआ या नशीले पदार्थ बेचता या खरीदता हुआ पाया जाता है तो उसे सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। अगर देश के युवा नशा मुक्त होंगे और उनका भविष्य उज्जवल होगा तभी तो देश की उन्नति होगी। नशे में पड़े हुए व्यक्ति को प्यार और सहानुभूति से ही नशे से मुक्ति दिलाई जा सकती है। परिवार, समाज और देश के लोग मिलकर ही देश को नशा मुक्त बनाने में सहायता कर सकते हैं। सभी अवैध ठेके बंद किए जाने चाहिए। देश की सबसे बड़ी संपति उसके युवा होते है और उसकी समृद्धि के लिए युवा नशे से मुक्त होने चाहिए।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Nasha Mukti in Hindi – नशा मुक्ति पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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  • देशभर में हर क्षेत्र में नशे के व्यापार की दूकान की बजाय नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करें. जिससे लोगो को नशा छोड़ने के लिए अवसर मिल सकें.
  • नशा मुक्ति के लिए सबसे पहला उपाय यही है, कि नशे को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाए तथा नशेडी लोगो के लिए इलाज की सुविधा की जा सकें.
  • सभी को नशा छोड़ने के लिए प्रेरणा दी जाए. इसके लिए रैली तथा कार्यक्रमों का आयोजन कर सकते है.
  • कई ऐसी दवाइया आज बन चुकी है. जिसके सेवन के बाद हम नशे से मुक्त हो पाने में सक्षम होते है. जिनका प्रयोग करें.
  • नशा मुक्ति के लिए सबसे जरुरी यह है, कि हम खुद इसके लिए जागरूक बने तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने तथा अपने समाज के सभी लोगो को इस समस्या से मुक्त कराए.

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40+ नशा मुक्ति स्लोगन – Nasha Mukti Slogan in Hindi

Nasha Mukti Slogan in Hindi : दोस्तों आज हमने नशा मुक्ति पर स्लोगन लिखे है। वर्तमान में करोड़ों की संख्या में भारत में लोग नशे का सेवन करते है।

जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं, पारिवारिक कलह, गरीबी, मानसिक परेशानी, शोषण, बलात्कार, भयंकर बीमारियां होती रहती है।

वर्तमान में युवा पीढ़ी को  इसकी लत बहुत अधिक लग चुकी है जिसके कारण कई युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक  नशे का सेवन करने से प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक लोगों की रोड दुर्घटना में मौत हो जाती हैं। लगभग 30,000 लोग कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं और नशे का अत्यधिक सेवन करने के कारण 1.4 लाख से अधिक मृत्यु हो जाती है।

यह आंकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है। सरकार द्वारा नशे को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वह काफी नहीं है। इसी कारण आज का युवा नशे की जकड़ में आता जा रहा है जो कि  हमारी संस्कृति और देश के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।

इसलिए हमने नशे का सेवन बंद करने के लिए नशा मुक्ति स्लोगन लिखे है जिनकी सहायता से हम लोगों को जागरूक कर सकते हैं और नशे के सेवन से लोगों को रोक सकते है।

nasha mukti slogan in hindi

Best Nasha Mukti Slogan in Hindi

नशा करता है खराब, मिलकर करो इसका बहिष्कार।

जो है नशे का शिकार, वही है गंभीर बीमारी से बीमार।

नशा करोगे तो जीवन भर रोओगे।

नशा अपनाओगे तो खुशियों से दूर हो जाओगे।

नशा है धीमा जहर, जो छीन लेता है प्राण।

नशे से दोस्ती, जीवन से मुक्ति।

Anti Drugs Slogan In Hindi

गृह क्लेश और मार पिटाई, अब तो छोड़ो ये नशे की लत भाई।

नशे में रहोगे चूर तो परिवार से रहोगे दूर।

जन-जन तक यह संदेश पहुंचाना है, नशे को हाथ भी नहीं लगाना है।

Anti Drug Slogans In Hindi

जो नशे को गले लगाता है, वो मौत को पास में पाता है।

टीबी, कैंसर मौत की सीढी, बंद करो नशे की चुस्की ।

जो होगा नशे का आदी, उसके जीवन की होगी बर्बादी।

नशे की सबसे बड़ी मार, बर्बाद करें सुख संपन्न परिवार।

quotes on nasha mukti in hindi

बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू स्वास्थ्य संपदा के है डाकू।

सोचो समझो बचो नशे से, जिंदगी जीओ बड़े मजे से।

नशा छोड़ो, घर को जोड़ो, बोतल को तोड़ो।

एक दो एक दो, नशे की लत को छोड़ दो।

चलो नशे पर करें वार, सबसे पहले कुछ करे शुरुआत।

नशे की चुस्की, दिनभर की सुस्ती और जीवन भर की बर्बादी।

Quotes on Nasha in Hindi

नशे से मच रहा है चारों तरफ हाहाकार, बंद करो नशे का बाजार।

slogan on no alcohol in hindi

नशा है शैतान, लेता है जान घर परिवार कर देता है बर्बाद।

काम का ना काज का, ये नशा है दुश्मन जान का।

भारी होगी परेशानी, जब होगी नशे से बीमारी।

करता है जनधन की हानि, नशा है एक महामारी।

देश को बचाना है, नशे को बंद कराना है।

अपना नहीं तो परिवार का ख्याल करो नशा छोड़कर, सबका कल्याण करो।

हम सब ने यह ठाना है, नशे के बाजार को अब बंद करना है।

नशा मुक्ति दिवस पर स्लोगन

बीड़ी, सिगरेट नहीं छोड़ोगे तो धुँए की तरह उड़ जाओगे, पल भर में मिट जाओगे।

नशे की कीमत, जिंदगी पर दीमक।

नशा मुक्ति पर स्लोगन

अगर नशे का सेवन करोगे तो खांसते-हांफ्ते, दर्द भरी जिंदगी बिताओगे।

आओ नशे पर करें प्रहार, ना करेंगे, ना करने दें।

नशा – नरक है एक समान, परिवार और जिंदगी को कर देता है तो तमाम।

नशा मुक्त देश बनाना है, नशे को अब जड़ से मिटाना।

जागृति लाओ, नशे को दूर भगाओ।

nasha mukti poster

एक पल का नशा, जीवन भर सजा ही सजा क्यों होते हो बदनाम, बंद करो ना नशे का पान।

नशा छोड़ो, कर्ज, बीमारी और गृह क्लेश से मुक्ति पाओ।

अलख जगाओ, नशे को दूर भगाओ।

नशा है अपमान का भागीदार, छोड़ो नशा बनो सम्मान के भागीदार।

नशे की लत, मौत को खत।

Nasha Mukti Poster

जो नशे को अपनाएगा, वो घर लौट के नहीं आएगा।

नशा पता अब छोड़ दो, टूटे रिश्ते जोड़ लो।

बीड़ी, दारू सब बंद करो नहीं तो होंगे जल्द ही कब्र बंद।

नशा मतलब, जीवन की बर्बादी।

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40+ तम्बाकू छोड़ो पर स्लोगन – Anti Tobacco Slogans in Hindi

40+ स्वास्थ्य पर नारे – Slogan on Health in Hindi

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा  Nasha Mukti Slogan in Hindi  आपको पसंद आये होगे। अगर यह नारे आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

8 thoughts on “40+ नशा मुक्ति स्लोगन – Nasha Mukti Slogan in Hindi”

Nice 😊Mujhe ye sb baate esme bhut jada achi lgi thanks🙏

Nice bhaiya 😊😊😊😊

Welcome, Pooja sangwan

nase ki lat mout ki khat

Good thinking for nasha

मुझे आपकी बाते बहुत अच्छी लगी

hlo mera name sanjeev ha mera pita ji ko pine ke hadat ha is liye muja ye karna pad reha ha

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नशा मुक्ति पर निबंध- Essay on Nasha Mukti in Hindi

In this article, we are providing information about De-addiction in Hindi. Essay on Nasha Mukti in Hindi Language- नशा मुक्ति पर निबंध

नशा मुक्ति पर निबंध- Essay on Nasha Mukti in Hindi

भूमिका- किसी भी राष्ट्र की जनता ही वहाँ की सबसे बड़ा धन और ताकत होती है और यदि जनता का भविष्य ही अंधकार में चला जाए तो वह देश उन्नति नहीं कर सकता है। आज के युवा नशा और धुम्रपान करने को शान समझते है और खुद को नशे का आदि बना चुके है जिससे की उनका भविष्य खराब हो रहा है। नशे के लिए बाजार में बहुत सी नशीली वस्तुएँ बेची जाती है जैसे कि शराब, बीड़ी, सीगरेट आदि। अफीम, हीरोईन जैसे नशीले पदार्थ अवैध तरीके से चोरी से बेचे जाते हैं जो कि बहुत ही हानिकारक है और इनकी लत लग जाती है। चुनाव के समय नेता भी नशे का लाभ उठाते हैं। वह लोगों को शराब देकर उनसे उनके हिस्से में मतदान लेते हैं।

नशे से हानियाँ- नशा करने वाला व्यक्ति अपना मान सम्मान खो देता है। वह निरंतर अपने परिवार से झगड़ता रहता है और वह नशा करके अपना होश खो बैठता है और मार पिटाई भी करता है जिससे पारिवारिक शांति भंग होती है। नशा करने वालै व्यक्ति का जीवन कभी भी खुशहाल नहीं होता है और न ही उसके पास धन होता है। नशे की लत बहुत ही बुरी है और नशीले पदार्थ प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चोरी, डकैती या अन्य अवैध कार्य भी करता है। आजकल शराब में मिलावट भी होती है जिससे व्यक्ति अपनी जान भी गँवा बैठता है। नशा करने से केवल हानियाँ ही है। शराब हमारी फसलों के वातावरण के लिए भी अनुकुल नहीं है।

नशामुक्ति के उपाय- नशे को देश से मुक्त बनाने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए और इससे होने वाली हानियों के विषय में जानकर खुद को इससे दुर रखना चाहिए। सरकार ने भी नशे पर प्रतिबंध लगाया है और यदि कोई भी व्यक्ति नशा करता या नशीले पदार्थ बेचता हुआ पाया जाता है तो उसे सजा दी जाती है। लोगों की नशे की लत छुड़वाने के लिए बहुत से नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए है।

निष्कर्ष- नशा मुक्त देश हर नागरिक की आवश्यकता है और इसी से राष्ट्र उन्नति कर सकेगा और यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति नशीले पदार्थों कै सेवन बंद कर दे। युवाओं में नशे का प्रचलन अधिक है और युवा ही देश का भविष्य है इसलिए युवाओं का समझना चाहिए की नशा जहर है। सिंगरेट के धुएँ में जिंदगी को नहीं उड़ाना चाहिए।

देश को नशा मुक्त बनाओ, जन जन को खुशहाल बनाओ।

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4 thoughts on “नशा मुक्ति पर निबंध- Essay on Nasha Mukti in Hindi”

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सरकार ने भी नशे पर प्रतिबंध लगाया है और यदि कोई भी व्यक्ति नशा करता या नशीले पदार्थ बेचता हुआ पाया जाता है तो उसे सजा दी जाती है। Kripya is point ko nibandh se hata dijiye kyuki Maine Kisi b nashile padarth bechne wale ko saza paate nahi dekha h. ??

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You are right

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